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ग्यारहवीं एशिया प्रशांत संघ कांग्रेस के उद्घाटन के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी का अभिभाषण

विज्ञान भवन, नई दिल्ली : 03.09.2013



1. आज मुझे, इस क्षेत्र के 32 देशों के अंतर-सरकारी संगठन एशिया प्रशांत डाक संघ की ग्यारहवीं कांग्रेस के उद्घाटन समारोह में शामिल होकर प्रसन्नता हो रही है। यह विशिष्ट संस्था डाक सेवाओं के क्षेत्र में सदस्य राष्ट्रों के बीच सहयोग बढ़ाने के लिए सक्रिय रूप से कार्य कर रही है। मुझे खुशी है कि इस वर्ष आयोजित की जा रही कांग्रेस के आयोजन स्थल के लिए नई दिल्ली को चुना है। मैं उन सभी प्रतिनिधियों का स्वागत करता हूं जो डाक प्रशासकों के इस महत्वपूर्ण सम्मेलन का हिस्सा बनने के लिए दूर-दूर से आए हैं। मैं इस प्रमुख समारोह के आयोजन में कड़ी मेहनत के लिए भारत सरकार के डाक विभाग की भी सराहना करता हूं।

2. मुझे बताया गया है कि संघ के अधिनियमों में संशोधन करने और डाक संबंधी मुद्दों पर विचार-विमर्श के लिए कांग्रेस हर चार वर्ष में एक बार बैठक करती है। यह कांग्रेस महत्वपूर्ण है क्योंकि ऐसा पहली बार हुआ है कि यह क्षेत्रीय समूह एक वर्ष पूर्व आयोजित सार्वभौमिक डाक संघ की दोहा कांग्रेस के बाद बैठक कर रहा है। अगले कुछ दिनों के दौरान होने वाला विचार-विमर्श एशिया सेक्टर प्रशांत क्षेत्र में डाक सेवाओं के भविष्य को स्वरूप प्रदान करने में सहायक होगा। वे वैश्विक डाक सेक्टर की प्रगति का खाका भी तैयार करेंगे।

देवियो और सज्जनो:

3. एशिया प्रशांत डाक संघ ने इस क्षेत्र के डाक सेक्टर में उल्लेखनीय योगदान किया है। इस प्रभावशाली संघ के एशिया प्रशांत डाक कॉलेज, बैंकॉक में अत्याधुनिक प्रशिक्षण सुविधा उपलब्ध है। मुझे बताया गया है कि यह विश्व में अपने किस्म का अकेला डाक प्रशिक्षण कॉलेज है। यह संघ, इस संस्थान के माध्यम से सदस्य देशों के डाक कर्मियों को आधुनिक प्रबंधन और कार्यात्मक कौशल प्रदान करने में सफल रहा है। यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि यह कॉलेज अपने प्रशिक्षण पाठ्यक्रमों में भाग लेने के इच्छुक कम विकसित देशों के प्रतिभागियों को छात्रवृत्तियां प्रदान करता है। इसने डाक सेवाओं की गुणवत्ता सुधारने की दिशा में अनेक परियोजनाएं आरंभ की हैं। यह कुछ परियोजनाओं पर सार्वभौमिक डाक संघ के साथ समन्वय करता है। एशिया प्रशांत डाक संघ इस क्षेत्र में प्रौद्योगिकी शुरू करने के लिए विश्व संस्था की मदद कर रहा है। इस क्षेत्रीय संघ के पास सदस्य देशों को तकनीकी मदद प्रदान करने के लिए एक प्रौद्योगिकी केन्द्र है।

देवियो और सज्जनो:

4. ऐतिहासिक रूप से विश्वभर के डाक प्रशासकों ने, संचार और वाणिज्य में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। डाकखानों ने वर्षों से मेल, बैंकिंग, जीवन बीमा, धन अंतरण और अन्य खुदरा सेवाएं जैसी पारंपरिक सेवाएं प्रदान की हैं। प्रौद्योगिकी में तीव्र बदलाव से, ईमेल और फैक्स जैसे संचार के दूसरे साधन निरंतर महत्वपूर्ण होते जा रहे हैं। डाक द्वारा प्रेषित पत्रों की संख्या वर्षों के दौरान निरंतर कम हो गई है। इसी प्रकार बाजार के अन्य भागीदारों द्वारा प्रदान की जा रही गुणवत्ता, जवाबदेही और पारदर्शिता के समान स्तर के अनुरूप डाक सेवाओं की प्राप्ति के बारे में जन आकांक्षाएं बढ़ती जा रही हैं।

5. बदलते वैश्विक परिदृश्य में पूरे विश्व के डाक प्रशासन को अलग तरीके से विचार करने की जरूरत है। उन्हें बदलाव के लिए पहकदमी करनी चाहिए। उन्हें लोगों को गुणवत्तापूर्ण सेवाएं प्रदान करने के लिए अपनी खूबियों फायदा उठाना चाहिए। पूरे विश्व में डाक प्रशासन को लोगों का विश्वास प्राप्त है। अपनी बेजोड़ पहुंच के चलते वे जनसाधारण से जुड़ने के लिए पूर्णत: सक्षम हैं। भौगोलिक, इलेक्ट्रानिक और वित्तीय स्तंभों पर दृढ़ता से टिके अपने त्रिआयामी नेटवर्क के जरिए डाकघर लोगों की संचार आवश्यकताओं के समाधान की उपयुक्त स्थिति में है।

देवियो और सज्जनो:

