7वें इण्डिया कैम-2012 के उद्घाटन समारोह के अवसर पर भारत के माननीय राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी का अभिभाषण
मुंबई, महाराष्ट्र : 04.10.2012
इण्डिया कैम-2012 के उद्घाटन समारोह के लिए आज यहां उपस्थित होकर मुझे बहुत खुशी हो रही है।
इस वर्ष के समारोह का शीर्षक रखा गया है, ‘उभरता भारत : रसायन उद्योग का सतत् विकास’, जो कि भारतीय अर्थव्यवस्था में रसायन और पैट्रोरसायनिक उद्योग की भूमिका के महत्त्व को रेखांकित करता है। इसी तरह यह सटीक ढंग से यह भी रेखांकित करता है कि यह प्रगति सतत् होनी चाहिए। मुझे इस समारोह में भारत तथा विश्व के विभिन्न हिस्सों की उत्साहपूर्वक भागीदारी को देखकर बहुत खुशी हुई है। आज, रसायन उद्योग में सततता पर पूरी दुनिया का ध्यान केन्द्रित हुआ है। रसायन उद्योग के अग्रणी, आधुनिकतम प्रौद्योगिकी का उपयोग करते हुए अपने उद्योगों को ‘हरित’ बनाने के लिए उसका कायांतरण कर रहे हैं और वे गांधी जी के इन शब्दों से प्रेरित हैं कि ‘जैसा परिवर्तन आप चाहते हैं वह खुद में करें।’
इण्डिया कैम-2012 एक बड़े अच्छे मौके पर आयोजित हो रहा है। यह एक ऐसा अवसर है जब इस सेक्टर में कार्यरत सभी उद्यमियों को वैश्विक रुझानों के बारे में बताया जा सकता है, हरित रसायन पर विचारों का आदान-प्रदान किया जा सकता है तथा वे अपने उत्पाद तथा क्षमताओं का प्रदर्शन कर सकते हैं। मुझे विश्वास है कि भारतीय प्रतिभागियों के पास एक-दूसरे के साथ आदान-प्रदान करने तथा प्रदर्शित करने के लिए बहुत सी महत्त्वपूर्ण उपलब्धियां हैं। मुझे यह भी विश्वास है कि इस सम्मेलन में होने वाले विचार-विमर्श से विदेशी प्रतिनिधि-मंडलों को भारत में इस सेक्टर में उपलब्ध अवसरों की जानकारी हो पाएगी।
विशिष्ट अतिथिगण,
सही मायने में अर्थव्यवस्था के सभी सेक्टर अपने स्थायित्व के लिए रसायन सेक्टर से घनिष्ठ रूप से जुड़े हैं, चाहे वे उस पर सीधे निर्भर न हों। इस सेक्टर द्वारा उन्हें बहुत सी कच्ची सामग्री तथा रसायनिक उत्पादों तथा उस पर आधारित तकनीकी संसाधनों के रूप में प्रमुख निवेश प्राप्त होते हैं।
रसायन उद्योग एक विविधतापूर्ण सेक्टर भी है। इसमें हजारों वाणिज्यिक उत्पाद होने के कारण यह सेक्टर देश के औद्योगिक तथा कृषि विकास का प्रमुख आधार है तथा विभिन्न संबद्ध उद्योगों, जैसे कि कपड़ा, कागज, पेंट, साबुन, डिटरजेंट, फार्मास्यूटिकल, वार्निश आदि को चलाने के लिए समाग्री प्रदान करता है। इसी प्रकार पैट्रोकैमिकल तथा प्लास्टिक उद्योग भी विभिन्न सेक्टरों, जिसमें कृषि, बागवानी, स्वास्थ्य देखभाल तथा निर्माण उद्योग शामिल है, को महत्त्वपूर्ण सहयोग दे रहे हैं।
इसलिए, आज भारत में रसायन उद्योग का विकास उसकी प्रगति के लिए सबसे खास जरूरत है। अन्य प्रमुख उपभोक्ता उद्योगों के समान यह उद्योग धीरे-धीरे एशिया में अपनी यूनिटें बढ़ा रहा है। विश्व रसायन उद्योग में एशिया का हिस्सा 1999 से 2009 के बीच 31 प्रतिशत से बढ़कर 45 प्रतिशत हो गया है। विश्व रसायन उद्योग में एशिया के बढ़ते हिस्से के साथ-साथ भारत विश्व भर की रसायन कंपनियों के लिए प्रमुख स्थान बनता जा रहा है। यह आकलन है कि विश्व कैमिकल बाजार लगभग 3.4 ट्रिलियन अमरीकी डॉलर का है। भारत का रसायन उद्योग फिलहाल 108 बिलियन अमरीकी डालर पर बताया जाता है, जो कि विश्व बाजार का लगभग 3 प्रतिशत है। अत: हमारे नीति निर्माताओं और उद्योग के लिए यह अच्छा कारण है कि वे आगे बढ़कर इसके लिए एक दिशापत्र तैयार करें। देश में प्रतिभाशाली कार्मिकों की मौजूदगी तथा मौजूदा समय में मांग का उपयोग न होने के चलते इस सेक्टर के तेजी से विकास को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
