शिक्षक दिवस पर राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान किए जाने के अवसर पर आज आपके बीच उपस्थित होने पर मुझे खुशी हुई है। मैं उन सभी शिक्षकों को अपनी हार्दिक बधाई देता हूं जो अपने सराहनीय कार्य तथा राष्ट्र की सेवा के लिए पुरस्कार प्राप्त कर रहे हैं। आज 05 सितम्बर का दिन देश के एक महान दार्शनिक, विचारक, विद्वान और शिक्षाविद भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जन्म जयंति है। बहुत वर्ष पहले उन्होंने बोधगम्य विचार व्यक्त किए थे:
‘‘शिक्षा उस नजरिए से दी जानी चाहिए जिस प्रकार के समाज का हम निर्माण करना चाहते हैं। हम मानव गरिमा और समानता के मूल्यों पर निर्मित आधुनिक लोकतंत्र के लिए प्रयास कर रहे हैं। ये केवल आदर्श हैं: हमें इन्हें सजीव ताकत बनाना होगा। भविष्य की हमारी संकल्पना में ये महान सिद्धांत शामिल होने चाहिएं।’’
शिक्षक दिवस समारोह शिक्षक समुदाय को हमारे सम्मान और आभार का प्रतीक है।
2. बच्चे राष्ट्र का भविष्य हैं। ये वास्तव में वह नींव हैं जिसपर एक सुदृढ़, जीवंत और गतिशील भारत निर्मित किया जाएगा। अपने रचनात्मक वर्षों के दौरान बच्चे अधिकतर अपने माता-पिता और शिक्षकों से जुड़े होते हैं, जिनपर उनके नन्हे मनों में मूल्य, अनुशासन, निष्ठा और राष्ट्र के प्रति समर्पण की भावना पैदा करने की भारी जिम्मेदारी है। एक सुदृढ़ और गुणवत्तापरक शिक्षा प्रणाली वह सशक्त करने वाली ताकत है जो भारत को विश्व के एक अग्रणी राष्ट्र में बदल देगी। हम एक राष्ट्र के रूप में अपनी शिक्षा प्रणाली में अब काफी अधिक निवेश कर रहे हैं। 2014-15 के केंद्रीय बजट में सरकार ने ‘सर्व शिक्षा अभियान’ के लिए लगभग 29000 करोड़ रुपये तथा ‘राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान’ के लिए 5000करोड़ रुपये की राशि आवंटित की है। अन्य महत्वपूर्ण प्रयासों में नए प्रशिक्षण उपाय प्रदान करने तथा शिक्षकों को प्रेरित करने के लिए स्कूल मूल्यांकन कार्यक्रम तथा ‘पंडित मदन मोहन मालवीय नव शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रम’ की शुरुआत शामिल है।
3. सूचना और संचार प्रौद्योगिकी के युग में, अध्ययन-शिक्षण प्रक्रिया बदल रही है। शिक्षकों को तेजी से बदल रही प्रौद्योगिकियों के साथ रफ्तार बनाकर रखनी होगी। शिक्षकों के लिए सूचना और संचार प्रौद्योगिकी के प्रयोग में सहज होना तथा यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि विद्यार्थी सूचना और संचार प्रौद्योगिकी के पूरे लाभ प्राप्त करें तथा उच्च शिक्षा हासिल करने या संबंधित सूचना प्रौद्योगिकी कौशल से युक्त होकर नौकरी के क्षेत्र में प्रवेश करने के उद्देश्य से सूचना प्रौद्योगिकी के प्रयोग के मामले में ज्ञानसंपन्न नागरिक के रूप में उभरें। सूचना प्रौद्योगिकी की पहुंच से फायदा उठाने के लिए, सरकार ने हाल ही के बजट में ज्ञान प्रदान करने के लिए संचार संयोजित मंच के रूप में वर्चुअल कक्षाओं की स्थापना तथा ऑनलाइन पाठ्यक्रमों के लिए धन आवंटित किया है।
4. शिक्षक विद्यार्थियों के आदर्श बनकर उनके जीवन को प्रभावित करते हैं। वह ऐसी मशाल हैं जो विद्यार्थियों को उनके पूरे विद्यार्थी जीवन में और कभी-कभी आगे भी मार्गदर्शन तथा प्रेरणा देती हैं। भारत को ऐसे सक्षम और इच्छुक शिक्षकों की जरूरत है जो आजकल दी जा रही शिक्षा के स्तर तथा गुणवत्ता में सुधार के लिए स्वयं को समर्पित कर सकें। शिक्षकों की शिक्षा की गुणवत्ता को उच्च करने की प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका है जो शिक्षकों की गुणवत्ता का सीधा फल और परिणाम होता है।
