योर मेजेस्टीज,
योर रॉयल हाइनेसेज,
महामहिमगण,
देवियो और सज्जनो,
1. योर मेजेस्टी, आपके सहृदयतापूर्ण शब्दों के लिए मैं आपको धन्यवाद देता हूं। भारत के राष्ट्रपति की स्वीडन की पहली राजकीय यात्रा पर आना वास्तव में सम्मान की बात है। मुझे और मेरे शिष्टमंडल के शानदार स्वागत तथा सम्मानजनक आतिथ्य की मैं अत्यंत सराहना करता हूं।
2. योर मेजेस्टी, स्वीडन के साथ अपनी दीर्घकालीन मैत्री को भारत बहुत महत्त्व देता है। यद्यपि, हमारे दो देश भौगोलिक रूप से एक दूसरे से दूर हैं, हम लोकतांत्रिक मूल्यों और परंपराओं के प्रति अपनी साझा प्रतिबद्धता से बंधे हुए हैं। हम दोनों ऐसे खुले,बहुलवादी समाज हैं जो मानवाधिकारों के संरक्षण तथा कानून के शासन के प्रति कृतसंकल्प हैं। वर्षों के दौरान, हमने आपसी विश्वास और सद्भावना को विकसित किया है, जो हमारे लोगों को विभिन्न सेक्टरों में साझा लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए एक साथ लाए हैं। हमारे द्विपक्षीय संबंध कभी इतने बेहतर नहीं थे जितने अब हैं तथा हमारे लोग अपने सहयोग को उसकी पूर्ण क्षमता तक बढ़ाने के आकांक्षी हैं।
3. योर मेजेस्टी, बहुत से क्षेत्रीय तथा वैश्विक मुद्दों पर हमारे दोनों देशों का समान नजरिया है। हम संयुक्त राष्ट्र संघ तथा दूसरे बहुपक्षीय मंचों पर निकट से सहयोग कर रहे हैं, जहां पर स्वीडन से हमें प्राप्त हुए तथा अभी प्राप्त हो रहे सहयोग की भारत सराहना करता है। हम संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् की स्थाई सदस्यता के लिए भारत की न्यायोचित दावेदारी का समर्थन करने के लिए आपके आभारी हैं। हम आपके उन प्रयासों की भी सराहना करते हैं, जिनसे स्वीडन की अध्यक्षता के दौरान भारत को आर्कटिक परिषद में पर्यवेक्षक की हैसियत प्राप्त करने में सहयोग मिला।
4. योर मेजेस्टी, आपने 1993 में भारत की राजकीय यात्रा की थी तथा इसके बाद 2005 में रॉयल टेक्नोलॉजी मिशन में भारत आए थे। इसके बाद से एक दशक का समय बीत चुका है तथा मुझे यह कहते हुए खुशी हो रही है कि इन वर्षों के दौरान, भारत ने बहुत से सेक्टरों में भारी बदलाव देखे हैं। भारत में नई सरकार ने निवेश को प्रोत्साहित करने, भारत में विनिर्माण सेक्टर को बढ़ावा देने, कौशल विकास को बढ़ाने, स्मार्ट शहरों का विकास करने तथा इन लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए भारत एवं विदेश में सभी इच्छुक साझीदारों और निवेशकों के साथ निकट से सहयोग करने के लिए कई पहलें शुरू की हैं।
5. मुझे विश्वास है कि मेरी इस यात्रा के दौरान हमने जिन द्विपक्षीय करारों पर हस्ताक्षर किए हैं वह ऐसे बहुत से क्षेत्रों में हमारे उपयोगी सहयोग को और अधिक बढ़ाएंगे,जहां भारत एवं स्वीडन की स्पष्ट अनुपूरकताएं मौजूद हैं।
6. यह लगभग एक सौ वर्ष पूर्व की बात है जब हमारे महान दार्शनिक एवं कवि, गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर ने 1913 में साहित्य के लिए नोबेल पुरस्कार प्राप्त किया था। वह न केवल पहले भारतीय, वरन् वास्तव में ऐसे पहले गैर-यूरोपीय व्यक्ति थे जिन्हें साहित्य में नोबेल पुरस्कार प्राप्त हुआ था। यह बहुत पहले 1911 में स्वीडिश समाज द्वारा टैगोर की साहित्यिक रचनाओं में दिखाई गई रूचि के कारण ही संभव हो पाया था।
7. लगभग इसी समय प्रिंस विलियम ऑफ सोर्मलांद कोलकाता आए थे तथा अपनी पुस्तक ‘दैर सूलेन लीसेर’ (सूरज वहां उगता है) में कोलकाता तथा टैगोर परिवार के साथ अपने अनुभवों के बारे में लिखा था।
8. गुरुदेव टैगोर ने 1921 तथा 1926 में स्वीडन की यात्रा की थी। संभवत: यह किसी प्रख्यात भारतीय व्यक्ति की स्वीडन की पहली यात्रा थी जिसका उल्लेख मिलता है। उनकी अगवानी अन्य व्यक्तियों के साथ-साथ हिज मेजेस्टी नरेश गुस्ताव V ने की थी।
9. मुझे यह परंपरा आगे बढ़ाते हुए गर्व का अनुभव हो रहा है तथा मैं योर मेजेस्टीज को उनकी सुविधानुसार, भारत की यात्रा पर आने का निमंत्रण देना चाहूंगा। आपका नई दिल्ली में स्वागत करना बहुत खुशी और गौरव की बात होगी।
10. अंत में,मैं गुरुदेव टैगोर की समकालीन तथा साहित्य की प्रथम नोबेल विजेता सुश्री सेल्मा लॉगेरलोफ के समाचीन शब्दों को उद्धृत करना चाहूंगा, ‘कोई भी व्यक्ति तब तक ऐसा उत्सव मनाने में सक्षम नहीं हो सकता जब तक वह खुद अपने मन के अंदर उत्सव न मना रहा हो’। मैं, स्वीडन की जनता को उनकी सृजनात्मकता के लिए तथा उनके उम्दा नवान्वेषणों के लिए बधाई देता हूं तथा विश्व को कुछ अत्यंत महत्त्वपूर्ण तथा जीवन को बदल देने वाले आविष्कार प्रदान करने के लिए उनको धन्यवाद देता हूं।
11. मैं,इस अवसर पर 6 जून को आपके राष्ट्रीय दिवस समारोह के लिए, भारत की सरकार तथा जनता की ओर से स्वीडन की जनता को शुभकामनाएं देता हूं।
देवियो और सज्जनो, आइए हम सब मिलकर:
- देयर मेजेस्टीज, स्वीडन नरेश एवं महारानी के स्वास्थ्य;
- स्वीडन और भारत की जनता की निरंतर प्रगति एवं समृद्धि; तथा
- भारत एवं स्वीडन के बीच चिरस्थाई मैत्रीपूर्ण संबंधों की, कामना करें।
स्कॉल!
धन्यवाद।