अनुसंधान इस सेक्टर के तेजी से विकास के लिए एक प्रमुख कारक होगा। मुझे बताया गया है कि इस सेक्टर में फिलहाल अनुसंधान एव विकास पर कुल व्यवसाय का केवल 1-2 प्रतिशत व्यय हो रहा है। इस पर ध्यान देने की जरूरत है। यह उद्योग के समग्र तथा दीर्घकालीन हित में होगा कि अनुसंधान और विकास पर खर्च को बढ़ाकर उसे कुल व्यवसाय का लगभग 5 से 6 प्रतिशत तक कर दिया जाए। लक्ष्य यह होना चाहिए कि ऐसे नए उत्पाद लाए जाएं जो कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में प्रतिस्पर्धात्मक हों। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए भारत सरकार ने अनुसंधान एवं विकास के प्रसार के लिए बहुत से सक्रिय कदम उठाए हैं।
ऐसे प्रयास होने चाहिए कि प्रतिभा का विकास किया जाए और यह सुनिश्चित किया जाए कि दक्षता विकास कार्यक्रम उद्योग की प्रगति की जरूरत को पूरा कर पाएं।
विशिष्ट अतिथिगण,
हमारी राष्ट्रीय विनिर्माण नीति में यह परिकल्पना की गई है कि विनिर्माण के हिस्से को वर्ष 2025 तक 16 प्रतिशत के वर्तमान स्तर से बढ़ाकर सकल घरेलू उत्पाद के 25 प्रतिशत कर दिया जाए तथा वर्ष 2022 तक विनिर्माण सेक्टर द्वारा 100 मिलियन अतिरिक्त नौकरियां सृजित की जाएं। रसायन उद्योग को इस प्रयास में बहुत महत्त्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह करना है। मैं समझता हूं कि राष्ट्रीय रसायन नीति तैयार की जा रही है तथा उसमें इसको सहुलियत प्रदान करने के उपाय शामिल किए जाएंगे।
मैं इस बात पर जोर देना चाहूंगा कि विकास के साथ-साथ इस उद्योग को सुरक्षा तथा अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य एवं पर्यावरण मानदंडों का भी और अधिक अनुपालन सुनिश्चित करना होगा। उद्योग को ऐसी प्रौद्योगिकियों में निवेश करके सतत् विकास को बढ़ावा देना होगा जो कि पर्यावरण की रक्षा करें तथा इस तरह के विकास को बढ़ावा दें जिसमें आर्थिक जरूरतों और वित्तीय सीमाओं का संतुलन रखा जाए। औद्योगिक कचरे के समाधान के लिए नई प्रौद्योगिकियां विकसित हो रही हैं और भारतीय उद्योग को इनका अधिकतम उपयोग करना चाहिए। भारतीय रसायन उद्योग को इसके लिए लक्ष्य तथा मानदंड तय करने होंगे तथा बिना देरी किए अनुसंधान तथा सहयोग शुरू करना होगा।
यह सम्मेलन एक स्थान पर बैठकर, पूरे विश्व के रसायन एवं पैट्रो रसायन क्षेत्र के उद्योग के प्रतिनिधियों को, भविष्य में उद्योग के विकास की अपनी परिकल्पना पर चर्चा करने का अवसर प्रदान करता है।
मुझे विश्वास है कि तीन दिन का यह अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन घरेलू तथा वैश्विक नजरिए से रसायन उद्योग का प्रभावित करने वाले मुद्दों पर सार्थक परिचर्चा के रूप में फलीभूत होगा।
मैं रसायन तथा पैट्रो रसायन विभाग, रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय, भारत सरकार तथा फिक्की को इस सम्मेलन को संयुक्त रूप से आयोजित करने के लिए धन्यवाद देता हूं।
इन्हीं शब्दों के साथ, मुझे इण्डिया कैम-2012 का उद्घाटन करते हुए बहुत खुशी हो रही है।
जय हिंद!
