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28वीं इंडियन इंजीनियरिंग कांग्रेस के उद्घाटन के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी का अभिभाषण

चेन्नई, तमिलनाडु : 20.12.2013



1. इंस्टिट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स (इंडिया) द्वारा आयोजित अठाइसवी इंडियन इंजीनियरिंग कांग्रेस के उद्घाटन के लिए यहां आकर मुझे खुशी हो रही है। मैं इस वार्षिक कांग्रेस में मुझे आमंत्रित करने के लिए इंजीनियरों के इस प्रख्यात पेशेवर संगठन को धन्यवाद देता हूं, जिसमें मैं लगातार दूसरे वर्ष भाग ले रहा हूं।

2. इंस्टिट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स की स्थापना 1920 में तत्कालीन इंजीनियरी हस्तियों की परिकल्पना से हुई थी। इस संस्थान को देश के इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने के माध्यम के रूप में परिकल्पित किया गया था। इस संस्थान को 1935 में रायल चार्टर प्रदान किया गया था। जिसके आधार पर इसके साथ संबद्ध इंजीनियरों को चार्टर्ड इंजीनियर कहा जाने लगा। इंस्टिट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स द्वारा 1987 में अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद की स्थापना के समय तक भारत में इंजीनिरिंग तथा तकनीकी शिक्षा को विनियमित करने का महत्वपूर्ण कार्य किया जाता था। इसके द्वारा इस समय एक इंजीनियरी पाठ्यक्रम का संचालन होता है जिसे बहुत पहले 1928 में शुरू किया गया था। उपाधि प्रदान करने वाला यह पाठ्यक्रम ऐसे सेवारत तकनीकी कार्मिकों की पेशागत उन्नति के लिए है जो अपनी सेवा को जारी रखते हुए इस कार्यक्रम में भाग ले सकते हैं। इसकी सभी उपब्धियों के लिए इस संस्थान की सराहना करता हूं तथा बेहतर कार्यनिष्पादन को बनाए रखने का आग्रह करता हूं।

देवियो और सज्जनो,

3. इंजीनियों ने प्राचीन समय से ही मानव जीवन में बदलाव के लिए महान प्रौद्योगिकीय कमाल प्राप्त करने की क्षमता दिखाई है। उनसे हमारी उम्मीदों में लगातार बढ़ोतरी होती रही है बह हम ऐसी बहुत सी इंजिनियरी उन्नतियों की अपेक्षा करते हैं। हमें तीव्र गति से राष्ट्र निर्माण की चुनौतियों का सामना करने में सक्षम बनाएं। आर्थिक उन्नति तथा सतत् विकास में इंजीनियरी तथा प्रौद्योगिकी के योगदान की क्षमता की ओर आज बहुत से लोगों का ध्यान आकृष्ट हुआ है। मैं इस वर्ष की कांग्रेस को इंजीनियरिंग एडवांसमेंट एवं एक्सलेरेटेड नेशन बिल्डिंग विषय पर आयोजत करने के लिए इंस्टिट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स को बधाई देता हूं।

4. यह कांग्रेस ऐसे समय पर आयोजित की जा रही है जब दुनिया वैश्विक आर्थिक संकट के दूसरे दौर के प्रभावों से बाहर निकलना शुरू हुई है। हमारी अर्थव्यवस्था की प्रगति में पिछले दो वर्षों के दौरान कमी आई है। वर्ष 2012-13 के दौरान यह पिछले दस वर्षों में सबसे कम अर्थात 5.00 प्रतिशत पर थी। हमारी तात्कालिक चनौती इस हृस को रोकना तथा पुन: आठ प्रतिशत से अधिक के उस स्तर पर पहुंचना है, जिस पर हम प्राय:पूर्व में रहे हैं। प्रति व्यक्ति आय में निरंतर बढ़ोतरी, मध्यम आय वर्ग के उपभोक्ताओं में वृद्धि, तथा युवा और ऊर्जावान कार्यबल जैसे सकारात्मक कारकों से मुझे यह विश्वास होता है कि जैसे-जैसे वैश्विक अर्थव्यवस्था फिर से सुधरती है हम तीव्र गति से विकास कर पाएंगे।

