1. मुझे वर्ष 2014के राष्ट्रीय भूविज्ञान पुरस्कार प्रदान करने के लिए आपके बीच उपस्थित होकर वास्तव में अत्यंत प्रसन्नता हो रही है। यह हमारे लिए मौलिक और अनुप्रयुक्त भूविज्ञान,खनन और संबद्ध क्षेत्रों में उत्कृष्ठ उपलब्धियों और योगदानों के लिए व्यक्तियों तथा वैज्ञानिकों की टीम का सम्मान करने का अवसर है। मैं आप सभी को सफलता और उपलब्धियों के लिए बधाई देता हूं।
2. मैं बल देकर कहना चाहूंगा कि भूवैज्ञानिकों के रूप में अर्थव्यवस्था और पर्यावरण में आपका योगदान असीम है। वर्षों के दौरान समाज ने हमारी धरती माता से प्राप्त सामग्रियों के नवान्वेषी प्रयोग के द्वारा कृषि,उद्योग, अवसंरचना,इलेक्ट्रोनिकी तथा ऊर्जा से लेकर अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी तक अनेक क्षेत्रों में प्रगति की है। आज हम प्राकृतिक संसाधनों के प्रयोग के बिना अपनी दुनिया की कल्पना नहीं कर सकते। किसी भी देश में खनिजों की उपलब्धता और प्रयोग उसकी अर्थव्यवस्था की आत्मनिर्भरता को सुनिश्चित करने वाला एक कारक रहा है। राष्ट्र निर्माण के लिए इन प्राकृतिक संसाधनों का अन्वेषण,निष्कर्षण, परिष्करण संसाधन करना होगा। इसी प्रकार हमें यह समझना होगा कि मानव अस्तित्व पर्यावरणीय रूप से सतत खनिज प्रयोग पर ही निर्भर है। हमारे प्राकृतिक संसाधनों के प्रयोग के हमारे प्रयास में प्राकृतिक खतरों और मानव जनित आपदाओं की जानकारी शामिल होनी चाहिए। मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि देश के भूवैज्ञानिक इन चुनौतियों का सामना करने के लिए परिश्रम कर रहे हैं। पुरस्कृत व्यक्तियों के विविध क्षेत्र में कार्य देश के भूवैज्ञानिक विकास के इस सहज विस्तार का प्रमाण है।
3. यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि खान मंत्रालय की इस पहल ने न केवल समकालीन भूवैज्ञानिकों की उपलब्धियों को मान्यता दी है बल्कि इसने भूविज्ञान की प्रगति के समर्पित कार्य के लिए व्यक्तियों की आजीवन भागीदारी का सम्मान किया है। पुरस्कारों के दो वर्ग ‘उत्कृष्टता पुरस्कार’और‘युवा वैज्ञानिक पुरस्कार’इन विधाओं पर उत्साहपूर्वक कार्य करने वाले लोगों को अत्यंत प्रोत्साहित करेंगे। आज हमारे बीच उपस्थित पुरस्कार विजेता संपूर्ण भूवैज्ञानिक समुदाय - राष्ट्रीय संगठन, अनुसंधान संस्थात तथा शैक्षिक संस्थानों का प्रतिनिधित्व करते हैं। यह इस तथ्य को प्रमाणित करते हैं कि देश में भूविज्ञान पर उत्साह और समर्पण के साथ समुदाय के अंतर्गत कार्य किया जा रहा है। इन पुरस्कारों से जुड़े हुएसम्मान ने भूवैज्ञानिक समुदाय को वैज्ञानिक उपलब्धियों के सर्वोच्च स्तर तक पहुंचने के प्रयास करने की प्रेरणा दी है।
4. भारत को वर्ष 2020में 36वीं अंतरराष्ट्रीय भूवैज्ञानिक कांग्रेस का आयोजन करने का गौरव प्राप्त होगा। अंतरराष्ट्रीय भूवैज्ञानिक कांगे्रस56 वर्षों के अंतराल के बाद भारतीय उपमहाद्वीप में आयोजित की जा रही है और यह आपके लिए अपने कार्य को अंतरराष्ट्रीय भूविज्ञान समुदाय के समक्ष प्रदर्शित करने का श्रेष्ठ अवसर होगा। मुझे विश्वास है कि भारतीय भूवैज्ञानिक समुदाय इस अवसर का लाभ उठाएगा और वह इस विश्व भूवैज्ञानिक ओलंपियाड में उल्लेखनीय योगदान भी देगा।
देवियो और सज्जनो,
5. आज भारत नए क्षितिज के द्वार पर है। हाल के वर्षों में देश ने जो प्रौद्योगिक प्रगति की है वह अभूतपूर्व है। इसी प्रकार,भूवैज्ञानिक समुदाय से अपना श्रेष्ठ कार्य जारी रखने की अपेक्षाएं भी कई गुना बढ़ गई हैं। लक्ष्यों को निर्धारित करना होगा और उन्हें प्राप्त करने के लिए निरंतर प्रयास करने होंगे।
