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मिस्र के राष्ट्रपति ने राष्ट्रपति से भेंट की

राष्ट्रपति भवन : 29.10.2015

मिस्र अरब गणराज्य के महामहिम राष्ट्रपति, श्री अब्देल फत्तह अल-सिसी ने कल (28 अक्तूबर, 2015) राष्ट्रपति भवन में भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी से भेंट की।

श्री अब्देल फत्तह अल-सिसी का स्वागत करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि तृतीय भारत-अफ्रीका मंच शिखर सम्मेलन में मिस्र की सहभागिता से अफ्रीका के साथ भारत के संबंधों को घनिष्ठ बनाने में योगदान मिलेगा। भारत मिस्र के साथ अपने सभ्यतागत संबंध को अत्यंत महत्व देता है। भारत मिस्र को क्षेत्र की एक प्रमुख शक्ति तथा एशिया और भारत के बीच एक सेतु मानता है। भारत और मिस्र का विश्व की शांति और विकास के लिए मिलकर कार्य करने का इतिहास रहा है। भारत मिस्र का छठा विशालतम व्यापार साझीदार है तथा मिस्र का तीसरा विशालतम निर्यात गंतव्य है। मिस्र में भारतीय निदेश 3 बिलियन अमरीकी डॉलर तक पहुंच गया है। इन निवेश प्रवाहों से प्रौद्योगिकी का आगमन हुआ है, लगभग 35,000 मिस्रवासियों को रोजगार मिला है तथा उच्च निर्यात आय में योगदान हुआ है।

राष्ट्रपति ने एक वर्ष से भी कम समय में नई स्वेज नहर पूरा करने पर मिस्र की सरकार को बधाई दी। उन्होंने कहा कि नई स्वेज नहर के आस-पास नए औद्योगिक क्षेत्र के विकास से आर्थिक संबंधों को और सुदृढ़ करने का अवसर हासिल होगा।

राष्ट्रपति ने कहा कि भारत मिस्र के साथ तीन स्तंभों-घनिष्ठ राजनीतिक और सुरक्षा सहयोग, गहरे आर्थिक संबंध और वैज्ञानिक सहयोग तथा व्यापक सांस्कृतिक संपर्क एवं परस्पर जन आदान-प्रदान के आधार पर अपने संबंध की प्रगति चाहता है। उन्होंने श्री अब्देल फत्तह सिसी की भारत यात्रा को भारत-मिस्र रिश्तों की एक प्रमुख घटना बताया और कहा कि यह यात्रा दोनों देशों के बीच साझीदारी के नए युग की नींव रखेगी।

राष्ट्रपति की भावनाओं के प्रत्युत्तर में, मिस्र के राष्ट्रपति ने कहा कि अफ्रीका और भारत को सूझबूझ करने वाले उत्कृष्ट संबंधों को समझते हुए,भारत-अफ्रीका मंच शिखर सम्मेलन में उनकी भागीदारी अपरिहार्य थी। भारत-मिस्र के रिश्ते ऐतिहासिक, चिर-स्थापित और निरंतर हैं। मिस्र संबंधों को और सुदृढ़ करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। यह भारतीय निवेश का स्वागत करता है तथा भारत की विशेषज्ञता, प्रौद्योगिकियों और अनुभव से लाभान्वित होना चाहता है।

यह विज्ञप्ति1155 बजे जारी की गई।