1. मुझे इस ऐतिहासिक सीएमएस कॉलेज के द्विशताब्दी समारोह का उद्घाटन करने तथा द्विशताब्दी खण्ड का शिलान्यास करने के लिए आज कोट्टायम आने पर खुशी हुई है। यह कॉलेज केरल में आधुनिक शिक्षा में अग्रणी है। यह कोलकाता के प्रेसीडेंसी कॉलेज के बाद देश का दूसरा सबसे पुराना कॉलेज है जो निरंतर बिना रुके उच्च शिक्षा प्रदान कर रहा है।1818 में 40विद्यार्थियों के बैच से आरंभ करने के बाद आज यहां 2400विद्यार्थी, 150 अध्यापक और60 लिपिकीय कर्मचारी हैं।
2. मुझे ज्ञात है कि मेरे प्रख्यात पूर्ववर्ती,राष्ट्रपति के.आर. नारायणन इसी कॉलेज के विद्यार्थी थे। अन्य प्रसिद्ध पूर्व छात्रों में मुख्यमंत्री ओमन चांडी,विद्वान राजनयिक सरदार के.एम.पानिकर और के.पी.एस मेनन,वैज्ञानिक डॉ. ई. सी.जी. सुदर्शन,भारत के उच्चतम न्यायालय के निवर्तमान न्यायमूर्ति के.टी. थॉमस,मलयाला मनोरमा के पूर्व मुख्य संपादक माम्मेन मप्पीलाई,के.एम. चेरियन तथा के.एम. मेथ्यू,रंगमंच विभूति प्रो. ओमचेरी एन.एन. पिल्लै तथा कवलम नारायण पेनिकर आदि शामिल हैं।
देवियो और सज्जनो,
3. चर्च मिशनरी सोसायटी जिस पर इस कॉलेज का नाम रखा गया है,चर्च ऑफ इंग्लैंड से जुड़े पादरी और जनसाधारण का स्वैच्छिक संगठन था।1813 में तत्कालीन ट्रावनकोर के तत्कालीन दीवान,कर्नल जॉन मुनरो ने प्रांत में सीरियाई ईसाइयों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति की जांच के लिए एक आयोग नियुक्त किया। उन्होंने कोट्टायम में एक कॉलेज आरंभ करने की प्रक्रिया शुरू करने के लिए मद्रास की अंग्रेज सरकार से अपील की। ब्रिटिश संसद ने कर्नल मुनरो का आग्रह स्वीकार कर लिया और अपने घोषणापत्र में संशोधन के जरिए धर्म प्रचार और शैक्षिक कार्य करने के लिए ईस्ट इंडिया कंपनी को अधिकार देकर इतिहास का एक नया अध्याय खोल दिया।
4. ट्रावनकोर राजपरिवार की प्रगतिशील परंपराओं के अनुरूप तत्कालीन महारानी रानी लक्ष्मीबाई ने मीनाचिल नदी के तट पर इस कॉलेज की इमारत के निर्माण के लिए भूमि, 500रुपये नकद तथा राजकीय वनों की लकड़ी प्रदान की। 1815में यह निर्माण पूरा हुआ और इसी वर्ष पादरियों का धर्म संबंधी प्रशिक्षण आरंभ हो गया।
5. 1817 में ‘द कॉलेज’जिसे बाद में ‘द कॉलेज कोटिम’के रूप में जाना जाता था,ने रेव बेंजामिन बेली,प्रथम प्राचार्य के रूप में काम करना आरंभ कर दिया। रेव बेली ने सीरियाक,संस्कृत,लेटिन, अंग्रेजी,यूनानी, इतिहास,गणित और भूगोल जैसे विषयों से युक्त पाठ्यक्रम शुरू करके आधुनिक पंथनिरपेक्ष शिक्षा की नींव रखी।
6. आरंभिक विद्यार्थियों ने कागज,पेन और कलम की बजाय सूखे ताड़पत्र और लोहे की स्टेंसिल जैसी स्थानीय सामग्री का प्रयोग करते हुए वर्जिल एनिड,सिसरो के ओरेशन्स, होरे के एपिस्टल तथा यूक्लिड के ज्यामिति (सभी पांच खंड) का अध्ययन किया। द कॉलेज के शैक्षिक कार्यक्रम कठिनता के मामले में कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के बराबर थे।
7. सुदूर स्थानों से विद्यार्थी अपने बड़े उम्र के संबंधियों के साथ कुछ दिनों तक बैलगाड़ी में यात्रा करके रास्ते में भोजन बनाते हुए कॉलेज आया करते थे। लगभग320 की आबादी वाला गांव कोट्टायम शीघ्र एक आकर्षक केंद्र बन गया जो दूर दराज से ज्ञानपिपासुओं को आकर्षित करता था।
