मा. राजकेश्वर प्रयाग, मॉरिशस गणराज्य के महामहिम राष्ट्रपति,
मा. डॉ. नवीनचन्द्र रामगुलाम, मॉरिशस गणराज्य के महामहिम प्रधानमंत्री,
सर रमेश जीवूलाल, मॉरिशस विश्वविद्यालय के कुलाधिपति,
विशिष्ट अतिथिगण और प्यारे विद्यार्थियो,
मुझे यहां आपके बीच उपस्थित होकर प्रसन्नता हो रही है। मैं आपके देश में लगभग दो दिन से हूं। मैं इस द्वीप के प्राकृतिक सौंदर्य से मंत्रमुग्ध हूं जो इसकी जनता के ही समानसद्भावनापूर्ण और मैत्रीपूर्ण है। मुझे प्रदान किए गए हार्दिक आतिथ्य से, मैं अभिभूत हूं। सबसे बढ़कर, मैं यह जानकर बहुत प्रभावित हुआ हूं कि इस द्वीप की सफलता अधिकतर इसके नागरिकों की शिक्षा के कारण है। 1901 में महात्मा गांधी के संक्षिप्त प्रवास ने मॉरिशस में शिक्षा के क्षेत्र में एक शांतिपूर्ण क्रांति की भूमिका तैयार कर दी थी। बैरिस्टर मणिलाल डॉक्टर और अन्य व्यक्तित्वों के सप्रयास प्रोत्साहन से सामाजिक परिवर्तन के बीज स्वतंत्रता के बाद भी पनपते रहे और सर शिवसागर रामगुलाम के दूरदर्शी नेतृत्व को धन्यवाद, जो शिक्षा की शक्ति से भली भांति परिचित थे। उन्होंने कहा था, ‘आधुनिक जगत में, शिक्षा को राष्ट्र के जीवन, विशेषकर विकासशील देशों में, एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभानी है, जहां लोग अपने देशों का भविष्य निर्माण के अपने कर्तव्यों और दायित्वों के प्रति अधिक से अधिक जागरूक हो रहे हैं,’ ऐसे शब्द, जो आज भी उतने ही सटीक हैं। शिक्षा में निवेश से मॉरिशस को बहुत लाभ हो रहा है और आज हम मॉरिशस में विकास का जो सराहनीय स्तर देख रहे हैं, यह उसका एक कारण रहा है।
मॉरिशस विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति, महामहिम सर रमेश जीवूलाल, आपके प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय से डॉक्टर ऑफ सिविल लॉ की मानद उपाधि प्राप्त करना वास्तव में गौरव की बात है। मैं इस उच्च सम्मान के लिए आपका धन्यवाद करता हूं। मॉरिशस के समाज की सामयिक आवश्यकताओं के अनुसार, उत्तम शिक्षा प्रदान करने की इस विश्वविद्यालय की समृद्ध परंपरा है। मैं, प्रतिष्ठित संकाय सदस्यों, विद्वानों और विद्यार्थियों को उनके अकादमिक कार्यों में सफलता प्राप्त के लिए शुभकामनाएं देता हूं। मेरी कामना है कि आप, ‘‘उत्कृष्टता और बौद्धिक रचनात्मकता के जरिए महाद्वीपों के आसपास ज्ञान का सेतु के निर्माण’’ करने के अपने ध्येय को उत्कृष्टता के साथ प्राप्त करें।
विशिष्ट देवियो और सज्जनो, मुझे मॉरिशस के स्वतंत्रता दिवस की 45वीं वर्षगांठ पर मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित होकर विशेष प्रसन्नता हुई। इस अवसर पर, मैं, सभी मॉरिशसवासियों को भारत सरकार और भारत की जनता की शुभकामनाएं देता हूं। अन्जेले स्टेडियम में गत सायं के रंगारंग और गरिमापूर्ण समारोह का आनंद उठाते हुए, मुझे 1968 में अपनी स्वतंत्रता के बाद से मॉरिशस द्वारा तय की गई यात्रा पर प्रसन्नता हुई। अपनी जातीय या धार्मिक पृष्ठभूमि पर ध्यान दिए बिना प्रत्येक मॉरिशसवासी को इस देश की उल्लेखनीय प्रगति पर गौरवान्वित होना चाहिए। मॉरिशस ने न केवल अपने लोकतांत्रिक और सांप्रदायिक आदर्शों को कार्यान्वित करने में सफलता प्राप्त की है बल्कि इसने आर्थिक विकास की सराहनीय दर भी हासिल की है और अपने नागरिकों के लिए ऐसी सुदृढ़ संस्थाओं की स्थापना की है जिनसे मॉरिशस एक सुसंगठित और प्रगतिशील लोगों का देश बन गया है। आज मॉरिशस अफ्रीका में आर्थिक और सामाजिक विकास के मामले में आगे है और यह अपनी सफल आर्थिक गाथा के कारण बहुत से देशों के लिए अनुकरणीय बन गया है।
