विशिष्ट अतिथिगण,
मुझे आज भारत के चार्टरित लेखाकारों के संस्थान के अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के अवसर पर आपके बीच आकर बहुत खुशी हो रही है।
2. भारत आज वैश्वीकृत विश्व अर्थव्यवस्था का हिस्सा है। इसके परिणामस्वरूप इसके सामने खुद की चुनौतियां और अवसर हैं। इन चुनौतियों में से सबसे बड़ी है समावेशी विकास, जिससे सामाजिक आर्थिक सोपान के आखिरी हिस्से पर स्थित लोगों को नए आर्थिक अवसरों का पूर्ण लाभ सुनिश्चित हो सके। समावेशी शासन के बिना समावेशी विकास को प्राप्त नहीं किया जा सकता। हमारी प्राथमिकता शासन में सहभागितापूर्ण निर्णय के द्वारा तथा अर्थव्यवस्था में समतापूर्ण आर्थिक विकास द्वारा समावेशिता प्राप्त करना है।
3. पिछले छह दशकों के दौरान, ऐसा बहुत कुछ हुआ है जिसके लिए हम गर्व महसूस कर सकें। साक्षरता दर में काफी सुधार हुआ है तथा वर्ष 2011 में यह 74 प्रतिशत थी। आत्म-निर्भरता पाने के बाद अब हम खाद्यान्न का निर्यात कर रहे हैं। गरीबी की मात्रा में उल्लेखनीय कमी आई है। हमारा आर्थिक विकास तीन गुणा से अधिक हो गया है। पिछले दशक में जबकि भारत की वार्षिक विकास दर 7.9 प्रतिशत की दर से बढ़ी है, हम विश्व में सबसे तेजी से विकास करने वाले देश के रूप में उभरे हैं और जिसकी अर्थव्यवस्था क्रय शक्ति समानता के आधार पर विश्व में तीसरी सबसे बड़ी है। तथापि, भविष्य में हमारी विकास दर के बने रहने पर शंकाएं व्यक्त की गई हैं। विकास दर में यह कमी बाहरी और आंतरिक दोनों तरह के कारणों के चलते हुई है। मुझे उम्मीद है कि भारतीय अर्थव्यवस्था का लचीलापन और सरकार द्वारा घोषितों उपायों तथा इस वर्ष मानसून की प्रचुरता से अल्पकालीन गिरावट रोकने में सहायता मिलेगी।
4. मौजूदा आर्थिक परिवेश ने वित्तीय और लेखांकन की दुनिया में बहुत से मुद्दे पैदा किए हैं। चार्टरित लेखाकारों को, प्रबंधन तथा वित्तीय लेखा विवरणों का प्रयोग करने वालों को परामर्श देने में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह करना होता है। जन-कंपनियों के लेखाकारों, इस पेशे के सदस्यों को अपनी लेखा रिपोर्टों के माध्यम से महत्वपूर्ण दायित्वों का निर्वाह करना होता है, जो कि उनको सौंपी गई महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है। वास्तव में ठीक ढंग से इस जिम्मेदारी को पूरा करने से लेखापरीक्षक न केवल अपने पेशे के प्रति बल्कि उन संस्थाओं के प्रति भी जनता का भरोसा जगाते हैं जिनकी वे लेखा परीक्षा करते हैं। लेखांकन पेशे की कसौटी जनहित में कार्य करने के प्रति उनका दायित्व है। वित्तीय संकटों की मौजूदा बाढ़ ने, गुणवत्तायुक्त वित्तीय सूचना उपलब्ध कराने, बाजार में व्यवस्था बनाए रखने तथा वित्तीय बाजार में विभिन्न भागीदारों के बीच भरोसा पैदा करने में इस पेशे द्वारा निभाई जा रही भूमिका को और भी महत्वपूर्ण बना दिया है।
