मुझे, राजकीय टी डी मेडिकल कॉलेज के स्वर्ण जयंती समारोहों के उद्घाटन के लिए आज यहां उपस्थित होकर बहुत प्रसन्नता हो रही है। यह मेडिकल कॉलेज अलप्पुझा नगर में स्थित है जिसे ‘पूरब का बेनिस’ कहा जाता है। अपने अस्तित्व के पाँच दशकों के दौरान इस कॉलेज ने केरल में गुणवत्ता युक्त चिकित्सा शिक्षा प्रदान करने में सहयोग दिया है।
टी डी मेडिकल कॉलेज ने 4200 से अधिक चिकित्सक तैयार किए हैं, जो भारत तथा विदेशों में जरूरतमंद रोगियों की सेवा कर रहे हैं। यह गर्व की बात है कि इस कॉलेज के पूर्व विद्यार्थियों ने देश और विदेशों में चिकित्सा शिक्षा, रोगी देखभाल तथा अनुसंधान जैसे विभिन्न क्षेत्रों में शानदार सफलता प्राप्त की है।
मुझे यह जानकर खुशी हो रही है कि इस स्वर्ण जयंती वर्ष के लिए, बहुत से अकादमिक, स्वास्थ्य जागरूकता तथा रोगी देखभाल कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है, जिससे जरूरतमंदों तक पहुंच कर उन्हें निशुल्क चिकित्सा सुविधा प्रदान की जा सके। यह मेडिकल कॉलेज ऐसी प्रमुख एजेंसी भी है जो इस जिले में सरकार की विभिन्न स्वास्थ्य तथा परिवार कल्याण स्कीमों का कार्यान्वयन कर रही है। मुझे बताया गया है कि अलप्पुझा को केरल में स्वास्थ्य देखभाल के क्षेत्र में एक आत्म-निर्भर जिला बनाने के लिए पहल शुरू की गई है।
देवियो औैर सज्जनो, केरल में जन स्वास्थ्य के उच्च मानकों के बारे में सभी जानते हैं। इस राज्य ने, सदैव रोग नियंत्रण तथा उन्मूलन के राष्ट्रीय कार्यक्रमों के कार्यान्वयन में बढ़-चढ़कर भाग लिया है।
परिवार कल्याण कार्यक्रम, टीकाकरण कार्यक्रम तथा मातृ तथा बाल स्वास्थ्य क्रियाकलापों से राज्य को अपने नागरिकों के स्वास्थ्य की स्थिति के संबंध में वैश्विक मापदंडों की प्राप्ति में सहायता मिली है। नवजात मृत्यु दर, प्रति एक हजार जीवित जन्मों पर 12 है और मातृ मृत्यु दर, प्रति एक लाख जीवित जन्मों पर 81 है, जो कि राष्ट्रीय औसत से काफी कम है।
केरल देश में, स्वास्थ्य देखभाल पेशेवरों के पूल में, खासकर चिकित्सकों और नर्सों के मामले में, सबसे अधिक योगदान देने वाला राज्य है। मानव विकास के मामले में यह, भारत के सभी राज्यों में अग्रणी है और इसकी साक्षरता दर सबसे अधिक, 91 प्रतिशत है तथा महिला लैंगिक अनुपात सबसे अधिक, अर्थात 1000 पुरूषों पर 1084 है। सामाजिक विकास का केरल मॉडल, जिसमें सरकार की पहल को जनता का बराबर का सहयोग मिला है, वास्तव में प्रशंसनीय है।
देवियो और सज्जनो, किसी भी देश की खुशहाली, उसकी जनता की खुशहाली पर निर्भर है। जब तक जनता का स्वास्थ्य सुनिश्चित नहीं होता तब तक देश की उत्पादक क्षमता का पूरा उपयोग नहीं हो सकता। एक मजबूत स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली तीन स्तंभों पर निर्भर होती है और वे हैं उपलब्धता, गुणवत्ता तथा वहनीयता।
राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन को 2005 में, हमारे स्वास्थ्य सेक्टर में इन्हीं मापदंडों के समावेश के लिए शुरू किया गया था। मुझे यह उल्लेख करते हुए खुशी हो रही है कि ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन तथा नए शहरी मिशन को जोड़कर, एक नए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन को 2013-14 के लिए, 21000 करोड़ के परिव्यय के साथ शुरू किया जा रहा है।
हमारी स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली से प्राप्त तरक्की के बावजूद हमें अभी बहुत लंबी यात्रा करनी है। देश की सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा की पहुंच सीमित है। हमारी जनता में से बहुत से लोग स्वास्थ्य सेवाओं के लिए निजी सेक्टर पर निर्भर है।
गरीब लोगों को मंहगा इलाज लेना बहुत भारी पड़ता है तथा इसी कारण बहुत से लोग कर्ज के जाल में फंस जाते हैं। कुछ स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं द्वारा दी जा रही स्वास्थ्य देखभाल की गुणवत्ता में भी बहुत सुधार की गुंजायश है।