5. एक आदर्श शिक्षक वह होता है जो अपनी क्षमता को साकार करने और अधिकतम करने में अपने विद्यार्थियों की मदद करता है। इस महत्वपूर्ण भूमिका को समझते हुए, शिक्षकों को प्राचीनकाल से हमारे समाज में एक विशेष स्थान दिया गया है। उन्हें प्राचीन ग्रंथों में आचार्य कहा गया है क्योंकि वे हमारे भावी पीढ़ियों में सुग्राह्य आचरण के नियमों का समावेश करते हैं। यह जरूरी है कि वे केवल ज्ञान और प्रशिक्षण ही न प्राप्त करें बल्कि हमारे उन परंपरागत मूल्यों को भी प्रदान करें जो कई हजार वर्षों से हमारी सभ्यता का आधार रहे हैं।
6. राष्ट्रपिता, महात्मा गांधी मानते थे कि शिक्षण में विद्यार्थी की रुचि को अध्ययन की सामग्री ही नहीं बल्कि सबसे महत्वपूर्ण, शिक्षक द्वारा भी कायम रखा जाता है। गांधी जी इस विषय में उदाहरण देने के लिए अपने बचपन के दिनों को याद करते थे। उन्हें दो शिक्षकों द्वारा रसायनशास्त्र पढ़ाया जाता था। एक की पढ़ाई निरंतर और बिना व्याख्या होती थी; दूसरे का व्याख्यान ऐसा था कि गांधी जी चाहते थे कि कक्षा कभी समाप्त ही न हो। एक का शिक्षण दिलचस्प तो दूसरे की नीरस होती थी। मुझे विश्वास है कि हम सभी को अपने विद्यार्थी काल के दौरान ऐसे ही अनुभव हुए होंगे,जब हमें ऐसे शिक्षक मिले होंगे जिन्होंने हमारी सर्जनात्मक यात्रा के लिए रोशनी की जरूरी किरण प्रदान की है। ज्ञान प्राप्त करने की प्रक्रिया में किसी उत्कृष्ट शिक्षक से जो फर्क पड़ता है वह युवा मस्तिष्कों में जिज्ञासा जागृत करने के लिए जरूरी है। आज हम भारत में अपने स्कूलों में शिक्षा तथा अभिगम के परिणामों की गुणवत्ता में सुधार की भारी चुनौती का सामना कर रहे हैं। ऐसा हमारे शिक्षकों के कौशल तथा ज्ञान के स्तर के उन्नयन तथा उन्हें राष्ट्र की प्रगति में समान हिस्सेदार के रूप में पूरी तरह शामिल किए बिना नहीं किया जा सकता।
7. आज विश्व हिंसा, आतंकवाद, असहिष्णुता और पर्यावरणीय हृस की चुनौतियों का सामना कर रहा है। दुनिया को सुरक्षित तथा रहने का बेहतर स्थान बनाने के लिए अपने बच्चों को सत्य, सहिष्णुता, एकता,पंथनिरपेक्षता और समावेशिता के मूल्य प्रदान करने की जरूरत है। प्यारे शिक्षकों, याद रखें कि हमारे बच्चों को आपका मार्गदर्शन और पढ़ाने का तरीका ऐसा होना चाहिए कि वे सक्षम, ज्ञानसंपन्न और योग्य वैश्विक नागरिक बन सकें।
8. हम जानते हैं कि हमारे शिक्षक विविध परिप्रेक्ष्यों और परिस्थितियों में काम कर रहे हैं। हमें यह भी ज्ञात है कि बहुत से स्थानों पर शिक्षकों की कार्य परिस्थितियां सही नहीं हैं। परंतु समय के साथ वेतनमान में काफी बढ़ोतरी हुई है तथा शौचालय और पेयजल युक्त समुचित स्कूल इमारतों का निर्माण हुआ है। शिक्षकों के लिए नियमित उन्नयन कार्यक्रम, सेवाकालीन प्रशिक्षण तथा निकटस्थ शैक्षिक सहयोग प्रणालियां भी देश के कोने-कोने में स्थापित की गई हैं। ये स्वागत योग्य कदम हैं तथा एक अनवरत प्रक्रिया का हिस्सा हैं जिसका लक्ष्य हमारे शिक्षकों के कार्य-वातावरण को सकारात्मक और उत्साहजनक बनाना है।
9. शिक्षकों के रूप में, आप हमारे सबसे मूल्यवान संसाधन - हमारे बच्चों के पोषण के लिए राष्ट्र की नि:स्वार्थ सेवा में असंख्य घंटे लगाते हैं। समाज और देश की आपसे अत्यधिक उम्मीदें हैं। मुझे विश्वास है कि आप इन उम्मीदों को पर्याप्त रूप से पूर्ण करने में कामयाब होंगे। मैं एक बार पुन: देश के कोने-कोने में निष्ठा और ईमानदारी के साथ हमारी भावी पीढ़ी को ज्ञान और शिक्षा प्रदान करने में लगे हुए आप सभी की गहरी प्रशंसा और आभार व्यक्त करता हूं। मैं इस अवसर पर उन सभी 357शिक्षकों को भी बधाई देता हूं जिन्हें शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए आज पुरस्कार प्रदान किए जा रहे हैं। मैं उनके भावी प्रयासों के लिए भी शुभकामनाएं देता हूं।
जय हिन्द।