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वर्ष 2010 के लिए इंदिरा गांधी शांति, निरस्त्रीकरण तथा विकास पुरस्कार प्रदान करने के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी का अभिभाषण

राष्ट्रपति भवन, नई दिल्ली : 22.11.2012



डॉ. मनमोहन सिंह, भारत के प्रधानमंत्री

श्रीमती सोनिया गांधी, अध्यक्ष, इंदिरा गांधी स्मारक ट्रस्ट,

राष्ट्रपति लुइस इनासियो लूला डिसिल्वा, ब्राजील के पूर्व राष्ट्रपति

विशिष्ट देवियो और सज्जनो,

इंदिरा गांधी शांति, निरस्त्रीकरण तथा विकास पुरस्कार को प्रदान किए जाने का अवसर वैश्विक शांति, विकास एवं निरस्त्रीकरण की दिशा में एक प्रमुख परिघटना है। आज हम एक वर्तमान विश्व नेता को, इन सार्वभौमिक आकांक्षाओं की प्राप्ति के लिए उनके महत्त्वपूर्ण योगदान के लिए मान्यता देकर उन्हें सम्मानित कर रहे हैं।

यह प्रतिष्ठित पुरस्कार वैश्विक शांति, निरस्त्रीकरण तथा नई अंतरराष्ट्रीय आर्थिक व्यवस्था के लिए एक अविचल योद्धा के रूप में स्वर्गीय श्रीमती इन्दिरा गांधी की विरासत की याद दिलाता है। हमारे देश के ताजा इतिहास में उन्होंने उस समय भारतीय जनता का विश्वास जीता जबकि हमारे सामने गंभीर घरेलू और विदेशी चुनौतियां खड़ी थी। अपनी विशेष शैली में, उन्होंने इन चुनौतियों का समुचित तात्कालिकता से सामना किया और इसके लिए उन्होंने महात्मा गांधी द्वारा सिखाए गए और उपयोग किए गए सिद्धांतों तथा अपने स्वप्नदर्शी पिता जवाहरलाल नेहरू की नीतियों से मार्गदर्शन लिया।

व्यक्तिगत रूप से, मेरे लिए यह दिन आधुनिक भारत की सबसे ऊर्जावान प्रधानमंत्री और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक महान नेता के रूप में प्रशंसा प्राप्त करने वाली नेता के सान्निध्य को याद करने का समय है जिनका उन लोगों के प्रति समर्पण तथा प्रतिबद्धता अतुलनीय था जिनका उन्होंने प्रतिनिधित्व किया था।

श्रीमती गांधी का यह स्पष्ट मत था कि भारत को आत्मनिर्भर होने की जरूरत है तथा उनकी सबसे पहली चिंता देश का हित था। भारत के सामाजिक-आर्थिक विकास में श्रीमती इंदिरा गांधी ने निर्धनतम और सर्वाधिक वंचित लोगों का ध्यान रखा। ‘सामाजिक न्याय के साथ प्रगति’ उनकी सरकार का ध्येय वाक्य बन गया। इससे यह बात स्पष्ट हुई कि भारत में प्रगति के साथ ही इससे प्राप्त लाभों के समान वितरण पर भी ध्यान देना होगा। इसके तहत न केवल संसाधनों और कार्यक्रमों के सुव्यवस्थित प्रबंधन को, बल्कि पंचायती राज संस्थाओं के सशक्तीकरण, जन वितरण प्रणाली के सुदृढ़ीकरण, स्कूली बच्चों के लिए मध्याह्न भोजन स्कीमों की शुरुआत, अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति और अन्य लोगों के सशक्तीकरण जैसे सामाजिक परिवर्तन की संस्थाओं और कार्यक्रमों के सृजन को प्राथमिकता दी गई।

