मुझे आज की दोपहर भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र में आपके बीच उपस्थित होकर बहुत सम्मान का अनुभव हो रहा है। यह संस्थान परमाणु डोमेन में हमारे राष्ट्रीय अनुसंधान प्रयासों का केंद्र है। वास्तव में भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र विश्व परमाणु नक्शे पर परमाणु अनुसंधान में अग्रिम देशों में प्रमुख केंद्र के रूप में उभरा है।
2. हमारे प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू परमाणु ऊर्जा के महत्त्व के प्रति अत्यधिक जागरूक थे। ट्रॉम्बे में 1957 में, भारत के प्रथम परमाणु रिएक्टर के उद्घाटन के समय उन्होंने कहा था कि ‘‘परमाणु क्रांति’’ भी औद्योगिक क्रांति के समान ही मौलिक घटना है। पंडित नेहरू ने कहा था, ‘‘या तो आप इसे लेकर आगे बढ़ें, या रुक जाएं और दूसरों को आगे बढ़ने दें और आप पिछड़ जाएं तथा धीरे-धीरे रेंगते हुए आगे बढ़ें।’’ इसी प्रकार 1961 में ट्राम्बे में साइरस अनुसंधान रिएक्टर के शुभारंभ के समय उन्होंने कहा था, ‘‘यदि आपके मन में भारत के भविष्य की तस्वीर है... आप इस निष्कर्ष पर पहुंचेंगे कि हमारे लिए शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए परमाणु ऊर्जा को बनाना अपरिहार्य है।’’
3. पंडित नेहरू की इस परिकल्पना को डॉ. होमी जहांगीर भाभा ने वास्तविकता में बदला। डॉ. भाभा ने 1945 में टाटा मौलिक अनुसंधान संस्थान की स्थापना की थी और आजादी के बाद, लगभग अकेले ही भारत को परमाणु शक्ति संपन्न देश बनाने के लिए अपेक्षित ढांचा तैयार किया। डॉ. भाभा एक संस्था निर्माता थे, और उन्होंने संपूर्ण परमाणु कार्यक्रम के लिए एक सशक्त तथा व्यापक आधारशिला तैयार की। विचक्षणता तथा दूरदृष्टि के साथ, डॉ. भाभा ने कहा था, ‘‘जब अबसे लगभग कुछ दशकों में परमाणु ऊर्जा का प्रयोग बिजली उत्पादन में सफलतापूर्वक हो जाएगा, तो भारत को इसके विशेषज्ञों के लिए विदेशों की ओर नहीं ताकना पड़ेगा बल्कि वे यहीं मिल जाएंगे।’’ 1957 में स्थापित यह प्रशिक्षण विद्यालय उनकी बुद्धिमत्ता का परिणाम है। इसने वर्षों के दौरान, उच्च अर्हता प्राप्त वैज्ञानिकों और अनुसंधानकर्ताओं को तैयार करने का कार्य किया है जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि हमारा कार्यक्रम आत्मनिर्भर हो। वर्ष 2005 में, परमाणु ऊर्जा विभाग के एक शैक्षणिक स्कंध के रूप में होमी भाभा राष्ट्रीय संस्थान, जो वर्तमान में ‘ए’ श्रेणी का डीम्ड विश्वविद्यालय है, विशेषज्ञों की टीम तैयार करने की दिशा में एक हमारी महत्त्वपूर्ण उपलब्धि है।
4. भारत को अपनी भारी जनसंख्या के जीवन स्तर को ऊंचा उठाने के लिए आर्थिक प्रगति की गति बढ़ाने के लिए बहुत अधिक विद्युत ऊर्जा की जरूरत है। यह अत्यावश्यक है कि हम पारंपरिक और गैर-पारंपरिक, सभी संभावित स्रोतों से ऊर्जा प्राप्त करें, जिससे सतत् ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित हो सके। हमारे विस्तृत देश के सभी क्षेत्रों में पूरे वर्ष न्यूनतम ऊर्जा की सुनिश्चितता के लिए परमाणु ऊर्जा, भारत के ऊर्जा मिश्रण का अपरिहार्य विकल्प बन गया है। इस संदर्भ में डॉ. भाभा ने परमाणु ऊर्जा उत्पादन का एक सुव्यवस्थत तीन स्तरीय कार्यक्रम तैयार किया था जिसमें उपलब्ध परमाणु ईंधन का पूरा उपयोग करने के लिए क्लोज्ड फ्यूल साइकिल विकल्प को शामिल किया गया था। भारत ने प्रैसराइज्ड हैवी वाटर रिएक्टर बेस्ड परमाणु ऊर्जा संयंत्रों के पहले चरण के लिए संपूर्ण फ्यूल साइकिल में विशेषज्ञता हासिल कर ली है तथा वह दूसरे चरण की दिशा में अग्रसर है। कलपक्कम में प्रोटोटाइप फास्ट ब्रीडर रिएक्टर पर कार्य उन्नत चरण पर है। इसी के साथ भारतीय उद्योग ने भी देश के परमाणु कार्यक्रम के लिए बहुमूल्य सहयोग को विकसित करके उसे प्रदान किया है।
