भारतीय उद्योग परिसंघ द्वारा आयोजित किए जा रहे बीसवें द्विवार्षिक अंतरराष्ट्रीय इंजीनियरी और प्रौद्योगिकी मेले के उद्घाटन समारोह में आपके बीच आना मेरे लिए, वास्तव में एक सुखद अवसर है। विगत चार दशकों के दौरान अंतरराष्ट्रीय इंजीनियरी और प्रौद्योगिकी मेला इंजीनियरी उद्योग के एक छोटे से आयोजन से बदलकर एशिया के एक विशालतम और सबसे प्रतिष्ठित प्रदर्शनी में तबदील हो गया है। मैं इस आयोजन के मार्गदर्शन के लिए भारतीय उद्योग परिसंघ की सराहना करता हूं, जिसने भारत को विश्व इंजीनियरी मानचित्र पर एक मजबूत स्थान प्राप्त करने में मदद की है।
अंतरराष्ट्रीय इंजीनियरी और प्रौद्योगिकी मेले के इस आयोजन में 350 से अधिक राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय कंपनियों की भागीदारी और 10 सेक्टर आधारित मेलों के आयोजन के साथ, मुझे विश्वास है कि यह कार्यनीतिक व्यावसायिक साझीदारी बनाने, नवान्वेषण को प्रेरित करने और तालमेल पैदा करने में सहयोग देता रहेगा।
मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि कोरिया गणराज्य इस वर्ष इस आयोजन का साझीदार देश है। भारत और कोरिया गणराज्य के घनिष्ठ और मैत्रीपूर्ण संबंध हैं जो बहुआयामी हैं। हमारे देशों के बीच मजबूत आर्थिक और वाणिज्यिक सहयोग हैं क्योंकि प्रमुख कोरियाई कंपनियां हमारी अर्थव्यवस्था की प्रमुख प्रतिभागी हैं।
कोरियाई कंपनियों ने अपनी उच्च गुणवत्तायुक्त और स्तरीय उत्पादों से भारतीय बाजारों में अपने ब्रांडों की मांग पैदा की है। मुझे बताया गया है कि 72 कोरियाई कंपनियां इस प्रदर्शनी में भाग ले रही हैं और इसमें उपकरणें और मशीनों तथा परिवहन जैसा अनेक क्षेत्रों के उत्पादों का प्रदर्शन कर रही हैं।
यह जानकर प्रसन्नता होती है कि चीन इस आयोजन का फोकस देश है। इंजीनियरी और प्रौद्योगिकी में चीन की प्रगति सुविख्यात है और उसकी भागीदारी से भारतीय और चीनी इंजीनियरी उद्यमों के बीच सम्बंधों में मजबूती आएगी।
देवियो और सज्जनो, अंतरराष्ट्रीय इंजीनियरी और प्रौद्योगिकी मेला ऐसे समय पर आयोजित हो रहा है जब दुनिया वैश्विक आर्थिक संकट के दूसरे दौर के प्रभावों से उबरने लगी है। भारत ने भी विश्व मंदी के असर को महसूस किया है। हालांकि हाल ही में हमारे आर्थिक विकास में कुछ गिरावट आई है परंतु मुझे विश्वास है कि हम इस गिरावट को रोक लेंगे और 8 प्रतिशत से अधिक विकास दर पर वापस लौटेंगे, जिसे हमने पहले कई बार हासिल किया है।
प्रति व्यक्ति आय, बढ़ रहे मध्यम वर्गीय उपभोक्ताओं तथा एक युवा और ऊर्जावान कार्यबल में निरंतर वृद्धि के कारण मौजूदा विकास की गति मजबूत बनी हुई है। मेरा मानना है कि जैसे-जैसे वैश्विक अर्थव्यवस्था पुन:सशक्त होगी, सभी भागीदारों के मजबूत एकजुट प्रयासों से द्रुत विकास प्राप्त करने के लिए इस रुझान से लाभ उठाया जा सकता है।
