देवियो और सज्जनो,
मुझे एक बार फिर से राजभाषा समारोह-2014 के अवसर पर आपके बीच आकर खुशी हो रही है। मैं सभी पुरस्कार विजेताओं को हिंदी में सराहनीय कार्य के लिए हार्दिक बधाई देता हूं। मुझे उम्मीद है कि ये पुरस्कार लोगों को हिंदी में और कार्य करने के लिए प्रोत्साहित करेंगे।
2. भारत के संविधान में हिंदी को संघ की राजभाषा का दर्जा दिया गया है। भारत जैसे विशाल देश में,जहां अनेक भाषाएं बोली जाती हैं,वहां हिंदी का अपना एक विशेष स्थान है। हिंदी देश की मुख्य संपर्क भाषा है और हमारी सामाजिक और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक है। सुप्रसिद्ध जर्मन हिंदी विद्वान लोथार लुत्से ने कहा था‘‘हिंदी सीखे बिना भारतीयों के दिल तक नहीं पहुंचा जा सकता।’’
3. सरकार को जनता से जोड़ने में भी हिंदी की अहम भूमिका है। सामाजिक कल्याण की नीतियों और योजनाओं की सफलता के लिए उन्हें जनता तक उनकी भाषा में पहुंचाया जाना जरूरी है। संघीय व्यवस्था में इनका लाभ आम लोगों तक पहुंचाने के लिए हमें हिंदी तथा अन्य भारतीय भाषाओं का प्रयोग इस प्रकार से करना होगा कि आम आदमी तक विकास योजनाओं की जानकारी सरलता से पहुंचे। मुझे खुशी है कि सरकार द्वारा इस दिशा में सार्थक प्रयास किया जा रहा है।
देवियो और सज्जनो,
4. ईसा पूर्व तीसरी सदी से बारहवीं ईसवी सदी के दौरान भारत शिक्षा के क्षेत्र में विश्वभर में अग्रणी था। नालंदा और तक्षशिला जैसे विश्वविद्यालय दुनिया भर से विद्वानों और छात्रों को आकर्षित करते थे। हमें एक बार फिर से भारत के उस गौरव को वापस लाना होगा तथा उसे ज्ञान और विज्ञान का केंद्र बनाना होगा। इसके लिए जरूरी है कि बुनियादी शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक विज्ञान और तकनीक की पुस्तकें विद्यार्थियों को अपनी भाषाओं में पढ़ने के लिए उपलब्ध हों। यह प्रसन्नता की बात है कि राजभाषा विभाग द्वारामौलिक पुस्तक लेखन योजना के तहत हिंदी में ज्ञान-विज्ञान की पुस्तकों के लेखन को बढ़ावा दिया जा रहा है।
5. विश्व स्तर पर सभी राष्ट्र आज एक-दूसरे से जुड़े हैं। दो करोड़ से अधिक प्रवासी भारतीय अनेक देशों में रहकर हिंदी तथा अन्य भारतीय भाषाओं के प्रचार-प्रसार में योगदान दे रहे हैं। इसी तरह इस समय विश्व के एक सौ पचास से भी अधिक विश्वविद्यालयों में हिंदी पढ़ाई जा रही है। यह हिंदी की उपयोगिता तथा लोकप्रियता का प्रतीक है। इंटरनेट तथा मोबाइल जैसे सूचना प्रौद्योगिकी के साधनों ने समूचे विश्व को एक परिवार में बदल दिया है। यह खुशी की बात है कि इन साधनों में भी अब हिंदी लेकप्रिय हो रही है।
6. आधुनिक युग में हिंदी ने अपने महत्त्व, उपयोगिता और लोकप्रियता के कारण अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी विशेष पहचान बनाई है। प्रधानमंत्री,श्री नरेंद्र मोदी ने इसी वर्ष सितंबर में संयुक्त राष्ट्र संघ में हिंदी में व्याख्यान देकर इसका शंखनाद कर दिया है।‘वसुधैव कुटंबकम्’ भारत की उदार संस्कृति तथा विश्व मैत्री का प्रतीक है। मैं कामना करता हूं कि हिंदी विश्व भर में इसी भावना का प्रतिनिधित्व करती रहेगी।
7. अंत में, मैं राजभाषा विभाग को राजभाषा समारोह-2014के आयोजन के लिए बधाई देता हूं। मैं यहां उपस्थित सभी पुरस्कार विजेताओं तथा सभी देशवासियों का आह्वान करता हूं कि वे हिंदी को बढ़ावा देने के लिए मन,वचन और कर्म से योगदान दें।।
धन्यवाद,
जय हिंद!