श्रीमती इंदिरा गांधी ने ही भारत के सरकारी तथा व्यावसायिक सेक्टरों को आर्थिक प्रगति के लिए, एक सहकारी गठबंधन की दिशा दी। उन्होंने प्रसार को बढ़ावा देने के लिए एक नई औद्योगिक नीति बनाई तथा निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए वित्तीय सहायता तथा कर से छूट प्रदान की। हड़ताल तथा श्रमिक विवादों को हतोत्साहित करने के लिए विशेष कानून पारित किए गए। बैंकों के राष्ट्रीयकरण से न केवल घरेलू बचत को बढ़ाने में सहायता मिली बल्कि इससे अनौपचारिक सेक्टर, लघु एवं मध्य उद्यमों और कृषि में काफी निवेश प्राप्त हुआ उनके साहसिक प्रयासों के परिणामस्वरूप आज भारतीय अर्थव्यवस्था अधिक लचीली तथा विश्वास से परिपूर्ण है। दो दशकों के अच्छे आर्थिक सुधारों के कारण ग्रामीण एवं शहरी दोनों क्षेत्रों में औसत आमदनी तथा खपत के स्तरों में सुधार हुआ है। बहुत से अति पिछड़े क्षेत्रों में नई सिरे से सक्रियता आई है और वे राष्ट्र की आर्थिक मुख्य धारा में आ गए हैं।

पर्यावरण तथा ऊर्जा को, श्रीमती गांधी की कार्य योजना में बहुत ऊंची प्राथमिकता प्राप्त थी। मुझे याद है कि एक बार उन्होंने सभी राज्यों के मुख्य मंत्रियों को यह सुझाव देते हुए पत्र भेजा था कि वे अपने यहां हर एक बच्चे के लिए एक पेड़ लगाने का एक अभियान चलाएं। उन्होंने परंपरागत ऊर्जा-बचत प्रौद्योगिकियों के महत्त्व पर जोर दिया और नई प्रौद्योगिकियों के विकास तथा भारत की जरूरतों के अनुसार उनके अनुकूलन का स्वागत किया।

वैश्विक स्तर पर, श्रीमती इंदिरा गांधी, जो कि हर एक बारीकी के प्रति बहुत सचेत थी, की अपनी स्पष्ट विचारधारा थी। उनका यह दृढ़ विश्वास था कि केवल सहअस्तित्व से ही अस्तित्व बना रह सकता है। मैं उनके शब्दों को उद्धृत करना चाहूंगा करना चाहूंगा जो आज की परिस्थिति में बहुत प्रासंगिक हैं। उन्होंने कहा था, ‘‘हम गैर हस्तक्षेप और गैर-दखलंदाजी को अंतरराष्ट्रीय व्यवहार के बुनियादी सिद्धांत मानते हैं। तथापि, एशिया में, अफ्रीका में तथा दक्षिण अमरीका में प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से, विभिन्न तरह की दखलंदाजियां होती हैं। वह सब असहनीय और अस्वीकार्य हैं। हस्तक्षेप से दखलंदाजी की शुरुआत होती है एक दखलंदाजी से प्राय: दूसरी दखलंदाजी को न्योता मिलता है। प्रत्येक विवाद की स्थिति के अपने कारण होते हैं। चाहे वे कुछ भी हों, उनका समाधान राजनीतिक तथा शांतिपूर्ण होना चाहिए। सभी राष्ट्रों को इस सिद्धांत का पालन करना चाहिए कि किसी भी दूसरे राष्ट्र की भौगोलिक अखंडता तथा राजनीतिक स्वतंत्रता के विरुद्ध किसी भी प्रकार की ताकत या ताकत की धमकी का प्रयोग नहीं किया जाएगा। अपने-अपने देश के लोगों के बेहतर जीवन के लिए हमारी योजनाएं विश्व शांति तथा हथियारों की दौड़ को खत्म करने पर निर्भर है।’’

