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महिला संवेदी संसदों संबंधी संसद की महिला अध्यक्षों की सातवीं बैठक के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी का अभिभाषण

नई दिल्ली : 03.10.2012



श्री मोहम्मद हामिद अंसारी, उप राष्ट्रपति एवं सभापति, राज्यसभा,

श्रीमती मीरा कुमार, अध्यक्ष, लोकसभा,

श्री अब्दुल वाहिद राडी, अध्यक्ष, अंतरसंसदीय यूनियन,

सम्मेलन में उपस्थित विशिष्ट अध्यक्षो तथा उपाध्यक्षो,

देवियो और सज्जनो,

मुझे, महिला संवेदी संसदों संबंधी संसद की महिला अध्यक्षों की 7वीं बैठक का उद्घाटन करते हुए बहुत प्रसन्नता हो रही है। यह विशेष खुशी की बात है कि यह सातवीं बैठक भारत में हो रही है।

विशिष्ट प्रतिनिधिगण,

1. पैंसठ वर्षों से अधिक समय पूर्व, भारतीय महिलाओं ने स्वशासन की लड़ाई तथा इस मांग के लिए स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के कंधे से कंधा मिलाकर संघर्ष किया था कि भारतीयों की उन कानूनों के निर्माण में भागीदारी होनी चाहिए जो उन पर लागू होते हैं। आजादी प्राप्त होने के बाद, हमारा एक महत्त्वपूर्ण लक्ष्य था महिला सशक्तीकरण प्राप्त करना। लैंगिक समानता का सिद्धांत भारतीय संविधान, इसकी भूमिका, मौलिक अधिकारों, मौलिक कर्तव्यों तथा नीतिनिर्देशक सिद्धांतों में निहित है। संविधान में न केवल महिलाओं को समानता प्रदान की गई है, बल्कि उसमें राज्य को महिलाओं के पक्ष में सकारात्मक पक्षपात संबंधी उपाय करने के लिए भी शक्ति प्रदान की गई है।

2. एक लोकतांत्रिक राजव्यवस्था के ढांचे के तहत हमारे कानूनों, विकास नीतियों, योजनाओं तथा कार्यक्रमों में, विभिन्न क्षेत्रों में महिलाओं की उन्नति का लक्ष्य रखा गया है।

3. पांचवीं पंचवर्षीय योजना (1974-78) से, महिलाओं संबंधी मुद्दों पर, हमारे नज़रिए में, कल्याण से विकास की ओर, बड़ा परिवर्तन दिखाई देता है तथा हाल ही के वर्षों के दौरान, महिला सशक्तीकरण को महिलाओं की स्थिति के निर्धारण के लिए मुख्य मुद्दा मान लिया गया है।

4. हमारे विधि निर्माताओं ने यह महसूस किया कि जब तक भारत की महिलाएं नीति-निर्माण तथा स्व-शासन में भागीदारी नहीं करतीं तब तक उनकी सामाजिक स्थिति में सुधार नहीं आएगा। इस दिशा में दो दशक से अधिक पहले से हो रहे प्रयासों के बावजूद, वर्ष 2010 में संसद के उच्च सदन ने पूरे देश में सभी विधायिकाओं में दो तिहाई सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित करने के लिए एक विधेयक को पारित करने का ऐतिहासिक कदम उठाया। यह विधेयक 1 के मुकाबले 186 मतों से पारित हुआ था। यह एक अत्यंत महत्त्वपूर्ण अवसर था।

5. भारत के संविधान के 73वें और 74वें संशोधनों में, पंचायतों तथा शहरी स्थानीय निकायों में, महिलाओं के लिए सीटें आरक्षित करने की व्यवस्था की गई है, जिससे स्थानीय स्तर पर निर्णय लेने में उनकी भागीदारी की मजबूत नींव पड़ी है। स्थानीय निकायों की एक तिहाई सीटें अब महिलाओं के लिए आरक्षित हैं। इस कदम से 800,000 महिलाओं को एक ही चुनाव में राजनीतिक प्रक्रिया में शामिल कर लिया गया। यह बहुत महत्त्वपूर्ण है क्योंकि मेरी राय में ग्राम पंचायत भावी सांसदों के लिए सबसे अच्छा प्रशिक्षण क्षेत्र है।

6. इस समय 15वीं लोकसभा में 11 प्रतिशत महिला सांसद हैं। पहली लोकसभा में उनकी 5 प्रतिशत की संख्या के मुकाबले यह काफी अच्छी संख्या है। लेकिन जहां धीरे-धीरे महिला सांसदों की संख्या बढ़ी है वहीं यह अभी भी स्वीडन, अर्जेंटीना, यू.के. तथा अमरीका के मुकाबले कम है। मुझे विश्वास है कि कुछ ही समय में यह संख्या काफी बढ़ जाएगी। हां, हमें यह बात ध्यान रखनी होगी कि लैंगिक समानता तथा संवेदनशीलता की गारंटी केवल संसद में उनकी उपस्थिति और उनकी संख्या से नहीं मिल सकती। यह इस बात पर निर्भर करेगा कि संसद महिला संवेदनशीलता तथा तदनुसार उसकी नीतियों और अवसंरचना के महत्त्व को कितना समझती है।

