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भारतीय पुलिस सेवा के परिवीक्षाधीनों की दीक्षांत परेड के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी का अभिभाषण

सरदार वल्लभभाई पटेल राष्ट्रीय पुलिस अकादमी, हैदराबाद,आंध्र प्रदेश : 05.11.2013



मुझे हमारे देश के प्रमुख पुलिस प्रशिक्षण संस्थान, राष्ट्रीय पुलिस अकादमी में भारतीय पुलिस सेवा के परिवीक्षाधीनों की दीक्षांत परेड का अवलोकन करके अपार प्रसन्नता हो रही है।

दीक्षांत परेड एक अधिकारी के जीवन की एक यादगार घटना होती है। ये गौरव और उपलब्धि के क्षण होते हैं। मैं सभी अधिकारी प्रशिक्षणार्थियों को चुनौतीपूर्ण प्रशिक्षण पाठ्यक्रम को सफलतापूर्वक पूर्ण करने तथा उससे पूर्व एक अत्यंत कठिन प्रतियोगी परीक्षा को उत्तीर्ण करने के लिए हार्दिक बधाई देता हूं, जो आपकी शैक्षिक उत्कृष्टता का प्रतीक है।

मुझे प्रसन्नता है कि इस परेड के प्रतिभागियों में रॉयल भूटान पुलिस सेवा के 4, मालदीव पुलिस सेवा के 3 तथा नेपाल पुलिस सेवा के 5 अधिकारी शामिल हैं। मैं उनका हार्दिक स्वागत करता हूं। मुझे विश्वास है कि प्रशिक्षण के दौरान स्थापित मैत्री से मित्र राष्ट्रों के साथ हमारे रिश्ते और सुदृढ़ होंगे। यह भी उल्लेखनीय है कि इस बैच में 25 महिला पुलिस अधिकारी भी हैं। मैं आपको बधाई देता हूं और विशिष्ट भारतीय पुलिस सेवा में आपका स्वागत करता हूं।

यह राष्ट्रीय पुलिस अकादमी की मेरी दूसरी यात्रा है। 1993 में, मैं योजना आयोग के उपाध्यक्ष के रूप में अकादमी में आया था। भारत के प्रथम गृहमंत्री, सरदार बल्लभभाई पटेल ने ऊंची उम्मीदों के साथ अखिल भारतीय सेवाओं का गठन किया था। 1947 में हमारी स्वतंत्रता की प्राप्ति के बाद सरदार पटेल ने युवा अधिकारियों को सलाह दी थी, ‘‘सबसे पहले मैं आपको प्रशासन में स्वयं को परम निष्पक्ष और भ्रष्टाचार रहित बनाए रखने की सलाह दूंगा। सरकारी कर्मचारी के लिए राजनीति में आना संभव नहीं है और उसे इसमें भाग नहीं लेना चाहिए। न ही उसे साम्प्रदायिक विवादों में शामिल होना चाहिए। इसमें से किसी भी मामले में, सही मार्ग से विचलित होने से लोक सेवा बदनाम होती है और उसकी गरिमा कम होती है। इसी प्रकार कोई भी प्रतिष्ठित सेवा तब तक अपने अस्तित्व का दावा नहीं कर सकती जब तक उसके समक्ष सत्यनिष्ठा का सर्वोच्च मानदंड प्राप्त करने का लक्ष्य न हो।’’ यदि ये शब्द 67 वर्ष पहले प्रासंगिक थे तो ये अब भी प्रासंगिक हैं और भविष्य में भी प्रासंगिक बने रहेंगे।

मैं, भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारियों को उनकी प्रतिबद्धता, समर्पण, ईमानदारी और राष्ट्र हित में सर्वोच्च बलिदान देने के लिए तत्परता की सराहना करता हूं। जहां तक देश के पुलिस बलों का संबंध है, उसमें किसी भी प्रकार के आत्मसंतोष के लिए कोई स्थान नहीं है। राष्ट्र को आपसे बहुत अपेक्षाएं हैं।

भावी भारत के लिए पुलिस की मेरी परिकल्पना केवल एक कानून लागू करने वाले बल की नहीं वरन् सक्रिय सेवा प्रदाता की है जो प्रगति, विकास तथा शांति में भागीदार हो। पुलिस अधिकारियों के रूप में आपको यह सुनिश्चित करना चाहिए कि आम आदमी की शिकायतों का समाधान किया जाए। इसके लिए पुलिस की भूमिका में बदलाव करके उसे प्रतिक्रियात्मक से सक्रियात्मक एजेंसी बनाना होगा जो कि अन्य भागीदारों के साथ मिलकर एक ऐसा शांतिपूर्ण तथा निरापद परिवेश बनाए, जो हमारे देश की प्रगति और समृद्धि के लिए अनुकूल हो। मैं इन अधिकारियों से, हर समय उच्च स्तर की पेशेवर दक्षता प्रदर्शित करने तथा यह सुनिश्चित करने के लिए निरंतर प्रयास करने की अपेक्षा रखता हूं कि कानून का शासन अक्षरश: लागू हो।