उनका स्वर सदैव एक समान रहा—सुरक्षा, विकास तथा पर्यावरण का अन्त:संबंध। उनका मानना था कि राष्ट्रीयता के कारण लोगों को सामान्य मानवता से विलग नहीं होना चाहिए। वह ‘‘मानवता की एक ऐसी नयी अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था तैयार करने, जहां त़ाकत को अनुकंपा का साथ हो, जहां ज्ञान और क्षमता सारी मानवता की सेवा में हो’’ की जरूरत के प्रति आश्वस्त थी। गुट निरपेक्ष आंदोलन की अध्यक्षा के रूप में 1983 में संयुक्त राष्ट्र संघ को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा था, ‘‘निर्बलों की सुरक्षा सबलों की ताकत है।’’

श्रीमती इंदिरा गांधी का यह दृढ़ मत था कि विश्व का भविष्य निर्धारित करने में छोटे देशों की प्रमुख भूमिका है। उन्होंने विकासशील देशों को ‘औद्योगिक क्रांति के सौतेले बच्चों’ के रूप में उल्लेख करते हुए कहा था कि उन्हें उचित न्याय मिलना चाहिए। भारत के उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए उन्होंने कभी भी न तो दूसरे विकासशील देशों की आकांक्षाओं के विरुद्ध काम किया और न ही उनकी प्राथमिकताओं को हानि पहुंचाई। उनका यह कहना था कि पर्यावरण, वैश्विक संसाधनों के अधिकतम उपयोग तथा राजनीतिक एवं आर्थिक प्रणालियों के पुनर्गठन जैसी विभिन्न समस्याओं के लिए संपूर्ण वैश्विक समुदाय के सामूहिक प्रयासों की जरूरत है। श्रीमती इन्दिरा गांधी को विकासशील देशों के बीच संबद्धता, एकता तथा अधिकाधिक आर्थिक सहयोग, उनके स्वायत्त विकास, सामूहिक आत्मनिर्भरता तथा उत्तर और पश्चिम के बीच समतापूर्ण और लोकतांत्रिक विचार-विमर्श बनाए रखने के लिए उनके अथक प्रयासों के लिए याद किया जाएगा। अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उनके प्रयासों के लिए उनकी प्रशंसा एक निर्णायक और मध्यस्थ के रूप में की जाती थी।

राष्ट्रपति लूला को 2010 का पुरस्कार प्रदान करते हुए आज हम विकासशील विश्व के एक प्रमुख हिमायती को सम्मानित कर रहे हैं। राष्ट्रपति लूला ब्राजील की एक परिवर्तनकारी हस्ती रहे हैं। मामूली शुरुआत से उठ कर देश के सर्वोच्च स्थान और एक विश्व राजनेता के रूप में अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त करने की उनकी अपनी अनूठी जीवनी से उन्होंने अपने करोड़ों देशवासियों को प्रेरित किया है। उनके कार्यों ने भागीदारी पूर्ण लोकतंत्र और विकास के प्रभावी सरकारी प्रयास में उनकी आस्था को मजबूती प्रदान की। एक कल्पनाशील व्यक्ति होने के नाते, उन्होंने ब्राजील के समग्र विकास का स्वप्न देखा तथा भूख को मिटाने और गरीबी कम करने को अपनी प्राथमिकता बनाया। ऊर्जा और लगन के साथ, उन्होंने खाद्य अभाव के ढांचागत कारणों का सामना किया और अपने देशवासियों को खाद्य सुरक्षा प्रदान की। वह ब्राजील में समावेशी विकास के पक्षधर रहे हैं, यह एक ऐसी नीति है जो हमारे समान है। अपने राष्ट्रपतिकाल के विशेष कार्यक्रमों बोल्सा फैमिलिया और फोमे जीरो जैसे सामाजिक कार्यक्रमों के माध्यम से राष्ट्रपति लूला ने न केवल गरीब परिवारों को वित्तीय लाभ प्रदान करने के मॉडलों की संकल्पना की और उन्हें लोकप्रिय बनाया और उनसे कुछ महत्त्वपूर्ण सामाजिक आवश्यकताओं को पूरा करने की अपेक्षा जताई। आज ब्राजील एक अग्रणी अर्थव्यवस्था है और इन नवान्वेषी और सुसंचालित कार्यक्रमों के द्वारा 20 मिलियन से अधिक ब्राजीलवासियों को घोर निर्धनता से ऊपर उठाया गया है। पूर्व राष्ट्रपति लूला के एक घनिष्ठ सहयोगी और मित्र राष्ट्रपति डिल्मा रोसेफ द्वारा इन नीतियों को जारी रखने से ब्राजील अपने नेताओं की आकांक्षाओं के अनुरूप एक ‘मध्यम वर्गीय’ देश बनने की राह पर है।

