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ग्रीष्म सत्र के पासिंग आउट परेड को देखने के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी का संबोधन

ऑफिसर्स ट्रेनिंग अकादमी, चेन्नई : 10.09.2016



आफिसर्स ट्रेंनिंग अकादमी के आसपास के सुंदर क्षेत्र में आपके बीच प्रमुख कमांडर के रूप में उपस्थित होने में और इस परेड को देखने में मुझे बेहद प्रसन्नता हुई जिसमें भारतीय सेना के प्रमाणित अधिकारियों के रूप में आपके जीवन की एक नई सुबह निहित है।

जब मैं आपमें से प्रत्येक को देखता हूं तो मैं गर्व और आत्मविश्वास से भर जाता हूं। मैं सेनानायक और उसके संकाय को युवा और उत्साही सैन्य अग्रणियों के एक ऐसा स्मार्ट और योग्य समूह निकालने के लिए कठिन परिश्रम करने पर मुबारकबाद देता हूं। मुझे विश्वास है कि यहां पर उपस्थित आपमें से प्रत्येक और हमारा बाकी देश जो इस परेड को देख रहे हैंउन्हें भी वहीं गौरव की अनुभूति हो रही होगी जैसा मैं महसूस कर रहा हूं। कुछ कहने से पहले मैं आपमें से प्रत्येक को अभ्यास के उत्कृष्ट स्तर और आउटस्टैंडिग परेड के लिए बधाई देना चाहूंगा। मैं स्वीकार करता हूं कि अब भी प्रत्येक बार जब भी मैं एक सैन्य परेड देखता हूं तो हमारे श्रेष्ठ सैन्य बलों और हमारे महान देश भारत के लिए मेरी धड़कन एक नये जुनून और जोश के साथ बढ़ जाती है।

अब से कुछ ही क्षणों में इस पृथ्वी पर सर्वश्रेष्ठ सैनिकों को कमांड करने वाले विश्व के सर्वश्रेष्ठ सैना में आप अधिकारी के रूप में शामिल हो जाएंगे। एक महत्वपूर्ण कार्य आपकी प्रतीक्षा कर रहा है क्योंकि आप इस महान दायित्व का आवरण पहनेंगे और भारत का संविधान आपको अधिकार प्रदान करेगा। आपने एक वर्ष का भीषण प्रशिक्षण प्राप्त किया है। जिसमें आपको अत्यंत चुनौतिपूर्ण परिस्थितयों में सैन्य टुकडि़यों के नेतृत्व के लिए आवश्यक मानसिक और शारीरिक कौशल से सुसज्जित किया है और सभी विषयों से ऊपर यह कि आपकी मातृसंस्था ने आपको सिखाया है कि हमारे लिए सर्वप्रथम दायित्व है सम्मान कोड। आपका सम्मान और आपकी सत्यनिष्ठा केवल आपकी नहीं हैः हमेशा याद रखें कि प्रत्येक क्षण सराहना या प्रशंसा,आदर और सम्मान के साथ एक अरब से भी अधिक भारतीय नागरिक प्रत्येक क्षण आपको देख रहे हैं कि आप क्या हैं,महान संस्थान जिसकी तुम सेवा कर रहे हो और गंभीरता के समय इस देश के लिए आपसे क्या अपेक्षाएं हैं। आपके कंधों पर और आपकी व्यवसायिकता के द्वारा ईश्वर करे कि भारतीय सेना इससे भी अधिक ऊंचाई मिले। भारत तीन प्रमुख सजातीय समूह, 122 भाषाएं, 1600 बोलियां और असामान्य धर्मों वाला1.3 अरब लोगों का एक अनूठा देश है। हमारी शक्ति स्पष्ट विरोधाभाषों को सकारात्मक अभिपुष्टि में बदलने की अद्वितीय क्षमता में है। पंडित जवाहरलाल नेहरू के शब्दों में यह देशएक अदृश्य धागों में पिरोया हुआ सशक्त देश है... उसके बारे में काफी पुरानी भ्रांतिजनक हैः ऐसा लगता है कि उसके मस्तिष्क पर किसी प्रकार का आकर्षण है। वह एक काल्पनिक कथा है और एक विचार,एक स्वप्न, एक दृष्टि है,फिर भी बहुत वास्तविक और विद्यमान और व्यापक है।

