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भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी का भारतीय विज्ञान शिक्षा और अनुसंधान संस्थान, पुणे के तृतीय दीक्षांत समारोह में अभिभाषण

पुणे, महाराष्ट्र : 15.06.2014



1. हमारे देश में विज्ञान की उच्च शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए 2006 में स्थापित भारतीय विज्ञान शिक्षा और अनुसंधान संस्थान, पुणे के तृतीय दीक्षांत समारोह का हिस्सा बनना मेरे लिए सौभाग्य की बात है। मुझे इस संस्थान की यात्रा, जो कि किसी भारतीय विज्ञान शिक्षा और अनुसंधान संस्थान की मेरी पहली यात्रा है, का अवसर प्राप्त करके प्रसन्नता हुई है।

2. मैं आज स्नातक की उपाधि प्राप्त कर रहे सभी विद्यार्थियों को बधाई देता हूं। आपने भारत के एक उभरते हुए सर्वोत्तम संस्थान से प्रशिक्षण प्राप्त किया है। इसका आपकी आजीविका पर गहरा सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। अपना मनचाहा रास्ता चुनने के बाद पूरे उत्साह और गंभीरता से इस पर चलें। रचनात्मक बनें। कार्यों को नए और कुशल तरीके से करने पर विचार करें। इसी के साथ यह भी अनुभव करें कि प्रतिभावान युवाओं के रूप में, आप समाज के कल्याण में अधिक योगदान करने में समर्थ हैं। यह चिंतन करें कि आप अपनी आसपास की दुनिया को कैसे बेहतर बना सकते हैं। इस प्रकार कार्य करें जिससे हमेशा आपके साथियों की अधिक से अधिक भलाई हो सके। आपका आचरण आपकी शिक्षा के अनुकूल हो और उससे आपकी पूर्व संस्था को गौरव का अनुभव हो।

मित्रो,

3. विज्ञान मानव जीवन की उन्नति में प्रमुख भूमिका निभाता है। प्रौद्योगिक प्रगति के लिए इसका अध्ययन आवश्यक है। हमारे राष्ट्र को एक ज्ञान आधारित समाज की ओर अग्रसर करने के लिए विज्ञान शिक्षा पर अधिक बल दिया गया है। भारतीय विज्ञान शिक्षा और अनुसंधान संस्थान, वैज्ञानिक ज्ञान में देश को अग्रणी बनाने के प्रयासों की परिणति हैं। 2006 में स्थापित पांच भारतीय विज्ञान शिक्षा और अनुसंधान संस्थानों में पुणे और कोलकाता के भारतीय विज्ञान शिक्षा और अनुसंधान संस्थानों की स्थापना पहले की गई थी।

4. उच्च शिक्षण पीठ को मानव मस्तिष्क के अलावा कोई सीमा नहीं माननी चाहिए। भारतीय विज्ञान शिक्षा और अनुसंधान संस्थान ने स्वयं को अनुसंधान अग्रणी शिक्षण विश्वविद्यालय के रूप में निर्मित किया है। उन्होंने, शिक्षण और अग्रणी अनुसंधान के विश्व स्तरीय ढांचे द्वारा सर्वोत्तम शिक्षकों को आकर्षित करके, मूलभूत और अन्तरविधात्मक अनुसंधान के लिए माहौल बनाकर तथा शिक्षा का समेकित तरीका विकसित करके अपना एक स्थान बनाया है।

5. सूचना और संचार प्रौद्योगिकी के इस युग में, शिक्षक और विद्यार्थी के बीच का अन्तर समाप्त हो रहा है। शिक्षा, सहयोगात्मक शिक्षण और टीमवर्क की प्रक्रिया के तौर पर उभर रही है। भारतीय विज्ञान शिक्षा और अनुसंधान संस्थान ने विज्ञान की पढ़ाई में एक शानदार शुरुआत की है क्योंकि इसकी व्यावहारिक जरूरत है। ये परम्परागत व्याख्यान आधारित शिक्षण की तुलना में एक विद्यार्थी केन्द्रित, जिज्ञासा आधारित अध्यापन के जरिए विज्ञान संस्कृति को बढ़ावा देने पर बल देते हैं।

