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शिवनाडर विश्वविद्यालय के उद्घाटन और एचसीएल नागरिक अनुदान सहायता पुरस्कार के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी का अभिभाषण

दादरी, उत्तर प्रदेश : 18.01.2016



1. मैं आज शिव नाडर विश्वविद्यालय देश को समर्पित करने और एचसीएल नागरिक अनुदान सहायता पुरस्कार प्रदान करने के लिए आपके बीच आकर प्रसन्न हूं। आरंभ में मैं श्री शिव नाडर,एचसीएल के संस्थापक अध्यक्ष को उच्चतर शिक्षा के क्षेत्र में उनकी दूरदृष्टि के लिए बधाई देता हूं। दो दशक पहले आरंभ किया गया उनका फाउंडेशन आज परिवर्तनीय शिक्षा के लिए एक अत्यंत महत्वपूर्ण मंच बन गया है।

2. इस फाउंडेशन ने स्कूलों से विश्वविद्यालयों तक समस्त शिक्षा विस्तार को पूर्ण करते हुए ऐतिहासिक संस्थानों की स्थापना की है। शिव नाडर स्कूल,राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में प्रगतिशील स्कूलों की एक महत्वपूर्ण श्रृंखला के रूप में उभर रहे हैं। विद्या ज्ञान,स्कूल शिक्षा में एक नवोन्मेष,पिरामड के निम्नतम सतह से उच्चतम तक पहुंच गया है और समाज के सभी वर्गों से अग्रणी तैयार करता है। भारत को समेकित शिक्षा में विद्या ज्ञान जैसी अवधारणा की आवश्यकता है जो सफल और सशक्त भविष्य का निर्माण करे।

3. शिव नाडर विश्वविद्यालय 2011में स्थापित हुआ था। इसे व्यापक,बहु-अनुशासनिक और छात्र-उन्मुखी संस्था बनने के उद्देश्य से आरंभ किया गया था जो नए ज्ञान सृजन और सक्षम व्यवसायिक तैयार करने पर ध्यान दे सके। तब से विश्वविद्यालय ने भविष्य के रोमांचक अवसरों के लिए छात्रों के विकास करने हेतु विशिष्ट पाठ्यक्रम अपनाया है। इसकी अपूर्व पद्धति में आगामी दो से तीन दशकों में हमारे देश के उच्चतर शिक्षा परिदृश्य को सकारात्मक रूप से प्रभावित करने की क्षमता है।

देवियो और सज्जनो:

4. 1947 में हमारी स्वतंत्रता के बाद हमने एक आर्थिक विकास कार्यक्रम आरंभ किया। हमारे नीति निर्धारकों को पर्याप्त संख्या में श्रेष्ठ जनशक्ति की आवश्यकता महसूस हुई। हमारे समाजिक-आर्थिक एजेंडा में मानव संसाधन पूल का सृजन महत्वपूर्ण क्षेत्रों में से एक हो गया है। परिणामस्वरूप स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद वाले भारत में उच्चतर शिक्षा वाले क्षेत्रों का क्रमवार विस्तार हो रहा है। वर्ष1950 में 20विश्वविद्यालयों से हमारे पास आज 712विश्वविद्यालय हैं। इस अवधि के दौरान कॉलेजों की संख्या 500 से बढ़कर 36,000से अधिक हो गई।

5. व्यवसायिक प्रतियोगिता के क्षेत्र जैसे इंजीनियरिंग,विज्ञान, अनुसंधान,प्रबंधन और कानून में शिक्षा प्रदान करने के लिए हमारे पास आईआईटी,एनआईटी, आईआईसी/आईआईएसईआर,आईआईएम और राष्ट्रीय कानून विश्वविद्यालय मौजूद हैं। हमारे समाज की तृतीय शिक्षा की उच्च मांग को पूरा करने में सार्वजनिक क्षेत्र की संस्थाओं के प्रयासों को कुछ निजी संस्थाओं ने योग्यतापूर्ण ढंग से पूरा किया है।