5. पिछले कुछ दशकों के दौरान हमारे देश ने बड़े-बड़े आर्थिक बदलाव देखे हैं। इस परिवर्तन में इंजीनियरिंग ने प्रमुख भूमिका निभाई है। भारी इंजीनियरी तथा पूंजीगत सामान उद्योग ने भारत के प्रचुर आधार ने अवसंरचना विकास तथा औद्योगिक उत्पादन को बढ़ावा देने में सहायता दी है। अन्तर सेक्टोरल संबद्धताओं और सक्रिय सरकारी नीतियों से भी इस दिशा में हमारे देश को सहायता मिली है। विशेष पहलों से ऑटोमोटिव इलेक्ट्रॉनिक्स, रसायन तथा पेट्रोरसायन, भारी मशीनरी जैसे प्रमुख सेक्टरों की तरक्की में सहायता मिली है। संकुलों और विकास कॉरीडोरों ने हमारी फार्मों को और अधिक दक्षतापूर्ण बनाया है। पुणे, चेन्नै तथा बेंगलूरु स्थित केन्द्रों ने वहां स्थापित विनिर्माताओं को उच्च गुणवत्ता उत्पादों के लिए विश्वभर में प्रशंसा दिलाई है। सरकार ने विनिर्माण सेक्टरों को प्रोत्साहन देने के लिए 2011 में राष्ट्रीय विनिर्माण नीति तैयार की थी। इस एकल व्यवस्था के तहत ऐसे राष्ट्रीय निवेश तथा विनिर्माण जोनों की परिकल्पना की गई थी जिसके अधीन औद्योगिक केन्द्रों के रूप में उभरने के लिए उत्यंत उन्नत अवसंरचना, उद्यतन प्रौद्योगिकी, दक्षता विकास सुविधाएं तथा संयोजन मौजूद होगा।

देवियो और सज्जनो,

6. वैश्विक औद्योगिक परिदृश्य में हमारे बढ़ते उद्यमियों के लिए बेहतर भूमिका सुनिश्चित करने के लिए हमें उनके प्रतिस्पर्द्धा के स्तर पर प्राथमिकता से ध्यान देना होगा। मेरा पक्का विश्वास है कि हमें गुणवत्ता तथा उत्पादकता की यात्रा में एक और पड़ाव पार करना है। नवान्वेषी इंजीनियरिंग के माध्यम से लचीला ऑटोमेशन, बहुस्थल उत्पादन, अस्थगित कस्टमाइजेशन और प्रायोज्य फैक्ट्रियों के नए प्रचालन मॉडल शुरू करने होंगे। औद्योगिक सेक्टर के संदर्भ में नवान्वेषण बहुआयामी है अर्थात् प्रक्रिया नवान्वेषण, उत्पाद नवान्वेष्ण, व्यवसाय मॉडल नवान्वेषण तथा नवीन प्रौद्योगिकी नवान्वेषण भारतीय उद्योग को प्रमुख नवान्वेषण विचारों पर आगे कार्य करने के लिए विश्वविद्यालयों तथा अनुंसधान संस्थाओं के साथ कार्यनीतिक साझीदारी करनी होगी।

