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झोतेश्वर में शंकराचार्य नेत्रालय के उद्घाटन के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी का अभिभाषण

झोतेश्वर, नरसिंहपुर : 07.06.2013


1. मुझे शंकराचार्य नेत्रालय के उद्घाटन के लिए यहां आकर खुशी हो रही है। यह नेत्रालय स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती धर्मार्थ ट्रस्ट के प्रयासों से बना है। मैं, इस क्षेत्र में इस महत्त्वपूर्ण कार्य को शुरू करने के लिए इस संगठन को बधाई देता हूं।

2. नरसिंहपुर जिले को कृषि के लिए जाना जाता है। यह गन्ना और सोयाबीन के उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है। इस क्षेत्र की काली मिट्टी इसे सालभर खेती के लिए उपजाऊ बनाए रखती है।

3. देवियो और सज्जनो, नेत्र मानवीय कार्यों को पूरा करने और अच्छा जीवन जीने के लिए जरूरी हैं। हमारे प्राचीन ग्रंथों में भी नेत्रों को मानव देह का प्रमुख अंग माना गया है। वेदों में कहा गया है, ‘सर्वे इन्द्रियणाम नेत्रम् प्रधानम्’ अर्थात सभी इद्रियों में नेत्र सबसे महत्त्वपूर्ण हैं।

4. नेत्रविज्ञान, मानव के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण है क्योंकि यह नेत्र रोगों के उपचार में सहायक है। भारत में इस ‘नेत्रविज्ञान’ की शुरुआत बहुत पहले हो गई थी। ‘सुश्रुत संहिता’ के लेखक, सुश्रुत ने आंखों के छिहत्तर रोगों का उल्लेख किया है। इसके अलावा, उन्होंने नेत्रविज्ञान के कई चिकित्सा उपकरणों और तकनीकों का भी उल्लेख किया है।

5. नेत्रहीनता से व्यक्तियों, उनके परिवारों तथा उनके आर्थिक हालात पर बुरा असर पड़ सकता है। इसलिए मानवीय इतिहास की शुरूआत से ही नेत्रों की देखभाल पर बहुत ध्यान दिया गया है। खासकर नेत्रहीनता का विकासशील और कम विकसित देशों में निर्धनता से गहरा संबंध है। इसके इलाज के लिए संसाधनों को जुटाने तथा इसके कारण रोजगार की कमी से आर्थिक बोझ बढ़ता है। हमारे समाज को नेत्रहीन व्यक्तियों की आवश्यकताओं का अधिक ध्यान रखना चाहिए। सार्वजनिक स्थलों, खासकर कार्यालयों, सार्वजनिक वाहनों और पार्कों का डिज़ाइन इस तरह तैयार किया जाना चाहिए जो कि नेत्रहीन व्यक्तियों और अशक्त व्यक्तियों के लिए सुगम हो।

6. देवियो और सज्जनो, भारत में बहुत से लोग नेत्रहीनता से पीड़ित हैं। पूरी दुनिया के कुल 3.9 करोड़ नेत्रहीन व्यक्तियों का पांचवां हिस्सा भारत में हैं। हमारे देश में लगभग 60 प्रतिशत मामलों में मोतियाबिंद, लगभग 20 प्रतिशत मामलों में बिम्ब में कमी तथा लगभग 6 प्रतिशत मामलों में कालामोतिया इसका प्रमुख कारण है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अपनी ‘विजन 2020 पहल’ में मोतिया तथा बाल नेत्र रोग को नेत्रहीनता का प्रमुख कारण माना है।

7. देश में नेत्रहीनता के मामलों में कमी लाने, आंखों की देखभाल की सुविधाओं की स्थापना करने तथा इसके लिए मानव संसाधनों के विकास के लिए 1976 में अंधता नियंत्रण का राष्ट्रीय कार्यक्रम शुरू किया गया था। इससे मोतियाबिंद का ऑपरेशन करने, स्कूली बच्चों की आंखों का परीक्षण करने तथा दान में दी गई आंखों को इकट्ठा करने के मामले में सफलता मिली है। परंतु अभी बहुत कुछ किए जाने की जरूरत है। देश में आंखों की देखभाल की सुविधा बढ़ाने के सरकारी प्रयासों में गैरसरकारी क्षेत्र के सहयोग की भी जरूरत है।

8. चिकित्सा में आई टी का पूरा उपयोग किया जाना चाहिए। टेलीमेडिसिन परियोजना के द्वारा दूर-दूराज के स्वास्थ्य केंद्र सुपर स्पेशियलिटी अस्पतालों से जोड़े गए हैं। इससे विशेषज्ञों की सेवा जरूरतमंद और पिछड़ी हुई आबादी तक पहुंचाने में मदद मिली है। स्वास्थ्य सेवा में प्रौद्योगिकी के अधिकाधिक प्रयोग की कोशिश होनी चाहिए।

9. भारत जैसे विकासशील देशों में, बहुत से लोगों को चिकित्सा प्राप्त करने में धन की कमी का सामना करना पड़ता है। बहुत से लोग इसके कारण गरीबी की चपेट में आ जाते हैं। इसके लिए स्वास्थ्य बीमा योजना को मजबूत करने की जरूरत है। हमारे समाज में सक्षम लोगों को भी इसमें अधिक से अधिक योगदान देना चाहिए। मुझे उम्मीद है कि समाज की परोपकार की भावना से जरूरतमंदों की सेवा में सहयोग मिलेगा।

10. चिकित्सक को समाज में सभी सम्मान देते हैं। ईश्वर के बाद उन्हें ही स्थान दिया जाता है। मुझे विश्वास है कि हमारे चिकित्सक, लोगों की आस्था और विश्वास पर खरा उतरेंगे। उम्मीद है कि शंकराचार्य नेत्रालय इलाज के लिए आने वाले सभी रोगियों, विशेषकर जरूरतमंदों और पिछड़ों को, नेत्र सेवा और उपचार की सुविधा प्रदान करेगा। मैं इसकी स्थापना और प्रबंधन से जुड़े सभी लोगों को उनकी सफलता के लिए शुभकामनाएं देता हूं।

धन्यवाद,

जय हिंद!