मैं अपने समक्ष भारत का एक सूक्ष्म जगत देखता हूं जिसमें आज की इस प्रभावी परेड को गठित करने वाली हमारे महान देश के प्रत्येक भाग से प्रतिनिधि शामिल हैं। मैं अफगानिस्तान,भूटान, फिजी,पपूआ न्यू गिनी और लिसोथो के हमारे मित्र और अनमोल देशों से अधिकारी कैडेट्स को देखकर भी प्रसन्न हूं। मेरी ओर से आपके सरकार और आपके देशवासियों को ऐसे श्रेष्ठ नौजवानों और महिलाओं को उनकी आर्मी में पाने के लिए बधाई देता हूं। ईश्वर आप सबके साथ हो और आप हमेशा विषमताओं पर विजय प्राप्त करें।

वास्तव में हमारी सुरक्षा चुनौतियां परंपरागत सीमाओं और परंपरागत जोखिमों से कहीं अधिक अंतरराष्ट्रीय क्षेत्रों की हैं जिसमें शामिल हैं विश्व के स्थिर क्षेत्रों में एक बड़ी संख्या में डायस्पोरा की रक्षा करना,ऊर्जा सुरक्षा मसले और समुद्री मार्गों की रक्षा। आंतरिक संकट की स्थितियों चाहे वे मानव निर्मित हों या प्राकृतिक हों दोनों ही परिस्थितियों मेें बार बार हमारे देश ने सैन्य बलों का सहारा लिया है। ये सभी चुनौतियां एक सक्षम और उत्तरदायी सैन्य बलों की मांग करती हैं ताकि स्थिरता और शांति सुनिश्चित की जा सके। जो सभी नागरिकों की शांति और खुशहाली के मार्ग पर हमारे देश के लिए बहुत महत्वूपर्ण हैं।

21वीं शताब्दी में भी हमारे सामने अनेक चुनौतियां सामने आईं हैं। यद्यपि मानव जाति के इतिहास में सदैव अशांति और अनिश्चितता जाहिर होती रही है,इस शताब्दी में एक बहुत ही विशैली प्रकृति का अराजकता और संघर्ष रहा है। इसमें राष्ट्र और गैर राष्ट्र अभिनेताओं को शामिल करते हुए भीषण युद्ध छेड़ दिया है। इससे भी कहीं पहले भारत को युवा पुरुषों और महिलाओं की आवश्यकता है अपनी मातृभूमि की सेवा में जीवन को जोखिम में डालकर जो संकट के समय में परिस्थितियों द्वारा नौवहन की चुनौतियों का सामना कर सकें और अथक और निःस्वार्थरूप से कार्य कर सकें। भारतीय सेना आखिरी सहारे का कार्य करती है। हमेशा याद रखें कि एक महान और सशक्त सेना की परिपूर्णता उसकी दिखाई गई शक्ति में नहीं बल्कि उसके तरीके और पूर्णता में निहित होती है जिससे वह कार्य करता है। मेरे सामने खड़े नौजवान और महिला कैडेट्स टैगोर के इन शब्दों के साथ आगे बढ़े जो नूतन युगे गोरे से हैं।

‘‘चोलाय चोलाय बाजबे जायेर भेरी-

पायेर बेगी पॉथ केटी जाय कोरिश ने आज देरी।’’

आगे बढ़ो, नगाड़ों का स्वर तुम्हारे विजयी प्रयाण की घोषणा करता है

शान के साथ कदमों से अपना पथ बनाएं;

देर मत करो, देर मत करो,एक नया युग आरंभ हो रहा है।

धन्यवाद,

जय हिंद!