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आवास एवं शहरी गरीबी उन्मूलन मंत्रालय द्वारा वर्ष 2012-13 के लिए राज्यों, संघ क्षेत्रों, शहरों को राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान करने के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी का अभिभाषण

विज्ञान भवन, नई दिल्ली : 21.01.2014



मुझे, आज आवास एवं शहरी गरीबी उन्मूलन मंत्रालय द्वारा स्थापित राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान करने के लिए यहां आकर बहुत खुशी हुई है। ये पुरस्कार इस मंत्रालय के विभिन्न मिशनों और स्कीमों के माध्यम से शहरी गरीबों की गरीबी उन्मूलन तथा आवासीय अवसंरचना में सुधार में उत्कृष्ट योगदान के लिए मान्यता प्रदान करते हैं।

2. मैं उन सभी सर्वोत्तम प्रयास करने वाले राज्यों तथा शहरों को बधाई देता हूं जिन्हें आज पुरस्कृत किया गया है। मुझे उम्मीद है कि उन्होंने जो मापदंड स्थापित किए हैं, वह अन्यों को भी अपने प्रयासों में सुधार के लिए प्रेरित करेंगे। मैं देश के शहरी केंद्रों को अधिक सतत तथा समावेशी बनाने की दिशा में राज्यों, संघ क्षेत्रों तथा शहरों को प्रेरित करने के लिए आवास एवं शहरी गरीबी उन्मूलन मंत्रालय को भी बधाई देता हूं।

देवियो और सज्जनो,

3. शहरीकरण ऐसी परिघटना है जिसने पूरी दुनिया के हर एक भाग को प्रभावित किया है। इतिहास में पहली बार दो वर्ष पूर्व, शहरी जनसंख्या ने ग्रामीण जनसंख्या को पीछे छोड़ दिया, जो एक नई ‘शहरी सहस्राब्दि’ के आगमन का द्योतक था। शहर अब विकास के वाहक तथा नवान्वेषण के केंद्र बन गए हैं। इसी के साथ शहरों को आव्रजन, सामाजिक गैर बराबरी, नागरिक अवसंरचनाओं की असमानता तथा पर्यावरणीय प्रदूषण का भी सामना करना पड़ रहा है।

4. अगले चालीस वर्षों में, भारत के विश्व की सबसे अधिक शहरी जनसंख्या का साक्षी होने की संभावना जताई गई है। क्या हमारे शहर और कस्बे जनसंख्या की इस बढ़ोत्तरी का सामना करने के लिए तैयार हैं? क्या इस परिकल्पित प्रसार से निबटने के लिए हमारे शासन ढांचे तथा सेवा प्रदाता व्यवस्थाएं समुचित रूप से मजबूत हैं। जब प्रणालीगत अपर्याप्तताएं, झुग्गियां तथा बेघर लोग जैसे प्रत्यक्ष संकेत नीति निर्माताओं के सामने भारी चुनौती हो तब यह चिंता की बात है कि हमारे शहरी ढांचे इसके साथ ताल बिठाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। हमारे देश में 93 मिलियन झुग्गीवासी हैं तथा 18 मिलियन आवासों की कमी है। झुग्गीवासी अत्यंत खराब स्थिति में रहते हैं तथा अनिवार्य नागरिक सुविधाओं से भी वंचित है। हमारे शहरों के समक्ष उपस्थित चुनौतियां विशाल हैं परंतु इन पर विजय पाई जा सकती है। मैं शहरी गरीबों तक अधिक आवासीय पहुंच के माध्यम से शहरी आवास के अंतर को पाटने के लिए बनाई गई नवान्वेषी नीतियों तथा कार्यक्रमों को शुरू करने के लिए आवास एवं शहरी गरीबी उन्मूलन मंत्रालय की सराहना करता हूं।

देवियो और सज्जनो,

5. शहरी गरीबी बहुआयामी है। इस तरह के अभावों की प्रकृति के पूर्ण आकलन के लिए आय तथा उपभोग के परंपरागत मापदंड अपर्याप्त हैं। गरीबी के कारगर समाधान के लिए आवासीय, व्यावसायिक तथा सामाजिक, तीन प्रमुख कारकों को मिलाकर एक अधिक समग्र, संवेदनशीलता आधारित नजरिए की जरूरत है। जो आवासहीन हैं तथा झुग्गी निवासी हैं उन्हें आवासीय संवेदनशीलता का सामना करना पड़ता है। जिन्हें कौशल प्रशिक्षण तथा औपचारिक शिक्षा नहीं मिली और जिनका अनिश्चित वेतन है तथा अस्वच्छ, असम्मानजनक और शोषणात्मक हालातों में काम करते हैं वे व्यावसायिक संवेदनशीलता से ग्रस्त होते हैं। लिंग, आयु, निशक्तता तथा सामाजिक स्तरीकरण से सामाजिक संवेदनशीलता को बढ़ावा मिलता है।

6. जब तक शहरी गरीबी की संवेदनशीलता के संदर्भ में सही समझ नहीं होती तब तक किसी भी प्रकार के नीतिगत प्रयास अपेक्षित परिणाम प्राप्त करने में असफल रहेंगे। यह देखकर प्रसननता हुई है कि आवास एवं शहरी गरीबी उन्मूलन मंत्रालय की स्कीमों में संवेदनशीलता का खाका दिखाई देता है। जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय शहरी पुनर्निर्माण मिशन आवासीय संवेदनशीलता का समाधान करने; स्वर्ण जयंती शहरी रोजगार योजना तथा अब राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन, व्यावसायिक संवेदनशीलता; तथा राजीव आवास योजना आवासीय, व्यावसायिक तथा सामाजिक संवेदनशीलता के समाधान के लिए तैयार की गई है।

7. जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय शहरी पुनर्निर्माण मिशन, शहरी गरीबी के खिलाफ लड़ाई में निर्णायक कदम है। यह वास्तव में प्रशंसा की बात है कि इसके उप मिशनों—शहरी गरीबों को बुनियादी सेवाएं, तथा समेकित आवास तथा झुग्गी विकास—से 980 शहरों में गरीबों और वंचितों को लाभ पहुंचा है। मैं इन संस्थानों का आह्वान करता हूं कि वे समयबद्ध तरीके से मिशन के प्रयासों को कार्यान्वित करें।

8. राजीव आवास योजना का अकेला उद्देश्य झुग्गियों को औपचारिक आवासीय प्रणाली के तहत लाना है। इस स्कीम में लिंग तथा समुदाय सशक्तीकरण की नवान्वेषी विशेषताएं तथा गिरवी रखने योग्य अधिकारों का प्रावधान शामिल किया गया है। मुझे इस स्कीम के उद्देश्यों का कारगर कार्यान्वयन सुनिश्चित करने के लिए झुग्गी मुक्त योजना को प्रोत्साहन देने के लिए उठाए गए कदमों के बारे में जानकर खुशी हुईह ै। जिन शहरों ने यह योजना पूरी कर ली है उनकी सराहना करते हुए मैं शेष से भी इस नूतन प्रयास का अनुकरण करने का आग्रह करता हूं। मैं राज्यों तथा शहरों से आह्वान करता हूं कि इस स्कीम के तहत समुदाय को जोड़ने के प्रयासों को बढ़ाएं। स्थानीय सामग्री तथा ऊर्जा का उपयोग तथा किफायती भवन प्रौद्योगिकियों के उपयोग से कम लागत के आवास में आमूल-चूल बदलाव लाया जा सकता है। मुझे आशा है कि जब परियोजनाओं का कार्यान्वयन होगा तब इस तरह के उपायों को प्रोत्साहन दिया जाएगा।

9. शहरी गरीबों के लिए औपचारिक आवास की प्राप्ति में वृद्धि के साथ उनकी वहनीयता के मुद्दे के समाधान की जरूरत भी सामने आती है। मुझे बताया गया है कि आवास एवं शहरी गरीबी उन्मूलन मंत्रालय ने शहरी गरीब आवास के क्षेत्र में मांग की चुनौतियों को पहचाना है। ऋण जोखिम गारंटी फंड तथा राजीव ऋण योजना जैसी स्कीमों के तहत शहरी गरीबों के लिए औपचारिक आवास वित्त की वहनीयता में सुधार का प्रयास किया गया है।

10. गरीबी उन्मूलन स्कीमों की सततता, दक्षता तथा आजीविका प्रशिक्षण तथा स्वरोजगार के अवसरों के सृजन संबंधी बृहत प्रयासों पर निर्भर होगी। स्वर्ण जयंती शहरी रोजगार योजना तथा राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन का, शहरी निर्धनों के वास्तविक सशक्तीकरण के लिए उपयुक्त ढंग से उपयोग करना होगा। मुझे विश्वास है कि नीतियों और कार्यक्रमों के कारगर उपयोग से शहरी सेक्टर में आवास तथा बुनियादी सेवाओं की व्यवस्था में काफी सुधार आ सकता है।

देवियो और सज्जनो,

11. विश्व भर में सरकारों द्वारा उठाए गए निर्धन कल्याण के लिए सुधार के उपायों से अत्यधिक गरीबी की मात्रा 1990 से 2005 के बीच आधी रह गई है। वर्ष 2008 से 2010 के बीच लगभग 200 मिलियन लोगों को झुग्गियों से निकाला गया है जिनमें से भारत में 30 प्रतिशत थे। मुझ उम्मीद है कि सक्रिय प्रयासों के परिणामस्वरूप इसमें और कमी आएगी तथा हम झुग्गी-मुक्त भारत की दिशा में आगे बढ़ेंगे।

12. शहर, व्यक्तियों के तथा सामूहिक समृद्धि के प्रमुख केंद्र हैं। यदि शहरों में रहने वाले लोग बुनियादी सुविधाओं के बिना त्रस्त रहेंगे तो अपनी पूरी क्षमता का उपयोग करने में तथा सृजनात्मक प्रयासों में सफल नहीं होंगे। हमें लोगों को उनके सर्वोत्तम योगदान के लिए सक्षम बनाना है। हर किसी को वह लाभ मिलने चाहिए जो शहर देता है। अन्यथा, हम अपने प्रयासों में पूरी तरह सफल नहीं होंगे। हमारी नीतियां तथा स्कीमें तब तक जोर-शोर से जारी रहनी चाहिए जब तक लक्ष्य प्राप्त नहीं होता। शहरों को हम देश की प्रगति और समृद्धि का दूत बनाएं।

13. मैं, एक बार फिर से उन सभी राज्यों एवं शहरों को बधाई देता हूं जिन्हें आज राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान किए गए हैं। मैं आवास एवं शहरी गरीबी उन्मूलन मंत्रालय को इसके भावी प्रयासों के लिए शुभकामनाएं देता हूं। अंत में मैं कवि विलियम वर्ड्सवर्थ की कुछ पंक्तियां दोहराना चाहूंगा :

‘‘अब शहर है पहने हुए सुबह की सुंदरता, वस्त्र के समान; जलयान, मीनार, गुंबद, थियेटर और मंदिर फैले हैं दूर दूर तक और आसमान तक शांत और अनावृत्त; धूम्ररहित वायु है शुभ्र और झिलमिल करती’’

धन्यवाद,

जय हिंद!