इंजीनियरी भारत का एक प्रमुख विनिर्माण क्षेत्र है। यह भारत के भारी और यह पूंजीगत सामान उद्योगों के विशाल आधार, एक विशाल ज्ञान भण्डार तथा स्पर्द्धात्मक लागत ढांचों पर निर्भर है। ढांचागत विकास और औद्योगिक उत्पादन पर बल देने से इस क्षेत्र को और गति मिलेगी, जिससे मशीनरी और ऑटोमोटिव से लेकर ऊर्जा उपस्कर, इलैक्ट्रानिकी और उन्नत विनिर्माण इंजीनियरी की विस्तृत श्रेणी के उत्पादों की अधिक मांग पैदा होगी।
भारत का इंजीनियरी उद्योग, अन्त:सेक्टर संयोजनों और सक्रिय सरकारी नीतियों द्वारा प्रेरित रहा है। प्रमुख उप-सेक्टरों को सहयोग देने के लिए, ऑटोमेटिव, इलेक्ट्रॉनिकी, रसायन और पेट्रो-रसायन तथा भारी मशीनरी आदि के लिए समर्पित नीतियों के द्वारा विशेष पहलें की गई हैं। पूरे देश में संकुलों और विकास गलियारों से स्पर्धात्मकता में वृद्धि होती है क्योंकि पुणे, चैन्नै और बेंगलुरु ने अपने उच्च गुणवत्तायुक्त उत्पादों से वैश्विक सराहना अर्जित की है।
भारत के पास डिजायन के नए उत्पादों के विकास और उन्हें बाजार तक पहुंचाने की क्षमता सहित इंजीनियरी की सुदृढ़ क्षमता है। जैसे-जैसे विनिर्माण उद्योगों में सेवा निवेश का विस्तार हो रहा है, सेवा क्षेत्र की अपनी क्षमता से भारत, इंजीनियरी उद्योग के ज्ञान निवेश में और अधिक भूमिका निभा सकता है। बड़ी संख्या मंा वैश्विक फर्में भारत में अपने अनुसंधान और विकास केंद्रों की स्थापना द्वारा इन फायदों से पहले ही लाभ उठा रही हैं।
देवियो और सज्जनो, सरकार ने राष्ट्रीय विनिर्माण नीति 2011 के जरिए विशिष्ट राष्ट्रीय निवेश और विनिर्माण जोनों के अंतर्गत विनिर्माण उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए एक-छत्रीय व्यवस्था शुरू की है। ये जोन मिलकर विनिर्माण विकास के केन्द्र के रूप में उभरने के लिए अत्याधुनिक अवसंरचना, नवीनतम प्रौद्योगिकी, कौशल विकास सुविधाएं और तीव्र संयोजकता की व्यवस्था करेंगे।
विद्युत, परिवहन और शहरी विकास जैसे प्रमुख क्षेत्रों में निवेश की भारी मात्रा की परिकल्पना की गई है, जिसका एक बड़ा हिस्सा निजी क्षेत्र से आने की उम्मीद है। इससे इंजीनियरी क्षेत्र में कार्यरत व्यवसायों के लिए अवसर पैदा होंगे। इसके लिए, कंपनियों को उत्पादकता और प्रतिस्पर्द्धा पर ध्यान देना होगा।
मेरा दृढ़ मत है कि हमें गुणवत्ता और उत्पादकता की यात्रा में एक अन्य मील का पत्थर पार करना होगा। लचीले आटोमेशन, बहु-स्थलीय उत्पादन, डेफर्ड कस्टमाइजेशन तथा डिस्पोजेबल फैक्ट्री जैसे नए प्रचालन मॉडलों पर विचार करना होगा।
इंजीनियरी संबंधी प्रयासों के मूल में जनता होनी चाहिए और इनका लक्ष्य मानव संसाधन, उपभोक्ता तथा विक्रेता होने चाहिए। भारत के कुल रोजगार में विनिर्माण सेक्टर का योगदान लगभग 11 प्रतिशत है, जो उभरते हुए देशों से कम है जहां कुल रोजगार में विनिर्माण का हिस्सा 15 से 30 प्रतिशत के बीच है।
