होम >> अभिभाषण >> अभिभाषण विस्तार

भारत के राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी का नामिमिया गणराज्य के संसद को संबोधन

नामिबिया गणराज्य : 16.06.2016



मैं नामिबिया की यात्रा करके बहुत प्रसन्न हूं जो एक ऐसा देश है प्राकृतिक संपदा से भरपूर हैं,संसाधनों से युक्त है,जिसे समुद्र का मर्मस्पर्श प्राप्त है और जहां बहादुर निवास करते हैं। इस अवसर को पाकर मैं नामिबिया की जनता के नेताओं और प्रतिनिधियों के इस भव्य सदन को संबोधित करके सचमुच बड़ा सम्मानित महसूस कर रहा हूं।

2. मेरे साथ भारतीय प्रधानमंत्री के कार्यालय के राज्य मंत्री,माननीय डॉ. जितेन्द्र सिंह,माननीय श्री सुरजीत सिंह अहलुवालिया,लोकसभा,निचले सदन के सदस्य और माननीय श्री मनसुख मंडाविया,राज्यसभा,उच्चसदन के सदस्य आए हुए हैं। हम अपने साथ हमारे देश की जनता की शुभकामनाएं साथ लेकर आए हैं।

3. पिछले वर्ष अक्तूबर में भारत द्वारा आयोजित तीसरे भारत अफ्रीका मंच शिखर सम्मेलन में भागीदारी के लिए नामिबिया गणराज्य के राष्ट्रपति,महामहिम डॉ. हेज जी जिंगोब का स्वागत करके भारत को बहुत प्रसन्नता हुई है। हम इस सम्मेलन की सफलता में नामिबिया के योगदान को बहुत महत्व देते हैं।

महामहिम,

4.सन 1995 से भारत के किसी राष्ट्रपति की पहली राजकीय यात्रा ऐसे समय पर संपन्न हो रही है जब भारतीय और नामिबिया के बीच उत्कृष्ट द्विपक्षीय संबंध हैं। भारत नामिबिया के साथ अपने लंबे समय से चली आ रही मैत्री को बहुत महत्व देता है।

5.भारत-नामिबिया संबंध परस्पर विश्वास और समझ के सुदृढ़ नींव पर निर्मित हुए हैं। हमारे दोनों देश उपनिवेशी शासन और स्वतंत्रता के लिए हमारी जनता के संघर्ष के सामान्य अनुभव द्वारा गुथे हुए हैं। भारत का विश्वास था कि उसकी अपनी स्वतंत्रता तब तक अपूर्ण है जब तक अफ्रीका में उसके भाई विदेशी शासकों के द्वारा दी गई यातना से लगातार कष्ट उठा रहे हैं। भारत नामिबिया के स्वतंत्रता संघर्ष में वहां के नेताओं और जनता के साथ कंधे से कंधा मिलाकर गौरवान्वित महसूस कर रहा था। हम उन प्रथम देशों में से एक थे जिन्होंने संयुक्त राष्ट्र में नामिबिया स्वतंत्रता के लिए प्रश्न उठाए। भारत ने ही1946में संयुक्त राष्ट्र आम सभा की कार्यकारिणी में दक्षिणी अफ्रीका तथा नामिबिया में नस्लीय भेद और उपनिवेशी यातना की समस्या को लिखित रूप दिया। सर्वप्रथम1986में स्वैपो राजदूतावास नई दिल्ली में स्थापित किया गया था और यह भातर की ही पहल थी जिसमें अन्य देशों द्वारा राजनयिक पहचान की शृंखला और नामिबिया की स्वतंत्रता की अनिवार्यता का आरंभ किया। एक सेवानिवृत्त भारतीय सेनाअधिकारी,योग्य जनरल प्रेमचंद ने यह यूनाइटेड नेशन्स ट्रांजिशन एसिस्टेंट रो के अंतर्गत सेना की कमान संभाली। नामिबिया की स्वतंत्रता के समय से ही स्वतंत्र नामिबिया के साथ ऑबजर्वर मिशन के रूप में राजनयिक संबंध स्थापित किए गए जिसे मार्च1990में पूर्ण रूपेण उच्चायुक्त के रूप में उन्नत किया जा रहा है। हमने मार्च1994में नई दिल्ली में नामिबिया के संपूर्ण आवासीय मिशन के आरंभ का स्वागत किया।

