राष्ट्रकवि रामधारी सिंह ‘दिनकर’ सम्मान समारोह के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी का अभिभाषण
नई दिल्ली : 23.11.2012
देवियो और सज्जनो,
राष्ट्रकवि रामधारी सिंह ‘दिनकर’ सम्मान समारोह के इस अवसर पर मुझे आपके समक्ष उपस्थित होकर बहुत प्रसन्नता हो रही है।
दिनकर जी एक महान स्वतंत्रता सेनानी, कवि और लेखक थे। उनकी कविताएं चेतना से भरपूर थी। वीर रस की उनकी कविताओं से हम सभी परिचित हैं। उनकी कविताओं ने आज़ादी की लड़ाई में युवाओं में जोश भर दिया था। आज़ादी मिलने के बाद उन्होंने राष्ट्र-निर्माण में अपना योगदान दिया और भागलपुर विश्वविद्यालय के कुलपति तथा भारत सरकार के हिंदी सलाहकार जैसे कई महत्त्वपूर्ण पदों पर कार्य किया।
उनके इस योगदान के लिए सरकार ने उन्हें वर्ष 1959 में पद्म भूषण देकर सम्मानित किया। साहित्य सेवा के लिए उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार और भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार भी प्राप्त हुए। उनकी स्मृति में भारत सरकार द्वारा एक डाक टिकट जारी किया गया था। वे कई वर्षों तक संसद सदस्य रहे और संसद में उनके चित्र को स्थान देकर सम्मानित किया गया है।
दिनकर जी सही मायने में एक राष्ट्रवादी कवि थे। उनकी कविताएं हमें अन्याय के विरुद्ध लड़ने की शिक्षा देती हैं। वे रवीन्द्र नाथ टैगोर और इ़कबाल से बहुत प्रभावित थे और उन्होंने रवीन्द्र नाथ टैगोर की कई रचनाओं का बांग्ला से हिंदी में अनुवाद भी किया था।
साहित्य समाज का दर्पण है और वह समाज की प्रगति का भी परिचय देता है। यह खुशी की बात है कि भारतीय भाषाओं में बहुत अच्छे साहित्य की रचना हो रही है। मुझे विश्वास है कि भारतीय साहित्यकार अपने देश का नाम दुनिया भर में और रोशन करेंगे।
अंत में मैं, आज ‘दिनकर साहित्य रत्न’ सम्मान पाने वाले सभी लेखकों को बधाई देता हूं। मैं इस पुरस्कार के आयोजक ‘इन्द्रप्रस्थ इंडिया इंटरनेशनल’ को भी इस प्रयास के लिए बधाई और शुभकामनाएं देता हूं।
धन्यवाद।
जय हिंद!
राष्ट्रकवि रामधारी सिंह ‘दिनकर’ सम्मान समारोह के इस अवसर पर मुझे आपके समक्ष उपस्थित होकर बहुत प्रसन्नता हो रही है।
दिनकर जी एक महान स्वतंत्रता सेनानी, कवि और लेखक थे। उनकी कविताएं चेतना से भरपूर थी। वीर रस की उनकी कविताओं से हम सभी परिचित हैं। उनकी कविताओं ने आज़ादी की लड़ाई में युवाओं में जोश भर दिया था। आज़ादी मिलने के बाद उन्होंने राष्ट्र-निर्माण में अपना योगदान दिया और भागलपुर विश्वविद्यालय के कुलपति तथा भारत सरकार के हिंदी सलाहकार जैसे कई महत्त्वपूर्ण पदों पर कार्य किया।
उनके इस योगदान के लिए सरकार ने उन्हें वर्ष 1959 में पद्म भूषण देकर सम्मानित किया। साहित्य सेवा के लिए उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार और भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार भी प्राप्त हुए। उनकी स्मृति में भारत सरकार द्वारा एक डाक टिकट जारी किया गया था। वे कई वर्षों तक संसद सदस्य रहे और संसद में उनके चित्र को स्थान देकर सम्मानित किया गया है।
दिनकर जी सही मायने में एक राष्ट्रवादी कवि थे। उनकी कविताएं हमें अन्याय के विरुद्ध लड़ने की शिक्षा देती हैं। वे रवीन्द्र नाथ टैगोर और इ़कबाल से बहुत प्रभावित थे और उन्होंने रवीन्द्र नाथ टैगोर की कई रचनाओं का बांग्ला से हिंदी में अनुवाद भी किया था।
साहित्य समाज का दर्पण है और वह समाज की प्रगति का भी परिचय देता है। यह खुशी की बात है कि भारतीय भाषाओं में बहुत अच्छे साहित्य की रचना हो रही है। मुझे विश्वास है कि भारतीय साहित्यकार अपने देश का नाम दुनिया भर में और रोशन करेंगे।
अंत में मैं, आज ‘दिनकर साहित्य रत्न’ सम्मान पाने वाले सभी लेखकों को बधाई देता हूं। मैं इस पुरस्कार के आयोजक ‘इन्द्रप्रस्थ इंडिया इंटरनेशनल’ को भी इस प्रयास के लिए बधाई और शुभकामनाएं देता हूं।
धन्यवाद।
जय हिंद!