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भारतीय और रूसी विश्वविद्यालयों की बैठक में भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी का अभिभाषण

मास्को स्टेट यूनिवर्सिटी, रूस : 08.05.2015



1.भारत और रूस के कुछ सर्वोत्तम शिक्षा संस्थानों का प्रतिनिधित्व करने वाले शिक्षाविदों के समूह के बीच उपस्थित होकर मुझे खुशी हो रही है। वर्तमान ज्ञान संपन्न समाजों में जहां नवान्वेषण विकास, प्रगति और समृद्धि का आधार है, शिक्षा और अनुसंधान संस्थान महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। आपका प्रत्येक संस्थान भारत और रूस के राष्ट्रीय विकास में प्रमुख सहभागी है।

2.रूसी शिक्षण संस्थानों की उपलब्धि की एक महान विरासत है। बहुत पहले 1930में सोवियत यूनियन की अपनी यात्रा के दौरान रवींद्रनाथ टैगोर ने रूसी विश्वविद्यालयों को शिक्षा के क्षेत्र में चमत्कारकी संज्ञा दी थी। इसी शिक्षा प्रणाली के कारण रूस को ज्ञान संपन्न राष्ट्र के रूप में सराहनीय सफलता मिली है। इससे रूस को पदार्थ विज्ञानों, एयरोस्पेस, परमाणु विज्ञान, पेट्रोकेमिकल,खनन तथा भारी इंजीनियरी जैसे क्षेत्रों में प्रौद्योगिकीय सफलता मिली है।

3. इस प्रतिष्ठित संस्थान, मास्को स्टेट यूनिवर्सिटी ने, जहां हम इस समय खड़े हैं, पिछले साठ वर्षों के दौरान 17 नोबल पुरस्कार और फील्ड मेडल विजेता तैयार किए हैं।

विशिष्ट शिक्षाविद्गण,

4. भारत आज प्रौद्योगिकी और नवान्वेषण पर मजबूती से बल देते हुए अपनी आर्थिक प्रगति और विकास को तेज करना चाहता है। हमारे शैक्षिक और अनुसंधान संस्थान इन महत्वाकांक्षी राष्ट्रीय लक्ष्यों तथा हमारे लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए जोरदार प्रयास कर रहे हैं। इसमें, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की पहुंच में उल्लेखनीय विस्तार,हमारी अनुसंधान क्षमताओं का उन्नयन तथा अनुसंधान के परिणामों को औद्योगिक जरूरतों के साथ नजदीक से जोड़ना शामिल है।

5. अनुसंधान शैक्षिक प्रयासों की आधारशिला होती है। इसकी गुणवत्ता किसी शैक्षिक संस्थान के शैक्षिक क्षमता को तय करती है। वास्तव में, सुदृढ़ अनुसंधान कार्यक्रमों के बिना कोई भी उच्च शिक्षा संस्थान सही मायने में शिक्षण और ज्ञान को बढ़ावा देने वाले अपने प्रमुख दायित्व को पूरा नहीं कर सकता। इसलिए, यह अत्यावश्यक है कि सभी शैक्षणिक संस्थान अपनी भावी योजनाओं और कार्यकलापों के मूल में अनुसंधान को स्थान दें।

मित्रो,

6.भारत और रूस वैज्ञानिक सहयोग के द्विपक्षीय कार्यक्रमों से लाभान्वित हुए हैं। इनमें, 1987 से हमारा एकीकृत दीर्घकालीक कार्यक्रम, उत्कृष्टता के संयुक्त केंद्रों तथा पारस्परिक अनुसंधान सहयोग कार्यक्रमों की स्थापना शामिल है। हाल के वर्षों में, भारत और रूस ने मूलभूत विज्ञानों और स्वास्थ्य अनुसंधान जैसे क्षेत्रों में नए सहयोग कार्यक्रम आरंभ किए हैं। मुझे प्रसन्नता है कि हमारे विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग तथा रिशयन साइंस फाउंडेशन ने एक सहयोग करार को अंतिम रूप दिया है जो संयुक्त अनुसंधान परियोजनाओं को सहयोग देने के लिए एक अन्य मंच उपलब्ध करवाएगा।

7. भारत और रूस के बीच शैक्षणिक सहयोग का लंबा इतिहास है। 1950 के अंत में सोवियत यूनियन ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, बंबई को इसके आरंभिक चरण में सहयोग दिया था। 1970, 80 तथा 90 के दशक में दसों हजार भारतीय बच्चों ने रूस में शिक्षा प्राप्त की। हालांकि पिछले वर्षों में इस संख्या में कमी आई है परंतु अभी भी चार हजार भारतीय विद्यार्थी रूसी विश्वविद्यालयों में पढ़ रहे हैं। हमारे कुछ संस्थानों द्वारा विद्यार्थियों,अनुसंधान तथा संकाय सदस्यों के आदान-प्रदान तथा अनुसंधान प्रकाशनों के आदान-प्रदान के क्षेत्र में सक्रिय सहयोग कार्यक्रम चलाया जा रहा है।

8.इसके बावजूद, भारत और रूस के शिक्षा संस्थानों के बीच और अधिक व्यापक और संस्थागत सहयोग की जरूरत है। दिसंबर 2014 में भारत और रूस के बीच शीर्ष बैठक में दोनों देशों ने अपने विश्वविद्यालयों के बीच साझीदारी के नेटवर्क के समर्थन का निर्णय लिया था। मुझे खुशी है कि आप में से कई विश्वविद्यालय अपने दूसरे देशों के समकक्षों के साथ सहयोग के अवसरों की पहचान कर रहे हैं तथा भविष्य में सुव्यवस्थित सहयोग के लिए व्यवस्था को औपचारिक रूप देने के लिए तैयार हैं।

9.भारतीय और रूसी विश्वविद्यालयों के नेटवर्क की स्थापना से संकाय सदस्यों, अनुसंधानकर्ताओं और विद्यार्थियों के आदान प्रदान,संयुक्त अनुसंधान कार्यकलापों तथा वैज्ञानिक सम्मेलनों और संगोष्ठियों जैसे और अधिक संस्थागत संबंधों की स्थापना में सहायता मिलेगी। मैं इस नेटवर्क के अंतर्गत सार्थक सहयोग के लिए अपनी शुभकामनाएं देता हूं।