ब्राजील की अन्तरराष्ट्रीय छवि में उल्लेखनीय रूप से बदलाव का श्रेय भी राष्ट्रपति लूला को जाता है। उनका ऊर्जावान और गतिशील अंतरराष्ट्रीय सम्बन्ध विकासशील विश्व के साथ समानुभूति एवं एकजुटता पर आधारित है। दक्षिण अमेरिका के सभी देशों से शुरुआत करके इस महाद्वीप के देशों को और अधिक एकजुट करने के प्रयास करते हुए, राष्ट्रपति लूला ने बहुत से अफ्रीकी देशों के साथ ब्राजील के ऐतिहासिक और आर्थिक सम्बन्धों को सम्मान देते हुए, अफ्रीका के साथ मजबूत सम्बन्ध स्थापित किए। वह एक नए मंच के विकास में एक ताकत रहे हैं जिसने भारत और ब्राजील सहित प्रमुख उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं को एकजुट किया। इस प्रकार राष्ट्रपति लूला ने विकासशील देशों के हित में तथा उभरती हुई प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं की समानताओं और सामूहिक हितों को समझने में भारी योगदान दिया है। आने वाले वर्षों में 2014 में फीफा विश्व कप और 2016 में ओलंपिक के मेजबान के रूप में ब्राजील विश्व का और अधिक ध्यान आकर्षित कर पाएगा।

महामहिम राष्ट्रपति लूला, मैं कहना चाहूंगा कि आपको 2010 का इंदिरा गांधी शांति पुरस्कार प्रदान करना मेरे लिए अत्यंत संतोष का क्षण है। मैं समझता हूं कि अन्तरराष्ट्रीय निर्णायक मंडल ने यह निर्णय सर्वसम्मति से लिया। आप 20वीं शताब्दी के एक सच्चे स्वप्नदृष्टा हैं। आप ब्राजील के इतिहास में सबसे अधिक लोकप्रिय राजनीतिज्ञ तथा एक सबसे लोकप्रिय विश्व हस्ती माने जाते हैं। अपनी समावेशी नीतियों और लूला संस्थान के माध्यम से आर्थिक विकास सहित लोकतंत्र, सामाजिक समावेश को बढ़ावा देने के आपके प्रयासों से विश्व के बहुत से नेताओं के लिए एक उदाहरण और प्रेरणा बन गए हैं।

अफ्रीका, एशिया और दक्षिण अमरीका के विकासशील देशों के बीच सहयोग मजबूत करने के लिए इबसा और दक्षिण-दक्षिण सहयोग की स्थापनाआपके योगदान को दर्शाता है। यह आपकी दूरदर्शिता है जिसने लैटिन अमरीकी और कैरेबियन देशों के एकीकरण को गति प्रदान की। कम्यूनिटी ऑफ द लैटिन अमेरिकन एंड कैरेबियन स्टेट्स के निर्माण से अपना-अपना भविष्य बनाने की लोगों की आकांक्षा और आपके क्षेत्र के राष्ट्रों का संकल्प पूरा होगा।

