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किर्गीजस्तान गणराज्य के महामहिम राष्ट्रपति श्री अल्माज्बेक शारशेनोविक अताम्बायेव के सम्मान में आयोजित राजभोज में भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी का अभिभाषण

राष्ट्रपति भवन, नई दिल्ली : 20.12.2016



किर्गीज गणराज्य के महामहिम राष्ट्रपति श्री अल्माज्बेक शारशेनोविक अताम्बायेव,

भारत की प्रथम राजकीय यात्रा पर आपका स्वागत करना मेरा सौभाग्य है। मैं, हमारी सरकार और जनता की ओर से, आपका, मादाम रायसा अताम्बायेवा और आपके शिष्टमंडल के महत्त्वपूर्ण सदस्यों का हार्दिक स्वागत करता हूं।

महामहिम, आपकी राजकीय यात्रा 13 वर्ष के अंतराल के बाद, आपके देश के राष्ट्रपति की भारत की प्रथम राजकीय यात्रा है। यह एक ऐसे महत्त्वपूर्ण समय पर भी हो रही है जब हम अपने राजनयिक संबंधों की स्थापना की 25वीं वर्षगांठ मनाने जा रहे हैं। महामहिम, मुझे विश्वास है कि आज हुए विचार-विमर्श और सम्पन्न समझौते हमारे संबंध के इतिहास में एक नया अध्याय आरंभ करेंगे।

सर्वप्रथम, मैं कहना चाहता हूं कि हमने किर्गीज गणराज्य को सदैव अपने विस्तारित पड़ोस का एक महत्त्वपूर्ण भाग माना है। बिश्केक भारत के अधिकांश प्रमुख शहरों की अपेक्षा नई दिल्ली के अधिक निकट है; और नई दिल्ली बिश्केक की सबसे निकटवर्ती विश्व राजधानी है।

हमारी समीपता न केवल भौगोलिक बल्कि ऐतिहासिक और सभ्यतागत भी है। हमारा एक साझा इतिहास है जो हमारी संस्कृति के बहुत से मूल तत्त्वों में झलकता है। किर्गीजस्तान में पाए गए उत्कीर्णित चित्रों के बौद्ध कथानक और प्रतिमाएं हमारे युग पुराने सम्पर्कों के प्रमाण हैं। हमारी मैत्री सोवियत युग के दौरान प्रगाढ़ हुई तथा हमारे सांसदों और नेताओं ने तभी से नियमित संपर्क बनाया हुआ है। किर्गीजस्तान के स्वतंत्र राष्ट्र बनने के बाद, भारत के लिए, वास्तव में, हमारे चिरस्थायी सहयोगी सम्बन्ध को सुदृढ़ करना स्वाभाविक था।

हमें यह देखकर प्रसन्नता हुई है कि किर्गीजस्तान ने विगत पच्चीस वर्षों में अत्यधिक प्रगति की है। इसकी एक सबसे उत्कृष्टतम उपलब्धि लोकतंत्र को अनवरत प्राथमिकता और इसके प्रति निष्ठा है। इसका श्रेय महामहिम की संकल्पना और नेतृत्व को जाता है। हम भारतीय मानते हैं कि एक लोकतांत्रिक प्रणाली का अर्थ चुनावों में मतदान के आवधिक कार्य से कहीं अधिक है। इसका प्रयोजन लोकतांत्रिक संस्थाओं का निरंतर पोषण करना है। ऐसी संस्थाओं का निर्माण करना सरल कार्य नहीं है, इसके लिए व्यक्तिगत और सामूहिक त्याग की जरूरत है। हमें आपकी भांति संतोष है कि आपके नेतृत्व में किर्गीजस्तान ने इस प्रयास में सफलता अर्जित की है।

एक अन्य समानता जो हमें सूत्रबद्ध करती है, वह पंथनिरपेक्षता के प्रति हमारी वचनबद्धता है। बहुलवादी समाज होने के कारण हमारे दोनों राष्ट्रों का साझा विचार है कि राष्ट्र की प्रगति और विकास के लिए विविध आस्थाओं और जातीयताओं वाले नागरिकों का सौहार्दपूर्ण सहअस्तित्व अत्यावश्यक है।

महामहिम, भारत के लिए, समावेशी विकास एक प्रमुख प्राथमिकता रहा है। हमारी 1.25 अरब लोगों की बढ़ती जनसंख्या और हमारे संसाधनों की कमी से हमारे विकल्प भरपूर मानव पूंजी को प्राथमिकता देने की ओर मुड़ गए हैं। हमने अपने विकास लक्ष्यों की प्राप्ति में आ रही चुनौतियों पर ध्यान देने के लिए स्वदेशी, उपयुक्त और किफायती समाधानों के नवान्वेषण और विकास पर बल दिया है। क्षमता निर्माण हमारे अनुभव का एक पहलू है जिसे हमें किर्गीजस्तान जैसे मित्रों के साथ बांटने में प्रसन्नता हुई है।

भारत क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर किर्गीजस्तान के साथ अपने सहयोग को महत्त्वपूर्ण मानता है। महामहिम, इस संदर्भ में, मैं संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता की भारत दावेदारी को किर्गीजस्तान के खुले समर्थन के लिए भारत की सराहना को दोहराता हूँ। हमें, शंघाई सहयोग संगठन में भारत के पूर्ण सदस्यता के हमारे प्रयासों को प्राप्त आपके सहयोग के लिए भी प्रसन्नता हुई है।

हमारे साझे हित के विविध क्षेत्रों में हमारी परस्पर लाभपूर्ण साझीदारी की सफलता राष्ट्रों की मैत्री की शक्ति को दर्शाती है जिसे एक पुरानी किर्गीज कहावत में अभिव्यक्त किया गया है जिसका हिन्दी अनुवाद है : दो व्यक्तियों की मित्रता एक बाधा को पार करने में मदद करती है; दो जनता की मित्रता एक हजार को पार करने में मदद करती है।’’

अत: मुझे विश्वास है कि मिलकर कार्य करने से भारत और किर्गीजस्तान न केवल हमारी दोनों जनता और हमारे क्षेत्रों बल्कि विश्व की बेहतरी के लिए बहुत कुछ अर्जित कर सकते हैं।

महामहिम, इन्हीं शब्दों के साथ, मैं एक बार पुन: आपका स्वागत करता हूं और आपको और मादाम रायसा अताम्बायेवा को भारत में सुखद प्रवास और अत्यंत सफल यात्रा के लिए शुभकामनाएं देता हूं।

देवियो और सज्जनो, आइए हम सब मिलकर:

- महामहिम राष्ट्रपति अल्माज्बेक शारशेनोविक अताम्बायेव और मादाम रायसा अताम्बायेवा के अच्छे स्वास्थ्य और सफलता;

- किर्गीजस्तान की जनता की निरंतर प्रगति, समृद्धि और कुशलता; तथा

- भारत और किर्गीजस्तान के बीच स्थायी मैत्री की कामना करें।

जाशासीन किर्गीजस्तान! जय हिंद!