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हेल्थकेयर एलायंस की संस्तुतियां प्राप्त करने के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी का अभिभाषण

राष्ट्रपति भवन : 04.03.2014



मुझे, कल और आज नई दिल्ली में आयोजित, अपनी तरह के पहले वैश्विक स्वास्थ्य सम्मेलन—‘द फ्यूचर ऑफ हेल्थकेयर : ए क्लेक्टिव विज़न’ की संस्तुतियों को प्राप्त करने के लिए आपके बीच आकर वास्तव में प्रसन्नता हो रही है।

2. इस सम्मेलन ने विश्व भर में स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में अनुभव तथा कौशल को जुटाने के लिए एक उपयोगी मंच प्रदान किया है। मुझे हेल्थकेयर एलायंस के सदस्यों द्वारा विकसित चार श्वेत पत्रों को प्राप्त करते हुए प्रसन्नता हो रही है। ये इस क्षेत्र में विश्व-भर के विशेषज्ञों द्वारा प्राप्त योगदानों और नजरियों का परिणाम हैं। मुझे उम्मीद है कि सरकार, स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं, उद्योग तथा समग्र समुदाय के लिए की गई संस्तुतियां आने वाले वर्षों के दौरान स्वास्थ्य सेवा की भावी दिशा तय करने में मूल्यवान सूचना के रूप में कार्य करेंगी।

3. मुझे बताया गया है कि यह नवान्वेषी पहल—द हेल्थकेयर एलायंस उद्योग, निजी क्षेत्र तथा वैश्विक परामर्शदाताओं के बीच एक भागीदारी है तथा इसे भारत एवं विदेशों में स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में कार्यरत विभूतियों का समर्थन प्राप्त है। जहां तक मैं समझता हूं, आज यहां जोसलिन डायबेट्स सेंटर, ड्यूक विश्वविद्यालय, हार्वर्ड विश्वविद्यालय, स्टानफोर्ड विश्वविद्यालय तथा बहुत से अन्य प्रख्यात वैश्विक संगठनों से विशेषज्ञ तथा नवान्वेषक मौजूद हैं। मुझे यह जानकर भी प्रसन्नता हो रही है कि राष्ट्रनिर्माण में अच्छे स्वास्थ्य के आत्यंतिक महत्त्व में अपना विश्वास दोहराते हुए भारत के बहुत से प्रमुख औद्योगिक निकाय इस उद्देश्य के लिए एक जगह इकट्ठा हुए हैं। मैं अपोलो हास्पिटल्स को इस सम्मेलन की परिकल्पना के लिए बधाई देता हूं जो कि स्वस्थ भावी राष्ट्र के हमारे साझे लक्ष्य की दिशा में एक सार्थक कदम है। इन श्वेत पत्रों में मौजूद खास नजरिए जनता के स्वास्थ्य की बेहतरी के लिए व्यावहारिक तथा सहयोगात्मक प्रतिबद्धता की दिशा में एक सकारात्मक कदम होंगे।

देवियो और सज्जनो,

4. स्वस्थ नागरिक एक स्वस्थ अर्थव्यवस्था के निर्माण के अभिन्न भाग हैं। प्राय: लोग देश के हालात तथा उसकी जनता के स्वास्थ्य के बीच सहसंबंध अच्छी तरह से नहीं समझ पाते। हालांकि भारत ने आजादी के समय से स्वास्थ्य सेवा सेक्टर में महत्त्वपूर्ण प्रगति की है परंतु अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है। एक ऐसी कुशल स्वास्थ्य सेवा सुपुर्दगी प्रणाली का सृजन करना जरूरी है जो लोगों को, खासकर समाज के कमजोर तथा वंचित तबके को, उच्च गुणवत्ता तथा वहनीय चिकित्सा सुविधा प्रदान कर सके। सहस्राब्दि विकास लक्ष्यों की प्राप्ति तथा विश्व स्वास्थ्य संगठन के लक्ष्यों को पूरा करने के लिए भारत के स्वास्थ्य सूचकांकों में सुधार की जरूरत है।