6. भारतीय विज्ञान शिक्षा और अनुसंधान संस्थान, पुणे ने विशेष रूप से अपनी स्थापना के कुछ ही वर्षों में तीव्र प्रगति की है। एक हरे-भरे कैम्पस, आधुनिक अनुसंधान सुविधाओं तथा सक्षम पारितंत्र प्रणाली ने ज्ञान के इस मंदिर को, जहां भावी विज्ञान की शुरुआत वर्तमान से होती है, विकसित किया है मुझे आज स्नातक और पीएच.डी. कर रहे कुछ विद्यार्थियों से मिलने का बढ़िया अवसर मिला जिन्होंने मुझे गर्व, उत्साह, खुशी और जोश की भावना के साथ अपने प्रोजेक्ट दिखाए। मुझे भारतीय विज्ञान शिक्षा और अनुसंधान संस्थान, पुणे के दूरवर्ती विज्ञान कार्यक्रमों को जानने का भी अवसर मिला जो युवा लोगों को विज्ञान के रोमांच का अनुभव करवाने के लिए विज्ञान को कैम्पस से बाहर ले जा रहा है। मुझे उम्मीद है कि इस पहल से स्कूली बच्चों के मन में रुचि जाग्रत होगी और वे विज्ञान की ओर आकर्षित होंगे।

मित्रो,

7. हमारे देश के युवाओं में असीम ऊर्जा और उद्यम है। उनकी शैक्षिक जरूरतों और आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए, नए संस्थानों का निर्माण किया जा गया है तथा मौजूदा संस्थानों की क्षमता में विस्तार किया गया है। देश के उच्च शिक्षा ढांचे में वृद्धि की प्रक्रिया को निरतर आगे बढ़ाना चाहिए। इस सब के उल्लेख के बाद, यह सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाने चाहिए कि संस्थान, विशेषकर भारतीय विज्ञान शिक्षा और अनुसंधान संस्थान जैसे हाल ही में स्थापित संस्थान पूरी क्षमता से कार्य करें। भौतिक ढांचे का विस्तार करना होगा। इसी प्रकार, शैक्षिक स्तर के रखरखाव को भी अनदेखा न किया जाए।

8. मैंने, केंद्रीय स्तर के तकरीबन 98 उच्च शिक्षा संस्थानों के कुलाध्यक्ष के रूप में हाल ही में केंद्रीय विश्वविद्यालयों के कुलपतियों और राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थानों के निदेशकों से मुलाकात की है। मैंने हाल ही में भारतीय विज्ञान शिक्षा और अनुसंधान संस्थान तथा भारतीय विज्ञान संस्थान, बंगलौर के निदेशकों के साथ उनकी परिकल्पना को समझने के लिए बातचीत की थी। हमारी एक जैसी राय है कि वैश्विक पहचान बनाने के लिए भारतीय संस्थान अपने विद्यार्थियों को समसामयिक विषयों से हटकर जोखिम नहीं उठा सकते। पुराने ज्ञान के धरातल पर उच्च शिक्षा प्रदान नहीं की जा सकती। इसे अपेक्षाकृत नई विचारशीलता और नवान्वेषण द्वारा आगे बढ़ाना चाहिए। हमारे संस्थानों को अगले चरण की तैयारी करते समय इन विशेषताओं को अपनाना होगा।

मित्रो,

9. हमारे उच्च शिक्षा संस्थान, अंतरराष्ट्रीय सर्वेक्षणों और मूल्यांकन करने वाली एजेंसियों के विश्व मानदण्डों के अनुरूप नहीं हैं। यद्यपि कुछ संस्थान विषय अनुसार उच्च वरीयता प्राप्त करने में सफल रहे हैं—मद्रास और बॉम्बे के भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान सिविल इंजीनियरी के 50 सर्वोच्च संस्थानों में से हैं जबकि दिल्ली और बॉम्बे के भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान इलैक्ट्रिकल इंजीनियरी के 50 सर्वोच्च संस्थानों में शामिल हैं। उनकी उपलब्धियां अधिकतर आखिरी सिरे पर हैं क्योंकि वे समग्र रैंकिंग में विश्व के सर्वोच्च 200 विश्वविद्यालयों में शामिल नहीं हैं। हमारे देश ने प्राचीन काल में उच्च शिक्षा के क्षेत्र में विश्व का नेतृत्व किया। मुझे कोई कारण नज़र नहीं आता कि आज हमारे पास श्रेष्ठ शिक्षकों और प्रतिभावान विद्यार्थियों के होते हुए हम राष्ट्रों के समूह में अपना सही स्थान हासिल न कर सकें।