5. स्वतंत्र रूप से व्यवसाय करने वाले अथवा उद्योगों में काम करने वाले पेशेवर-लेखाकारों को अर्थव्यवस्था में सभी निवेशकों, करदाताओं तथा स्टेकधारकों को सटीक वित्तीय गैर-वित्तीय सूचना प्रदान करनी चाहिए। उनसे यह भी अपेक्षा की जाती है कि वे प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से कारपोरेट शासन प्रक्रियाओं से जुड़े हुए स्केटधारकों को सही और कारगर सूचना उपलब्ध कराएंगे। एक सुस्थापित पेशे के रूप में लेखांकन के पेशेवरों को उच्च दर्जे के नैतिक आचरण तथा व्यावसायिक विवेक का प्रयोग करना चाहिए; विनियामकों और सरकार के साथ सहयोग करना चाहिए, वित्तीय रिपोर्टिंग, लेखापरीक्षा तथा आश्वासन, नैतिकता, सार्वजनिक क्षेत्र, वित्तीय रिपोर्टिंग तथा लेखांकन शिक्षा के लिए उच्च पेशेवर मानक विकसित तथा कार्यान्वित करने चाहिए। मुझे खुशी है कि भारत के चार्टरित लेखाकारों के संस्थान द्वारा शुरू की गई विभिनन पहलें आर्थिक विकास में तथा जनता का भरोसा बनाए रखने में बड़ी भूमिका निभा रही हैं। यह पेशा अब केवल लेखांकन कार्यों से कहीं आगे बढ़कर, सरकार तथा विभिन्न विनियामकों को वित्तीय बाजारों, करारोपण, निगमित कानूनों, आर्थिक कानूनों, बैंकिंग, बीमा, सरकारी लेखांकन में सुधार तथा देश के सामाजिक विकास में अपनी प्रतिक्रिया देकर योगदान दे रहा है। आपके द्वारा प्रदान की जा रही गुणवत्तापूर्ण को देखते हुए ग्रामीण विकास मंत्रालय ने भारतीय चार्टरित लेखाकारों के संस्थान से मनरेगा योजनाओं के संबंध में ग्राम पंचायतों की लेखपरीक्षा में सक्रिय भूमिका निभाने का अनुरोध किया है।
6. मुझे यह जानकर भी खुशी हो रही है कि भारतीय चार्टरित लेखाकारों का संस्थान के नवीन लेखांकन मानकों का निर्धारण कर रहा है तथा समय-समय पर मौजूदा लेखांकन मानकों को संशोधित कर रहा है जिससे भारतीय लेखांकन मानकों को अंतर्राष्ट्रीय लेखांकन मानक बोर्ड द्वारा बनाए गए अंतर्राष्ट्रीय लेखांकन मानकों/अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय रिपोर्टिंग मानकों के बराबर लाया जा सके। अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय रिपोर्टिंग मानकों के अनुरूप भारतीय लेखांकन मानकों के निर्धारण से भारत को विश्व के अन्य देशों पर बढ़त मिली है। भारतीय चार्टरित लेखाकारों के संस्थान ने अपने सघन सक्षमता निर्माण उपायों के द्वारा यह भी सुनिश्चित किया है कि भारत के पास आज बहुत बड़ी संख्या में अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय रिपोर्टिंग मानक प्रशिक्षित पेशेवर लेखाकार मौजूद हैं।
7. समता और न्याय, निष्पक्षता और पारदर्शिता, भारतीय शासन व्यवस्था की आधारशिला बनी हुई है। भारत एक बार फिर बदलाव के मुहाने पर है। जिस बदलाव एजेंडे को हमने हिम्मत के साथ अपनाया है उसके लिए नवान्वेषण तथा निष्पादन अपेक्षित है। इसके लिए भारी संसाधन चाहिएं और उससे कहीं अधिक महत्वपूर्ण यह है कि हम इन संसाधनों का उपयुक्त उपयोग करें ताकि इन संसाधनों से हम इष्टतम् लाभ प्राप्त कर सकें। देश के प्रत्येक संस्थान को खुद को इस ऐतिहासिक बदलाव के लिए खुद में बदलाव लाना चाहिए तथा इसमें योगदान के लिए तैयार रहना चाहिए। मुझे इस संस्थान से बहुत उम्मीदें हैं तथा मुझे विश्वास है कि आने वाले समय में यह पेशा भारत की आर्थिक प्रगति में तत्परता से तथा योग्य साझीदार बनकर कार्य करता रहेगा।
धन्यवाद,
जय हिन्द!