1. सर्वप्रथम मैं इस गोलमेज के आयोजन के लिए पेकिंग विश्वविद्यालय और चीन जनवादी गणराज्य के शिक्षा मंत्रालय को धन्यवाद देता हूं। मैं दोनों देशों के चुनिंदा शैक्षिक प्रमुखों की प्रस्तुतियों तथा उनकी परिचर्चाओं के निष्कर्षों को सुनने के लिए अत्यंत इच्छुक था। जिन विषयों पर आपने अपनी चर्चा केंद्रित की है,वे हमारे दोनों देशों की विश्वविद्यालय शिक्षा के भविष्य के लिए महत्त्वपूर्ण हैं।
2. वे विश्वभर के शैक्षिक समुदायों की वर्तमान स्थिति और एक ऐसे क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं जहां चीन और भारत दोनों के शैक्षिक समुदाय अत्यधिक परस्पर लाभ के लिए सहयोग कर सकते हैं। वे आज सम्पूर्ण विश्व के उच्च शिक्षा संस्थानों के स्तर और विषय सामग्री के आधुनिकीकरण और उन्नयन का मूल हैं।
3. आगे बढ़ने से पूर्व अतीत पर गौर करने के लिए,यह याद करना प्रासंगिक है कि चीन की भांति भारत की प्राचीन शैक्षिक उन्नति विश्व-विख्यात थी। छठी शताब्दी पूर्व नालंदा,तक्षशिला, विक्रमशिला,वल्लभी, सोमपुरा और ओदांतपुरी जैसे कुछ शिक्षापीठों ने विद्वानों को आकर्षित किया तथा इस क्षेत्र और उससे दूर के अन्य देशों के विख्यात संस्थानों के साथ संपर्क स्थापित किए तथा शैक्षिक आदान-प्रदान किया। तक्षशिला एक प्रकार से भारतीय विश्वविद्यालयों में सबसे अधिक जुड़ा हुआ था। यह चार सभ्यताओं—भारतीय फारसी,यूनानी और चीनी सभ्यताओं का संगम स्थल था। बहुत से प्रख्यात लोग—पाणिनि,सिकंदर, चंद्रगुप्त मौर्य,चाणक्य, चरक,चीनी बौद्ध भिक्षु फाहियान, ह्वेनशांग तक्षशिला आए। आज भारत सरकार भारतीय और अंतरराष्ट्रीय साझीदारों के साथ मिलकर इस परंपरा को पुनर्जीवित तथा ऐसे उत्कृष्टता केंद्रों का निर्माण करने के लिए अनेक दूरगामी पहल कर रही है जिन्हें विश्व के अग्रणी संस्थानों में स्थान दिया जा सकता है।
देवियो और सज्जनो,
4. अनुसंधान और नवान्वेषण एक देश की उत्पादन क्षमता का विस्तार करने के प्रमुख सिद्धांत हैं। राष्ट्रों का भावी विकास मौजूदा प्रौद्योगिकियों के साथ संसाधनों के प्रयोग से नहीं बल्कि और उन्नत प्रौद्योगिकी के माध्यम से इनके बेहतर प्रयोग द्वारा किया जा सकता है। अनुसंधान में निवेश महत्त्वपूर्ण है। वर्तमान में,भारत के सकल घरेलू उत्पाद में अनुसंधान और विकास का व्यय लगभग0.8 प्रतिशत है,इसलिए हम इस संख्या को बढ़ाने के लिए ठोस प्रयास कर रहे हैं।
5. नवान्वेषण और उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए एक अनुकूल शैक्षिक वातावरण आवश्यक है। शैक्षिक संस्थानों से उत्तीर्ण विद्यार्थियों की गुणवत्ता सदैव अध्यापन,अनुसंधान की गुणवत्ता तथा अनुसंधान और नवान्वेषण की उन्मुखता द्वारा प्रेरित होती है। अनुसंधान,नवान्वेषण और उद्यमिता के तीन तत्त्वों के माध्यम से शैक्षिक संस्थानों के साथ उद्योग का संयोजन करने से विनिर्माण क्षेत्र में सतत गति आती है,लोगों का समावेशी और संतुलित आर्थिक विकास तथा चहुंमुखी विकास होता है।