6.माननीय अध्यक्ष,जैसा कि इस भव्य सदन के सदस्य अवगत हैं,नामिबियाई देश के संस्थापक राष्ट्रपति और पिता डॉ. सैम नजुमा,जो47 वर्षों से स्वैपो पार्टी के सम्माननीय नेता हैं,की विश्व नेता के रूप में और भारतीय जनता के मित्र के रूप में भारत में बहुत सराहना की जाती है। भारत ने नामिबिया की स्वतंत्रता में उत्कृष्ट अग्रणी योगदान के लिए इन्हें मान्यता देने के लिए वर्ष1990में निःशस्त्रीकरण के विकास के लिए नियत प्रसिद्ध इंदिरा गांधी शांति पुरस्कार प्रदान किया था। पिछले नवंबर में हमें भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद के विशिष्ट अतिथि के रूप में उनके स्वागत का सौभाग्य प्राप्त हुआ। मैं राष्ट्र प्रमुखों और सरकार के 37वें सम्मेलन पर लिबरेविले,गार्बोन में अक्तूबर1992में उनके उत्सावर्द्धक शब्दों को स्मरण करता हूं जो इस प्रकार हैं, ‘स्थिर राजनीतिक वातावरण में लोकतंत्र नहीं हो सकता और ना ही एक अलोकतांत्रिक वातावरण में विकास हो सकता है।

7.अपनी विरासत के प्रति समर्पित,आज नामिबिया राष्ट्र का एक श्रेष्ठ उदाहरण है जिसने बार-बार एक चयनित सरकार से दूसरी को एक समस्यामुक्त और शांत सत्ता अंतरित करना सुनिश्चित किया है। नामिबिया ने एक बार दुबारा यह सिद्ध कर दिया है कि समेकित विकास और संवर्द्धन के लिए सर्वोत्तम संभव पारितंत्र एक त्वरित लोकतांत्रिक प्रणाली ही प्रदान कर सकती है। नामिबिया की लोकतंत्र के प्रति निष्ठा,प्रतिबद्धता और उसके राष्ट्रीय समाधान कार्यक्रम की सफलता ने अफ्रीका में उसे एक आदर्श मॉडल बना दिया है। हम भारत में नामिबिया के एक सक्रिय,शांतिप्रिय और तीव्र प्रगतिशील देश में रूपांतरित होने की प्रशंसा करते हैं। हम महामहिम राष्ट्रपति जिंगोब कीहरांबी प्रोस्पेरिटी प्लॉनकी शुरुआत करने के लिए उनकी दूरदर्शित की सराहना करते हैं।हरांबी प्रोस्पेरिटी प्लॉनके सामाजिक-आर्थिक उद्देश्यों की पूर्ति के लिए प्रत्येक आवश्यकता के लिए भारत किसी भी प्रकार की मदद करने के लिए तैयार है। भारत समेकित विकास और क्षमता निर्माण द्वाराविजन2030’के क्रियान्वयन में नामिबिया के साथ साझीदार होने में भी प्रसन्न है।

महामहिम,

8.मैं इस बात पर भी बल देना चाहूंगा कि यह नामिबिया की जनता,उनकी एकता और उनके प्रयास हैं जिन्होंने नामिबिया को वैसा बनाया जैसा वह आज हैः आशा और प्रेरणा का द्वीपस्तंभ,केवल अफ्रीका द्वीप में ही नहीं बल्कि विश्व में भी। यह लोकतंत्र के पुंज और कानून के नियम में एक उज्ज्वल बिंदु है;एक ऐसा देश जो विकास के पथ पर तेजी से आगे बढ़ रहा है। अफ्रीका और उससे परे भी शांति और स्थिरता में विकास में तेजी से योगदान दे रहा है।

9.हम भारत में समेकित राजनैतिक संवाद बढ़ाने और नामिबियाई विकासात्मक कार्यसूची की अगुवाई करने में नामिबियाई संसद के योगदान की प्रशंसा करते हैं। नामिबिया विश्व में उन कुछेक समाजों में से एक है जिसमें न्यायसंगत दीर्घसंतुलन के उद्देश्य को साकार किया है जो आपके युवाओं की आकांक्षाओं पर सचेत रूप से केंद्रित होने के निर्णय से अधिक है और सही दिशा में एक सुनिश्चित कदम है। भारत को पूर्ण विश्वास है कि इसके युवाओं पर निवेश के द्वारा भी कोई देश प्रगति और विकास की ओर अग्रसर होने की इसकी क्षमता में संवर्द्धन कर सकता है।

