अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस-2013 के लिए आज यहां उपस्थित होना मेरे लिए सम्मान की बात है। मैं इस अवसर के उपलक्ष्य में आयोजित समारोह के आयोजन के लिए राष्ट्रीय साक्षरता मिशन प्राधिकरण की सराहना करता हूं। यह वास्तव में हमारे लिए एक गौरवपूर्ण क्षण है जब भारत ने इस वर्ष प्रतिष्ठित यूनेस्को किंग सेजोंग साक्षरता पुरस्कार जीता है। मैं इस अवसर पर, राष्ट्रीय साक्षरता मिशन प्राधिकरण, राज्य साक्षरता मिशन प्राधिकरणों और अन्य सभी साक्षरता कार्यकर्ताओं को उनकी निष्ठा और अथक प्रयासों के लिए बधाई देता हूं।
देवियो और सज्जनो,
2. साक्षरता सामाजिक-आर्थिक विकास का एक महत्त्वपूर्ण मापदण्ड है। इसकी सकारात्मकता गहन होती है। संयुक्त राष्ट्र के पूर्व महासचिव कोफी अन्नान ने कहा था, ‘‘साक्षरता दु:ख और उम्मीद के बीच सेतु है। यह आधुनिक समाज के दैनिक जीवन का एक साधन है। यह गरीबी के खिलाफ एक बचाव है, और विकास के मूलभूत अंग, सड़कों, बांधों, चिकित्सालयों और फैक्ट्रियों में निवेश का एक आवश्यक हिस्सा है। साक्षरता लोकतंत्रीकरण का एक मंच है, और सांस्कृतिक तथा राष्ट्रीय अस्मिता को बढ़ावा देने का माध्यम है... साक्षरता अंततोगत्वा मानव प्रगति का मार्ग और ऐसा साधन है जिसके द्वारा प्रत्येक पुरुष, महिला और बालक अपनी पूरी क्षमता को साकार कर सकते हैं।’’
3. साक्षरता एक प्रमुख मानव आवश्यकता है। यह आजीवन ज्ञानवर्धन सहित शिक्षा के सभी वर्गों का आधार स्तंभ है। यह सतत् विकास में एक प्रमुख भूमिका निभाती है जिससे शांति और सौहार्द पैदा होता है। मुझे प्रसन्नता है कि इस वर्ष ‘साक्षरता, शांति और विकास’ पर विशेष बल के साथ भारत में मनाए जा रहे अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस द्वारा इस समझ को और बढ़ाने का प्रयास किया गया है।
4. हमारे विकास संवाद में इन तीनों मापदंडों के बीच सम्बन्ध पर संभवत: उतना बल नहीं दिया गया जितना दिया जाना चाहिए था। हमारे देश और विदेश में सबसे अधिक टकराव की जड़ में निरक्षरों से चालाकी और सूचना को तोड़ना-मरोड़ना है। निरक्षर या जागरूकताहीन लोगों को भड़काना तथा उनके दिमाग में गलतफहमियां पैदा करना आसान है। उनकी मानसिकता को बदला जा सकता है। उनमें टकराव की प्रवृत्ति अधिक होती है क्योंकि उन्हें आसानी से प्रभावित किया जा सकता है। दूसरी ओर, एक शिक्षित व्यक्ति उन प्रक्रियाओं में योगदान देता है जिनका लक्ष्य शांति और विकास है। शब्दज्ञान से व्यक्ति की विचार शक्ति बढ़ती है। साक्षरता के उच्च स्तर से अधिक जागरूकता बढ़ती है। यह लोगों को नए कौशल सिखाने में मदद करती है जिससे समृद्धि और विकास होता है। एक साक्षर समाज में जीवन की बेहतर गुणवत्ता, विशेषकर जीवन प्रत्याशा, शिशु मृत्युदर, बच्चों का शिक्षण स्तर और पोषण स्तर पाए जाते हैं।
देवियो और सज्जनो,
5. पूरे विश्व में प्रत्येक वर्ष इस दिन अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस मनाया जाता है। यह इस सामाजिक बुराई के बारे में अधिक से अधिक जनचेतना पैदा करने और निरक्षरता के विरुद्ध निरंतर संघर्ष के पक्ष में जनता की राय को एकजुट करने का अवसर है। यह इसके उन्मूलन के प्रति हमारी वचनबद्धता को पुन: दोहराने का भी माध्यम है। स्वतंत्रता के बाद हमारे देश में साक्षरता के स्तर में निरंतर वृद्धि के बारे में जानकर प्रसन्नता हुई है। साक्षरता दर 1951 में अठारह प्रतिशत से चार गुना बढ़कर 2011 में चौहत्तर प्रतिशत हो गई है। इसके बावजूद हमारी साक्षरता दर चौरासी प्रतिशत के विश्व औसत से कम है। इसके कारण खोजना ज्यादा मुश्किल नहीं है। निरक्षर लोगों की विशाल संख्या के कारण साक्षरता दर में महत्त्वपूर्ण वृद्धि करना मुश्किल होता है।