5. 1974 के पश्चात हम पर थोपे गए प्रौद्योगिकी प्रतिबंध से तेजी से स्वदेशीकरण तथा नवान्वेषी प्रयासों के लिए हमारे दृढ़ निश्चय में वृद्धि हुई। भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र ने रिप्रोसेसिंग तथा एनरिचमैंट और परमाणु ऊर्जा क्षेत्र की विभिन्न गतिविधियों जैसे कि रिएक्टर प्रौद्योगिक, ईंधन तथा ईंधन साइकिल सुविधाएं, तथा अन्य सभी सहायक जरूरतों में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के क्षेत्रों में सराहनीय सफलता दर्शाई है, जिसमें इन्होंने पूरी तरह स्वदेशी प्रयासों और संसाधनों का उपयोग किया है। पिछले आठ वर्षों के दौरान हस्ताक्षरित सिविल-न्यूक्लियर सहयोग करारों से हमारा परमाणु बहिष्कार खत्म हुआ है तथा इससे हमारे परमाणु कार्यक्रम की सशक्तता तथा विस्तार को मान्यता मिली है। हम आज सीईआरएन—एलएचएस, हिग्स बोसोन पार्टिकल की खोज तथा अंतरराष्ट्रीय थर्मोन्यूक्लियर एक्सपेरिमेंटल रिएक्टर जैसे कई बहुपक्षीय मेगा-साइंस पहलों से भी जुड़े हुए हैं। सिविल न्यूक्लियर पहल के बाद अपने अंतरराष्ट्रीय सहयोगियों के साथ परमाणु ऊर्जा सहयोग के बावजूद स्वदेशीकरण के प्रयास जारी रहने चाहिए। मैं परमाणु ऊर्जा समुदाय का आह्वान करता हूं कि वे एलडब्ल्यूआर प्रौद्योगिकी को अपनाने के लिए तैयार हों और स्वदेशी तथा विदेशी प्रौद्योगिकियों में अधिकतम तालमेल करें, जिससे भारतीय जनता को परमाणु बिजली वहनीय तथा सुरक्षित ढंग से प्रदान की जा सके।
6. हम संपूर्ण परमाणु ईंधन साइकिल के तहत परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में अपनी उपलब्धियों पर गर्व महसूस कर सकते हैं। मुझे यह उल्लेख करते हुए खुशी हो रही है कि उन्नत विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में कुछ नई सुविधाओं का आज दूर से उद्घाटन किया गया है। तथापि, हम अपनी उपलब्धियों पर संतुष्ट नहीं हो सकते। आने वाले वर्षों के दौरान प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोग के विभिन्न क्षेत्रों में इसी तरह की नई सुविधाओं एवं प्रणालियों को स्थापित करने की जरूरत होगी।
7. समाज को अभी स्वास्थ सेवा, खाद्य एवं कृषि, जल संसाधन प्रबंधन तथा पर्यावरण संरक्षण जैसे क्षेत्रों में परमाणु ऊर्जा के गैर विद्युत अनुप्रयोगों की कम जानकारी है। देश में सैकड़ों चिकित्सा केंद्र मरीजों के डायग्नोस्टिक्स तथा थैरेपी के लिए परमाणु ऊर्जा विभाग द्वारा प्रदान किए गए रेडियो फार्मास्यूटिकल्स तथा रेडियेशन स्रोतों जैसे रेडियो आइसोटोप उत्पादों का प्रयोग कर रहे हैं। भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र के विकास संबंधी प्रयास तथा एक स्वदेशी टेलीथेरेपी मशीन, एक सिमुलेटर, जिससे केंसर के मरीजों की किफायती उपचार संभव है, इस क्षेत्र में हमारी विशिष्ट उपलब्धियां हैं। परमाणु ऊर्जा विभाग के अधीन कार्यरत टाटा मेमोरियल सेंटर ने अपने लिए ख्याति प्राप्त की है।