10.हमारे दोनों देश अपने अपने तरीकों से जटिल शासन मुद्दों का निपटान करना चाहते हैं परंतु यह निःशक्त को सशक्त करने और यह सुनिश्चित करने के द्वारा होगा किहरांबी हाऊसके सफल होने में हम कोई कसर बाकी नहीं छोड़ेंगे। मैं महात्मा गांधी के शब्दों को याद करता हूं जो उन्होंने कहा था,मैं तुम्हें एक सूत्र दूंगा जब भी तुम संदेह में पड़ो अथवा जब आपके अंदर बहुत अधिक अंहकार हो जाए,निम्न परीक्षण का प्रयोग करो। उस सबसे गरीब और सबसे कमजोर आदमी का चेहरा याद करो जिसको तुमने देखा है और खुद से पूछो कि आपके द्वारा विचार किया गया कदम क्या उसके लिए किसी रूप में उपयोगी हो सकता है। क्या उसे इससे कुछ प्राप्त होगा?क्या इससे उसके जीवन और भाग्य पर नियंत्रण की बहाली होगी?...तब तुम देखोगे कि आपके संदेह और आपका अहंकार पिघल जाएंगे।

11.इस भव्य सदन के माननीय सदस्यों,भारत,दक्षिणी पश्चिम फ्रेमवर्क में नामिबिया के साथ एक सुदृढ़ विकास साझेदारी के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम मानव संसाधन विकास और क्षमता निर्माण में नामिबिया को यथा संभव सहायता पहुंचाते रहेंगे। भारत की आईटी में सूचना प्रौद्योगिकी में विशिष्टता और प्रौद्योगिकी में कृषि और डेयरी विकास हमारी आर्थिक साझेदारी को और अधिक सुदृढ़ करने में उपयोग में लायी जा सकती है। हम नामिबिया से और अधिक छात्रों और अधिकारियों के आने की उम्मीद करते हैं जो छात्रवृत्ति और हमारी सरकार द्वारा प्रदान किए गए प्रशिक्षण कार्यक्रमों को हासिल कर सकें।

देवियो और सज्जनो,

12.भारत और अफ्रीका लगभग एक सौ मिलियन वर्ष पूर्व तक समान भू-भाग के हिस्सेदार थे। आज हिंद महासागर के आर-पार पड़ोसी देश हैं। जैसा कि राष्ट्रों के समुदाय में अफ्रीका अपना उपयुक्त स्थान दुबारा पाने के लिए उठ रहा है,भारत,नामिबिया के अपने क्षेत्र और द्वीप की समृद्धि को आगे बढ़ाने की निरंतर भूमिका का स्वागत करता है।

13.हम प्रगति और खुशहाली के लिए भारत की जिज्ञासा में एक महत्वपूर्ण साझीदार के रूप में नामिबिया को देखते हैं क्योंकि हम समान प्राथमिकताओं का अनुसरण करते हैंः अपने युवाओं को कौशलयुक्त बनाना गरीबी का उन्मूलन,पर्यावरण को नुकसान पहुंचाए बगैर अवसंरचना का निर्माण करना,सतत प्रौद्योगिकियां जो जल को बचाती हैं और मरुस्थल बनने से रोकथाम करती हैं और इससे भी अधिक। इसलिए हम केवल अपने विगत के कारण एक नहीं हैं। हम इस समय सामान्य आकांक्षाओं के द्वारा भी भारत और नामिबिया की सहक्रियाओं के निर्माण के द्वारा बहुत कुछ उपलब्ध कर सकते हैं। यह सचमुच हमारे लोगों के लिए एक प्रतिबद्धता और अवसर का समय है।

14.इन शब्दों के साथ मैं माननीय अध्यक्ष आपको और नामिबिया के माननीय सदस्यों को भारत आने का हार्दिक निमंत्रण देता हूं। आपका भारतीय संसद के सदस्यों के साथ नियमित और विशेष आदान-प्रदान न केवल हमारे द्विपक्षीय संवाद को समृद्ध करेगा बल्कि हमारी जनता के बीच परस्पर विश्वास और समझ को भी और अधिक सुदृढ़ करेगा।

15.मैं इस अवसर पर आप स्पीकर और नामिबियाई संसद के सदस्यों और नामिबिया की जनता की निरंतर सफलता और इससे भी अधिक प्रगति और समृद्धि के लिए शुभकामनाएं देता हूं।

धन्यवाद।