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फ्रांस गणराज्य के राष्ट्रपति, महामहिम श्री फ्रौंस्वा ओलौन्द के सम्मान में आयोजित राज-भोज में माननीय राष्ट्रपति जी का अभिभाषण

नई दिल्ली : 14.02.2013



महामहिम राष्ट्रपति फ्रौंस्वा ओलौन्द,

फ्रांस गणराज्य के राष्ट्रपति,

मदाम वैलेरी ट्रीयरवेलैर,

श्री मोहम्मद हामिद अंसारी, भारत के उपराष्ट्रपति,

डॉ मनमोहन सिंह, भारत के प्रधानमंत्री,

देवियो और सज्जनो,

महामहिम और मदाम वैलेरी ट्रीयरवेलैर, आपकी भारत की पहली राजकीय यात्रा पर स्वागत करना हमारे लिए बहुत प्रसन्नता की बात है। हमारी सरकार विशेषकर इस बात पर गौरवान्वित है कि आपने इस प्रकार की यात्रा के लिए एशिया में भारत को पहले देश के रूप में चुना। यह संतोष की बात है कि आपके शिष्टमंडल में आपके मंत्रिमंडल के विशिष्ट मंत्री शामिल हैं।

भारत की आपकी यात्रा, भारत और फ्रांस के बीच मौजूद उच्च स्तर की समझ पर खुशी मनाने का एक और अवसर है। हमने लम्बे समय से, साझा सिद्धांतों तथा मूल्यों तथा आपसी हित के क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर बहुत से तालमेलों पर आधारित प्रगाढ़ और ठोस रिश्ता कायम किया है। यह रिश्ता आपसी सम्मान, नियमित वार्ता तथा रचनात्मक आदान-प्रदान से समृद्ध हुआ है। हमारे लोगों के आपसी संबंधों के संदर्भ में हमारा एक अद्वितीय इतिहास है। प्रथम विश्व युद्ध के दौरान फ्रांस की भूमि पर कई प्रचंड लड़ाइयों में तथा द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान अन्य कई युद्ध क्षेत्रों में भारतीयों ने फ्रांसीसी सैनिकों के साथ अपना जीवन बलिदान किया है। भारत के लोग फ्रांस का बहुत आदर करते हैं। हम उसके खुले समाज की प्रशंसा करते हैं तथा इसकी कलात्मक अभिव्यक्ति, साहित्य और दर्शन की सुदृढ़ विरासत का सम्मान करते हैं। हम 1900 में स्वामी विवेकानंद की फ्रांस की यात्रा का तथा फ्रांसीसी विद्वानों और कलाकारों के साथ नोबेल पुरस्कार विजेता रवीन्द्र नाथ टैगोर के प्रगाढ़ संबंधों का स्मरण करते हैं, जिससे शांतिनिकेतन में विश्व भारती जैसा चिरप्रतीक्षित विश्वविद्यालय साकार हो सका। रेने डेकार्ट की रचनाओं की प्रतिध्वनि हमारे अपने महान दार्शनिकों की कृतियों में पाई जाती है तथा नोबेल पुरस्कार विजेता रोमैं रोलौं, जिन्होंने टैगोर और महात्मा गांधी के साथ अपनी बातचीत को प्रकाशित किया था, हमारे वेदांत दर्शन से बहुत अधिक प्रभावित थे। फ्रांसीसी क्रांति के ‘स्वतंत्रता, समानता तथा भाईचारा’ के नारे को हमारे संविधान निर्माताओं ने अंगीकार किया था। जब 1954 में हमारी सरकारों के बीच फ्रांसीसी अवस्थापनाओं के बारे में करार पर हस्ताक्षर किए गए थे तो भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने ठीक ही अनुमान लगाया था कि इस संशोधित व्यवस्था से हमारे दोनों देशों के बीच एक नई नजदीकी की शुरुआत होगी।