पुलिस का सिपाही सरकार का दिखाई देने वाला चेहरा होता है इसलिए उनके प्रशिक्षण और विकास तथा उनकी सेवा के हालात में सुधार पर समुचित ध्यान दिया जाना चाहिए। उनमें उच्च स्तर का अनुशासन, सत्यनिष्ठा तथा समर्पण का समावेश होना अत्यंत आवश्यक है। वे आपके कार्यबल के अग्रिम हिस्सा होते हैं और पुलिस की समूची छवि उनके आचरण, व्यवहार और कार्यकौशल पर निर्भर करती है। शासन की गुणवत्ता के बारे में लोग अपनी राय जमीनी स्तर पर पुलिसकर्मियों के प्रत्युत्तर और कौशल के आधार पर बनाते हैं।

यह हमारे पुलिसबलों के लिए चुनौतिपूर्ण समय है। समुदायों के आपसी संबंधों में गिरावट के साथ-साथ हमारे देश के कुछ हिस्सों में सामुदायिक हिंसा का चिंताजनक दौर चल रहा है। शुरुआत में ही ऐसे तनावों पर ध्यान देकर उन्हें तुरंत नियंत्रित करने के आवश्यक उपाय करने की हमारे जिला और स्थानीय प्रशासन की क्षमता को मजबूत बनाने की आवश्यकता है।

हाल ही के दौर में, महिलाओं और बच्चों के विरुद्ध अत्याचार ने भी जनता का ध्यान आकर्षित किया है और हमारे राष्ट्र की चेतना को झकझोरा है। भारत सरकार ने एक मौलिक कानून ‘यौन अपराध से बाल संरक्षण अधिनियम’ बनाया है जिसमें ऐसे अपराध करने वाले या उन्हें उकसाने वाले लोगों को कठोर दण्ड देने की व्यवस्था है। सरकार ने कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न (रोकथाम, प्रतिषेध और निवारण) विधेयक 2012 भी संसद में प्रस्तुत किया है। न्यायमूर्ति जे.एस.वर्मा समिति ने अनेक महत्वपूर्ण सिफारिशें की हैं जिन पर सरकार सक्रिय रूप से विचार कर रही है। हमारे पुलिस बलों को शहरी क्षेत्रों विशेषकर महानगरों में प्रभावी पुलिस व्यवस्था तथा कमजोर वर्ग की रक्षा पर तत्काल ध्यान देने की जरूरत है। न्यायमूर्ति वर्मा समिति ने देश में समग्र पुलिस सुधारों की आवश्यकता को दोहराया है। यह जरूरी है कि हम सभी संबंधित भागीदारों को शामिल करते हुए, इस दिशा में आगे बढ़ें। मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि अकादमी द्वारा कमजोर वर्गों, वंचितों, महिलाओं, बच्चों, अल्पसंख्यकों, दलितों आदि पर केंद्रित ‘जागरूकता उन्मुखीकरण प्रशिक्षण’ पर बल दिया जा रहा है। मैं इस पहल के लिए उन्हें बधाई देता हूं।

हमारे देश ने बहुत से क्षेत्रों में प्रगति की है। तथापि, अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने तथा विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के माध्यम से सामाजिक न्याय की सुनिश्चितता में सरकार की योजनाओं की सफलता मुख्यत: कानून और व्यवस्था के रखरखाव पर निर्भर करती है। भारत सरकार की जनोन्मुख योजनाओं के सफल कार्यान्वयन के लिए सुरक्षित और निरापद माहौल उपलब्ध कराना आवश्यक है।

भारत को विदेश से संचालित आतंकवाद का निशाना बनाया जा रहा है तथा हमारी आंतरिक सुरक्षा को देश के भीतर से भी खतरा हो रहा है। सरकार वामपंथी उग्रवाद से समग्र तरीके से निपटने के प्रति वचनबद्ध है। यह उग्रवादियों के विरुद्ध सक्रिय और सतत अभियान चलाने तथा उग्रवाद प्रभावित इलाकों में विकास और शासन के मुद्दों पर ध्यान देने के द्विआयामी तरीका अपना रही है। जहां हमें इन चुनौतियों का डटकर सामना करना होगा और इनका समाधान दृढ़ता व लगन के साथ करना होगा वहीं हमारे पुलिसबलों की कार्यवाहियों में लोगों के मानव अधिकारों तथा हमारे संविधान की मूल भावना का सम्मान करना होगा।

मुझे विश्वास है कि प्रेरित, आत्मविश्वास से पूर्ण और संवेदनशील नेतृत्व के साथ हमारा पुलिस बल राष्ट्र के सम्मुख चुनौतियों से प्रभावी रूप से निपट सकता है और निपटेगा। मुझे भरोसा है कि आपमें से हर एक, भारतीय पुलिस सेवा में नए प्रवेशार्थी के रूप में, अपने अधीन कार्यरत पुरुषों और महिलाओं को अनुकरणीय नेतृत्व प्रदान करेगा और आने वाले वर्षों में हमारे देश को गौरवान्वित करेगा।

मैं एक बार पुन: आप सभी को अपनी शुभकामनाएं देता हूं।

धन्यवाद!

जयहिन्द!