भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी द्वारा कुलाध्यक्ष के रूप में आयोजित राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थानों के निदेशकों का दो दिवसीय सम्मेलन कल (30 अक्तूबर, 2014) राष्ट्रपति भवन में सम्पन्न हुआ।
अपने समापन उद्बोधन में, राष्ट्रपति ने कहा कि शिक्षा भारत को विकसित देशों की श्रेणी में पहुंचाने वाला एकमात्र विशालतम रूपांतरकारी कारक होगा। शिक्षा ही हमें एक ज्ञानवान समाज के रूप में मजबूती से स्थापित करेगी। इन सम्मेलनों और सम्बद्ध बैठकों का उद्देश्य शिक्षा में उत्कृष्टता की हमारी राष्ट्रीय संकल्पना की प्राप्ति के लिए स्पष्ट रूप से निर्धारित खाका तैयार करना है। आज 23 राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थानों में नवान्वेषण क्लब है, 24 राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थानों में उद्योग प्रकोष्ठ हैं तथा 8 राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थानों ने प्रौद्योगिकी विकास केन्द्र स्थापित किए हैं। 12 राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थानों ने पेटेंट फाइल करने में सहयोग देने के लिए आई पी आर कोष स्थापित किए हैं। शेष संस्थानों द्वारा ठोस कदम उठाए जा रहे हैं तथा अगले कुछ महीनों में सकारात्मक परिणामों की अपेक्षा है।
राष्ट्रपति ने प्रत्येक राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान से पांच गांवों को गोद लेने तथा सांसद आदर्श ग्राम योजना, प्रधानमंत्री जन-धन योजना, स्वच्छ भारत मिशन तथा डिजीटल भारत कार्यक्रम जैसी अनेक योजनाओं का समावेश करते हुए उन्हें आदर्श गांवों में बदलने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि उन्होंने यह देखा है कि राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान,जमशेदपुर सात गांवों, राष्ट्रीय प्रौद्यागिकी संस्थान उत्तराखण्ड बीस गोवा और राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, जयपुर पांच गांवों में कार्य कर रहे हैं। वे नई योजनाओं को शामिल करने के लिए अपनी पहल को व्यापक बनाना चाहेंगे।
राष्ट्रपति ने घोषणा की कि अब राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थानों के युवा विद्वानों को शामिल करने के लिए भी राष्ट्रपति भवन के आवासी कार्यक्रम का विस्तार किया जाएगा। 30 विद्वान, प्रत्येक राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान से एक, सप्ताहभर के लिए राष्ट्रपति भवन में उनके अतिथि होंगे। इसके अलावा, राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थानों से 6 डॉक्टोरल तथा पोस्ट-डॉक्टोरल विद्यार्थियों को टीम प्रमुख के तौर पर चुना जाएगा। ये विद्वान और विद्यार्थी,प्रत्येक 10 विद्वान और 2 टीम प्रमुखों के तीन बैचों में एक-एक सप्ताह के लिए राष्ट्रपति भवन में ठहरेंगे।
यह उल्लेख करते हुए कि राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान सूरतकल नवम्बर में ‘एक-दूसरे से सीखने’ पर तथा राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, वारंगल दिसंबर में ‘पाठ्यक्रम के लिए समान दिशानिर्देश’ पर अन्तरराष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान कार्यशाला की मेजबानी करेंगे, राष्ट्रपति ने कार्यशालाओं के अयोजकों से उत्तर-पूर्व के राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थानों के तीव्र विकास के लिए आवश्यक सभी सहायता मुहैया करवाने का आग्रह किया।
राष्ट्रपति ने मानव संसाधन विकास मंत्री से रिक्त संकाय पदों की भर्ती के लिए संस्थानों के उपयोग हेतु, विदेशी शैक्षिक विशेषज्ञों तथा भारतीय मूल के व्यक्तियों का एक डाटाबेस तैयार करने के लिए तत्काल कदम उठाने का भी आग्रह किया।
दो दिवसीय सम्मेलन की कार्यसूची में, (क) राष्ट्रीय विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए अनुसंधान और प्रौद्योगिकीय नवान्वेषण को प्रगाढ़ बनाने के लिए अपेक्षित उपाय; (ख) प्रौद्योगिकी आधारित अध्ययन; (ग) गुणवत्ता में सुधार के लिए अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क और संयोजनों की स्थापना, और (घ) संकाय की क्षमता निर्माण के लिए प्रयास शामिल थे। परिचर्चा के अंत में राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थानों के निदेशकों ने प्रत्येक कार्यसूची मद पर विस्तृत सिफारिशें कीं।
महत्त्वपूर्ण सिफारिशों में निम्न मदें शामिल हैं :
* पर्याप्त अनुसंधान कोष सहित, अनुसंधान प्रोफेसर के पद का सृजन।
* सर्वोत्तम नवान्वेषण के लिए पुरस्कारों सहित, वार्षिक अनुसंधान सम्मेलन की शुरुआत।
* सूचना और संचार प्रौद्योगिकी के माध्यम से राष्ट्रीय ज्ञान नेटवर्क तथा राष्ट्रीय शिक्षा मिशन की कारगरता में सुधार;
* उच्च गुणवत्ता अध्यापन तक पहुंच को व्यापक बनाने के लिए वर्चुअल कक्षा जैसे प्रौद्योगिकी आधारित मॉडलों का विकास;
* एमओओसी प्लेटफार्म के जरिए बड़े पैमाने पर कम लागत में उच्च गुणवत्ता शिक्षा तक पहुंच में सहयोग;
* राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान अंतरराष्ट्रीय सहयोग के लिए अंतरराष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान मंच की स्थापना करेंगे। अंतरराष्ट्रीय संयोजन बढ़ाने के तरीके खोजने के लिए प्रत्येक राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान में अंतरराष्ट्रीय सहयोग अधिकारी के तौर पर एक संकाय सदस्य मनोनीत किया जाएगा;
* मानव संसाधन विकास मंत्रालय तथा विदेश मंत्रालय द्वारा राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थानों को अनुसंधान सहयोग, संकाय को राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थानों की यात्रा तथा राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान संकाय के विदेशी विश्वविद्यालयों में अध्ययन अवकाश को प्रोत्साहन देने के लिए अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालयों के साथ समझौता ज्ञापन करने में मदद की जानी चाहिए;
* मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा सहायता और दीर्घकालिक सहयोग के लिए विशिष्ट राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान या इसके विभाग को प्रतिष्ठित विदेशी विश्वविद्यालयों द्वारा गोद लेने की संभावनाएं तलाश की जाए;
* राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थानों के निदेशक तथा उनके मातहत सभी स्तरों के संकाय सदस्यों के प्रशिक्षण के लिए एक व्यापक योजना की जाए।
समापन सत्र में केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री, श्रीमती स्मृति जुबिन ईरानी ने भी भाग लिया।
यह विज्ञप्ति 1400 बजे जारी की गई।