आज (30 अक्तूबर, 2012) तिरुअनंतपुरम में एक समारोह में केरल विधान सभा के सदस्यों को संबोधित करते हुए, भारत के राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी ने कहा कि केरल के कार्य भारत को सुदृढ़ता प्रदान करें और केरल का बहुलवाद, सहनशीलता, प्रगतिशील सोच व समतापूर्ण, समावेशी विकास का संदेश भारत का संदेश बन जाए।
इस अवसर पर बोलते हुए, राष्ट्रपति ने स्थानीय निकायों में महिलाओं के लिए 50 प्रतिशत आरक्षण सुनिश्चित करने पर केरल को बधाई दी। उन्होंने सेवा का अधिकार अधिनियम के प्रभावी कार्यान्वयन के माध्यम से प्रशासन में जवाबदेही और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए केरल की प्रशंसा की।
राष्ट्रपति ने कहा कि असहमति लोकतंत्र की एक मान्यता प्राप्त अभिव्यक्ति है परंतु इसे शालीनता तथा संसदीय तंत्र की सीमाओं और मापदण्डों के भीतर अभिव्यक्त करना चाहिए। संसदीय प्रणाली के प्रभावी कामकाज का प्रमुख सिद्धांत यह है कि बहुमत शासन करेगा और अल्पमत विरोध करेगा, तथ्यों को सामने लाएगा और यदि संभव हुआ तो सत्ता से हटाएगा। राष्ट्रपति ने उल्लेख किया कि ऐसा विधायिका द्वारा बनाए गए नियमों के तहत ही किया जाना चाहिए।
यह विज्ञप्ति 1810 बजे जारी की गई