इस वर्ष के समारोह का शीर्षक रखा गया है, ‘उभरता भारत : रसायन उद्योग का सतत् विकास’, जो कि भारतीय अर्थव्यवस्था में रसायन और पैट्रोरसायनिक उद्योग की भूमिका के महत्त्व को रेखांकित करता है। इसी तरह यह सटीक ढंग से यह भी रेखांकित करता है कि यह प्रगति सतत् होनी चाहिए। मुझे इस समारोह में भारत तथा विश्व के विभिन्न हिस्सों की उत्साहपूर्वक भागीदारी को देखकर बहुत खुशी हुई है। आज, रसायन उद्योग में सततता पर पूरी दुनिया का ध्यान केन्द्रित हुआ है। रसायन उद्योग के अग्रणी, आधुनिकतम प्रौद्योगिकी का उपयोग करते हुए अपने उद्योगों को ‘हरित’ बनाने के लिए उसका कायांतरण कर रहे हैं और वे गांधी जी के इन शब्दों से प्रेरित हैं कि ‘जैसा परिवर्तन आप चाहते हैं वह खुद में करें।’
इण्डिया कैम-2012 एक बड़े अच्छे मौके पर आयोजित हो रहा है। यह एक ऐसा अवसर है जब इस सेक्टर में कार्यरत सभी उद्यमियों को वैश्विक रुझानों के बारे में बताया जा सकता है, हरित रसायन पर विचारों का आदान-प्रदान किया जा सकता है तथा वे अपने उत्पाद तथा क्षमताओं का प्रदर्शन कर सकते हैं। मुझे विश्वास है कि भारतीय प्रतिभागियों के पास एक-दूसरे के साथ आदान-प्रदान करने तथा प्रदर्शित करने के लिए बहुत सी महत्त्वपूर्ण उपलब्धियां हैं। मुझे यह भी विश्वास है कि इस सम्मेलन में होने वाले विचार-विमर्श से विदेशी प्रतिनिधि-मंडलों को भारत में इस सेक्टर में उपलब्ध अवसरों की जानकारी हो पाएगी।
विशिष्ट अतिथिगण,
सही मायने में अर्थव्यवस्था के सभी सेक्टर अपने स्थायित्व के लिए रसायन सेक्टर से घनिष्ठ रूप से जुड़े हैं, चाहे वे उस पर सीधे निर्भर न हों। इस सेक्टर द्वारा उन्हें बहुत सी कच्ची सामग्री तथा रसायनिक उत्पादों तथा उस पर आधारित तकनीकी संसाधनों के रूप में प्रमुख निवेश प्राप्त होते हैं।
रसायन उद्योग एक विविधतापूर्ण सेक्टर भी है। इसमें हजारों वाणिज्यिक उत्पाद होने के कारण यह सेक्टर देश के औद्योगिक तथा कृषि विकास का प्रमुख आधार है तथा विभिन्न संबद्ध उद्योगों, जैसे कि कपड़ा, कागज, पेंट, साबुन, डिटरजेंट, फार्मास्यूटिकल, वार्निश आदि को चलाने के लिए समाग्री प्रदान करता है। इसी प्रकार पैट्रोकैमिकल तथा प्लास्टिक उद्योग भी विभिन्न सेक्टरों, जिसमें कृषि, बागवानी, स्वास्थ्य देखभाल तथा निर्माण उद्योग शामिल है, को महत्त्वपूर्ण सहयोग दे रहे हैं।
इसलिए, आज भारत में रसायन उद्योग का विकास उसकी प्रगति के लिए सबसे खास जरूरत है। अन्य प्रमुख उपभोक्ता उद्योगों के समान यह उद्योग धीरे-धीरे एशिया में अपनी यूनिटें बढ़ा रहा है। विश्व रसायन उद्योग में एशिया का हिस्सा 1999 से 2009 के बीच 31 प्रतिशत से बढ़कर 45 प्रतिशत हो गया है। विश्व रसायन उद्योग में एशिया के बढ़ते हिस्से के साथ-साथ भारत विश्व भर की रसायन कंपनियों के लिए प्रमुख स्थान बनता जा रहा है। यह आकलन है कि विश्व कैमिकल बाजार लगभग 3.4 ट्रिलियन अमरीकी डॉलर का है। भारत का रसायन उद्योग फिलहाल 108 बिलियन अमरीकी डालर पर बताया जाता है, जो कि विश्व बाजार का लगभग 3 प्रतिशत है। अत: हमारे नीति निर्माताओं और उद्योग के लिए यह अच्छा कारण है कि वे आगे बढ़कर इसके लिए एक दिशापत्र तैयार करें। देश में प्रतिभाशाली कार्मिकों की मौजूदगी तथा मौजूदा समय में मांग का उपयोग न होने के चलते इस सेक्टर के तेजी से विकास को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
