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जनगणना पदक प्रदान करने के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी का अभिभाषण

विज्ञान भवन, नई दिल्ली : 11.01.2013


जनगणना कर्मियों को उनके असाधारण और उत्कृष्ट कार्य के लिए ‘जनगणना पदक’ तथा ‘सम्मान पत्र’ प्रदान करने के लिए यहां आकर मुझे बहुत खुशी हो रही है। यह जनगणना 2011 के संचालन के कार्य में लगे हुए सभी लोगों के कठोर परिश्रम का ही परिणाम है कि इस संस्थान के इतिहास के पन्नों में एक और शानदार अध्याय जुड़ गया है।

भारत की जनगणना संचालन की एक लम्बी और समृद्ध परंपरा है। हमारे देश में जनगणना संचालन का प्राचीनतम संदर्भ कौटिल्य के ‘अर्थशास्त्र’ में (321-296 ई.पू.) और इसके बाद अकबर के समय में ‘आइन-ए-अकबरी’ में अबुल ़फजल के लेखों में मिलता है। तथापि, अपने आधुनिक वैज्ञानिक स्वरूप में सबसे पहली व्यवस्थित और आधुनिक जनगणना देश में 1865 से 1872 के बीच असमकालिक ढंग से आयोजित की गई थी। भारत में पहली बार समकालिक जनगणना 1881 में आयेजित हुई थी।

इस प्रकार यदि 1872 के बाद से गणना की जाए तो 2011 की जनगणना इस शृंखला की 15वीं जनगणना थी। 1872 से आज तक बिना विराम लगातार सफलतापूर्वक जनगणना का आयोजन भारतीय जनगणना को विशिष्ट तथा अद्वितीय बना देता है।

एक बहु-जातीय, बहु-भाषी तथा बहु-सांस्कृतिक समाज को देखते हुए भारत में जनगणना कराना एक चुनौतीपूर्ण कार्य है। इस कवायद की जटिलता की कल्पना इसी तथ्य से की जा सकती है कि जनगणना की अनुसूची 16 भाषाओं में प्रसारित की गई थी तथा 18 भाषाओं में प्रशिक्षण दिया गया। लगभग 5.4 मिलियन अनुदेश पुस्तिकाएं तथा 340 मिलियन जनगणना अनुसूचियां मुद्रित की गई थी। देश के 35 राज्यों, 640 जिलों, 5924 उप जिलों, 7936 शहरों तथा 6.41 लाख गांवों में जनगणना करने के लिए 2.7 मिलियन गणनाकर्ता तथा पर्यवेक्षक लगाए गए थे। 2011 की जनगणना की विशेष बात यह थी कि इसमें घरों की गणना संबंधी अनुसूचियों के साथ ही राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर को तैयार करने के लिए अनुसूचियां भी वितरित की गई थी।

मैं इस जनगणना कार्य में सहयोग देने के लिए अपने सभी देशवासियों को बधाई देता हूं। उनके सक्रिय और संपूर्ण सहयोग के बिना इस विशाल कार्य को केवल 21 दिनों में पूरा करना संभव नहीं हो पाता। मैं पूरी जनगणना टीम को निर्धारित समय अवधि के अंदर फील्ड कार्य सफलतापूर्वक पूरा करने तथा फील्ड कार्य के पूरा होने के तीन सप्ताह के रिकार्ड समय के अंदर अनंतिम परिणाम घोषित करने के लिए बधाई देता हूं।

भारत एक सशक्त, आत्मनिर्भर और आधुनिक राष्ट्र के रूप में उभर रहा है। जनगणना 2011 के परिणामस्वरूप मानव संसाधन, जनसांख्यिकी, संस्कृति तथा आर्थिक ढांचे के बारे में जो बुनियादी मानक आंकड़े प्राप्त हुए हैं, उनसे न केवल योजना-निर्माताओं, नीति निर्माताओं तथा दूसरे स्टेकधारकों को, जारी स्कीमों की सफलता का मूल्यांकन करने में सहायता मिलेगी वरन् इससे भावी विकासात्मक योजनाओं के निर्माण में भी सहायता मिलेगी। जनगणना के आंकड़ों का राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों, विद्वानों, व्यापारियों, संस्थानों तथा विशेषकर अनुसंधानकर्ताओं द्वारा भी बड़े पैमाने पर उपयोग किया जाता है।

सूचनापूर्ण निर्णय शोधपरक डाटा के आधार पर ही लिए जा सकते हैं और केवल जनगणना ही ऐसा स्रोत है जो कि ग्रामीण क्षेत्र में ग्राम स्तर तक और शहरी क्षेत्र में वार्ड स्तर तक वैयक्तिक विशेषताओं पर सूचना उपलब्ध करा सकता है। मुझे उम्मीद है कि जनगणना संगठन द्वारा आंकड़ों के प्रसार के लिए अपनाई गई नवीनतम प्रौद्योगिकी से जनगणना के आंकड़े देश के सुदूर कोनों में भी भागीदारों को शीघ्रता से प्राप्त हो पाएंगे।

मुझे बताया गया है कि प्रत्येक दस वर्ष में होने वाली जनगणना के बाद जनगणना कार्मिकों द्वारा किए गए असाधारण कार्य के लिए उनको सम्मानित करने की परंपरा है। जनगणना कार्मिक इस विशाल कवायद को शानदार सफलता में बदलने के लिए अत्यंत विकट भू-भाग तथा विपरीत परिस्थितियों में परिश्रम करते हैं।

मुझे जनगणना कर्मियों को, उनके द्वारा असाधारण उत्साह, कार्य की उच्च गुणवत्ता तथा कर्तव्य के प्रति समर्पण के लिए जनगणना पदक तथा सम्मान पत्र प्रदान करते हुए बहुत प्रसन्नता हो रही है। मैं सभी जनगणना पदक विजेताओं को बधाई देता हूं और उनके भावी प्रयासों के लिए शुभकामनाएं देता हूं।

जय हिंद!