7. देश में इंजीनियरी और प्रौद्योगिकी को कुशल इंजीनियारों और वैज्ञानिकों द्वारा संचालित करना होगा। इसके लिए शुरूआती बिंदु हमारी शिक्षा प्रणाली से निकले उत्पादों की गुणवत्ता होना चाहिए। इंजीनियरिंग एक प्राथमिकता प्राप्त विधा है और उच्च शिक्षा में कुल प्रवेश में से एक चौथाई भाग इसमें होता है। ग्यारहवीं योजना अवधि के दौरान इंजीनिरिंग में प्रवेश में तीन गुणा वृद्धि हुई। हमारे देश में इंजीनियरी और तकनीकी संस्थाओं की भारी संख्या है। तथापि, उनमें से बहुत से संस्थान, शिक्षा की गुणवत्ता के मामले में पिछड़े हैं। देश में इंजीनियरी शिक्षा के प्रसार के लिए अकादमिक उत्कृष्टता को भी उतनी ही प्राथमिकता दी जानी चाहिए। हमारे शैक्षणिक मानक अंतर्राष्ट्रीय मानदंडों के अनुरुप होने चाहिएं। देश के प्रत्येक इंजीनियरी और तकनीकी संस्थान को, भारत को कुशल वैज्ञानिकों और तकनीकी कार्यबल की बड़ी संख्या तैयार करने में सहायता देने के लिए यथासंभव प्रयास करना चाहिए। पूरे भारत में अपने बड़े नेटवर्क के जरिए इंस्टीट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स (इंडिया) को उच्च गुणवत्ता प्राप्त पूर्ण इंजीनियरी शिक्षा और नवान्वेषी अनुसंधान के माध्यम से उद्योग और शैक्षिक समुदाय के बीच सहयोग के लिए इंजीनियरी और प्रौद्योगिकी उत्कृष्ट संस्थान स्थापित करने पर विचार करना चाहिए।

देवियो और सज्जनो,

8. किसी भी देश की प्रगति की गारंटी केवल उसके प्राकृतिक संसाधनों के भंडार से नहीं मिल सकती। इसी तरह, प्राकृतिक संसाधनों की कमी से भी समृद्धि के द्वारा बंद नहीं होते। किसी भी देश के विकास की स्थिति इसके तकनीकी प्रयासों पर निर्भर करती है। जापान एवं सिंगापुर, ऐसे उदाहरण हैं जो अत्यंत उन्नत प्रौद्योगिकी के बल पर विकसित हुए हैं। हमें विकास प्रौद्योगिकी को विकसित करने के लिए अपनी प्रौद्योगिकी का उपयोग करना होगा। हमें विकास के लिए सामाजिक-आर्थिक पर्यावरणीय तथा सुरक्षा कारकों तथा उपलब्ध संसाधनों और अवसंरचना के आधार पर प्रौद्योगिकीयों का चयन करना होगा। मैं वैज्ञानिकों तथा इंजीनियरों के समुदाय से प्रौद्योगिकीय दूरद्रष्टि प्रदान करने का आह्वान करता हूं।

9. सच्चा विकास देश का सामाजिक विकास होता है, जिसमें सभी क्षेत्रों और सेक्टरों का विकास होता है इसके द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में जीवन स्तर सुधारना चाहिए। ग्रामीण उत्थान के लिए ऐसी प्रौद्योगिकी को प्रोत्साहन मिलना चाहिए जो उनकी जरूरतों के अनुरूप हो। भारत में दो तिहाई जनसंख्या ग्रामीण इलाकों में रहती है। अब समय आ गया है कि हम ग्रामीण जनता को सशक्त बनाने के लिए समुचित जमीनी प्रोद्योगिकीयों का विकास करें।

10. पिछली सदी के प्रसिद्ध विज्ञान कथा लेखक स्वर्गीय आर्थर-सी क्लार्क ने प्रौद्योगिकी के बारे में कहा था ‘किसी भी समुचित उन्नत प्रौद्योगिकी का जादू से भेद नहीं किया जा सकता।’ हमें ऐसी प्रौद्योगिकी बनानी होगी जो एक विकसित भारत का हमारा सपना पूर्ण कर सके। हमारे देश में पेशेवर इंजीनियरों की सबसे बड़ी संस्था इंस्टिट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स (भारत) को प्रौद्योगिकीय उन्नति लाते हुए आर्थिक विकास को प्रोत्साहन देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी है। इन्हीं शब्दों के साथ, मैं अपनी बात समाप्त करता हूं। मैं इस कांग्रेस में आपके अच्छे विचार-विमर्श की कामना करता हूं।

धन्यवाद,

जय हिन्द!