अनुसंधान इस सेक्टर के तेजी से विकास के लिए एक प्रमुख कारक होगा। मुझे बताया गया है कि इस सेक्टर में फिलहाल अनुसंधान एव विकास पर कुल व्यवसाय का केवल 1-2 प्रतिशत व्यय हो रहा है। इस पर ध्यान देने की जरूरत है। यह उद्योग के समग्र तथा दीर्घकालीन हित में होगा कि अनुसंधान और विकास पर खर्च को बढ़ाकर उसे कुल व्यवसाय का लगभग 5 से 6 प्रतिशत तक कर दिया जाए। लक्ष्य यह होना चाहिए कि ऐसे नए उत्पाद लाए जाएं जो कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में प्रतिस्पर्धात्मक हों। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए भारत सरकार ने अनुसंधान एवं विकास के प्रसार के लिए बहुत से सक्रिय कदम उठाए हैं।
ऐसे प्रयास होने चाहिए कि प्रतिभा का विकास किया जाए और यह सुनिश्चित किया जाए कि दक्षता विकास कार्यक्रम उद्योग की प्रगति की जरूरत को पूरा कर पाएं।
विशिष्ट अतिथिगण,
हमारी राष्ट्रीय विनिर्माण नीति में यह परिकल्पना की गई है कि विनिर्माण के हिस्से को वर्ष 2025 तक 16 प्रतिशत के वर्तमान स्तर से बढ़ाकर सकल घरेलू उत्पाद के 25 प्रतिशत कर दिया जाए तथा वर्ष 2022 तक विनिर्माण सेक्टर द्वारा 100 मिलियन अतिरिक्त नौकरियां सृजित की जाएं। रसायन उद्योग को इस प्रयास में बहुत महत्त्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह करना है। मैं समझता हूं कि राष्ट्रीय रसायन नीति तैयार की जा रही है तथा उसमें इसको सहुलियत प्रदान करने के उपाय शामिल किए जाएंगे।
मैं इस बात पर जोर देना चाहूंगा कि विकास के साथ-साथ इस उद्योग को सुरक्षा तथा अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य एवं पर्यावरण मानदंडों का भी और अधिक अनुपालन सुनिश्चित करना होगा। उद्योग को ऐसी प्रौद्योगिकियों में निवेश करके सतत् विकास को बढ़ावा देना होगा जो कि पर्यावरण की रक्षा करें तथा इस तरह के विकास को बढ़ावा दें जिसमें आर्थिक जरूरतों और वित्तीय सीमाओं का संतुलन रखा जाए। औद्योगिक कचरे के समाधान के लिए नई प्रौद्योगिकियां विकसित हो रही हैं और भारतीय उद्योग को इनका अधिकतम उपयोग करना चाहिए। भारतीय रसायन उद्योग को इसके लिए लक्ष्य तथा मानदंड तय करने होंगे तथा बिना देरी किए अनुसंधान तथा सहयोग शुरू करना होगा।
यह सम्मेलन एक स्थान पर बैठकर, पूरे विश्व के रसायन एवं पैट्रो रसायन क्षेत्र के उद्योग के प्रतिनिधियों को, भविष्य में उद्योग के विकास की अपनी परिकल्पना पर चर्चा करने का अवसर प्रदान करता है।
मुझे विश्वास है कि तीन दिन का यह अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन घरेलू तथा वैश्विक नजरिए से रसायन उद्योग का प्रभावित करने वाले मुद्दों पर सार्थक परिचर्चा के रूप में फलीभूत होगा।
मैं रसायन तथा पैट्रो रसायन विभाग, रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय, भारत सरकार तथा फिक्की को इस सम्मेलन को संयुक्त रूप से आयोजित करने के लिए धन्यवाद देता हूं।
इन्हीं शब्दों के साथ, मुझे इण्डिया कैम-2012 का उद्घाटन करते हुए बहुत खुशी हो रही है।
जय हिंद!