6. निजी संस्थान उच्चतर शिक्षा में पंजीकृत छात्रों का लगभग60 प्रतिशत हैं। यद्यपि प्रचार प्रसार में बहुत प्रगति हुई है,तथापि स्तरों पर इसकी नकारात्मक गिरावट भयानक है। यदि शिक्षा की गिरती गुणवत्ता,विशेषकर उच्चतर शिक्षा के क्षेत्र को फिर से न उठाया गया,तो हम अपने को ऐसे हाल में पाएंगे कि हमारे पास डिग्री सहित बड़ी संख्या में लोग तो होंगे परंतु निपुण पर्याप्त जनशक्ति नहीं होगी।

7. हम ऐसे कर्मचारियों और व्यवसायिकों को तैयार नहीं कर सकते जो विकासशील आर्थिक प्रणाली द्वारा आवश्यक कौशल स्तर की पूर्ति नहीं कर सकते। इस प्रकार,शिक्षा के अवसरों और उत्कृष्टता के लक्ष्य दोनों पर ही बराबर ध्यान दिया जाना चाहिए। मैं प्रसन्न हूं कि2015 में प्रथम बार दो भारतीय संस्थाओं ने अंतरराष्ट्रीय रैंकिंग की प्रथम200 विश्वविद्यालयों में स्थान प्राप्त किया है। मैं विश्वस्त हूं कि आगामी वर्षों में अधिक संस्थाएं शामिल होंगी। मैं बार-बार प्राचीन समय की तरह से,जब भारत उच्चतर शिक्षा के क्षेत्र में अग्रणी था,आज भी कहता हूं कि उच्चतर शिक्षा के हमारे संस्थान अंतरराष्ट्रीय स्तरों के बराबर स्थान प्राप्त करें।

मित्रो:

8. शिव नाडर विश्वविद्याल,जिसने एक प्रभावी ढांचा तैयार किया है,उसमें इन उपलब्धियों को दोहराने की योग्यता होनी चाहिए। इसको286 एकड़ के बड़े परिसर को एक समृद्ध विद्वतापूर्ण वातावरण में योगदान करना चाहिए। इसका रिहायशी स्वरूप,प्रचार-प्रसार,सहयोग और संवाद के ठोस संस्कृति को पोषित करने में सहायक होना चाहिए। इसके स्कूल,इंजीनियरिंग, विज्ञान,मानविकी, प्रबंधन और उद्यमिता में नवोन्वेषी पाठ्यक्रम प्रस्तुत करें। इस विश्वविद्यालय में मेरे विश्वास ने इस वास्तविकता से जन्म लिया है कि विदेशों में प्रचार संस्थाओं के संकाय सहित उत्तम शिक्षकों द्वारा इसके विभिन्न कार्यक्रमों में 2000 पंजीकृत छात्र पढ़ाए जाते हैं। विचारों और बुद्धि का समन्वयन बहुत महत्वपूर्ण है।

देवियो और सज्जनो,

9. हमारे जैसे देश के लिए जहां महत्वपूर्ण युवा आबादी है,हम एक सर्वांगीण शिक्षा मॉडल के द्वारा जन सांख्यिकीय लाभ उठा सकते हैं जो वैयक्तिक अद्वितीयता दर्शाता है। तथापि जनसांख्यिकीय लाभ बाध्यता का रूप भी ले सकता है यदि हम अपने युवाओं को उनकी रोजगारी में सुधार के लिए कार्य कौशल प्रदान नहीं कर सकते। अनुसंधान का महत्व विश्वविद्यालयों में सर्वोपरि है। अनुसंधान विकासशील प्रभावी शैक्षिक प्रणाली के लिए केंद्र बिन्दु है।

प्यारे छात्रो:

