इजराइल राष्ट्र के महामहिम राष्ट्रपति,श्री रियुवेन रिवलिन,श्रीमती रिवलिन
विशिष्ट देवियो और सज्जनो,
1. किसी भारतीय राष्ट्रपति द्वारा इजराइल की प्रथम राजकीय यात्रा करना वास्तव में मेरा सौभाग्य है। नोबेल विजेता शाय एग्नोन ने एक बार कहा था, ‘यदि हम हरी-भरी दूब की सुगंध,मसालों की महक,स्वादिष्ट फलों की सुवास सांसों में भरे तो हमें मधुर अनुभूति होती है।’मैं अपनी बात आपके शानदार स्वागत,हार्दिक आतिथ्य सत्कार तथा आपकी जनता की मित्रता का धन्यवाद करते हुए आरंभ करना चाहता हूं।
2. राष्ट्रपति महोदय,हम भारतीय आपको साहसी और संकल्पवान व्यक्ति के रूप में जानते हैं। आप ऐसे देश का नेतृत्व करते हैं जिसने अपने इतिहास के दौरान अनेक कष्टों और तकलीफों का सामना किया है परंतु जिसकी जनता ने हमेशा अपने सम्मुख चुनौतियों को स्वीकार किया है। इजराइल के नेताओं ने अपने देशवासियों का मार्गदर्शन परिश्रम, नवान्वेषण और तीव्र प्रगति के पथ पर किया है। अपने प्रयासों से आज वे गौरवपूर्ण,आत्मविश्वासी और आत्मनिर्भर लोग बन गए हैं।
महामहिम,
3. मेरी यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब हमारे द्विपक्षीय संबंधों को उत्कृष्ट कहा जा सकता है। वास्तव में,भारत और इजराइल के बीच कई सदियों पुराने संबंध हैं। लिखित प्रमाणों के अनुसार, भारतवासियों ने 2000 वर्ष से अधिक वर्ष पूर्व लगभग 175ईसा पूर्व में इजराइल के अलग हुए जनजातियों के सदस्यों का स्वागत किया। उनके बाद विभिन्न समूह आए जो उनकी तरह भारतीय समाज में घुल मिल गए। उनकी धार्मिक परंपराएं शीघ्र भारत की संयुक्त संस्कृति का अंग भी बन गईं। इजराइल राष्ट्र की स्थापना बहुत पहले हिब्रू हमारी शैक्षिक प्रणाली में एक विषय के तौर पर पढ़ाई जाती रही है। हमारा समाज भारतीय यहूदियों,जो प्रसिद्ध कवि, अभिनेता,शिक्षक, उद्योगपति और भारतीय सेना के जनरल भी बने,के योगदान से समृद्ध हुआ है।
4. 20वीं शताब्दी में हमारे दोनों राष्ट्र संघर्ष,विभाजन और मानव कष्ट से गुजरे हैं। हमने अनेक चुनौतियों का सामना किया है परंतु हमारे नेताओं ने लोकतंत्र में अपने विश्वास को कायम रखा। वे एक सशक्त राष्ट्र के निर्माण में शिक्षा और विज्ञान की परिवर्तनकारी शक्ति में विश्वास करते थे। आज हमारे सुदृढ़ और जीवंत लोकतंत्र हमारे संस्थापकों की संकल्पना के प्रति निष्ठावान हैं। हमारे दोनों देशों ने ज्ञानपूर्ण अर्थव्यवस्थाओं के निर्माण में निवेश किया है। भारत की अर्थव्यवस्था वर्तमान में द्रुत गति से विकास कर रही है। इजराइल में आपकी जनता के नवान्वेषण और उद्यमशील उत्साह ने इजराइल को एक ऐसे उच्च प्रौद्योगिकी शक्तिकेंद्र में बदल दिया है जिसके खाते में बहुत सी उल्लेखनीय उपलब्धियां हैं।
5. मुझे भारत और इजराइल के द्विपक्षीय संबंध आशाजनक प्रतीत होते हैं। हमारे संबंधों के सामान्य होने के बीस वर्ष के दौरान हमने एक-दूसरे से कारोबार करना सीख लिया है और एक प्रमुख द्विपक्षीय कार्यसूची तैयार कर ली है। हमारे लिए अपने आर्थिक सहयोग को और सुदृढ़ करने तथा विज्ञान और प्रौद्योगिकी में अपने सहयोग को गहन बनाने का यह अनुकूल समय है। हम मानते हैं कि मजबूत शैक्षिक आदान-प्रदान से उन्नत प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में लाभकारी साझीदारी निर्मित करने में मदद मिलेगी।
6. हमारे सम्मुख 21वीं शताब्दी की चुनौतियां तेजी से पैदा हो रही हैं। हमारी भावी पीढ़ियों को उग्रवाद का वैश्वीकरण,जलवायु परिवर्तन का भीषण प्रभाव तथा जल की कमी सहित ऐसी अनेक चुनौतियों से निपटना होगा। सरकारें अपनी जनता की बढ़ती आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए भारी दबाव में होंगी। लोकतंत्रों को अपने सामाजिक ढांचे की बढ़ती विविधता और बहुलता की आवश्यकताओं के प्रति सक्रिय होना होगा। अंतरराष्ट्रीय समुदाय को अब मानव के सम्मुख जटिल मुद्दों के समाधान हेतु सहिष्णुता और सद्भावना पैदा करने के लिए मिलकर बुद्धिमतापूर्वक कार्य करना चाहिए। राष्ट्रपति महोदय,इस संदर्भ में संस्कृत श्लोक ‘वसुधैव कुटंबकम’मेरे मन में आ रहा है। यह महा उपनिषद् में है और इसका तात्पर्य है कि संपूर्ण विश्व एक परिवार,परस्पर संयोजित और परस्पर निर्भर है। मैं यह भी कहना चाहूंगा कि यद्यपि यह एक प्राचीन वैदिक दर्शन है,परंतु यह वर्तमान वैश्वीकृत जगत में पहले से अधिक प्रासंगिक है।
7. महामहिम,इन्हीं शब्दों के साथ,मैं इस अवसर पर आपकी भारत यात्रा के अपने निमंत्रण को अत्यंत हार्दिकतापूर्वक दोहराता हूं। मैं एक बार पुन: आपका धन्यवाद करता हूं और नई दिल्ली में आपका स्वागत करने की खुशी की प्रतीक्षा कर रहा हूं।
देवियो और सज्जनो,
आइए हम सब मिलकर:
- राष्ट्रपति रिवलिन और श्रीमती रिवलिन के स्वास्थ्य और कुशलता;
- भारत और इजराइल के बीच स्थायी मैत्री;
- इस क्षेत्र में शांति तथा इजराइल की जनता की निरंतर प्रगति और समृद्धि की कामना करें।