स्पेन नरेश हुअन कर्लोस I के सम्मान में आयोजित राज-भोज में भारत के राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी का अभिभाषण
नई दिल्ली : 26.10.2012
महामहिम स्पेन नरेश हुअन कर्लोस I,
श्री हामिद अंसारी, भारत के उपराष्ट्रपति,
श्री मनमोहन सिंह, भारत के प्रधानमंत्री,
स्पेन से पधारे विशिष्ठ अतिथिगण,
देवियो और सज्जनो,
मुझे, महामहिम नरेश हुअन कर्लोस का भारत की इस दूसरी यात्रा पर, हार्दिक स्वागत करते हुए बहुत प्रसन्नता हो रही है।
महामहिम, नरेश हुअन कर्लोस, आप भारत के बहुत पुराने मित्र हैं। आपके नेतृत्व में आपकी सरकार भारत के साथ मजबूत तथा स्थाई संबंध बनाने के लिए प्रतिबद्ध रही है। हम दोनों देशों ने मिलकर व्यापार, पर्यटन तथा निवेश के क्षेत्र में अपने संबंधों तथा मित्रता को मजबूत करने के लिए ठोस कदम उठाए हैं। ये प्रयास सदियों से हमारी दोनों देशों की जनता के बीच सुस्थापित मजबूत नींव पर आधारित रहे हैं। अगर कैप्टेन क्रिस्टोफर कोलंबस ने अमरीका की जगह भारत का रास्ता खोज लिया होता तो हमारे संबंध भी शायद कुछ अलग ही तरह के होते।
महामहिम की आज यहां पर उपस्थिति एक बड़ी उपलब्धि है। आपकी यह सरकारी यात्रा जनवरी 1982 में आपकी पिछली सरकारी यात्रा के 30 वर्षों बाद हो रही है। उस समय आप हमारी गणतंत्र दिवस परेड में मुख्य अतिथि थे।
तब से न केवल हमारे दोनों देशों में, बल्कि दुनिया के सभी हिस्सों में बहुत से बदलाव आए हैं। बड़े-बड़े राजनीतिक परिवर्तनों की बदौलत, अंतरराष्ट्रीय परिवेश में बदलाव आया है; सूचना प्रौद्योगिकी के द्वारा हमारी दुनिया सिकुड़ गई है तथा दूरसंचार क्रांति तथा वैश्वीकरण ने हमारे काम करने के तरीकों को स्थाई रूप से बदल दिया है।
महामहिम, आपने स्पेन के संसदीय राजतंत्र के रूप में एक असाधारण बदलाव का नेतृत्व किया है तथा आप स्पेनी राष्ट्र में एकता और स्थाईत्व का प्रतीक बने हुए हैं। आपने अपने देश में संसद की संस्था की रक्षा की है और लोकतंत्र को सुरक्षित रखा है। आपने मजबूती से उन प्रयासों को निष्फल किया है जो कि आपके संविधान में निर्धारित तथा स्पेन की जनता के द्वारा समर्थित, लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं और संस्थाओं को अस्थिर करना चाहते थे। आपके नेतृत्व में स्पेन को एक ऐसे असाधारण लोकतंत्र के उदाहरण के रूप में मान्यता मिली है जो कि संवैधानिक राजतंत्र के अधीन एक संसदीय सरकार के रूप में संचालित है।
महामहिम,
भारत और स्पेन में, दोनों के लोकतांत्रिक तथा खुले समाज होने के कारण कई समताएं हैं। हमने अपने आपसी लाभ के लिए इनका सफलतापूर्वक फायदा उठाया है। हमारी जनता तथा हमारी सरकार को प्रत्यके सेक्टर में अपने प्रयासों और संयुक्त उपक्रमों की सफलता में भागीदारी का सौभाग्य मिला है। हम दोनों ही देश मानते हैं कि वैश्वीकरण से होने वाले लाभों से फायदा उठाने तथा समावेशी और सतत् विकास के लिए एक नया वैश्विक एजेंडा तैयार करने के लिए द्विपक्षीय और बहुपक्षीय प्रयास करने की जरूरत है। हम भावी विकास का ऐसा रास्ता अपनाना चाहेंगे जो कि वर्तमान संकट से उबरने के बाद भी बना रहे। यद्यपि यह स्वाभाविक ही है कि कुछ सरकारें तात्कालिक लाभ के लिए संरक्षणवादी उपाय करें परंतु उनको धीरे-धीरे यह महसूस होने लगा है कि दीर्घकाल में लोगों, सेवाओं तथा पूंजी के आवागमन पर रोक लगाना, नुकसानदायक सिद्ध होगा। बहुत से अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थान इस समय संसाधनों की कमी का सामना कर रहे हैं। अत:, उन संस्थानों के लिए यह समय कारगर समाधान तथा सुधारों को अपनाने का समय है।
