महामहिम राष्ट्रपति रहमान,
मैं आपका तथा आपके विशिष्ट शिष्टमंडल का हार्दिक स्वागत करता हूं। हमें एक बार फिर से आपका स्वागत करते हुए वास्तव में प्रसन्नता हो रही है। आप भारत के पुराने मित्र हैं।
महामहिम,
भारत तथा ताजिकिस्तान के लोगों ने सदियों से,विचारों का, ज्ञान का,कला का तथा साहित्य का आदान-प्रदान किया है। प्रागैतिहासिक काल से ही भारत और मध्य एशिया के,और खासकर ताजिक लोगों के साथ, प्रगाढ़ संबंध रहे हैं।
हम पहली सदी ईस्वी के उसी कुशाण साम्राज्य का एक हिस्सा रहे हैं जिसका विस्तार उत्तर भारत के कुछ भागों से लेकर पामीर क्षेत्र तथा इससे कहीं आगे तक था। हम यह भी जानते हैं कि शक आदि जनजातियां,मध्य एशियाई क्षेत्र से आकर भारतीय समाज में घुल-मिल गई थीं।
बौद्ध, पारसी तथा इसके बाद इस्लाम धर्म ने सदियों पहले भारत और ताजिकिस्तान को एक-दूसरे से जोड़ा था। जलालुद्दीन रूमी,अमीर खुसरो देहलवी और महान शायर मिर्जा अब्दुल ़कादिर बेदिल की रचनाएं हमारे दीर्घकालीन संबंधों का प्रमाण हैं। आयिनी और रूदाकी जैसे महान साहित्यकारों की रचनाएं विश्व के इस हिस्से में सांस्कृतिक संगम का प्रतीक हैं। इसका,महामहिम की अपनी रचना ‘ताजिकिस्तान इन द मिरर ऑफ हिस्ट्री’ में भी उल्लेख किया गया है।
महामहिम,
इतने समृद्ध भूतकाल के मद्देनज़र, यह हमारा दायित्व है कि हम मिल-जुलकर एक गौरवशाली भविष्य का निर्माण करें। मुझे विश्वास है कि आज जो वार्ताएं और विचार-विमर्श हुए हैं,उनसे हम दोनों देशों के लोगों के आपसी लाभ के लिए सहयोग बढ़ाने में सहायता मिलेगी।
हम ऐसे क्षेत्र में रहते हैं जो चरमपंथी और कट्टरवादी ताकतों द्वारा खड़ी की गई बहुत सी चुनौतियों का सामना कर रहा है। उग्रवाद की समस्या सभी के लिए खतरा है। कोई भी धर्म इस तरह के साधनों का समर्थन नहीं करता। कोई भी राजनीति इसे उचित नहीं ठहरा सकती। भारत और ताजिकिस्तान उग्रवाद से लड़ने की दिशा में बहुत कुछ कर सकते हैं। धर्म-निरपेक्ष राष्ट्रों के रूप में,यह हमारे लिए जरूरी है कि हम अपने समाजों के धर्मनिरपेक्ष मूल्यों को बनाए रखें और उनकी सुरक्षा और संरक्षा सुनिश्चित करें। हमारी सरकार इन चुनौतियों का सामना करने के लिए ताजिकिस्तान के साथ सहयोग के लिए तत्पर है।
महामहिम,
अपने दोनों देशों की जनता की प्रगति और उनका विकास सुनिश्चित करना हमारे साझा लक्ष्य हैं। हम दोनों के बीच द्विभाषी सहयोग की संभावनाएं असीमित हैं। हमें,अपनी अर्थव्यवस्थाओं पर पड़ने वाले,वैश्विक आर्थिक मंदी के दुष्प्रभावों से बचने के लिए मिल-जुलकर प्रयास करने होंगे। हम उद्योग,व्यापार, नवीकरणीय ऊर्जा,पर्यटन, संस्कृति के क्षेत्र में सहयोग और प्रौद्योगिकी,शिक्षा तथा अपनी जनता की क्षमता में वृद्धि के क्षेत्र में एक दूसरे की सहायता कर सकते हैं। मुझे विश्वास है कि आज जिन करारों पर हस्ताक्षर किए गए हैं,वे इस दिशा में बड़ी उपलब्धि सिद्ध होंगे।
जहां हम, कार्यनीतिक साझेदारी के अपने संबंधों को ऊंचाई की ओर ले जा रहे हैं वहीं हमें अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अपने साझे लक्ष्यों को पूरा करने के लिए आपसी सहयोग को भी बढ़ाना होगा।
हमारे सभी प्रयासों में, इस क्षेत्र की शांति तथा स्थिरता को सबसे अधिक महत्त्व दिया जाना चाहिए। अ़फगानिस्तान की स्वतंत्रता तथा विकास की दिशा में उसकी प्रगति,दक्षिण एशिया तथा मध्य एशिया की शांति और स्थिरता के लिए महत्त्वपूर्ण है।
मुझे विश्वास है कि आने वाले वर्षों में,हमारे दोनों देशों के बीच संबंध और भी अधिक मजबूत और प्रगाढ़ होंगे;ठीक वैसे ही जैसे दो मैत्रीपूर्ण देशों के बीच होने चाहिए।
ताजिकिस्तान के लोग 9 सितम्बर को स्वतंत्रता दिवस मनाएंगे। हमने हाल ही में भारत और ताजिकिस्तान के बीच कूटनीतिक संबंधों की20वीं वर्षगांठ मनाई है। मैं इस अवसर पर भारत की जनता की ओर से,महामहिम को और आपके माध्यम से ताजिकिस्तान के लोगों को,हार्दिक बधाई तथा उनकी निरंतर प्रगति और समृद्धि के लिए शुभकामनाएं देता हूं।
विशिष्ट देवियो और सज्जनो,
आइए, हम सब मिलकर
- महामहिम राष्ट्रपति रहमान के स्वास्थ्य और सफलता की;
- ताजिकिस्तान के लोगों की शांति,स्थिरता,प्रगति और समृद्धि की;और
- भारत और ताजिकिस्तान के बीचदीर्घकालिक मैत्री की कामना करें।