6. उच्च शिक्षा के 116राष्ट्रीय स्तर के संस्थानों के कुलाध्यक्ष के रूप में,मैं अपने मेधावी विद्यार्थियों और अत्यधिक योग्य संकाय की अनुसंधान और नवान्वेषी क्षमता को साकार करने के लिए उद्योग और शैक्षिक समुदाय के लिए एक सहयोगात्मक मंच तैयार करने की आवश्यकता पर बल देता रहा हूं। भारत अपेक्षाकृत युवा देश है जिसकी60 प्रतिशत जनसंख्या 15से 59 आयु समूह की है। शिक्षित युवाओं के इस वर्ग की क्षमता का लाभ उठाने के लिए,मेरी सरकार ने उद्यमिता और रोजगार पैदा करने के लिए प्रोत्साहन और बढ़ावा देने के उद्देश्य से‘स्टार्ट-अप इंडिया’आरंभ किया है। 4500 स्टार्ट-अप के साथ भारत में विश्व का तीसरा सबसे विशाल स्टार्टअप वातावरण है। स्टार्ट-अप इंडिया कार्यक्रम के अंतर्गत नई पहल निस्संदेह इस प्रयास को सही दिशा में आगे बढ़ाएगी। इसलिए, उच्च शिक्षा संस्थानों का हमारे युवाओं की उद्यमशील योग्यताओं को निखारने का एक अहम दायित्व है।
7. सहयोग, संकाय और विद्यार्थी आदान-प्रदान, संयुक्त अनुसंधान और सेमिनार के जरिए उच्च शिक्षा का अंतरराष्ट्रीयकरण सदैव भारत में उच्च शिक्षा प्रणाली के विकास का एक अभिन्न अंग रहा है। भारत ने एक विशिष्ट कार्यक्रम ज्ञान—शैक्षिक नेटवर्क के लिए वैश्विक पहल, आरंभ किया है। इस कार्यक्रम के अंतर्गत,हम उच्च शिक्षा संस्थानों में अल्पकालिक शिक्षण कार्य के लिए विदेशी शिक्षकों को जोड़ रहे हैं।
देवियो और सज्जनो,
8. भारत जैसे विकासशील देशों को नवीकरणीय ऊर्जा,जलवायु परिवर्तन, पेय जल,स्वच्छता तथा शहरीकरण के मुद्दों के नवान्वेषी समाधान की आवश्यकता है। इन विकासात्मक चुनौतियों के लिए उच्च शिक्षा प्रणाली की ओर से एक प्रेरक प्रतिक्रिया की जरूरत होगी। गत वर्ष नवम्बर में,एक इंप्रिंट इण्डिया कार्यक्रम जो एक अखिल भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान तथा भारतीय विज्ञान संस्थानों की पहल है,ने दस विषयों की पहचान की है, जो अनुसंधान को राष्ट्रीय महत्त्व के भारतीय संस्थानों द्वारा किए गए अनुसंधान को समाज की तात्कालिक आवश्यकताओं के साथ जोड़ेंगे। एक सुदृढ़ अनुसंधान वातावरण के निर्माण के लिए सहयोगात्मक साझीदारी तथा संयुक्त अनुसंधान परियोजना जैसे अनेक उपायों की आवश्यकता होगी।
9. आज मुझे यह देखकर प्रसन्नता हुई है कि भारत के केंद्रीय उच्च शिक्षा संस्थानों ने चीन के साझीदार संस्थानों के साथ सहकार्य के लिए समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए हैं। मुझे विश्वास है कि ये समझौते अनुसंधान और शिक्षा,संयुक्त सेमिनार तथा संकाय और विद्यार्थी आदान-प्रदान के क्षेत्रों में शैक्षिक सहयोग के लिए एक सहयोगात्मक मंच का निर्माण करेंगे।
10. उच्च शिक्षा संस्थानों के बीच और अधिक आदान-प्रदान,सांस्कृतिक समारोह तथा संयुक्त अनुसंधान और छात्रवृत्ति कार्य यह सिद्ध करेंगे कि हमारी जनता को शिक्षा,विज्ञान और प्रौद्योगिकी में उन्नति के लिए पश्चिम की ओर देखने की आवश्यकता नहीं है।
11. भारत और चीन 21वीं शताब्दी में एक महत्त्वपूर्ण और रचनात्मक भूमिका निभाने के लिए तैयार हैं। जब भारतीय और चीनी विश्व चुनौतियों के समाधान तथा अपने साझे हितों के लिए एकजुट हो जाएंगे तो हमारी दोनों जनता की उपलब्धियों की कोई सीमा नहीं होगी।
इन्हीं शब्दों के साथ, मैं एक बार पुन: आपको धन्यवाद देता हूं और आपके सहयोग के सफल होने की कामना करता हूं।