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गोंदिया शिक्षा संघ के वार्षिक दिवस समारोह में भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी का अभिभाषण

गोंदिया, महाराष्ट्र : 09.02.2014



मुझे, गोंदिया शिक्षा संघ के वार्षिक दिवस समारोह में आज आपके बीच उपस्थित होकर प्रसन्नता हो रही है। गोंदिया मध्य और पूर्वी भारत की ओर से महाराष्ट्र का द्वार है। मैं, इस राज्य के विदर्भ क्षेत्र के इस महत्त्वपूर्ण शहर की यात्रा करने का अवसर प्रदान करने के लिए आपका धन्यवाद करता हूं।

2. आज, इस विशाल शैक्षिक संस्थान के संस्थापक स्व. मनोहर भाई पटेल की जयंती है। उन्होंने जीवन में भीषण कष्टों पर विजय प्राप्त करते हुए एक उद्योगपति, राजनीतिक नेता, परोपकारी तथा समाज सुधारक के रूप में ख्याति अर्जित की। गोंदिया शिक्षा संघ उनके दृरदृष्टितापूर्ण प्रयासों की परिणति था। इस पावन दिवस पर यहां आना वास्तव में मेरे लिए सौभाग्य की बात है। मैं, भारत के इस महान और योग्य सपूत को अपनी सच्ची श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं।

देवियो और सज्जनो,

3. स्वर्गीय मनोहर भाई पटेल का जन्म नाडियाड़, गुजरात में एक गरीब परिवार में हुआ। उन्होंने अपने सपनों के रास्ते में अपनी अभावग्रस्तता को नहीं आने दिया। वह शिक्षा का खर्च नहीं उठा सकते थे और उन्होंने अपनी आजीविका के लिए जल्दी ही घर छोड़ दिया। उनका यह संघर्ष उन्हें कई स्थानों पर ले गया। अंत में वह अपनी पहचान बनाने के लिए बेचैन सोलह वर्ष के लड़के के रूप में गोंदिया पहुंचे। कड़ी मेहनत और ईमानदारी से, उन्होंने स्वयं को एक उद्योगपति के रूप में स्थापित किया। विधान सभा में चार बार निर्वाचित होकर वह राज्य में जनता के बीच एक प्रमुख हस्ती बन गए। गांधीवादी आदर्शों से प्रेरित होकर उन्होंने समाज की बेहतरी के लिए कार्य किया। सत्ता की चमक-दमक से प्रभावित हुए बिना, उन्होंने सरकार में शामिल होने से इंकार कर दिया और इसके बजाय जनता के नेता के तौर पर निरंतर सेवा करते रहे। एक आदर्शवादी व्यक्ति के रूप में, उनका एकमात्र स्वप्न समाज की भलाई करना था। इस क्षेत्र में सिंचाई सुविधाओं के निर्माण में उनके अग्रणी कार्य को सम्मानित करने के लिए महाराष्ट्र सरकार ने एक विशाल सरोवर परियोजना का नाम ‘मनोहर सागर’ रखा है।

4. स्वर्गीय मनोहर भाई पटेल गोंदिया जिले में शिक्षा की हालत से बहुत व्यथित थे। उन्हें लगता था कि उस दौरान इस क्षेत्र में छह प्रतिशत की साक्षरता दर पूरी तरह अस्वीकार्य है। उनका मानना था कि शिक्षा का इतना नीचा स्तर प्रगति और समृद्धि प्राप्त करने की लोगों की क्षमता को अवरुद्ध कर देगा। शिक्षा प्राप्त न कर पाने के उनके दु:ख ने उन्हें इस क्षेत्र में शैक्षिक ढांचे के उत्थान का एक महत्त्वाकांक्षी कार्य शुरू करने के लिए प्रेरित किया। इस दिशा में उनका असीम उत्साह इस तथ्य से स्पष्ट होता है, जैसा कि मुझे बताया गया है कि उन्होंने एक ही दिन में गोंदिया और भण्डारा जिले में 22 उच्च विद्यालय और दो वरिष्ठ कॉलेज खोले।

5. उनके द्वारा की गई पहल आज इस क्षेत्र में विशाल शैक्षिक ढांचे में विकसित हो चुकी है। गोंदिया शिक्षा संघ आज प्राथमिक स्तर से स्नातकोत्तर तक पूर्ण शैक्षिक अनुभव प्रदान करने की अपनी प्रणाली पर गर्व कर सकता है। इसके 60 कॉलेज और उच्च विद्यालय एक लाख से अधिक विद्यार्थियों की शैक्षिक जरूरतों को पूरा करते हैं। इस संघ के कॉलेजों की उच्च शिक्षा बहुत सी पारंपरिक और नए युग की विधाओं से रूबरू करवाती है। मुझे इस संघ के कॉलेजों में शिक्षा प्राप्त विद्यार्थियों की सफलता के किस्से सुनकर खुशी हुई है।

6. गोंदिया शिक्षा संघ का शैक्षिक दर्शन सराहनीय है। संघ के गैर-लाभकारी संस्थानों का लक्ष्य वहनीय लागत पर विश्व-स्तरीय सुविधाएं प्रदान करना है। गोंदिया और भंडारा जिलों के युवा विद्यार्थियों को प्रदान की गई छात्रवृत्तियों और नि:शुल्क शिक्षा से उन्हें आत्मविश्वास के साथ अपने सपने पूरे करने में मदद मिलेगी। मैं, संघ से, इसी उत्साह और ऊर्जा के साथ शिक्षा के क्षेत्र में किए जा रहे शानदार कार्य जारी रखने का आग्रह करता हूं।