10. अधिक से अधिक अंतरराष्ट्रीयकरण तथा सर्वोच्च वैश्विक संस्थानों के साथ सहयोग, विदेशी शिक्षकों की नियुक्ति तथा विदेशी विद्यार्थियों को आकर्षित करने पर निरंतर ध्यान दिया जाना चाहिए। चुनिंदा क्षेत्रों में हमारे संस्थानों की प्रमुख क्षमता को प्रोत्साहित करने के लिए उत्कृष्टता केंद्रों का निर्माण किया जाना चाहिए। अंतरराष्ट्रीय मापदण्डों का प्रयोग करते हुए, समकक्षों द्वारा आवधिक समीक्षा को न केवल अंतरराष्ट्रीय जानकारी पैदा करने बल्कि शैक्षिक प्रबंधन की कमियों का भी पता लगाने के लिए आरंभ करना चाहिए। मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई कि भारतीय विज्ञान शिक्षा और अनुसंधान संस्थान, पुणे ने अपने निष्पादन की समीक्षा करने तथा भावी निर्देशों का सुझाव देने के लिए पहले ही एक अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञ समिति स्थापित कर दी है।

11. हमारे संस्थानों के उन्नत अनुसंधान की ओर रुझान में कभी कोई अड़चन नहीं आने दी जानी चाहिए। उन्हें विशेषकर ऊर्जा, पर्यावरण और स्वास्थ्य के बहुविधात्मक क्षेत्रों में नूतन और अग्रणी अनुसंधानों की पहचान करके उन्हें शुरू करना चाहिए। उन्हें विख्यात अंतरराष्ट्रीय संस्थानों के साथ सहयोग स्थापित करना चाहिए जिससे वे अंतरराष्ट्रीय अनुसंधान के लिए उपलब्ध निधि का फायदा उठा सकें। उन्हें नवान्वेषण को बढ़ावा देना चाहिए तथा जन साधारण के सीधे-सरल विचारों के पल्लवन के आधार के रूप में कार्य करना चाहिए। उन्हें अपने वर्तमान निष्क्रियता को त्यागना होगा तथा इंटर्नशिप और अनुसंधान परियोजनाओं के माध्यम से उद्योग के साथ लाभकारी सहयोग स्थापित करना होगा। उनके यहां एक समर्पित उद्योग संयोजन सैल होना चाहिए जो विचारों के व्यावसायीकरण के लिए नवान्वेषण विकासकर्ताओं से संवाद कर सके तथा ज्ञान अंतरण के लिए कार्य कर सके। उन्हें मिलकर उन्नत अनुसंधान केंद्रों और जमीनी नवान्वेषकों के बीच संयोजन स्थापित करके एक नवान्वेषण जाल तैयार करना चाहिए।

मित्रो,

12. शैक्षिक क्षेत्र में हमारे संस्थानों और अन्य भागीदारों को गुणवत्तापूर्ण उच्चीकरण के विविध लक्ष्यों को कार्यान्वित करने के लिए अपने यहां आवश्यक सक्रिय प्रणालियां निर्मित करनी चाहिए। इसके लिए उच्च शैक्षिक संस्थानों में ऐसे ढांचे की जरूरत है जो लचीला, निगरानी योग्य और पारदर्शी हो। इससे शीघ्र निर्णय में सुविधा होगी तथा सर्जनात्मक प्रयासों में पर्याप्त सहयोग मिल सकेगा।

13. आज हमारे देश को बड़ी संख्या में प्रतिभावान विज्ञान स्नातकों की आवश्यकता है। भारतीय विज्ञान शिक्षा और अनुसंधान संस्थान को, विज्ञान और प्रौद्योगिकी में लाभकारी आजीविका हासिल करने के लिए विद्यार्थियों को प्रशिक्षित करने के लिए तैयार रहना चाहिए। मुझे, अनुसंधान प्रकाशनों, वैज्ञानिक सहयोगों, शिक्षक समकक्ष सम्मान, अनुसंधान अनुदानों तथा विद्यार्थी उपलब्धियों के मामले में भारतीय विज्ञान शिक्षा और अनुसंधान संस्थान, पुणे की उपलब्धियों के बारे में जानकर प्रसन्नता हुई है। शिक्षक प्रबंधन, अनुसंधान और अध्ययन में इसका अन्तरविधात्मक दृष्टिकोण सराहनीय है। मैं, भारतीय विज्ञान शिक्षा और अनुसंधान संस्थान, पुणे के प्रत्येक व्यक्ति को इसे संभव बनाने के लिए बधाई देता हूं। मैं प्रबंधन को भी उसकी स्पष्ट संकल्पना के लिए बधाई देता हूं। मुझे विश्वास है कि भारतीय विज्ञान शिक्षा और अनुसंधान संस्थान, पुणे आने वाले समय में एक उच्च श्रेणी का संस्थान बनने के लिए प्रगति करेगा तथा हमारे देश में विज्ञान शिक्षा और अनुसंधान में परिवर्तन लाएगा। मैं सभी को सफलता की शुभकामनाएं देता हूं।

धन्यवाद,

जय हिंद!