महामहिम,
हमारे जैसे लोकतांत्रिक समाजों में कठिन दौर में चुनौतियों को अवसरों में बदलने की अंतर्निहित योग्यता होती है। यूरो-परियोजना के प्रति स्पेन की प्रतिबद्धता ने तथा इस तथ्य ने, कि आप ऋण संकट से उबरने के लिए सभी जरूरी प्रयास कर रहे हैं, एक मजबूत और सकारात्मक संकेत दिया है। इसी प्रकार, भारत में, पिछले कुछ समय के दौरान शुरू किए गए बहुत से सुधार वैश्विक आर्थिक मंदी से उबरने के प्रति हमारी दृढ़ इच्छा शक्ति का प्रतीक हैं। हम भारत में व्यापार तथा उद्योग में निवेश के लिए एक अच्छा माहौल प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। स्पेन ने अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियां विकसित की हैं तथा उनके पास अवसंरचना, नवीकरणीय ऊर्जा, कृषि, जल शोधन तथा ठोस अपशिष्ट प्रबंधन जैसे विभिन्न क्षेत्रों में दक्षता मौजूद है। इन क्षेत्रों को भारत उच्च प्राथमिकता देता है। हम भी स्पेन को, सूचना प्रौद्योगिकी,फार्मास्यूटिकल, कृषि उत्पाद तथा दूसरे प्रमुख क्षेत्रों में, जिनमें आपकी रुचि हो, तथा जिनमें भारत के साथ व्यापार अच्छी गुणवत्ता तथा उचित कीमत के कारण और अधिक फायदेमंद हो, बहुत कुछ सहयोग कर सकते हैं। स्पेन और भारत के बीच और अधिक सहयोग की विपुल संभावनाएं हैं।
महामहिम,
हम स्पेन द्वारा भारत में दिखाई जा रही रुचि का स्वागत करते हैं। मैं आपके इस वक्तव्य का स्वागत करता हूं कि स्पेन का विश्व परिदृश्य आपको हमारी जैसी विभिन्न ‘ऊर्जाशील तथा समृद्ध’ अर्थव्यवस्थाओं से रिश्ते बनाने और उन्हें मजबूत करने के कार्य में लगाए रखेगा। हमारी सरकार भी यही भावना व्यक्त करना चाहती है। हम इस बात पर जोर देना चाहेंगे कि यह हमारे हित में होगा कि हम व्यापारियों, पर्यटकों, विद्यार्थियों तथा पेशेवरों को यात्रा की सुविधा प्रदान करें। सीधी हवाई सेवाओं तथा हमारे लोगों के बीच संबंधों से हमारे विभिन्न क्षेत्रों के बीच संबंधों में वृद्धि होगी।
महामहिम,
आतंकवाद, अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए एक सबसे बड़े खतरे के रूप में उभरा है। यह दुख की बात है कि हमारे दोनों देशों को बार-बार, इसके कुछ घातक परिणामों का शिकार होना पड़ा है। इस खतरे को समाप्त करने के लिए, विश्व समुदाय को आतंकवादियों और उनके प्रायोजकों के विरुद्ध एकजुट होकर कार्रवाई करनी होगी।
इतिहास में यदि किसी एक व्यक्ति का नाम शांति का पर्याय है तो वह महात्मागांधी हैं, जिन्हें हम ‘अपने देश का राष्ट्रपिता’ कहते हैं। यद्यपि उन्हें कभी भी स्पेन की यात्रा करने का अवसर नहीं मिला, परंतु मुझे बताया गया है कि उनके आदर्श और दर्शन का स्पेन के समुदायों के हृदयों में एक स्थायी स्थान है।
एक अन्य महान भारतीय, गुरुदेव रवीद्रनाथ ठाकुर की 150वीं जयंती को स्मृति समारोहों के रूप में पूरे महाद्वीप में मनाया गया था। हमें यह जानकर प्रसन्नता हुई थी कि गैलिशिया के एक संग्रहकर्ता डॉ. जोसे पाज़ के पास रखे उनके स्मृति चिह्न के अमूल्य संग्रह को कासा डी ला इंडिया को दान कर दिया गया है जहां इन्हें संरक्षित और प्रदर्शित किया जाएगा।
