मुझे, राजस्थान सेक्टर में भारत के सबसे पुराने और प्रमुख हवाई ठिकानों में से एक वायुसेना स्टेशन, जोधपुर में 21 स्क्वाड्रन तथा 116 हैलीकॉप्टर यूनिट को ध्वज प्रदान करने के लिए आज यहां आकर अत्यंत प्रसन्नता हो रही है। इन विशिष्ट उड़ाका यूनिटों का गौरवपूर्ण इतिहास और पेशेवराना उत्कृष्टता की शानदार विरासत रही है। अपने गठन के समय से ही उन्होंने राष्ट्र की शानदार सेवा की है और हमें गौरवान्वित किया है। उनकी समृद्ध विरासत तथा उत्कृष्टता प्राप्ति की दिशा में शानदार प्रयासों ने दूसरों के द्वारा अनुकरणीय मापदंड स्थापित किए हैं। निस्वार्थ समर्पण, पेशेवराना निष्पादन तथा कठिनाइयों के समक्ष उनके साहस के लिए राष्ट्र उन्हें आज कृतज्ञता एवं सराहना के जज़बे का साथ सम्मानित करता है।
2. भारतीय वायुसेना भारतीय वायु सीमाओं की सुरक्षा तथा देश की संप्रभुता की रक्षा के अपनी दायित्व को पूरा कर रही है तथा इसने प्राकृतिक आपदाओं के दौरान अपने नागरिकों को सहायता भी प्रदान की है। हवाई लड़ाकों द्वारा दर्शाई गई सहनशीलता तथा दृढ़ता देश के लिए प्रेरणा का महान स्रोत तथा सम्मान की बात है। वायुसेना द्वारा पिछले दिनों पूरे किए गए बड़े पैमाने पर राहत कार्य हमारी स्मृति में अंकित हैं। राष्ट्र को भारतीय वायुसेना पर अत्यंत गर्व ह तथा वह उनकी नि:स्वार्थता और बलिदान के लिए हवाई लड़ाकाओं का ऋणी है।
3. एक जिम्मेदार राष्ट्र के रूप में,भारत शांति एवं स्थिरता के प्रति पूर्णत: प्रतिबद्ध है जिसके लिए हमें कारगर निवारक तथा एक मजबूत सुरक्षा बल की जरूरत है। जहां देश सर्वांगीण आर्थिक विकास और अपने नागरिकों की सामाजिक सशक्तता के लिए प्रयासरत है वहीं हमारी संप्रभुता तथा क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के लिए हम अपनी रक्षा क्षमताओं में वृद्धि पर भी पूरी तरह ध्यान दे रहे हैं। इस प्रकार राष्ट्र के विकास के मार्ग पर दृढ़ता के साथ आगे बढ़ने के लिए सशस्त्र बलों द्वारा जो विश्वास पैदा किया गया है वह वास्तव में प्रशसंनीय है। जो हवाई लड़ाके आज हमारे सामने खड़े हैं, वे सेवा के उच्चतम मानकों को बनाए रखते हुए देश के प्रति अपनी जिम्मेदारियों का पूर्ण करने में साहस तथा दृढ् निश्चय के प्रतीक हैं। मैं इस अवसर पर परेड में शामिल सभी हवाई लड़ाकों को उनकी सटीक कवायद तथा आकर्षक वेशभूषा के लिए बधाई देता हूं।
4. 21 स्क्वाड्रन को, जिसे ‘अंकुश’ के नाम से जाना जाता है, 1965 में जीनेट मेक-I विमान के साथ अंबाला में गठित किया गया था। इस स्क्वाड्रन ने 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में भाग लिया था जिसमें इसने 108 वायु रक्षा मिशन पूरे किए तथा तीन वायुसेना मेडल से अलंकृत हुआ। 1999 में आपरेशन सफेद सागर के दौरान इस स्क्वाड्रन को श्रीनगर घाटी की रक्षा का दायित्व सौंपा गया था। विभिन्न संक्रियाओं के दौरान इस स्क्वाड्रन के कार्मिकों के प्रशंसनीय कार्यों की वीरता पदकों से सराहना और प्रशंसा की गई है। वर्षों के दौरान,इस स्क्वाड्रन ने विभिन्न स्थानों से जीनेट मेक-I तथा मिग 21 विमानों का सफलतापूर्वक संचालन किया है। इस स्क्वाड्रन ने सदैव अपने ध्येय वाक्य ‘सिद्धिर्वसति साहसे’ अर्थात् सफलता साहस में निहित होती है को साकार किया है तथा मुझे विश्वास है कि वे आने वाले समय के दोरान भी उत्कृष्ट बने रहेंगे।
5. 116 हेलीकॉप्टर यूनिट का एक शानदार संक्रियात्मक इतिहास रहा है। इसे अगस्त 1967 में एमआई-4 हेलीकॉप्टरों के साथ सरसावा में गठित किया गया था। बाद में इस यूनिट ने चेतक तथा हाल ही में ध्रुव हेलीकाप्टर का शानदार ढंग से सफलतापूर्वक संचालन किया है। टैंकरोधी निर्देशित प्रक्षेपास्त्र से सज्जित यह पहली हैलीकॉप्टर यूनिट थी। इसलिए इसे ‘टैंक बस्टर्स’ का नाम दिया गया था जो यह आज भी गर्व के साथ धारण किए हुए है। इस यूनिट ने हताहतों को हटाने, संभारिकी सहायता, सशस्त्र टोह तथा सेना के सहयोग जैसे विभिन्न भूमिकाओं में बहुत सी संक्रियाओं में भाग लिया। इस यूनिट ने फंसे हुए लोगों को राहत पहुंचाने तथा बहुत बड़ी संख्या में जानें बचाने के लिए विभिन्न अवसरों पर बड़ी संख्या में उड़ानें भरीं। इसलिए उनका ध्येय वाक्य ‘आपत्सु मित्रम’ अर्थात् आपत्ति के दौरान मित्र राहत और बचाव कार्यों के संचालन के दौरान यूनिट के महान तथा शौर्यपूर्ण दायित्वों को परिलक्षित करता है। मुझे विश्वास है कि ‘टैंकबस्टर्स’ आने वाले वर्षों में और सुदृढ़ होते रहेंगे।
6. उनके उत्कृष्ट कार्य-निष्पादन की सराहना और मान्यता के रूप में मैं 21 स्क्वाड्रन तथा 116हैलीकॉप्टर यूनिट को ध्वज प्रदान करता हूं। इस अवसर पर मैं 21स्क्वाड्रन तथा 116 हैलीकॉप्टर यूनिट के भूतपूर्व एवं वर्तमान कार्मिकों और परिवारों की उनकी नि:स्वार्थ सेवा तथा राष्ट्र के प्रति समर्पण के लिए सराहना करता हूं। राष्ट्र को वास्तव में आप पर गर्व है। मैं गौरवशाली भविष्य के लिए आप सभी को शुभकामनाएं देता हूं।
जय हिंद।