5. आज जरूरत है कि बेहतर स्वास्थ्य सेवा सुपुर्दगी प्रणाली के साझा लक्ष्य की प्राप्ति के लिए सभी भागीदार अधिक तालमेल करें। राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन एक ऐतिहासिक पहल सिद्ध हुई है तथा इसने ग्रामीण भारत में स्वास्थ्य सेवाओं के पुनर्गठन में बड़ा योगदान दिया है। अब, राष्ट्रीय शहरी स्वास्थ्य मिशन में शहरी जनता की स्वास्थ्य संबंधी जरूरतों को पूरा करने की परिकल्पना की गई है और इसके लिए शहरी गरीबों को बुनियादी स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराकर तथा इलाज पर जेब से होने वाले खर्च को कम करके उन पर इसे केंद्रित किया गया है। इस लक्ष्य को मौजूदा स्वास्थ्य सेवा प्रणाली को मजबूत करके, झुग्गियों में रहने वाले लोगों को लक्षित करके, तथा विभिन्न मंत्रालयों द्वारा मोटे तौर पर स्वास्थ्य के बारे में करने वाली विभिन्न स्कीमों का मिलाकर प्राप्त किया जाएगा।

6. रोगों की रोकथाम जरूरी है तथा इसमें बीमारी के कारणों का पर्वानुमान लगाना तथा बीमारियों के रूप में इसके परिवर्तित होने को रोकने के प्रयास शामिल होने चाहिए। बीमारियों का शीघ्र पता लगाने पर प्रयास केंद्रित करना जरूरी है। यह प्राय: माना जाता है कि गैर-संक्रामक बीमारियां आज विश्व के सामने सबसे बड़ी स्वास्थ्य संबंधी चुनौती है। विश्व भर में गैर-संचारी बीमारियों का बोझ काफी भारी संख्या में है तथा यह तेजी से बढ़ रहा है। यह बोझ भारत के सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए काफी खतरा बन सकता है। निवारक तथा स्वास्थ्य संवर्धन कार्यक्रम, जन जागरूकता, तथा व्यवहार में बदलाव संबंधी संप्रेषण नि:संदह गैर संक्रामक रोगों को रोकने में महत्त्वपूर्ण कदम होगा।

7. यह जरूरी है कि इस तथ्य को नजअंदाज न किया जाए कि शिक्षा स्वास्थ्य की महत्त्वपूर्ण प्रेरक है। गरीबी, शिक्षा की कमी तथा स्वास्थ्य सेवाओं तक सीमित पहुंच के संबंध के बारे में सभी अच्छी तरह जानते हैं। इसलिए शिक्षा, खासकर बालिका शिक्षा, के माध्यम से सशक्तीकरण के द्वारा स्वास्थ्य अवसंरचना तथा पहलों को सहारा देना जरूरी है।

देवियो और सज्जनो,

8. सार्वजनिक तथा निजी सेक्टरों के बीच साझीदारी के नवान्वेषी मॉडलों से भारत में हालात सुधार सकते हैं तथा इनसे विकासशील देशों के लिए एक अंतदृष्टि भी प्राप्त होगी। भारत में स्वास्थ्य सेवा की उत्कृष्टता पर अनवरत ध्यान दिया जाना न केवल हमारे देश के लिए वरन् संपूर्ण विश्व के लिए अत्यंत जरूरी है। भारत उच्च गुणवत्ता की स्वास्थ्य सेवा का क्षेत्रीय संसाधन है। औषधियों के सबसे बड़े निर्माताओं तथा निर्यातकों में से देश के रूप में, भारत द्वारा विश्व भर के लिए जेनेरिक डोमेन में मूल्यों में काफी कमी लायी गई है। यह एक ऐसी बढ़त है जिसका और फायदा उठाया जाना चाहिए।

9. चिकित्सा सूचना तथा सेवा की पहुंच को मजबूत बनाने में सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी एक सशक्त सहायक हो सकती है। हमारी स्वास्थ्य सेवा प्रणालियों को इस क्षमता का पूर्ण उपयोग करने के लिए तैयार करनी होगी। उन्नत उपग्रह प्रौद्योगिकी टेलीमेडिसिन प्रणालियों को इस तरह सक्षम बना रही है कि वह सुदूरवर्ती स्वास्थ्य केंद्रों को उनसे बहुत दूर स्थित शहरी क्षेत्रों के सुपर स्पेशियलिटी अस्पतालों से जोड़ सके। प्रौद्योगिकी में स्वास्थ्य सेवा में रूपांतर की शक्ति है। कारगर तथा सस्ता उपचार, आयातित महंगे चिकित्सा उपकरणों पर निर्भरता कम करने का लक्ष्य, स्वदेशी प्रौद्योगिकी पर जोर देकर प्राप्त किया जा सकता है। विज्ञान, प्रौद्योगिकी तथा नवान्वेषण नीति, 2013 जिसमें नवान्वेषण को प्रमुख लक्ष्य बनाया गया है, का हमारे चिकित्सा विद्यालयों, अनुसंधान प्रयोगशालाओं तथा फार्मास्यूटिकल तथा उपकरण उद्योगों द्वारा भारतीय स्वास्थ्य सेवा के लक्ष्य की प्राप्ति के लिए सदुपयोग होना चाहिए। इसके अलावा, सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी कंपनियों को मोबाइल फोन—जो आज लाखों भारतीयों के हाथों में है—के माध्यम से चिकित्सा तथा स्वास्थ्य सेवा की सुपुर्दगी की क्षमता को बढ़ाने पर भी ध्यान केंद्रित करना चाहिए।