7. विशिष्ट प्रतिनिधिगण, यह स्पष्ट है कि महिला संवेदी संसद, लैंगिक समानता प्राप्त करने तथा महिलाओं के लिए महत्त्वपूर्ण विषयों की प्राथमिकता तय करने में अधिक सफल होगी। उन्हें जल, ईंधन, भोजन तथा आय से संबंधित मुद्दों की बेहतर समझ होगी तथा वे इन मुद्दों पर उतनी तत्कालिकता से कार्य कर पाएंगी जितनी इनको जरूरत है। महिला संवेदी संसद,अधिक गंभीरता से, उन सामाजिक समस्याओं का निराकरण कर सकती हैं जिनका महिलाओं को सामना करना पड़ता है और जो समाज पर कलंक हैं। इनमें से कुछ मुद्दे, महिलाओं के प्रति हिंसा, बालिका भ्रूण-हत्या, महिलाओं तथा अवयस्क बालिकाओं का व्यापार, उन पर अत्याचार तथा शोषण तथा ग्रामीण महिलाओं की चिकित्सा तथा पोषण संबंधी देखभाल की कमी जैसे मुद्दे हैं। इसी प्रकार, यह, भूमि, नेतृत्व, अवसरों तथा विकल्पों पर महिलाओं के अधिकारों की अधिक कारगर ढंग से रक्षा कर सकती हैं।

8. सतत् आर्थिक तथा सामाजिक विकास की शुरुआत, अच्छी तरह तभी हो सकती है जबकि महिला नेतृत्व को साथ लेकर सुव्यवस्थित पहलें शुरू की जाएं। खाद्य बैंकों तथा सहकारी संस्थाओं जैसे उत्पादक संसाधनों तक उनकी पहुंच होने और स्वास्थ्य अभियान तथा पोषण जागरूकता जैसे कार्यक्रमों पर उनका नियंत्रण होने से अब महिलाओं के पास वे साधन उपलब्ध हैं जिनसे वे ऐसा सामूहिक निर्णय ले सकें कि उनके क्षेत्र में अथवा उनके क्षेत्राधिकार में इनका कार्यान्वयन किस प्रकार बेहतर ढंग से हो। ऐसे निर्णयों में, जिनसे कानून, नीतियां तय होती हैं तथा ऐसे कार्यक्रमों में जो उनको प्रभावित करते हैं, ग्रामीण महिलाओं के नेतृत्व तथा उनकी सहभागिता सुनिश्चित करने से, हम उन्हें भविष्य की बागडोर संभालने लायक बना सकते हैं।

9. भारत सरकार ने, अपने वित्त मंत्रालय के माध्यम से यह सुनिश्चित करने के लिए लैंगिक बजट व्यवस्था शुरू की है कि सभी वित्तीय परिव्ययों में कुछ विशिष्ट प्रावधान भारत में महिलाओं के लाभ के लिए रखा जाए। इसे सभी सेक्टरों में सफलतापूर्वक कार्यान्वित कर लिया गया है और सभी संबंधित मंत्रालयों को लैंगिक बजट व्यवस्था संबंधी प्रावधानों को पूरा करने के बारे में रिपोर्ट देनी होती है। इस पर आगे और कार्रवाई किए जाने की जरूरत है।

10. विशिष्ट प्रतिनिधिगण, मैं इस बात से पूरी तरह सहमत हूं कि संसदों को और अधिक महिला संवेदी बनाने का कार्य, पूरी दुनिया की संसदों का सबसे पहला लक्ष्य होना चाहिए। महान कवि रबीन्द्र नाथ टैगोर ने कहा था, ‘‘महिला किसी भी राष्ट्र के भविष्य का निर्माण करती है और उसे गढ़ती है... उसका दिल, पुरुष से कहीं अधिक मजबूत और साहसी होता है... वह मनुष्य की प्रगति में सर्वोच्च प्रेरणा होती है...।’’ भारतीय संसद को बहुत सी ऐसी विदुषी महिला सांसदों ने सुशोभित किया है जिन्होंने इसकी परिचर्चाओं की गुणवत्ता तथा विषय सामग्री के स्तर में वृद्धि की है।

11. मैं इस अवसर पर उन सब की सराहना करता हूं तथा उन्हें भारत के भविष्य को संवारने में उनके सहयोग तथा उनकी देन के लिए धन्यवाद देता हूं। महिलाओं में समस्याओं को समझने की विलक्षण समझ तथा नवान्वेषी समाधान ढूंढ़ने की महान क्षमता होती है और इसीलिए मैं यह उम्मीद करता हूं कि इस सम्मेलन से काफी मात्रा में रचनात्मक ऊर्जा प्रवाहित होगी तथा बहुत सी दूरगामी पहलें शुरू हो पाएंगी। इस सम्मेलन से सूचना तथा अच्छी परिपाटियों के आदान-प्रदान का मौका प्राप्त होगा।

12. विशिष्ट प्रतिनिधिगण, मैं आपको आपके नेतृत्व के लिए तथा और बेहतर महिला संवेदी संसदीय माहौल का निर्माण करने के लिए बधाई देता हूं। मैं इस सम्मेलन में आपके प्रयासों से निकलने वाले परिणामों के प्रति आशान्वित हूं। मैं इस सम्मेलन को भारत में आयोजित करने के लिए श्रीमती मीरा कुमार, लोकसभा अध्यक्ष को बधाई देता हूं। हो सकता है कि मैं आप में से हर-एक से न मिल पाया हूं परंतु मैं अगले दो दिनों में आपके विचार-विमर्श की सफलता की कामना करता हूं तथा आपको अपने पूर्ण सहयोग का विश्वास दिलाता हूं।

जय हिंद!