10. यह जानना प्रसन्नता की बात है कि इस विश्वविद्यालय के वर्ष2015 के वर्ग ने या तो विख्यात श्रेष्ठ संगठनों में आकर्षक स्थान प्राप्त कर लिया है अथवा उच्च विश्वविद्यालयों में स्नातकोत्तर में प्रवेश प्राप्त कर लिया है। आपका आगे का भविष्य उज्ज्वल है। आप अपने परिवार और मातृसंस्था को गौरवान्वित करेंगे। परिश्रम, प्रतिबद्धता और कड़ी मेहनत के मूल्यों का अनुसरण करके आप कार्य प्रदर्शन की सीमा को बढ़ाएंगे और अपने वांछित क्षेत्र में आगे बढ़ेंगे।

11. आप सभी वयस्क हैं और आपने एक प्रौद्योगिकी चालित विश्व में शिक्षा प्राप्त की है। आप परिवर्तन के हथियार के रूप में प्रौद्योगिकी की शक्ति को अच्छी तरह समझते हैं। आप अपनी प्रौद्योगिकी कौशल को मानवता के साथ मिलाएं ताकि आपके समुदाय के वंचित भाइयों और बहनों की समस्याओं का समाधान प्राप्त हो सके। इस प्रकार आप देश के लिए एक बेहतर भविष्य का निर्माण कर सकते हैं। आप अपने सामाजिक दायित्वों का निर्वहन करके उस विश्वास को लौटा सकते हैं जो आपके देशवासियों में आप पर जमा रखा है।

मित्रो,

12. शिक्षा में उत्कृष्टता बेहतर हित के लिए एक माध्यम का कार्य करती है। सफलता अंतत: शिक्षित व्यक्तियों द्वारा लाए गए परिवर्तनों से मापी जाती है। किसी भी व्यक्ति के लिए समेकित विकास समाज का एक बैरोमीटर है जिसने शिक्षा के बल को लाभ पहुंचाया है। ऐसा करने के लिए निचली सतह पर बेहतर रोजगार की आवश्कयता है। विभिन्न क्षेत्रों में ग्रामीण भारत में अनेक गैर सरकारी संगठन शानदार कार्य कर रहे हैं। यदि इस स्वैच्छिक क्षेत्र को मजबूत किया जाए तो इससे भी अधिक किया जा सकता है। एचसीएल नागरिक अनुदान सहायता को ठोस संचालन फ्रेमवर्क और प्रबंधन के सृजन से गैर सरकारी संस्थाओं के संस्थागत होने में समर्थन मिलता है और उन्हें सुविधा प्रदान करता है।

13. मैं इस अवसर पर एचसीएल नागरिक अनुदान सहायता पुरस्कार के प्रथम विजेता को बधाई देता हूं। एचसीएल फाउंडेशन इस अनुदान सहायता के लिए आगामी5 वर्षों में 100करोड़ रुपये देने के लिए प्रतिबद्ध है। जैसा कि यह अनुदान समाजिक क्षेत्र प्रणाली में बेहतर संचालन लाने के लिए है,यह दीर्घ अवधि में सभी भागीदारों को लाभ पहुंचाएगा। मैं समाजिक उत्थान के लिए उद्योगों को संबद्ध करने में अग्रणी होने के लिए शिव नाडर विश्वविद्यालय की सराहना करता हूं।

14. इन शब्दों के साथ,समापन करते हुए मैं आप सभी को मुझे इस समारोह में आमंत्रित करने के लिए धन्यवाद देता हूं। मैं यहां पर उपस्थित छात्रों को आगे बढ़ने की सलाह देना चाहूंगा,पीछे मुड़कर देखने का प्रश्न नहीं उठता। संसार आपका है,जो कुशलता और ज्ञान आपने प्राप्त किया है वह आपको आगे बढ़ने और एक के बाद एक समस्या को सुलझाने में सहायता करेगा। ईश्वर आपको तीव्रता दे और आपके भावी प्रयासों में सफलता दें।

धन्यवाद।

जयहिन्द।