देवियो और सज्जनो,

7. किसी भी देश के युवा इसके भावी विकास और प्रगति का महत्त्वपूर्ण आधार होते हैं। भारत सौभाग्यशाली है कि उसके पास परिवर्तन की आकांक्षापूर्ण कार्यसूची की प्राप्ति के लिए विशाल युवा पीढ़ी है। हमारे देश की आबादी का 40 प्रतिशत से अधिक हिस्सा 13-35 वर्ष की आयु समूह का है। 2011 और 2016 के बीच 63.5 मिलियन की बढ़ोतरी की संभावना के साथ 15 से 59 वर्ष के बीच की कामकाजी जनसंख्या बढ़ रही है। एक दशक के भीतर, भारत के पास विश्व का विशालतम कार्यबल होगा जो इसकी जनसंख्या का दो-तिहाई हिस्सा होगा।

8. सक्रिय आबादी का बड़ा हिस्सा हमारे देश को अत्यधिक लाभ पहुंचा सकता है बशर्ते कि हम फायदों को उठाने में समर्थ हों। हमें अपनी जनशक्ति को सक्षम बनाना है ताकि वे विकास प्रक्रिया में सक्रिय भागीदार बन सकें। एक नवीनतम सर्वेक्षण के अनुसार, हमारे मात्र 34 प्रतिशत विद्यार्थियों को रोजगार के योग्य पाया गया। यदि नौकरी उन्मुख विकास समावेशी विकास की हमारी एक प्रमुख कार्यनीति है तो हमारी शिक्षा प्रणाली से उत्तीर्ण हो रहे स्नातकों को योग्य और रोजगार योग्य बनाने के लिए कठोर कदम उठाने की जरूरत होगी। हमें उन्हें शैक्षिक रूप से मजबूत तथा सामाजिक रूप से संवेदनशील बनाना होगा। हमारे देश के कार्यबल की बुनियाद स्कूली स्तर से ही पड़नी चाहिए।

9. हमें अपनी शैक्षिक प्रणाली का विस्तार करना होगा तथा इसे अधिक सुगम्य और वहनीय बनाना होगा। हमें अपने शैक्षिक संस्थानों के स्तर के उन्नयन पर भी जोर देना होगा। मुक्त और दूरवर्ती शिक्षण पद्धति अपनाने तथा प्रौद्योगिकी समाधान का लाभ उठाने से मात्रा और गुणवत्ता दोनों के समाधान के प्रति उम्मीद जगाती है। सूचना और संचार प्रौद्योगिकी समाधानों में संकाय, अवसंरचना और संसाधनों जैसी बहुत सी खामियों को दूर करने की क्षमता है, जिसके अभाव से संस्थान वैश्विक रूप से प्रतिष्ठित होने से वंचित रह जाते हैं, दूर होने की संभावना है। मुझे विश्वास है कि इस संघ के संस्थान अपने विद्यार्थियों को विश्व स्तरीय शिक्षण अनुभव प्रदान करेंगे।

देवियो और सज्जनो,

10. मुझे बताया गया है कि गोंदिया शिक्षा संघ के विद्यार्थियों ने अच्छी तरक्की की है। बहुत से विद्यार्थी जीविकोपार्जन के लिए विदेश गए हैं। मुझे विश्वास है कि आप सभी जीवन में अच्छी तरक्की करेंगे। सफलता के साथ जिम्मेदारी आती है। बड़ी सफलता के साथ बड़ी जिम्मेदारियां आती हैं। आपको उन आदर्शों के प्रति ईमानदार रहना होगा जिसके लिए आपका संस्थान जाना जाता है। आपने यहां जो कुछ अर्जित किया है, उसे वापस समाज को देना होगा। आपमें देशभक्ति और सामाजिक दायित्व की सुदृढ़ भावना होनी चाहिए। आपमें से जो विदेश के उत्कृष्ट संस्थानों में उच्च शिक्षा प्राप्त करना चाहते हैं, उन्हें प्रोत्साहन मिलना चाहिए। परंतु याद रखें, आप जहां भी जाएं, अपनी मातृभूमि के पवित्र सूत्र से बंधे रहें।

11. अपने देश के विकास के लिए सर्वोत्तम प्रयास करें। सभी ओर से प्राप्त होने वाले विचारों का स्वागत करें। परंतु आंखें मूंदकर दूसरों का अनुकरण न करें। दूसरों को अपने विचारों पर कभी हावी मत होने दें। महात्मा गांधी ने इस विचार को सुन्दर ढंग से व्यक्त किया है। उन्होंने कहा था, ‘‘मैं अपने घर के चारों ओर दीवारें नहीं चाहता और अपनी खिड़कियों को बंद नहीं रखना चाहता। मैं चाहता हूं कि सभी स्थानों की संस्कृति, जहां तक संभव हो, मेरे घर के वातावरण में फैल जाएं परंतु मैं किसी को भी खुद पर हावी नहीं होने दूंगा। मैं किसी और के घर में घुसपैठिया, भिखारी या गुलाम बनकर नहीं रहना चाहूंगा’’। अपनी हकीकत के साथ मजबूती से जुड़े रहें। तभी आपको सकारात्मक बदलाव लाने के साधन और इच्छा शक्ति प्राप्त होगी।

12. मैं, इन्हीं शब्दों के साथ अपनी बात समाप्त करता हूं। मैं, एक बार पुन: इस अवसर पर उपस्थित होने के लिए आमंत्रित किए जाने पर आपको धन्यवाद देता हूं। मैं, आप सभी को भावी जीवन के लिए शुभकामनाएं देता हूं।

धन्यवाद,

जयहिन्द !