मुझे एक बार फिर से नागालैंड आकर बहुत खुशी हो रही है। पूर्वोत्तर के लोगों को उनकी समृद्ध सांस्कृतिक परंपराओं और उनकी शानदार आवभगत के लिए जाना जाता है। मैं कहना चाहूंगा कि विशेषकर नागालैंड इन प्रशंसनीय विशेषताओं का उदाहरण है और मैं नागालैंड की सरकार तथा जनता का मुझे और मेरे परिवार का गर्मजोशी से स्वागत करने के लिए धन्यवाद देता हूं।
आपके सुंदर राज्य में मेरे इस संक्षिप्त प्रवास के दौरान, मुझे 15 मई, 2013 को लुमामी में नागालैंड विश्वविद्यालय के तृतीय दीक्षांत समारोह में भाग लेने का अवसर मिलेगा। मैं इस दीक्षांत समारोह में भाग लेने और वहां सर्वोत्तम नागा बुद्धिजीवियों से मिलने के लिए उत्सुक हूं। मुझे, खासकर युवा भारत के हितों की चिंता है और मैं इस बात से आश्वस्त होना चाहता हूं कि उन्हें एक ऐसा भावी भारत विरासत में मिले जो विकसित हो और सभी क्षेत्रों में प्रगतिशील हो। प्रत्येक भारतीय को, चाहे वह केरल से हो या कोहिमा से, यह गारंटी दी जानी चाहिए कि वे अपने स्वप्न को साकार कर सकते हैं और उसे प्राप्त कर सकते हैं। यह सभी, विकास के फायदों के समान वितरण पर आधारित होना चाहिए और यह समावेशी विकास से ही संभव है। ये लक्ष्य उन बहुत से इलाकों में प्राप्त किए जाने बाकी हैं जहां की यात्रा पर मैं गया हूं, परंतु इससे मुझे कविवर राबर्ट फ्रास्ट की याद आती है, जिनकी कुछ पंक्तियां मैं उद्धृत करना चाहूंगा :
‘‘वन हैं सुंदर, घने और गहरे,
परंतु मुझे रखना है अपना वचन जरूर,
और इससे पहले कि मैं सो जाऊँ,
जाना है दूर, बहुत दूर।’’
वास्तव में यह सुनिश्चित करना यहां उपस्थित हम सौभाग्यशाली लोगों का उत्तरदायित्व है कि हमारे महान देश में नागालैंड को उसका उचित स्थान मिले। अब जब नागालैंड अपनी 50वीं जयंती के करीब है, यह समय हमारे नेताओं के आत्मचिंतन का समय है। आगे आने वाला जयंती वर्ष एक ऐसा अवसर होना चाहिए जहां हम सभी बैठकर चिंतन करें, राष्ट्र निर्माण के प्रति स्वयं को समर्पित करें, अपने अंतिम व्यक्ति के कल्याण के लिए कार्य करें तथा समग्र राष्ट्र के लक्ष्यों के साथ अपने लक्ष्यों के तालमेल के लिए अपने लक्ष्यों को फिर से अभिमुखीकृत करें। किसी भी राज्य के लिए, स्पष्ट विचारधारा बनाने तथा खुद पर आत्मविश्वास पैदा करने के लिए, बाहरी दिशा में चिंतन करने तथा दूसरों तक पहुंचने के लिए पचास वर्षों का समय पर्याप्त होता है।
अधिक से अधिक ऊंचाइयों तक पहुंचने के लिए, हमें व्यापक चिंतन करना होगा और अपने लक्ष्य बिंदुओं को दूर स्थापित करना होगा। अगले पचास वर्षों का हमारा लक्ष्य एक ऐसा पूर्ण विकसित नागालैंड होना चाहिए जिसमें युवाओं को यहां भी वही अवसर प्राप्त हो सकें जो कि देश के बाकी हिस्सों में हैं। परंतु इसी के साथ हमारे नागरिकों के दायित्व तथा जिम्मेदारियां आती हैं। इन लक्ष्यों को प्राप्त करने तथा यह सुनिश्चित करने के लिए कि नागालैंड राष्ट्र-निर्माण में समान योगदान का सहभागी बने, नागाओं को अनुकरणीय गर्व के साथ-साथ कठिन परिश्रम तथा बलिदान का भी प्रदर्शन करना चाहिए।
इस संबंध में नागालैंड की जनता को एक ऐसा शांतिपूर्ण परिवेश तैयार करना होगा जिसमें बिना ‘भय और पक्षपात’ के अपने सपने पूर्ण किए जा सकें। किसी भी विकास के लिए शांति और सुरक्षा अनिवार्य हैं तथा मैं सभी नागरिकों का इस दिशा में प्रयास के लिए आह्वान करता हूं। युवाओं को सभी प्रकार की हिंसा का त्याग करना होगा और मुझे यह देखकर खुशी हो रही है कि राज्य सरकार का ध्येय वाक्य है, ‘‘शांति विकास के लिए और विकास शांति के लिए’’। ये सिक्के के दो पहलू हैं जो मानव प्रगति और विकास के लिए अनिवार्य हैं। इसी के साथ नागाओं को दूसरे राज्यों से भी संबंध बनाने की जरूरत है। मुझे यह जानकर खुशी हो रही है कि पूर्वोत्तर से बहुत से युवा आतिथ्य तथा सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में हमारे बहुत से बड़े शहरों में बहुत अच्छा कार्य कर रहे हैं। मैं युवाओं से आग्रह करूंगा कि वे पूरे विश्व को अपना कार्यक्षेत्र बनाएं। सरकार की ‘लुक ईस्ट नीति’ इतना ही सफल हो पाएगी जितना जनता चाहेगी। मैं अंतरराष्ट्रीय सीमा पर स्थित पूर्वोत्तर के नागरिकों से आग्रह करूंगा कि वे हमारे पड़ोसी देशों के साथ व्यवसाय और उद्योग को बढ़ाएं और उन महान भारतवंशियों का हिस्सा बनें, जो आज हमारे देश तथा जिन देशों की नागरिकता उन्होंने ग्रहण की है, उनके जीवन को रूपांतरित कर रहे हैं। मैं आपसे आग्रह करता हूं कि आप अपने कार्य में वैश्विक बनें और इसकी शुरुआत अपने दृष्टिकोण से करें।
नागालैंड प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण है। नागा लोगों को सदैव उनके त्यौहारों तथा उनके संगीत और नृत्य से प्रेम के लिए जाना जाता है। आपका, अपनी रंगारंग परंपराओं के प्रति गहरा सम्मान है। ये आपकी विशेषताएं हैं और वस्तव में मुझे यह जानकर खुशी हो रही है कि राज्य सरकार ने आपकी सुंदर भूमि के लिए ‘त्यौहारों की भूमि’ का नाम गढ़ा है। यह निश्चय ही उन लोगों के लिए उपयुक्त नारा है जो अपने उत्सवों को बहुत महत्त्व देते हैं। मैं यहां से वास्तव में स्नेहिल यादों के साथ लौटूंगा।
धन्यवाद,
जयहिंद!