6. देश के खनिज संसाधनों के अन्वेषण के लिए और अधिक सजगता के साथ और बल देने की आवश्यकता है। धरातल के निकट खनिज भंडारों की खोज अंतिम सीमा तक पहुंच गई है इसलिए देश के भूवैज्ञानिक गहराई में छिपे हुए खनिज संसाधनों को खोजने की कठिन चुनौती का सामना कर रहे हैं। अपतटीय खनिज संसाधनों के अन्वेषण पर ध्यान देने की जरूरत है क्योंकि इनमें समाज की बढ़ती जरूरतों को पूरा करने की अपार क्षमता है। इसी प्रकार राष्ट्र की आत्मनिर्भरता सुनिश्चित करने के लिए अंतरिक्ष और सूचना प्रौद्योगिकी मिशनों में सहयोग के लिए कार्यनीतिक और विशिष्ट भूतत्वों को खोजना भी आवश्यक है। यद्यपि इन सबके लिए पर्यावरणीय सततता की चिंता को ध्यान में रखना होगा। मुझे विश्वास है कि आप चुनौती का सामना करेंगे और गोपनीय खजाने को खोजने के नए नए तरीके विकसित करेंगे।
7. आज देश के खनन उद्योग में भारत सरकार के निवेश अनुकूल प्रयासों के माध्यम से शुरू किए गए सुधार किए जा रहे हैं। खनन और खनिज (विकास एवं विनियमन) संशोधन अधिनियम, 2015में खनिज छूट प्रदान करने की पारदर्शी और स्पर्धात्मक नीलामी प्रक्रिया आरंभ की गई है। इससे राज्य खनिज संसाधनों के मूल्य का बड़ा हिस्सा प्राप्त कर सकेंगे। निर्धारित अवधि तथा सरल अंतरणता सुनिश्चित करने के प्रावधान किए गए हैं। देश में खनिज अन्वेषण गतिविधि तेज करने के लिए, एक राष्ट्रीय खनिज अन्वेषण न्यास की स्थापना की गई है।
8. देश के बड़े हिस्से में पहले ही पानी का अभाव हो गया है। प्रयोग योग्य जल संसाधनों की उपलब्धता बढ़ाने की सीमाओं तथा जलवायु परिवर्तन के कारण बढ़ी आपूर्ति की परिवर्तनशीलता को देखते हुए भावी आवश्यकताएं मांग प्रबंधन पर अधिक निर्भर करेंगी। इसलिए जल संबंधित समस्याओं के लिए एक समग्र और अंतर्विधात्मक दृष्टिकोण आवश्यक है।
9. एक सबसे महत्वपूर्ण तरीका जिसमें पृथ्वी विज्ञान समाज में योगदान करता है वह प्राकृतिक खतरों और उनके परिणामों की जानकारी देना है। हाल के वर्षों में लंबी पुनरावृत्ति अवधि वाले भूवैज्ञानिक खतरों तथा जलवायु परिवर्तन द्वारा पैदा किए गए वास्तविक बदलावों की हमारी जानकारी में परिवर्तन होने के कारण खतरों का स्वरूप बहुत अधिक बदल गया है। संभावित परिणाम भी तेजी से बदल रहे हैं। बढ़ती हुई जनसंख्या और शहरीकरण प्राकृतिक खतरों वाले इलाकों में असुरक्षित लोगों के घनत्व को बढ़ा रहे हैं। भूवैज्ञानिकों को प्राकृतिक आपदाओं तथा जलवायु परिवर्तन से संबंधित जोखिम से असुरक्षित समुदायों की सहनशक्ति बढ़ाने के लिए नयी,व्यावहारिक कार्यनीतियां बनाकर द्वारा इन चुनौतियों का उत्तर देना होगा।
प्रिय पुरस्कार विजेताओ,
10. यह गौरवपूर्ण अवसर भूविज्ञान के क्षेत्र में आपके वर्षों के समर्पण और सराहनीय कार्य का परिणाम है। आप सहमत होंगे कि यह आपके उन परिवारों और प्रियजनों के सहयोग और मदद के बिना संभव ही नहीं होगा जिनके त्याग से विषय के प्रति आपकी निरंतर एकाग्रता सुनिश्चित हो सकी है। मैं उन सभी की हार्दिक सराहना करता हूं जिन्होंने वैज्ञानिक ज्ञान की सीमाओं को आगे बढ़ाने तथा राष्ट्रनिर्माण में इनके प्रयोग के लिए अथक कार्य किया है।
11. एक बार पुन:,मैं आपकी उपलब्धियों के लिए बधाई देता हूं तथा आपके भावी प्रयासों के लिए अपनी शुभकामनाएं देता हूं।
धन्यवाद।
जयहिन्द।