हिंदी दिवस समारोह, 2012 के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी का अभिभाषण
नई दिल्ली : 14.09.2012
गृह मंत्री, श्री सुशील कुमार शिंदे जी,
गृह राज्य मंत्री, श्री जितेन्द्र सिंह जी,
सचिव, राजभाषा विभाग, श्री शरद गुप्ता जी,
सचिव, सीमा प्रबंधन विभाग, श्री ए.के. मंगोत्रा जी,
बहनो और भाइयो,
हिंदी दिवस के अवसर पर आप सबको मेरी हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं।
भारत के इतिहास में आज का दिन गौरव का दिन है। हमारे संविधान में हिंदी को, सन् उन्नीस सौ उनचास (1949) में आज ही के दिन भारत की राजभाषा के रूप में पहचान मिली थी। भारत में अनेक भाषाएं बोली जाती हैं। विविधता के बीच एकता ही हमारे देश की विशेषता है और हिंदी देश की सामाजिक और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक है। गुरुदेव रवीन्द्र नाथ टैगोर का कहना था- ‘भारतीय भाषाएं नदियां हैं और हिंदी महानदी।’
लोकतंत्र में भाषा की महत्वपूर्ण भूमिका है क्योंकि वह सरकार और जनता के बीच संपर्क का माध्यम है। इसीलिए हमारे संविधान में केन्द्र सरकार के कामकाज के लिए हिंदी को राजभाषा के रूप में मान्यता दी गई और राज्य सरकारों के लिए प्रांतीय भाषाओं को स्वीकार किया गया। भाषा से शासन और आम आदमी के बीच सहयोग और जवाबदेही का संबंध स्थापित होता है। यदि हम चाहते हैं कि हमारा लोकतंत्र शक्तिशाली और प्रगतिशील बना रहे, तो हमें संघ सरकार के कामकाज में राजभाषा हिंदी तथा राज्यों के कामकाज में उनकी प्रांतीय भाषा का सम्मान करना होगा।
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने कहा था - ‘अगर हमें हिंदुस्तान को एक राष्ट्र बनाना है तो राष्ट्रभाषा हिंदी ही हो सकती है।’ आजादी के पैंसठ वर्षों में बापू की यह बात सत्य साबित हुई है। हिंदी का प्रयोग अब पूरे भारत में संपर्क भाषा के रूप में हो रहा है। इसलिए शासन के कामकाज में भी राजभाषा हिंदी को बढ़ावा देना अत्यंत आवश्यक है। राजभाषा हिंदी तथा स्थानीय भाषाओं के माध्यम से सरकार की विकास योजनाओं को देश के गांवों और खेत-खलिहानों तक पहुंचाया जा सकता है।
भारत सरकार द्वारा सर्वशिक्षा अभियान, प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन जैसे अनेक अग्रणी कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। इन कार्यक्रमों की सफलता में भाषा की बड़ी भूमिका है।
हिंदी आज एक अंतरराष्ट्रीय भाषा के रूप में भी उभर कर आई है। इस समय विश्व के लगभग एक सौ पचास विश्वविद्यालयों में हिंदी पढ़ी और पढ़ाई जा रही है। यूनेस्को की सात भाषाओं में हिंदी को भी मान्यता मिली है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई टेलीविजन चैनलों ने हिंदी के साथ-साथ दूसरी भारतीय भाषाओं में भी अपने कार्यक्रम प्रसारित करने शुरू कर दिए हैं।
आज व्यापार के क्षेत्र में भी हिंदी महत्त्वपूर्ण योगदान दे रही है। विदेशी कंपनियां भारत में अपने व्यापार को बढ़ावा देने के लिए हिंदी के साथ-साथ प्रांतीय भाषाओं को अपना रही हैं।
हिंदी के प्रयोग को बढ़ाने के लिए सरकार ने भी बहुत सी प्रोत्साहन योजनाएं शुरू की हैं। इन प्रयासों से हिंदी का प्रयोग बढ़ रहा है। हमारा संकल्प है कि राजभाषा हिंदी के साथ-साथ सभी प्रांतीय भाषाएं विकसित हों और हम इस दिशा में प्रयासरत हैं।
मुझे उम्मीद है कि आगामी बाईस से चौबीस सितंबर के बीच दक्षिण अफ्रीका के जोहानसबर्ग शहर में होने जा रहे नौवें विश्व हिंदी सम्मेलन से हिंदी को अंतरराष्ट्रीय भाषा के रूप में स्थापित होने में सहायता मिलेगी। मैं जोहानसबर्ग सम्मेलन की सफलता की कामना करता हूं और विश्व हिंदी सम्मेलन में शामिल होने वाले दुनिया भर के हिंदी प्रेमी विद्वानों और भारत-मित्रों से आग्रह करूँगा कि वे इस दिशा में पूरी निष्ठा और समर्पण से प्रयास करें।
अपने-अपने कार्य-क्षेत्र में हिंदी के कार्य को बढ़ावा देने के लिए पुरस्कार पाने वाले सभी व्यक्तियों और संस्थाओं को मैं बधाई देता हूं। मैं चाहूंगा कि आज इस समारोह में दिए गए इंदिरा गांधी राजभाषा शील्ड और श्रेष्ठ-कार्य पुरस्कार सभी के लिए प्रेरणा बनें।
मैं, राजभाषा विभाग को, हिंदी दिवस के आयोजन के लिए बधाई देता हूं और राजभाषा हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिए सभी के योगदान और प्रयासों की प्रशंसा करता हूं।