महामहिम, हम स्पेनवासियों द्वारा भारत की समृद्ध संस्कृति व धरोहर में दिखाई गई रुचि का स्वागत करते हैं। हम अपने समाजों के बीच सांस्कृतिक और शैक्षिक आदान-प्रदान के लिए कार्यकलापों के आयोजन में कासा एशिया के योगदान की सराहना करते हैं।
मैं, हमारे देशवासियों के बीच संवाद और आपसी सद्भावना के मंच के रूप में, दोनों सरकारों द्वारा सहायता प्राप्त सांस्कृतिक फाउंडेशन कासा डी ला इंडिया द्वारा निभाई गई भूमिका की प्रशंसा करता हूं।
नई दिल्ली का सरवेंटिस इंस्टीट्यूट स्पेनिश संस्कृति को प्रोत्साहित करता है; स्पेन में फिल्माई गई भारतीय फिल्मों ने भारतीय दर्शकों के समक्ष स्पेन की जीवंतता को रखा है और मुझे बताया गया है कि ‘टोमेटिना’ पर्व ने बहुत से युवा भारतीयों को आकर्षित किया है। वे फुटबाल के क्षेत्र में स्पेन की शानदार उपलब्धियों की उत्सुकता से जानकारी ले रहे हैं तथा विश्व और यूरोपीय फुटबाल चैंपियन बनने के आपके गौरव की भावना को बांटना चाहते हैं। मुझे विश्वास है कि घनिष्ठ निकटताएं और भरपूर क्षमताएं हमारे देशवासियों के बीच की स्थायी मैत्री को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगी।
जिन करारों पर आज हस्ताक्षर हुए हैं उनसे हमें आगे अपना कार्य बढ़ाने में दिशा मिलेगी। मैं, हमारी दोनों देशों की सरकारों के बीच ऐसी आपसी तथा फलदायक साझीदारी की अपेक्षा करता हूं जिससे हमारा विकास होगा तथा इससे हमारे लोगों की प्रगति तथा समृद्धि बढ़ेगी।
मुझे विश्वास है कि आपकी इस यात्रा से हमारे दोनों देशों के मंत्रालयों को आपस में संपर्क करने, नई पहल शुरू करने तथा द्विपक्षीय सहयोग को बढ़ाने में प्रोत्साहन मिलेगा।
महामहिम, इन्ही शब्दों के साथ, मैं एक बार फिर से आपका तथा आपके विशिष्ट शिष्टमंडल का स्वागत करता हूं।
देवियो ओर सज्जनो, आइए हम सब मिलकर:-
- महामहिम स्पेन नरेश हुअन कर्लोस के स्वास्थ्य और खुशहाली की;
- स्पेन के मैत्रीपूर्ण लोगों की प्रगति और समृद्धि की; और
- भारत तथा स्पेन के बीच स्थाई मैत्री की कामना करें।
श्री हामिद अंसारी, भारत के उपराष्ट्रपति,
श्री मनमोहन सिंह, भारत के प्रधानमंत्री,
स्पेन से पधारे विशिष्ठ अतिथिगण,
देवियो और सज्जनो,
मुझे, महामहिम नरेश हुअन कर्लोस का भारत की इस दूसरी यात्रा पर, हार्दिक स्वागत करते हुए बहुत प्रसन्नता हो रही है।
महामहिम, नरेश हुअन कर्लोस, आप भारत के बहुत पुराने मित्र हैं। आपके नेतृत्व में आपकी सरकार भारत के साथ मजबूत तथा स्थाई संबंध बनाने के लिए प्रतिबद्ध रही है। हम दोनों देशों ने मिलकर व्यापार, पर्यटन तथा निवेश के क्षेत्र में अपने संबंधों तथा मित्रता को मजबूत करने के लिए ठोस कदम उठाए हैं। ये प्रयास सदियों से हमारी दोनों देशों की जनता के बीच सुस्थापित मजबूत नींव पर आधारित रहे हैं। अगर कैप्टेन क्रिस्टोफर कोलंबस ने अमरीका की जगह भारत का रास्ता खोज लिया होता तो हमारे संबंध भी शायद कुछ अलग ही तरह के होते।
महामहिम की आज यहां पर उपस्थिति एक बड़ी उपलब्धि है। आपकी यह सरकारी यात्रा जनवरी 1982 में आपकी पिछली सरकारी यात्रा के 30 वर्षों बाद हो रही है। उस समय आप हमारी गणतंत्र दिवस परेड में मुख्य अतिथि थे।
तब से न केवल हमारे दोनों देशों में, बल्कि दुनिया के सभी हिस्सों में बहुत से बदलाव आए हैं। बड़े-बड़े राजनीतिक परिवर्तनों की बदौलत, अंतरराष्ट्रीय परिवेश में बदलाव आया है; सूचना प्रौद्योगिकी के द्वारा हमारी दुनिया सिकुड़ गई है तथा दूरसंचार क्रांति तथा वैश्वीकरण ने हमारे काम करने के तरीकों को स्थाई रूप से बदल दिया है।
