मुझे, उन व्यक्तियों को सम्मानित करने के लिए यहां आकर बहुत प्रसन्नता हो रही है, जिन्होंने एक पर्यटन गंतव्य के रूप में भारत का प्रचार करने में असाधारण योगदान दिया है। आज हमारे पर्यटन उद्योग ने अपने व्यवसाय तथा सुविधाओं को प्रशंसनीय रूप से व्यापक कर दिया है। भारत ने पिछले वर्ष 6.65 मिलियन पर्यटकों का स्वागत किया। यह संख्या इससे पिछले वर्ष की संख्या के मुकाबले 5.4 प्रतिशत अधिक थी। वर्ष 2012 में इससे हमारी अर्थव्यवस्था को अनुमानत: 94500 करोड़ रुपए प्राप्त हुए। यह भी पिछले वर्ष के मुकाबले अच्छी खासी 21.8 प्रतिशत अधिक है।
यह देखना भी रोचक होगा कि भारत की घरेलू पर्यटन की मांग किस तरह बढ़ी है। भारतीय नागरिकों की अप्रयोज्य आमदनी से मनोरंजन के लिए यात्रा करने की उनकी क्षमता में वृद्धि हुई है। इसके अलावा, आकर्षक सुविधाओं की भी बहुतायत है और नए और बेहतर सड़क और हवाई यातायात सुविधाओं तथा भारत के सभी राज्यों में पर्यटन अवसंरचना का आमतौर से विस्तार हुआ है। इसका कई गुना प्रभाव पड़ा है तथा इससे प्राथमिक, द्वितीयक तथा तृतीयक सेक्टरों में रोजगार सृजन हुआ है।
इसके लिए केंद्र सरकार तथा राज्य सरकारों द्वारा शुरू की गई पहलों को बहुत श्रेय जाता है, जिससे पर्यटन अवसंरचना को मजबूती मिली तथा विदेशी और घरेलू पर्यटकों को मिलने वाली सुविधाओं में सुधार हुआ। ‘अतुल्य भारत’ अभियान हर तरह से एक सुव्यवस्थित तथा सुनियेजित ब्रांड प्रचार अभियान था। इसमें भारत के विभिन्न राज्यों द्वारा जो सुविधाएं प्रदान की जा रही हैं, उनके विविध तथा विशिष्ट पहलुओं को एक ही, सफल अभियान में दर्शाया गया है। पुरस्कारों की नई श्रेणियों से भारत को पूरे वर्ष के दौरान पर्यटन का गंतव्य बनाने में सहायता मिलेगी। ये पुरस्कार राज्य और संघ क्षेत्रों को, स्वच्छता बनाए रखने तथा धरोहर स्थलों की सुरक्षा के लिए कारगर व्यवस्था विकसित करने के लिए भी प्रोत्साहित करेंगे।
मैं, इस अवसर पर अत्यंत विशेषज्ञतापूर्ण तथा अनुप्रेरित कार्मिक शक्ति के महत्त्व पर जोर देना चाहूंगा। सरकार तथा निजी सेक्टर दोनों के लिए यह जरूरी है कि वे संख्या और गुणवत्ता के लिहाज से समुचित मानवशक्ति तैयार करें।
एक सबसे आकर्षक चीज जो भारत प्रस्तुत कर सकता है, वह है हमारे व्यंजन। भारत के पर्यटन पर निकला व्यक्ति जितने प्रकार के स्वादिष्ट व्यंजनों का स्वाद ले सकता है, उनकी कोई बराबरी नहीं कर सकता। सुरक्षा तथा गुणवत्ता मानकों पर समुचित ध्यान देने से विदेशी और घरेलू पर्यटकों में और अधिक विश्वास पैदा होगा। मुझे बताया गया है कि सरकार शीघ्र ही पाकविद्या विशेषज्ञता तथा अनुसंधान के लिए उत्कृष्टता केंद्र खोलने जा रही है। मैं उनके इस प्रयास की सफलता की कामना करता हूं।
मैं, इस बात को सुनिश्चित करने पर भी जोर देना चाहूंगा कि हमारी अवसंरचना के प्रत्येक पहलू अत्यंत घुमक्कड़ पर्यटकों की अपेक्षाओं पर खरे उतरने चाहिए। किसी भी विश्व प्रसिद्ध धरोहर की यात्रा का सारा आनंद वहां तक पहुंचने वाली सड़कों की खराब हालत अथवा रास्ते में जन सुविधाओं की कमी अथवा अरुचिकर दृश्यों और दुर्गंधों के कारण खराब हो सकता है। पर्यटन मंत्रालय द्वारा सफाई और स्वच्छता को बढ़ावा देने के लिए शुरू किए गए अभियान ‘स्वच्छ भारत’ तथा ‘अतिथि देवोभव’,अच्छी पहलें हैं।
मैं सतत् ‘हरित’ पर्यटन के महत्त्व पर जोर देना चाहूंगा। इस दिशा में, मैं सभी समुदायों से आग्रह करना चाहूंगा कि वे अपने-अपने क्षेत्रों में स्थित पर्यटन स्थलों के संबंध में अधिक जागरूक तथा सक्रिय रहें। होटलों, संग्रहालयों तथा स्मारकों को सुविचारित ढंग से ऊर्जा तथा जल के अपने प्रयोग में कमी लानी चाहिए। उन्हें सुविचारित ढंग से अपशिष्ट पैदा करने में कमी लानी चाहिए। परिवहन, उष्मीकरण, शीतलीकरण, धुलाई तथा प्रकाश की व्यवस्था को और ‘हरित’ किया जा सकता है। आगंतुकों को खुद भी इसका ध्यान रखने के लिए कहा जाना चाहिए। उन्हें भावी पर्यटकों के लिए उन सुविधाओं के लिए बचाने में सहायता तथा प्रोत्साहन प्रदान किया जाना चाहिए जिन्हें वे प्रयोग कर रहे हैं। पर्यटन उद्योग में कार्यरत संगठनों के बीच प्रतिस्पर्धा के बजाय सहयेग से सामाजिक रूप से उत्तरदायित्वपूर्ण उत्पाद विकसित करने में सहायता मिल सकती है। मुझे इसमें कोई संदेह नहीं कि हम प्राय: सही रास्ते पर होते हैं परंतु हमें इसको उन्नत और अद्यतन करते रहना होगा।
देवियो और सज्जनो, मैं इन्हीं शब्दों के साथ उन सभी की प्रशंसा करता हूं जो अवसरों को पहचानने तथा अपनी पर्यटन संभावनाओं को तेजी से उपयोग में लाने में सफल हुए हैं। मैं पर्यटन मंत्रालय को राष्ट्रीय पर्यटन पुरस्कार स्थापित करने के लिए और पुरस्कार विजेताओं को बधाई देता हूं। मैं आप सभी को अपने रोजाना के प्रयासों तथा भावी प्रयासों के लिए शुभकामनाएं देता हूं।
जय हिंद!