8. यह जानते हुए कि ज्ञान का विस्तार ही लोगों को अज्ञानता,रोग और गरीबी से बाहर निकाल सकता है,रेव बेली ने 1820 में द कॉलेज में केरल का पहला छापाखाना स्थापित किया। उन्होंने आधुनिक मलयालम लिपि को डिजायन किया तथा इसे अपनी छपाई मशीनों के लिए ढाला। द कॉलेज की एक यात्रा के दौरान,ट्रावनकोर के महाराजा स्वाति तिरुनल रेव बेली के कार्य से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने उन्हें तिरुअनंतपुरम आमंत्रित किया और राजधानी में प्रथम छापाखाना स्थापित करने का दायित्व सौंपा।
9. द कॉलेज के एक अन्य पूर्व प्राचार्य रेव रिचर्ड कोलिन्स ने अध्यापन और शिक्षण को सुगम बनाने के लिए मलयालम विभाग की स्थापना की। उपलब्ध छपाई सुविधा का प्रयोग करते हुए,विभाग ने 1864 में दक्षिण भारत को प्रथम कॉलेज पत्रिका‘द कोटिम कॉलेज क्वार्ट्ली’प्रकाशित की जो विद्या संग्रह शीर्षक से आज भी प्रकाशित हो रही है।
मित्रो,
10. इस कॉलेज ने सदैव विभिन्न ईसाई संप्रदायों तथा पंथों और जनजातियों वर्गों के विद्यार्थियों का स्वागत किया। द कॉलेज ने ऐसे विद्यार्थी तैयार किए जो भारत में अंग्रेजों की मौजूदगी पर निरंतर प्रश्न किया करते थे। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान कैम्पस में भारत की स्वतंत्रता के नारे गूंजा करते थे।
11. सीएमएस कॉलेज ज्ञान और महत्वपूर्ण जिज्ञासा की उस मजबूत धारा का स्रोत रहा है जिसने केरल के शैक्षिक और सामाजिक सांस्कृतिक परिदृश्य को गढ़ा तथा राज्य को सामाजिक विकास मोर्चे पर आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया। वर्षों के दौरान, इसने अपने कार्य के प्रति दृढ़ प्रतिबद्धता वाले विशिष्ट शिक्षकों को आकर्षित किया है। इसके विद्यार्थियों ने शिक्षा और संस्कृति व खेल गतिविधियों में उत्कृष्टता प्राप्त करते हुए अनेक क्षेत्रों में श्रेष्ठता हासिल की है।
देवियो और सज्जनो,
12. सीएमएस कॉलेज का इतिहास और उपलब्धियां न केवल विद्यार्थियों,शिक्षकों और प्रशासकों बल्कि समूचे राज्य के लिए उपयुक्त गर्व का विषय है। संतुष्टि के लिए कोई स्थान नहीं है। उच्च शिक्षा हमारे आर्थिक विकास के लिए आवश्यक विशाल कुशल जनशक्ति उपलब्ध करवाने का मूलमंत्र है।
13. हमारी शिक्षा प्रणाली को मात्रा और गुणवत्ता के मामले में तैयार किया जाना चाहिए। हमारे देश की उच्च शिक्षा की मांग को तभी पूरा किया जा सकता है जब निजी क्षेत्र सार्वजनिक क्षेत्र की संस्थाओं के साथ समान रूप से भागीदार बनें। निजी क्षेत्र ने बहुत से देशों की उच्च शिक्षा में प्रमुख भूमिका निभाई है। हार्वर्ड,येल और स्टेनफोर्ड सहित सर्वोच्च अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय निजी क्षेत्र के प्रयासों का परिणाम है।
14. केरल अनेक क्षेत्रों में अग्रणी और पथप्रदर्शक रहा है। सर्व साक्षरता और समग्र प्राथमिक शिक्षा प्राप्त कर ली गई है। साक्षरता और स्कूली शिक्षा के क्षेत्र में इसकी सफलता उच्च शिक्षा की उपलब्धियों के बराबर नहीं है। अब समय आ गया है कि राज्य इस क्षेत्र में विश्व अग्रणी बनकर अपनी योग्यता सिद्ध करे।
15. हाल ही में हमारी संस्थाओं के कुछ ठोस प्रयासों ने श्रेष्ठ परिणाम दर्शाए हैं। एक नहीं बल्कि दो भारतीय संस्थाओं ने एक प्रतिष्ठित एजेंसी की वरीयता में विश्व के सर्वोच्च200 विश्वविद्यालयों में पहली बार स्थान प्राप्त किया है। एक और अंतरराष्ट्रीय एजेंसी द्वारा दो अन्य भारतीय संस्थाओं को विश्व के20 सर्वोच्च लघु विश्वविद्यालयों में स्थान दिया गया है।
16. यदि भारत को विश्व का एक अग्रणी राष्ट्र बनना है तो सुदृढ़ शिक्षा प्रणाली ही एक भावी पथ है।
धन्यवाद।
जयहिन्द।