आपके देश की यात्रा के दौरान, मुझे राष्ट्रपति प्रयाग, प्रधानमंत्री रामगुलाम और अन्य विशिष्ट नेताओं के साथ द्विपक्षीय सहयोग के सम्पूर्ण परिदृश्य की समीक्षा करने का अवसर प्राप्त हुआ। हम सभी भारत और मॉरिशस के बीच विशिष्ट द्विपक्षीय संबंध को बहुमूल्यवान मानते हैं और हम सहमत हैं कि हमारी सरकारों और जनता के बीच मैत्री एवं विश्वास, स्थाई नाते और भाईचारे, हमारे साझे इतिहास और संस्कृति तथा साझी भावी संकल्पना पर आधारित है। हाल के वर्षों में, हमने घनिष्ठ और निरंतर उच्च स्तरीय राजनीतिक संवाद द्वारा प्रेरित तथा प्रगाढ़ आपसी संपर्कों द्वारा सशक्त आधुनिक, गतिशील और परस्पर हितकारी साझीदारी विकसित करने के लिए इन रिश्तों का लाभ उठाया है। हमारी द्विपक्षीय साझीदारी की स्थाई मजबूती, विभिन्न स्तरों पर, घनिष्ठ और सुदृढ़ संबंधों में पूरी तरह प्रतिबिंबित होती है।
मुझे यह बताते हुए प्रसन्नता हो रही है कि मेरी यात्रा के दौरान, पर्यटन, स्वास्थ्य और चिकित्सा, वरिष्ठ नागरिकों और विकलांगजनों से संबंधित मुद्दों के समाधान में सहयोग सहित हमारी अर्थव्यवस्थाओं के प्रमुख क्षेत्रों में कई समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए हैं। ये समझौते हमारे संबंधों की विविधता को दर्शाते हैं और इनसे निश्चित रूप से दोनों देशों के लोगों को लाभ होगा।
देवियो और सज्जनो, सैकड़ों विश्वविद्यालयों, हजारों तृतीयक शिक्षा संस्थानों तथा कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में अध्ययनरत लाखों विद्यार्थियों सहित, भारत की विश्व की तीसरी विशालतम उच्च शिक्षा प्रणाली है। हमारे यहां विशेषकर इंजीनियरी, चिकित्सा, प्रबंधन, सामग्री विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, नैनो विज्ञान, सुदूर संवेदन, पर्यावरणीय अध्ययन, नवीकरणीय ऊर्जा, अंतरिक्ष विज्ञान आदि में अपनी उच्च गुणवत्ता के लिए विश्वविख्यात अत्यंत उन्नत पाठ्यक्रम हैं। 25 वर्ष से कम आयु के 600 मिलियन से अधिक भारतीयों के साथ, हमने आगामी दो दशकों के दौरान, अपने विकास कार्यक्रम को आगे बढ़ाने के लिए अपने युवाओं की शिक्षा और प्रशिक्षण को प्राथमिकता प्रदान की है। यह कहने की आवश्यकता नहीं है कि भारत इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए विशाल संसाधनों को लगा रहा है।
विशिष्ट देवियो और सज्जनो, शिक्षा के क्षेत्र में सहयोग सदैव हमारे द्विपक्षीय संबंधों का एक महत्त्वपूर्ण आयाम रहा है। भारत में विभिन्न विषयों में पूर्व स्नातक, स्नातकोत्तर और अनुसंधान अध्ययनों के लिए 100 छात्रवृत्तियां वार्षिक रूप से मॉरिशस के विद्यार्थियों को प्रदान की जा रही हैं। यह, भारतीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग कार्यक्रम के अन्तर्गत अल्पावधि पाठ्यक्रमों के 290 स्थानों के अलावा है। हाल के वर्षों में, हमने इन छात्रवृत्तियों को प्राप्त करने वाले मॉरिशस के विद्यार्थियों की संख्या में वृद्धि देखी है। मॉरिशस के बहुत से विद्यार्थी अपने खर्च पर भी भारतीय विश्वविद्यालयों में प्रवेश लेते हैं। भारत में उनका स्वागत है। भावी पीढ़ी के तौर पर आज युवाओं की हमारे विकासशील देशों के समक्ष मौजूद विभिन्न चुनौतियों का समाधान खोजने में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका होनी चाहिए। मुझे रहन-सहन और शिक्षा प्राप्त करने के बारे में गांधी जी के ये शब्द याद आते हैं, ‘‘जीयो तो ऐसे जीयो जैसे कल तुम नहीं रहोगे, सीखो तो ऐसे सीखो जैसे हमेशा के लिए सीख रहे हो।’’ मुझे उम्मीद है कि ये शब्द आपको भी प्रेरित करेंगे।
मैं एक बार फिर अपने स्वागत के लिए मॉरिशस विश्वविद्यालय को धन्यवाद देता हूं और आप सभी को भविष्य में महान सफलता के लिए शुभकामनाएं देता हूं।