6. वैश्वीकरण और राष्ट्रों के बीच कार्मिकों के आसानी से आवागमन ने डाक क्षेत्र के लिए अवसर की विशाल संभावनाएं खोल दी हैं। धन प्रेषण चैनलों की बढ़ती जरूरतों के मद्देनजर एशिया प्रशांत डाक संघ के सहयोग से इसमें बदलाव लाया जा सकता है। 2012 में एशिया प्रशांत क्षेत्र के लगभग साठ लाख प्रवासी कामगार अपने मूल देश से बाहर रह रहे थे। इन प्रवासियों ने दो सौ साठ बिलियन अमरीकी डॉलर अपने देशों को भेजे। ऐसे धन अंतरण से लाखों परिवारों को गरीबी से ऊपर उठने और अपना जीवन स्तर सुधारने में मदद मिलती है। डाकखाने तथा बैंक, धन अंतरण संचालक, सूक्ष्म वित्त संस्थान और मोबाइल संचालक जैसी अन्य एजेंसियां ऐसी प्रमुख संस्थाएं हैं जो धन प्रेषण बाजार के विकास में योगदान कर सकती हैं। डाकखाने का विशाल नेटवर्क लोगों तक वित्तीय सेवाओं की अधिक पहुंच बनाने की आदर्श स्थिति में है।

7. घरेलू बिलों के भुगतान तथा सूचना और संचार प्रौद्योगिकी मंच के माध्यम से उत्पादों और सेवाओं के क्रय एवं विक्रय के लिए संचार सेवाओं की मांग बढ़ रही है। बढ़ती हुई डिजीटल अर्थव्यवस्था के संदर्भ में, ग्राहक की बढ़ती अपेक्षाओं ने डाक सेवा प्रदाताओं के लिए अनिवार्य बना दिया है कि वे उनकी आवश्यकताओं के अनुरूप सेवा का नवान्वेषण और विकास करें। डाक सेवाओं के ई-कॉमर्स से जुड़ने की तथा इस तरह के कारोबारी उत्पादों की बढ़ती मांग से लाभ की बहुत गुंजाइश है। डाकखाने समाज के लिए सुगम्य होते हैं इसलिए ये घरेलू और राष्ट्रीय सीमाओं से परे छोटे उत्पादकों के जुड़ने का एक उपयुक्त मॉडल तैयार कर सकते हैं। इस क्षेत्र में उपयुक्त कार्यनीति और सेवाओं का स्वरूप निर्धारित करना आवश्यक है।

8. मुझे विश्वास है कि इस क्षेत्र में तीन लाख पचास हजार डाकखानों के जरिए बेजोड़ पहुंच से एशिया प्रशांत डाक संघ सफलता प्राप्त करेगा। मैं आपको यहां सचेत करना चाहूंगा। विशाल नेटवर्क से ही सततता और लाभदेयता सुनिश्चित नहीं होती है। डाकखानों को अपनी वित्तीय व्यवहार्यता, प्रौद्योगिक क्षमता और मानव संसाधन योग्यता को सुधारने के लिए पूर्ण उत्साह के साथ कार्य करना होगा। सेवा को सबसे पहला स्थान देना चाहिए। डाक क्षेत्र में कार्यरत प्रत्येक कार्मिक को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के इस कथन को याद रखना चाहिए ‘बिना खुशी के प्रदान की गई सेवा से न तो सेवा लेने वाले को और न ही सेवा देने वाले को कोई फायदा होता है। उत्साह के साथ दी गई सेवा के समक्ष अन्य सभी खुशियां बेकार हो जाती हैं।’

देवियो और सज्जनो:

9. सुदृढ़ मानव संबंधों के निर्माण और निरंतरता के पीछे सदैव संचार रहा है। डाक सेवाएं लंबे समय से इसमें सहायक रही हैं। ये भविष्य में भी जारी रहनी चाहिए। संचार के साधनों का विकास हुआ है। यह युग उन लोगों का है जो संचार के लिए शीघ्र, विश्वसनीय और प्रयोक्ता अनुकूल माध्यम चाहते हैं। डाक क्षेत्र को इन चुनौतियों को स्वीकार करना चाहिए तथा सेवाओं के व्यापक दायरे को शामिल करने वाले सुरुचिपूर्ण और जीवंत माध्यम प्रदान करने चाहिए। विभिन्न देशों के डाक प्रशासकों को इसे एक कड़े अवसर के तौर पर देखना चाहिए और उपभोक्ताओं की अपेक्षाओं को पूरा करने के लिए अपनी प्रणालियों को सुदृढ़ बनाना चाहिए।

10. एशिया प्रशांत डाक संघ न केवल डाक सेक्टर के समक्ष उपस्थित चिंताओं के समाधान के लिए बल्कि अप्रयुक्त अवसरों का पता लगाने की सही स्थिति में है। यह ग्यारहवीं कांग्रेस सदस्य देशों के विशिष्ट प्रतिनिधियों की भागीदारी से समृद्ध हुई है। यह, क्षेत्र में कार्यनीतियां तैयार करने तथा क्षेत्र में डाक प्रशासन को मार्गदर्शन प्रदान करने के लिए महत्वपूर्ण होगी। मैं अपने देश में आपकी अत्यंत उपयोगी सहभागिता और सुखद प्रवास की कामना करता हूं। अब मैं नई दिल्ली में एशियाई प्रशांत डाक संघ की ग्यारहवीं कांग्रेस के शुभारंभ की घोषणा करता हूं। मैं इस सम्मेलन की सफलता की कामना करता हूं।

धन्यवाद।

जय हिन्द।