भारत के लोग आपका अत्यंत सम्मान करते हैं। आप भारत के सच्चे मित्र रहे हैं। आपके राष्ट्रपति काल के दौरान भारत और ब्राजील के बीच सम्बन्धों में निरंतर प्रगति हुई तथा इबसा, ब्रिक, जी-20 और बेसिक में घनिष्ठ साझीदारी का सूत्रपात हुआ। हाल के वर्षों में हमारे द्विपक्षीय सहयोग मजबूत हुए हैं और आज हम परस्पर लाभ के लिए अपनी पूर्ण क्षमता का उपयोग करने के लिए एक लाभकारी कार्यनीतिक साझीदारी कर रहे हैं। हमारा दो तरफा व्यापार आज 9 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया है। हम ब्राजील को ऊर्जा सुरक्षा, खाद्य सुरक्षा प्राप्त करने में एक महत्त्वपूर्ण साझीदार तथा हमारे दोनों देशों की विकास प्रक्रियाओं को तीव्र करने के लिए हमारे उद्योग के लिए कच्चे माल तथा विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी और उच्च शिक्षा में अधिक सहयोग का स्रोत मानते हैं।

हमारे देशों के बीच वास्तव में अद्भुत समानता है; हम अपने-अपने महाद्वीपों अर्थात एशिया और लैटिन अमरीका में सबसे विशाल लोकतांत्रिक देश हैं; हमारे दोनों देशों में जातीय, सांस्कृतिक विविधताएं हैं; हमारे दोनों समाजों में सांस्कृतिक मुखरता और पारिवारिक सम्बन्ध महत्त्वपूर्ण हैं, और सबसे बढ़कर हम विकास की चुनौती का सामना कर रहे हैं। हाल ही के वर्षों में, हमारी अर्थव्यवस्थाएं विकास कर रही हैं और आज हम सकल घरेलू उत्पाद के मामले में प्रमुख अर्थव्यवस्थाएं हैं, परंतु हमारे दोनों देश क्षेत्रीय और आय-असमानता का सामना कर रहे हैं। इसलिए अवश्यंभावी है कि अक्सर, चाहे विश्व व्यवस्था का लोकतंत्रीकरण हो या विश्व व्यापार संगठन में अंतरराष्ट्रीय व्यापार या जलवायु परिवर्तन के मुद्दे हों, विश्व मुद्दों पर हमारी विचारधाराएं समान हैं। परमाणु नि:शस्त्रीकरण तथा जनसंहार के सभी हथियारों की विश्व समाप्ति के प्रति हमारी साझी दृढ़ प्रतिबद्धता है। विवादों के समाधान के सर्वोत्तम उपाय के रूप में संवाद और परामर्श में हम दोनों का विश्वास है। इसलिए हमारे सम्बन्ध को प्राकृतिक और आवश्यक माना जाता है।

महामहिम राष्ट्रपति लूला, जब हम आर्थिक अनिश्चितता, खाद्य अभाव, विश्व संसाधनों के लिए बढ़ती स्पर्द्धा, राजनीतिक अस्थिरता और आतंकवाद का सामना कर रहे हैं, तो विश्व मामलों के ऐसे महत्त्वपूर्ण मोड़ पर, दूरदर्शी, ईमानदार और स्पष्ट उद्देश्य वाले लोग ही अपने साथियों में विश्वास का संचार कर सकते हैं, समाधान प्राप्त कर सकते हैं और मार्गदर्शन कर सकते हैं। आपकी नीतियां सदैव समावेशी रही हैं और आपका दृढ़संकल्प प्रेरणादायी रहा है। हमारी सरकार और देशवासी अपने लोगों और मानवता के प्रति आपके नि:स्वार्थ परिश्रम की सराहना करते हैं। हमारी कामना है कि आप विश्व मामलों में लम्बे समय तक सक्रिय भूमिका निभाते रहें। मैं एक बार फिर आपको बधाई देता हूं और आपके अच्छे स्वास्थ्य और भावी प्रयासों में सफलता की कामना करता हूं।

धन्यवाद।