भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने विद्यार्थियों का आह्वान किया कि वे अपनी ऊर्जा का प्रयोग महिलाओं की शिक्षा, सशक्तीकरण तथा उत्थान के लिए करें। वह आज (30 नवम्बर 2014) भुवनेश्वर में रामा देवी महिला स्वशासी कॉलेज के स्वर्ण जयंती समारोहों के उद्घाटन के अवसर पर बोल रहे थे।
श्रीमती रामादेवी के अनन्य योगदान तथा नेतृत्व को याद करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि वह भारत के राष्ट्रीय आंदोलन में एक समर्पित कार्यकर्त्री थी और महात्मा गांधी की समर्पित शिष्या थी। 1931में सविनय अवज्ञा आन्दोलन की शुरुआत पर श्रीमती रामा देवी, गोपबंधु चौधरी तथा आचार्य हरिहर दास ने ओडिशा में विशाल जनसभाएं आयोजित की थी। जब भारत के पश्चिम तट पर दांडी मार्च आयोजित हुआ तो उत्कल प्रादेशिक कांग्रेस समिति ने बालासोर में इंचुडी तथा कटक में कुजुंगा को नमक का कानून तोड़ने के लिए छांटा गया था। ओडिशा में इसका नेतृत्व श्रीमती रामा देवी तथा अन्य नेताओं द्वारा किया गया था। वह आम पुरुषों और महिलाओं की संगठनकर्त्री, वक्ता,आंदोलनकर्त्री तथा प्रेरक थी। उन्होंने अस्पृश्यता तथा सांप्रदायिकता के उन्मूलन के लिए कठोर परिश्रम किया। उन्होंने विनोबा भावे के भूदान आंदोलन के समर्थन में पदयात्राएं आयोजित की तथा महिलाओं की शिक्षा, उत्थान तथा सशक्तीकरण पर अत्यधिक जोर दिया।
राष्ट्रपति ने कहा कि वह ओडिशा की समृद्धि संस्कृति तथा सांप्रदायिक सद्भावना के लंबे इतिहास के प्रशंसक रहे हैं। ओडिशा ही वह भूमि है जहां तीसरी सदी ईसवी पूर्व में युद्ध लड़ा गया था। यहीं पर सम्राट अशोक का हृदय परिवर्तन हुआ था जिसने उन्हें हिंसा का त्याग करने और धर्म तथा अहिंसा की ओर प्रवृत्त किया। उन्होंने उत्कलगौरव, मधुसूदन दास तथा उत्कलमणी, गोपबंधु दास जैसे माटी के महान सपूतों के महती योगदान को याद किया। उन्होंने कहा कि श्री बीजू पटनायक तथा उत्कलकेशरी,डॉ. हरेकृष्ण महताब जैसे स्वप्नद्रस्टा नेताओं ने ओडिशा को औद्योगिकीकृत तथा समृद्ध राज्य बनाया।
राष्ट्रपति ने कहा कि ओडिशा की जनता ने खुद को महान विरासत का सुयोग्य उत्तराधिकारी सिद्ध किया है। उन्होंने ओडिशा को भारत के सर्वाधिक प्रगतिशील राज्यों में शामिल किया है। भुवनेश्वर को भारत के सबसे अच्छे शहरों में गिना जाता है तथा यह आज पूर्वी भारत का वाणिज्यिक केन्द्र है। राष्ट्रपति जी ने कहा कि प्रत्येक विद्यार्थी में अपनी-अपनी क्षमता के अनुसार राष्ट्र निर्माण में योगदान देने की क्षमता है। विद्यार्थियों को यह ध्यान रखना चाहिए कि उनकी शिक्षा में बहुत संसाधन, श्रम और त्याग लगा है। समाज ने उन पर निवेश किया है तथा यह उम्मीद करना उपयुक्त है कि वे इस निवेश के बदले समाज को लभांश वापिस करेंगे। उन्होंने उनके आग्रह किया कि वे बालिकाओं की शिक्षा के लिए विशेष प्रयास, जिस प्रकार भी वे कर सकते हैं, करें, जिनका सरकार के विकास कार्यक्रमों की सफलता पर सर्वाधिक प्रभाव होगा।
यह विज्ञप्ति2140 बजे जारी की गई।