होम >> अभिभाषण >> अभिभाषण विस्तार

भारत के राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी द्वारा भारतीय वायु सेना के 125 हेलिकॉप्टर स्क्वेड्रन को ‘स्टैंडर्ड’ और यांत्रिकी प्रशिक्षण संस्थान को ‘कलर्स’ प्रदान करने के अवसर पर अभिभाषण

एयर फोर्स स्टेशन, तांब्रम, तमिलनाडु : 03.03.2017



1. मुझे एयर फोर्स स्टेशन तांब्रम में यहां उपस्थित होने में बेहद प्रसन्नता है जो कि125 हेलिकॉप्टर स्क्वेड्रन को राष्ट्रपति द्वारास्टैंडर्डऔर यांत्रिकी प्रशिक्षण संस्थान को कलर्सप्रदान करने के लिए सबसे प्राचीन स्थान है। इन एककों का एक गौरवशाली अतीत है जिसमें समृद्ध विरासत,शानदार प्रयास और देश के लिए निःस्वार्थ सेवाएं अंतःस्थापित हैं। उनके अदम्य समर्पण,व्यवसायिकता,स्वभाव और साहस के लिए राष्ट्र उनके प्रति गहन आभार और प्रशंसापूर्ण सम्मान करता है।

2. भारत एक बहुध्रुवीय,बहुपक्षीय विश्व में एक जिम्मेदार और उभरती हुई ताकत है। प्रभावकारिता के हमारे क्षेत्र में सदैव परिवर्तनशील सामाजिक,आर्थिक,भूराजनीतिक परिदृश्य में उन अवयवों के विरुद्ध एक सशक्त निवारक की आवश्यकता है जो हमारे देश की प्रगति,खुशहाली और सुरक्षा पर नकारात्मक रूप से प्रभाव डालती हैं। विरोधी इकाइयों,बाह्य और आंतरिक दोनों के ही विररुद्ध निवारक प्रदान करने के अतिरिक्त हमारे सशक्त बल प्राकृतिक आपदाओं के दौरान हमारे नागरिकों को परेशानी में सहायता प्रदान करने के लिए अग्रणी रहे हैं। इस संबंध में उत्तराखंड,जम्मू और कश्मीर घाटी और तमिलनाडु में भारतीय वायु सेना के कार्यों का विशेष उल्लेख आवश्यक है और जो समग्र देश द्वारा हमेशा याद रखा जाएगा। अनवरत और निःस्वार्थ रूप से किए गए कार्य इसके वीर हवाई योद्धाओं के विजय और संकल्प को प्रदर्शित करते हैं।

3. भारतीय वायु सेना हमारे देश की संप्रभुता की संरक्षा करते हुए एक प्रौद्योगिकीय अग्रिम निकाय के रूप में विकसित हुई है। हवाई योद्धाओं द्वारा प्रदर्शित लचीलापन और दृढ़ता हमारे युवाओं के लिए अनुकरणीय है।

4. नवंबर, 1983 में हेलिकॉप्टर (ग्लाडिएटर्स) बनने से अब तक इसने विगत वर्षों में अपनी कार्यात्मक क्षमता में संवर्द्धन किया है। स्क्वेड्रन का सिद्धांतबलिदानम् वीरस्य भूषणम्है। जिसका अर्थ हैबलिदान वीरों का आभूषण है। ग्लाडिएटर्स ने आंतरिक रूप से और विदेशों में तैनाती पर अपनी वीरता और हवाई हमले क्षमताओं से अपने लिए प्रशंसा अर्जित की है। मुदलई और मांबादो ऐसी उपाधियां है जो स्क्वेड्रन द्वारा इसके समुद्रपारीय ऑपरेशन द्वारा अर्जित की गई हैं। जब इन्हें सीरालिवन में संयुक्त राष्ट्र झंडे के अंतर्गत तैनात किया गया तो ग्लाइडेटर्स232बंधक भारतीय सेना कार्मिकों को सुरक्षात्मक ढंग से छुड़ाने में सहायक बने। जनवरी, 2016में स्क्वेड्रन ने एयर फोर्स स्टेशन पठानकोट में आतंकी हमले के दौरान प्रतिबंधित क्षेत्र में आतंकियों को सीमित रखने में शानदार भूमिका निभाई और इस तरह से दुर्घटनाओं में कमी के कारण बने। ग्लाइडेटर्स ने आवश्यकता पड़ने पर असंख्य चुनौतियों के साथ खड़े होकर परीक्षा की घड़ी का सामना किया।

5. एयर फोर्स स्टेशन तांब्रम में अवस्थित यांत्रिकी प्रशिक्षण संस्थान आईएएफ का सबसे पुराना तकनीकी प्रशिक्षण संस्थान है।1935 में स्थापित इस संस्थान में नामकरण और स्थानों में विगत वर्षों में काफी परिवर्तन आया और1980 में इसका नामकरण यांत्रिकी प्रशिक्षण संस्थान के रूप में किया गया। यह इकाई एयर क्राफ्ट रख-रखाव में मौलिक तकनीकी प्रशिक्षण और यांत्रिक विमानन व्यापार में युवा भर्तियों की सेवा करती है। इस प्रकार से प्रशिक्षित व्यापारी आईएएफ के रख-रखाव भाग के आधारस्तंभ हैं जो इसकी कार्यात्मक क्षमता और प्रभावशीलता सुनिश्चित करते हैं। दिया गया प्रशिक्षण और संस्थान द्वारा पूरित स्वभाव हवाई योद्धाओं को आधुनिक औजार प्लेटफार्म्स में उपयोग में लाई जाने वाली स्टेट ऑफ आर्ट प्रौद्योगिकी से अवगत रहने के लिए सशक्त बनाता है। यह इकाई सदैव‘‘अभ्यासः सिद्धीकरणम्’’सिद्धांत के साथ खड़ी रही जिसका अर्थ हैअभ्यास आदमी को निपुण बनाता है। यह संस्थान यांत्रिकी उड़ान व्यापार में तकनीकी दक्षता के सतत विकास के नींव डालने के लिए संघर्ष कर रहा है।

6. आज हमारे सामने खड़े हवाई योद्धा सेवा प्रवृति के सर्वोत्तम स्तरों को धारण किए हुए देश के प्रति उनकी जिम्मेदारी की पूर्ति में धैर्य और समर्पण के प्रतीक हैं। मैं इस अवसर पर सभी हवाई योद्धाओं को उनकी स्मार्ट उपस्थिति और तीव्र अभ्यासी गतिविधियों के लिए मुबारकबाद देता हूं।

7. 125 हेलिकॉप्टर स्क्वीड्रन को स्टैंडर्ड और यांत्रिकी प्रशिक्षण संस्थान को कलर्सप्रदान करते हुए मैं प्राप्तकर्ता इकाइयों के सेवारत और सेवानिवृत्त कार्मिकों के परिवारों को मुबारकबाद देता हूं जिनकी सतत वचनबद्धता और व्यवसायता ने हमारे देश को अच्छी जगह पर खड़ा किया है। देश आप पर गर्व करता है। मैं आप सब के शानदार भविष्य के लिए आप सभी को शुभकामनाएं देता हूं।

धन्यवाद!