राष्ट्रीय विनिर्माण नीति, 2011 में 2025 तक विनिर्माण सेक्टर में 100 मिलियन अतिरिक्त रोजगार सृजित करने की परिकल्पना की गई है। भारतीय उद्योग को उत्पादक और प्रतिस्पर्द्धात्मक बनाने के लिए, हमें मुख्य रूप से मानव कौशल, हार्डवेयर प्रौद्योगिकी और ज्ञान का आधार जैसे बहुत से मोर्चों पर अपनी क्षमता को बढ़ाना चाहिए।
नवान्वेषण, विकास के लिए प्रमुख प्रबंधकीय कार्यनीति है। हमें प्रक्रिया नवान्वेषण, उत्पाद नवान्वेषण, व्यवसाय मॉडल नवान्वेषण तथा नवीन प्रौद्योगिकी नवान्वेषण जैसे विभिन्न पहलुओं पर बल देना चाहिए। मशीनी औजारों के डिजायन और निर्माण में अच्छी क्षमता विशेष रूप से आवश्यक है। इस प्रयास को आगे बढ़ाने के लिए उद्योग की विश्वविद्यालयों और अनुसंधान संस्थाओं के साथ मजबूत साझीदारी भी करनी होगी।
एक सतत् विकास मॉडल, न केवल आज की जरूत है बल्कि यह औद्योगिक सेक्टर के लिए नए अवसर भी पैदा कर रहा है। भारतीय उद्योग को कार्बन फुटप्रिंट कम करने और हरित प्रौद्योगिकियों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। सौर ऊर्जा और अन्य नवीकरणीय ऊर्जा बाजार के मजबूती से विकसित होने की उम्मीद है। हरित भवन, जैव-ईंधन जैसे हरित उत्पादों तथा नैनो प्रौद्योगिकी और आर्टिफीसियल इंटेलीजेंस के क्षेत्र में अवसरों की खोज करनी चाहिए।
देवियो और सज्जनो, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम सेक्टर ने हमारी अर्थव्यवस्था में एक महत्त्वपूर्ण स्थान हासिल कर लिया है। इसका हमारे देश के कुल विनिर्माण उत्पाद में लगभग 45 प्रतिशत और निर्यात में लगभग 40 प्रतिशत हिस्सा है। लगभग 29 मिलियन सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम इकाइयों में करीब 69 मिलियन व्यक्तियों को रोजगार प्राप्त होता है।
गतिशील उद्यमशीलता से सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम क्षेत्र को एक नई ऊर्जा और प्रेरणा मिल रही है। हमें नवान्वेषण के बीज अर्थात् सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम इंजीनियरी इकाइयों को मजबूत सहयोग देना होगा। इंजीनियरी मूल्य शृंखला में उनकी बढ़ती भागीदारी से इंजीनियरी क्षेत्र को एक नई गति प्राप्त होगी।
मुझे बताया गया है कि इस मेले में इन सेक्टरों की प्रौद्योगिकियों और प्रगति को प्रदर्शित करने के लिए विशिष्ट मंच प्रदान किए हैं। मैं प्रदर्शनी में रखे गए कुछ रोमांचकारी नई प्रौद्योगिकियों और उत्पादों को देखने की उम्मीद करता हूं। अंत में, मैं एक बार फिर इंजीनियरी जगत को भारतीय उद्योग के साथ सहयोग से, इस कार्यक्रम के आयोजन के लिए भारतीय उद्योग परिसंघ को बधाई देता हूं। मैं आप सभी को एक सफल भागीदार के लिए शुभकामनाएं देता हूं।
धन्यवाद।