6. हमारी साक्षरता दर को बढ़ाने के लिए अधिक ऊर्जा के साथ कार्य करने तथा एकजुट प्रयास करने का समय आ गया है। यह परिकल्पना की गई है कि बारहवीं पंचवर्षीय योजना के अंत तक हम अस्सी प्रतिशत साक्षरता दर हासिल कर लेंगे और लैंगिक फासले को सोलह से कम करके दस प्रतिशत कर देंगे। हमारा अंतिम उद्देश्य साक्षरता दर को न केवल विश्व औसत के बराबर बल्कि प्रमुख राष्ट्रों द्वारा प्राप्त स्तर तक लाने का होना चाहिए। अपना ध्यान बालिका और महिलाओं की ओर देकर साक्षरता स्तर की मौजूदा लैंगिक असमानता को दूर किया जाना चाहिए। व्यापक साक्षरता प्राप्त करने का हमारा प्रयास गरीबी कम करने, लैंगिक और सामाजिक दर्जे के कारण उत्पन्न असमानता कम करने और विद्यालय शिक्षा तक पहुंच बढ़ाने की कोशिशों के साथ जुड़ने चाहिए। हमें राष्ट्रीय, राज्य, जिला, ब्लॉक और ग्राम पंचायत, सभी स्तरों पर प्रशासन को सक्षम बनाना होगा। कार्यान्वयन ढांचे को सरकारी एजेंसियों तथा गैर-सरकारी और निजी क्षेत्रों के प्रतिष्ठित संगठनों को शामिल करके सुदृढ़ बनाया जाना चाहिए। हमें विश्वास है कि सभी भागीदारों, विशेषकर साक्षरता कार्यकर्ताओं की सक्रिय सहभागिता और प्रतिबद्धता से, हम इन लक्ष्यों को प्राप्त कर लेंगे।
देवियो और सज्जनो,
7. कई बाधा पहुंचाने वाले कारकों ने साक्षरता, विशेषकर प्रौढ़ साक्षरता की हमारी प्रगति को बाधित किया है। इसने एक ठोस योजना शुरू करने की आवश्यकता को रेखांकित किया है। इस आवश्यकता को पहचानते हुए, सरकार ने चार वर्ष पूर्व, इसी दिन साक्षर भारत कार्यक्रम आरंभ किया था। इस पहल का लक्ष्य प्रौढ़ शिक्षा और साक्षरता के उन्नत स्तर के माध्यम से एक पूर्णत: साक्षर समाज की स्थापना करना था। इस कार्यक्रम के तहत 15 वर्ष और उससे अधिक आयु के समूह में 70 मिलियन प्रौढ़, व्यावहारिक साक्षरता प्रदान करने के प्रमुख लक्ष्य थे। ग्राम पंचायत स्तर पर प्रौढ़ शिक्षा केंद्रों को जमीनी स्तर पर अध्यापन-शिक्षण कार्यकलापों के लिए जिम्मेवार बनाया गया था। राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी संस्थान को औपचारिक शिक्षा प्रणाली के समकक्ष मौलिक साक्षरता और शिक्षा के लिए विद्यार्थी मूल्यांकन करने और प्रमाणीकरण प्रदान करने का कार्य सौंपा गया था। मुझे बताया गया है कि 20 मिलियन से ज्यादा विद्यार्थियों को पहले ही साक्षर के तौर पर प्रमाणित किया जा चुका है।
8. प्रौढ़ शिक्षा कार्यक्रम की सफलता इस पर निर्भर करेगी कि यह कितनी अच्छी तरह नए बदलावों के प्रति स्वयं को ढाल पाएगी। एक अस्थायी कारक के तौर पर कार्य करने की बजाय, इस मिशन को एक नियमित और स्थायी तंत्र का रूप देना होगा। ऐसा तंत्र विभिन्न प्रशासनिक प्राधिकरणों तथा नागरिक समाज संगठनों, सामाजिक साझीदारों, समुदाय, निजी क्षेत्र तथा प्रौढ़ विद्यार्थियों और शिक्षक संगठनों के स्तर पर स्थापित और कायम रखा जाना चाहिए।
देवियो और सज्जनो,
9. निरक्षरता के विरुद्ध हमारी लड़ाई में हमें इस बुराई के विरुद्ध अधिक से अधिक जन-जागरूकता और जनमत पैदा करना होगा। हमें, सार्थक समर्थन के माध्यम से उन लोगों में साक्षरता बनने की आंतरिक भावना पैदा करनी होगी जो लिखने पढ़ने में सक्षम नहीं हैं। हमारे साक्षरता कार्यक्रम की सफलता अन्तत: लोगों की इच्छा और सहयोग पर निर्भर करती है। मैं, अपने देश के प्रत्येक नागरिक से इस चुनौती को स्वीकार करने और हमारे देश को निरक्षरता के चंगुल से मुक्त करवाने में योगदान देने का आग्रह करता हूं। इसी के साथ, मैं इस समारोह में प्रतिभागिता के लिए विशिष्ट प्रतिनिधियों के प्रति अपना आभार व्यक्त करता हूं। मैं आप सभी को शुभकामनाएं देता हूं।
धन्यवाद।
जय हिंद!