हमें अच्छी गुणवत्तायुक्त तथा वहनीय सार्वजनिक सेक्टर स्वास्थ्य देखभाल सुविधाएं प्रदान करके इस स्थिति को ठीक करना होगा। ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना अवधि के दौरान स्वास्थ्य देखभाल पर हमारा सार्वजनिक व्यय, सकल घरेलू उत्पाद का 1.04 प्रतिशत था। यदि हम देश में बड़े पैमाने पर सार्वजनिक स्वास्थ्य देखभाल में वृद्धि करना चाहते हैं तो बारहवीं योजना अवधि के अंत तक इसे बढ़ाकर घरेलू उत्पाद का 2.5 प्रतिशत करना होगा।
सार्वजनिक संसाधनों में यह वृद्धि, खुद-ब-खुद स्वास्थ्य देखभाल अवसंरचना में वृद्धि के रूप में परिणत नहीं होगी, जब तक इस सेक्टर में सेवा करने के लिए पर्याप्त संख्या में योग्य स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर मौजूद नहीं होंगे। 2011-12 के दौरान देश में एक लाख की जनसंख्या पर चिकित्सक, दंत चिकित्सक, नर्स, फार्मासिस्ट तथा अन्य पेशेवरों सहित लगभग 241 चिकित्सा पेशेवर थे। यह परिकल्पना की गई है 12वीं पंचवर्षीय योजना अवधि के अंतर्गत चिकित्सा पेशेवरों की यह संख्या बढ़कर 354 हो जाएगी।
चिकित्सा शिक्षा प्रदान करने के लिए और अधिक शिक्षण संस्थानों की अत्यधिक जरूरत है। यह जानकर खुशी हो रही है कि शीघ्र ही अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के समान छह संस्थान खुलने जा रहे हैं। हमारे मौजूद चिकित्सा स्कूलों तथा नर्सरी कॉलेजों की क्षमता में और उनमें दी जा रही शिक्षा के स्तर में भी सुधार करना भी जरूरी है। मुझे विश्वास है कि हमारे सार्वजनिक क्षेत्र में मेडिकल कॉलेज अच्छी संख्या तथा बेहतर गुणवत्ता की दोहरी चुनौती को पूरा कर पाएंगे।
भारी लागत के कारण, किसी को भी विशेषज्ञ चिकित्सा उपचार से वंचित नहीं किया जाना चाहिए। हमें स्वास्थ्य बीमा की व्यवस्था को भी मजबूत करना होगा। राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना, जिसके तहत लाभार्थियों को नकदी रहित उपचार प्रदान किया जाता है, के अंतर्गत व्यापक प्राथमिक, द्वितीयक तथा तृतीयक चिकित्सा देखभाल उपलब्ध कराई जानी चाहिए। इस स्कीम के लाभ गरीबी की रेखा के नीचे रहने वाले हर व्यक्ति को प्राप्त होने चाहिएं।
देवियो और सज्जनो, अधिकांश नई पहलें अब प्रौद्योगिकी से प्रेरित हैं। भारत, सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी में विश्व में अग्रणी है। इसका फायदा उठाते हुए, हमें सभी के जन्म एवं मृत्यु का पंजीकरण, पोषाहार निगरानी, तथा रोग निगरानी के लिए एक दक्षतापूर्ण स्वास्थ्य सूचना प्रणाली तैयार करनी चाहिए। व्यवस्थित डाटा बेस उपलब्ध होने से हमारे नीति-निर्माताओं को समय पर हस्ताक्षेप करने में सुगमता होगी।
सेटेलाइट आधारित प्रौद्योगिकी ने देश के सुदूरतम इलाकों में चिकित्सा देखभाल की पहुंच को संभव बना दिया है। टेली-मेडिसिन परियोजना ने सुदूरवर्ती स्वास्थ्य देखभाल केंद्रों के लिए शहरी केंद्रों में उच्च विशेषज्ञता अस्पतालों के साथ विचार-विमर्श को संभव बना दिया है, जिससे वे जरूरतमंद तथा कम सुविधा प्राप्त लोगों को स्वास्थ्य देखभाल परामर्श प्रदान कर सकें।
देवियो और सज्जनो, हमने 12वीं योजना अवधि के अंत तक, प्रति एक हजार जीवित जन्म पर 44 की वर्तमान नवजात मृत्यु दर को घटाकर 25 तक लाने की तथा इसी अवधि के दौरान, प्रति एक लाख जीवित जन्म पर 212 की मातृ मृत्यु दर को घटाकर 100 करने की परिकल्पना की है। ये लक्ष्य हमारे लिए संभव हैं परंतु इसके लिए व्यापक प्रयास जरूरी हैं। सभी स्टेक धारकों की सहभागिता से स्वास्थ्य देखभाल का एक सतत् मॉडल आज की जरूरत है।
मुझे उम्मीद है कि टी डी मेडिकल कॉलेज के स्वर्ण जयंती समारोह उन विषयों पर विचारों के आदान-प्रदान के लिए मंच उपलब्ध कराएंगे, जिनका मैंने ऊपर उल्लेख किया है। मुझे विश्वास है कि टी डी मेडिकल कॉलेज समाज को शानदार सेवा प्रदान करता रहेगा तथा आपके प्रयासों से बहुत से लोगों के जीवन प्रभावित तथा रूपांतरित होंगे।
मैं, वर्ष भर चलने वाले इन समारोहों की सफलता के लिए इस कॉलेज को शुभकामनाएं देता हूं।
धन्यवाद,
जय हिंद!