10. जैसा कि पोलियो के विरुद्ध हमारी लड़ाई ने दिखाया है, सामूहिक प्रयासों के हैरअंगेज परिणाम मिलते हैं। भारत में तीन वर्षों से इस अशक्तकारी संक्रमण का एक भी मामला सामने नहीं आया है तथा विश्व स्वास्थ्य संगठन का प्रमाण पत्र इस सफलता का प्रमाण है। इससे ‘सभी के लिए स्वास्थ्य’ के साझे लक्ष्य की प्राप्ति के लिए विभिन्न साझीदारों के बीच बहु-आयामी, बहु-सेक्टर सहयोग के महत्त्व का भी पता चलता है।

देवियो और सज्जनो,

11. सदियों से भारत को आरोग्य की भूमि के रूप में जाना जाता है। इतिहास में इस बात के पर्याप्त प्रमाण मिलते हैं कि आरोग्य की परंपरा हमारे देश में वेदों के काल से ही फलती-फूलती रही है। वेदोत्तर काल के दौरान भारत की कुछ बहुत शक्तिशाली स्वास्थ्य सेवा प्रणालियां प्रकाश में आई। इनमें से सबसे पहली तथा अत्यधिक लोकप्रिय आयुर्वेद नाम की महानतम भारतीय परंपरा है। आयुर्वेद के अलावा, भारत की उपचार संस्कृति ने रसशास्त्र तथा सिद्ध जैसी दूसरी लोकप्रिय प्रणालियों को जन्म दिया। यह देखकर उम्मीद जगती है कि परंपरागत भारतीय स्वास्थ्य देखभाल को विश्व भर में माना और सम्मान दिया जाता है। विश्वभर के प्रमुख स्वास्थ्य सेवा प्रदाता हमारे परंपरागत आरोग्य की अविश्वसनीय संभावना का जायजा ले रहे हैं। इस अवसर पर आगे कार्य करके संभवत: हम नये युग की चिकित्सा समस्याओं का नया उपचार खोज पाएं।

12. विश्व अब पहले से कहीं अधिक, भारत की ओर आशा से देख रहा है। भारत को उसके महान न्वान्वेषण तथा व्यावसायिक दक्षता के लिए जाना जाता है। हमें उस सूची में अच्छी सेहत जोड़नी होगी—एक स्वस्थ महाशक्ति बनने का लक्ष्य बनाना होगा। अच्छे स्वास्थ्य की दिशा में अपनी यात्रा में और देरी नहीं की जा सकती; यह लम्बी अवधि में हमारी सफलता की कहानी को बनाए रखने की कुंजी है। तथापि, इसे क्रांति में परिणत करने के लिए इसमें देश के नागरिकों को शामिल करना होगा। स्वामी विवेकानंद ने एक बार कहा था, ‘‘एक विचार लें। उस विचार को अपना जीवन बना लें—उस पर चिंतन करें, उसका सपना दखें, तथा उस विचार पर जिएं। यही सफलता की राह है’’। स्वास्थ्य सेवा सम्मेलन से प्राप्त विचारों को सच्चाई में रूपांतरित करने के लिए, सभी स्टेकधारकों को सभी के लिए स्वास्थ्य की दिशा में मिलकर प्रयास करने की जरूरत है। मैं यहां उपस्थित सभी लोगों से, स्वस्थ जीवन को सभी लोगों का जुनून बनाने के कार्य को अपना मिशन बनाने का आग्रह करता हूं। मैं, हेल्थकेयर एलांयस तथा लोगों को समतापूर्ण स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराने के इसके मिशन के लिए शुभकामनाएं देता हूं। आइए, हम बेहतर तथा अधिक स्वस्थ कल के लिए प्रयास करें।

धन्यवाद,

जय हिंद!