ठीक उनकी भविष्यवाणी के अनुरूप विभिन्न सेक्टरों में हमारे द्विपक्षीय सहयोग पर आधारित हमारी दीर्घकालीन मित्रता से हम दोनों को लाभ हुआ है। परिणामस्वरूप, इस समय भारत में 700 से अधिक फ्रांसीसी उद्यमों द्वारा निवेश किया गया है तथा भारतीय कंपनियां भी फ्रांस में अधिक से अधिक अवसरों की तलाश कर रही हैं। 2011-12 में हमारा द्विपक्षीय व्यापार बढ़कर लगभग 9 बिलियन अमरीकी डालर हो चुका है तथा आज फ्रांस भारत में 9वां सबसे बड़ा विदेशी निवेशक है। हमारे संयुक्त उद्यम, जिनमें अंतरिक्ष, रक्षा उत्पादन तथा सिविल परमाणु सहयोग के सामरिक क्षेत्रों में प्रौद्योगिकी हस्तांतरण तथा सहयोगात्मक विकास शामिल हैं, विशेषकर सफल रहे हैं। हम इस बात को बहुत महत्त्व देते हैं कि फ्रांस भारत के सबसे पुराने, सबसे नजदीकी तथा सबसे विश्वसनीय सहयोगियों में से एक है। इसरो तथा फ्रांसीसी अंतरिक्ष एजेंसी द्वारा संयुक्त रूप से विकसित मेघा ट्रोपीक रिसर्च सेटेलाइट के अक्तूबर 2011 में इसरो द्वारा प्रक्षेपण किए जाने से मौसम को समझने के लिए बहुमूल्य आंकड़ों का संकलन करने में सहायता मिली है जो हमारे दोनों देशों के लिए तथा विश्व भर के वैज्ञानिकों के लिए बहुमूल्य है। हमारा रेलवे सेक्टर में बहुत पुराना तथा लाभदायक सहयोग रहा है। उच्चतर अनुसंधान के प्रोत्साहन के लिए भारत-फ्रांसीसी केंद्र ने एक ऐसा उदाहरण कायम किया है जिसका दूसरे देश अनुकरण करना चाहते हैं।

महामहिमगण, हमारे संयुक्त प्रयासों की सफलता हमें यह याद दिलाती है कि भारत और फ्रांस की आकांक्षाएं समान हैं। वैश्वीकरण के लाभों को बनाए रखते हुए, हम दोनों देश समावेशी विकास के नए वैश्विक कार्यक्रम को तैयार करने के लिए द्विपक्षीय और बहुपक्षीय रूप से प्रयास करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम दोनों वैश्विक व्यवस्था को पुन: सशक्त बनाने और इसके प्रमुख अंगों में सुधार की आवश्यकता पर सहमत हैं। मैं इस अवसर पर यह दोहराना चाहूंगा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सीट के भारत के न्यायोचित दावे के लिए फ्रांस के निरंतर समर्थन की भारत सराहना करता है।

भारत यह सुनिश्चित करना चाहता है कि उसका बाह्य परिवेश सुरक्षित रहे ताकि हमारा देश शांतिपूर्ण माहौल में विकास कर सके। अपने क्षेत्र में अस्थिरता होने पर हमें चिंता होती है; तथा हम उन सब मुद्दों पर रचनात्मक विचार-विमर्श को महत्त्व देते हैं जिनका सावधानी से समाधान किया जाना जरूरी है। इसी प्रकार, हिंद महासागर के समुद्री मार्ग जलदस्युओं के कारण खतरे में हैं, जिससे समुद्री सुरक्षा में घनिष्ठ समन्वय जरूरी हो गया है। बार-बार आतंकवादी हमलों का सामना करने वाले देशों के रूप में, हमें आतंकवादियों और उनके मददगारों द्वारा अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए उत्पन्न खतरों के समाधान को उचित प्राथमिकता देनी होगी।

महामहिमगण, हमारी जनता के बीच रोजाना के सम्पर्क का एक सबसे सुखद पहलू है, हमारे सरकारी कार्यक्रमों से हटकर उनके बीच सहज सांस्कृतिक आदान-प्रदान। ‘नमस्ते फ्रांस’ और ‘बोंजूर इंडिया’ महोत्सवों ने आकांक्षाओं की एक नई दिशा खोली है और इस वर्ष, दोनों सरकारें मिलकर बोंजूर इंडिया 2013 का आयोजन करेंगी।

मुझे इसमें कोई संदेह नहीं है कि आपके नेतृत्व में हमारी सामरिक साझीदारी में वृद्धि रहेगी और यह आने वाले वर्षों में परिपक्व होगी।

इन्हीं शब्दों के साथ, मैं एक बार फिर महामहिम राष्ट्रपति ओलौन्द, मदाम वैलेरी ट्रीयरवेलैर और आपके विशिष्ट शिष्टमंडल का स्वागत करता हूँ।

देवियो और सज्जनो, आइए हम सभी मिलकर:

- राष्ट्रपति फ्रौंस्वा ओलौन्द और मदाम वैलेरी ट्रीयरवेलैर के अच्छे स्वास्थ्य और व्यक्तिगत कुशलता;

- फ्रांस की मैत्रीपूर्ण जनता की प्रगति और समृद्धि, और

- भारत और फ्रांस के बीच स्थायी मैत्री की कामना करें।