जय हिंद।
गृह राज्य मंत्री, श्री जितेन्द्र सिंह जी,
सचिव, राजभाषा विभाग, श्री शरद गुप्ता जी,
सचिव, सीमा प्रबंधन विभाग, श्री ए.के. मंगोत्रा जी,
बहनो और भाइयो,
हिंदी दिवस के अवसर पर आप सबको मेरी हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं।
भारत के इतिहास में आज का दिन गौरव का दिन है। हमारे संविधान में हिंदी को, सन् उन्नीस सौ उनचास (1949) में आज ही के दिन भारत की राजभाषा के रूप में पहचान मिली थी। भारत में अनेक भाषाएं बोली जाती हैं। विविधता के बीच एकता ही हमारे देश की विशेषता है और हिंदी देश की सामाजिक और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक है। गुरुदेव रवीन्द्र नाथ टैगोर का कहना था- ‘भारतीय भाषाएं नदियां हैं और हिंदी महानदी।’
लोकतंत्र में भाषा की महत्वपूर्ण भूमिका है क्योंकि वह सरकार और जनता के बीच संपर्क का माध्यम है। इसीलिए हमारे संविधान में केन्द्र सरकार के कामकाज के लिए हिंदी को राजभाषा के रूप में मान्यता दी गई और राज्य सरकारों के लिए प्रांतीय भाषाओं को स्वीकार किया गया। भाषा से शासन और आम आदमी के बीच सहयोग और जवाबदेही का संबंध स्थापित होता है। यदि हम चाहते हैं कि हमारा लोकतंत्र शक्तिशाली और प्रगतिशील बना रहे, तो हमें संघ सरकार के कामकाज में राजभाषा हिंदी तथा राज्यों के कामकाज में उनकी प्रांतीय भाषा का सम्मान करना होगा।
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने कहा था - ‘अगर हमें हिंदुस्तान को एक राष्ट्र बनाना है तो राष्ट्रभाषा हिंदी ही हो सकती है।’ आजादी के पैंसठ वर्षों में बापू की यह बात सत्य साबित हुई है। हिंदी का प्रयोग अब पूरे भारत में संपर्क भाषा के रूप में हो रहा है। इसलिए शासन के कामकाज में भी राजभाषा हिंदी को बढ़ावा देना अत्यंत आवश्यक है। राजभाषा हिंदी तथा स्थानीय भाषाओं के माध्यम से सरकार की विकास योजनाओं को देश के गांवों और खेत-खलिहानों तक पहुंचाया जा सकता है।
भारत सरकार द्वारा सर्वशिक्षा अभियान, प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन जैसे अनेक अग्रणी कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। इन कार्यक्रमों की सफलता में भाषा की बड़ी भूमिका है।
हिंदी आज एक अंतरराष्ट्रीय भाषा के रूप में भी उभर कर आई है। इस समय विश्व के लगभग एक सौ पचास विश्वविद्यालयों में हिंदी पढ़ी और पढ़ाई जा रही है। यूनेस्को की सात भाषाओं में हिंदी को भी मान्यता मिली है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई टेलीविजन चैनलों ने हिंदी के साथ-साथ दूसरी भारतीय भाषाओं में भी अपने कार्यक्रम प्रसारित करने शुरू कर दिए हैं।
आज व्यापार के क्षेत्र में भी हिंदी महत्त्वपूर्ण योगदान दे रही है। विदेशी कंपनियां भारत में अपने व्यापार को बढ़ावा देने के लिए हिंदी के साथ-साथ प्रांतीय भाषाओं को अपना रही हैं।
हिंदी के प्रयोग को बढ़ाने के लिए सरकार ने भी बहुत सी प्रोत्साहन योजनाएं शुरू की हैं। इन प्रयासों से हिंदी का प्रयोग बढ़ रहा है। हमारा संकल्प है कि राजभाषा हिंदी के साथ-साथ सभी प्रांतीय भाषाएं विकसित हों और हम इस दिशा में प्रयासरत हैं।
मुझे उम्मीद है कि आगामी बाईस से चौबीस सितंबर के बीच दक्षिण अफ्रीका के जोहानसबर्ग शहर में होने जा रहे नौवें विश्व हिंदी सम्मेलन से हिंदी को अंतरराष्ट्रीय भाषा के रूप में स्थापित होने में सहायता मिलेगी। मैं जोहानसबर्ग सम्मेलन की सफलता की कामना करता हूं और विश्व हिंदी सम्मेलन में शामिल होने वाले दुनिया भर के हिंदी प्रेमी विद्वानों और भारत-मित्रों से आग्रह करूँगा कि वे इस दिशा में पूरी निष्ठा और समर्पण से प्रयास करें।
अपने-अपने कार्य-क्षेत्र में हिंदी के कार्य को बढ़ावा देने के लिए पुरस्कार पाने वाले सभी व्यक्तियों और संस्थाओं को मैं बधाई देता हूं। मैं चाहूंगा कि आज इस समारोह में दिए गए इंदिरा गांधी राजभाषा शील्ड और श्रेष्ठ-कार्य पुरस्कार सभी के लिए प्रेरणा बनें।
मैं, राजभाषा विभाग को, हिंदी दिवस के आयोजन के लिए बधाई देता हूं और राजभाषा हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिए सभी के योगदान और प्रयासों की प्रशंसा करता हूं।
जय हिंद।