8. खाद्य तथा कृषि में परमाणु तकनीकों के अनुप्रयोग में, मुझे यह जानकर खुशी हो रही है कि आपने अब तक 41 शंकर फसलें तैयार की हैं, जिनमें से अधिकांश तिलहन तथा दालें हैं, जिनके या तो उत्पाद में वृद्धि हुई है अथवा जल्दी तैयार होती हैं और बीमारी से मुक्त हैं। इनमें से सबसे लोकप्रिय मूंगफली की किस्म टैग-24 है जिसे आज देश को समर्पित किया गया है। शंकर फसलों के विकास तथा प्रसार में बहुत से कृषि विश्वविद्यालयों की संबद्धता तथा खाद्य उत्पादों की संरक्षा निर्यात के लिए मसालों, आम आदि जैसे बहुत से कृषि तथा खाद्य उत्पादों को लम्बे समय तक संभालने तथा उनके विपणन में सुधार के लिए रेडियेशन प्रोसेसिंग प्लांट लगाने में निजी क्षेत्र का सहयोग परमाणु ऊर्जा विभाग द्वारा शुरू की गई कार्यनीतियां हैं।
9. भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र द्वारा मेम्ब्रेन प्रौद्योगिकी का स्वदेशी विकास, इसके परमाणु डिसेलिनेशन कार्यक्रम के तहत, देश के विभिन्न हिस्सों में विशिष्ट प्रदूषक तत्त्वों के समाधान के लिए जल शुद्धि प्रणालियों का विकास तथा आपूर्ति करने के लिए कारगर ढंग से उपयोग किया है। उदाहरण के लिए, भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र द्वारा विकसित प्रणालियां खारेपन के शुद्धिकरण, लौह तथा यूरेनियम जैसे भारी पदार्थों को हटाने, आर्सेनिक तथा फ्लोराइड को हटाने में काम आ रही हैं। इसी तरह आइसोटॉपिक तकनीकों से जलभृतों के पुन: संचयन, तथा इससे जमीन के नीचे के जल तथा जमीन के ऊपर के जल संसाधनों के सतत् दोहन की बेहतर समझ बन पाई है।
10. हाल ही में परमाणु चालित आई एन एस अरिहंत का जलावतरण भारत की परमाणु सुरक्षा क्षमताओं का साक्षी है। इसने भारत को ऐसे कुछ उन्नत देशों की श्रेणी में ला दिया है जिनके पास परमाणु पनडुब्बी प्रौद्योगिकी है। इसी प्रौद्योगिकी का भविष्य में इन्डियन प्रेसराइज्ड वाटर रिएक्टर की शुरुआत करने के लिए उन्नत किया जा रहा है।
11. वर्ष 2032 तक परमाणु स्रोतों—स्वदेशी तथा आयातित—दोनों से 63 गीगा वाट बिजली के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए न केवल भारी प्रौद्योगिकीय और वित्तीय संसाधनों की जरूरत होगी बल्कि अपने मानव संसाधनों को भी बहुत बढ़ाने की जरूरत होगी। इस के लिए भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र प्रशिक्षण विद्यालय महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। हमें परमाणु सुरक्षा तथा रक्षा के क्षेत्रों में उच्चतम अर्हता प्राप्त तथा सक्षम परमाणु वैज्ञानिकों की तथा नई पीढ़ी के परियोजना प्रबंधकों की जरूरत है। हमें इस चुनौती को हल्के में नहीं लेना चाहिए।
12. मैं इस वर्ष उपाधि प्राप्त कर रहे अधिकारियों को बधाई देता हूं। तथापि, यह क्षण आत्म विश्लेषण का भी है। पंडित नेहरू की परिकल्पना केवल एक सशक्त और समृद्ध भारत के निर्माण के लिए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के उपयोग की नहीं थी बल्कि वह विज्ञान और प्रौद्योगिकी को बदलाव के कारक के रूप में भी प्रयोग करना चाहते थे। इसी चिंतन द्वारा हम सभी का अपने जीवन में आगे बढ़ना चाहिए। अभी बहुत सी नई चुनौतियों का सामना होना है। यह जरूरी है कि आप नवस्नातक श्रमसाध्य और व्यवस्थित ढंग से जनता तक पहुंचने के उपाय शुरू करें, जिससे परमाणु बिजली के बारे में डर और चिंताओं को दूर किया जा सके। आपको ज्ञान से सज्जित किया गया है तथा देश चाहता है कि आप समग्र समाज की खुशहाली के लिए योगदान करें। मुझे विश्वास है कि आप में से हर एक इस विभाग के उत्कृष्ट मानदंडों को बनाए रखेंगे।
धन्यवाद,
जयहिंद!