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हिंदी दिवस-2015 के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी का अभिभाषण

राष्ट्रपति भवन, नई दिल्ली : 14.09.2015



देवियो और सज्जनो,

हिंदी दिवस दो हजार पंद्रह के पावन अवसर पर मैं सभी हिंदी सेवियों और देशवासियों का हार्दिक अभिनंदन करता हूं।

2.चौदह सितंबर उन्नीस सौ उनचास का दिन स्वतंत्र भारत के इतिहास में बहुत महत्त्वपूर्ण है। इसी दिन संविधान सभा ने हिंदी को संघ की राजभाषा के रूप में स्वीकार किया था। इस अवसर पर आयोजित समारोह में हर वर्ष राजभाषा हिंदी की प्रगति में योगदान देने वाले व्यक्तियों और संस्थाओं को सम्मानित किया जाता है। मैं इस वर्ष सम्मानित होने वाले सभी पुरस्कार विजेताओं को अपनी ओर से बधाई देता हूं।

3.स्वतंत्रता आंदोलन से लेकर आज तक हिंदी ने अनेक महत्त्वपूर्ण पड़ाव पार किए हैं। हिंदी को भारतीय चिंतन और संस्कृति का वाहक माना गया है। यह हमारे पारंपरिक ज्ञान,प्राचीन सभ्यता और आधुनिक प्रगति के बीच एक कड़ी भी है। हिंदी जन-आंदोलनों की भाषा रही है। आचार्य विनोबा भावे ने अपने ऐतिहासिक भू-दान आंदोलन की सफलता का श्रेय हिंदी को दिया था। महात्मा गांधी ने स्वतंत्रतासंग्रामकोजन-आंदोलन बनाया था,जिसमें हिंदी तथा अन्य भारतीय भाषाओं का बहुमूल्य स्थान था।

देवियो और सज्जनो,

4.भारत एक सौ बाईस भाषाओं और सोलह सौ बोलियों वाला एक विशाल देश है। मेरा मानना है कि इस देश में हमारा लोकतंत्र तभी फल-फूल सकता है जब हम अपनी बात जनता तक उसकी भाषा में पहुंचाएं। भारत की सभी भाषाएं इसके लिए सक्षम हैं। इन सभी भाषाओं के बीच हिंदीएकसंपर्क भाषा है। हमारा यह प्रयास होना चाहिए कि हिंदी का प्रयोग ज्ञान-विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी में भी बढ़े ताकि देश की प्रगति में ग्रामीण जनता सहित सभी की भागीदारी सुनिश्चित हो सके। इसके लिए यह भी जरूरी है कि तकनीकी ज्ञान के साहित्य का सरल अनुवाद हिंदी तथा अन्य भारतीय भाषाओं में उपलब्ध हो। मुझे यह जानकर प्रसन्नता है कि हमारे कार्यालयों में संचार एवं प्रौद्योगिकी में हिंदी का प्रयोग बढ़ रहा है।

5.विश्व में तेजी से बदलते आर्थिक तथा वित्तीय परिवेश मेंआजहिंदीकी अपनी एक अलग छापहै। दुनिया भर के देशों में रह रहे भारतीय मूल के करोड़ों प्रवासी संपर्क भाषा के रूप में हिंदी का प्रयोग कर रहे हैं। इससे हिंदी को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नई पहचान मिली है। भारत सरकार द्वारा हर साल आयोजित प्रवासी भारतीय दिवस द्वारा भी इस दिशा में अहम भूमिका निभाई जा रही है। हाल ही में भोपाल में आयोजित विश्व हिंदी सम्मेलन में हिंदी के प्रचार और प्रसार पर चर्चा हुई। मुझे उम्मीद है कि इस तरह के आयोजनों से हिंदी के विस्तार को और अधिक बढ़ावा मिलेगा।

देवियो और सज्जनो,

6.आज संयुक्त राष्ट्र जैसी संस्थाओं में भी हिंदी की गूंज सुनाई देने लगी है। पिछले वर्ष सितंबर माह में हमारे प्रधानमंत्री द्वारा संयुक्त राष्ट्र महासभा में हिंदी में अभिभाषण दिया गया था। इसके बाद ही दिसंबर माह में संयुक्त राष्ट्र ने इक्कीस जून कोअंतरराष्ट्रीय योग दिवसघोषित करने का ऐतिहासिक निर्णय लिया। यह इस बात का प्रतीक है कि विश्व मंच पर भारत का महत्त्व बढ़ा है। मुझे विश्वास है किहम सबकेप्रयासों से हिंदी को शीघ्र ही संयुक्त राष्ट्र की आधिकारिक भाषा का दर्जा भी प्राप्त हो सकेगा।

7.अंत में,मैं पुन: उन सभी पुरस्कार विजेताओं को बधाई देता हूं जिन्हें आज हिंदी में सराहनीयकार्यकरनेके लिए सम्मानित किया गया है। आइए,हम सब एकजुट होकर हिंदी के प्रसार को और अधिक गति प्रदान करें।

धन्यवाद,

जय हिंद!