महामहिम, आपने स्पेन के संसदीय राजतंत्र के रूप में एक असाधारण बदलाव का नेतृत्व किया है तथा आप स्पेनी राष्ट्र में एकता और स्थाईत्व का प्रतीक बने हुए हैं। आपने अपने देश में संसद की संस्था की रक्षा की है और लोकतंत्र को सुरक्षित रखा है। आपने मजबूती से उन प्रयासों को निष्फल किया है जो कि आपके संविधान में निर्धारित तथा स्पेन की जनता के द्वारा समर्थित, लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं और संस्थाओं को अस्थिर करना चाहते थे। आपके नेतृत्व में स्पेन को एक ऐसे असाधारण लोकतंत्र के उदाहरण के रूप में मान्यता मिली है जो कि संवैधानिक राजतंत्र के अधीन एक संसदीय सरकार के रूप में संचालित है।
महामहिम,
भारत और स्पेन में, दोनों के लोकतांत्रिक तथा खुले समाज होने के कारण कई समताएं हैं। हमने अपने आपसी लाभ के लिए इनका सफलतापूर्वक फायदा उठाया है। हमारी जनता तथा हमारी सरकार को प्रत्यके सेक्टर में अपने प्रयासों और संयुक्त उपक्रमों की सफलता में भागीदारी का सौभाग्य मिला है। हम दोनों ही देश मानते हैं कि वैश्वीकरण से होने वाले लाभों से फायदा उठाने तथा समावेशी और सतत् विकास के लिए एक नया वैश्विक एजेंडा तैयार करने के लिए द्विपक्षीय और बहुपक्षीय प्रयास करने की जरूरत है। हम भावी विकास का ऐसा रास्ता अपनाना चाहेंगे जो कि वर्तमान संकट से उबरने के बाद भी बना रहे। यद्यपि यह स्वाभाविक ही है कि कुछ सरकारें तात्कालिक लाभ के लिए संरक्षणवादी उपाय करें परंतु उनको धीरे-धीरे यह महसूस होने लगा है कि दीर्घकाल में लोगों, सेवाओं तथा पूंजी के आवागमन पर रोक लगाना, नुकसानदायक सिद्ध होगा। बहुत से अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थान इस समय संसाधनों की कमी का सामना कर रहे हैं। अत:, उन संस्थानों के लिए यह समय कारगर समाधान तथा सुधारों को अपनाने का समय है।
महामहिम,
हमारे जैसे लोकतांत्रिक समाजों में कठिन दौर में चुनौतियों को अवसरों में बदलने की अंतर्निहित योग्यता होती है। यूरो-परियोजना के प्रति स्पेन की प्रतिबद्धता ने तथा इस तथ्य ने, कि आप ऋण संकट से उबरने के लिए सभी जरूरी प्रयास कर रहे हैं, एक मजबूत और सकारात्मक संकेत दिया है। इसी प्रकार, भारत में, पिछले कुछ समय के दौरान शुरू किए गए बहुत से सुधार वैश्विक आर्थिक मंदी से उबरने के प्रति हमारी दृढ़ इच्छा शक्ति का प्रतीक हैं। हम भारत में व्यापार तथा उद्योग में निवेश के लिए एक अच्छा माहौल प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। स्पेन ने अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियां विकसित की हैं तथा उनके पास अवसंरचना, नवीकरणीय ऊर्जा, कृषि, जल शोधन तथा ठोस अपशिष्ट प्रबंधन जैसे विभिन्न क्षेत्रों में दक्षता मौजूद है। इन क्षेत्रों को भारत उच्च प्राथमिकता देता है। हम भी स्पेन को, सूचना प्रौद्योगिकी,फार्मास्यूटिकल, कृषि उत्पाद तथा दूसरे प्रमुख क्षेत्रों में, जिनमें आपकी रुचि हो, तथा जिनमें भारत के साथ व्यापार अच्छी गुणवत्ता तथा उचित कीमत के कारण और अधिक फायदेमंद हो, बहुत कुछ सहयोग कर सकते हैं। स्पेन और भारत के बीच और अधिक सहयोग की विपुल संभावनाएं हैं।
महामहिम,
हम स्पेन द्वारा भारत में दिखाई जा रही रुचि का स्वागत करते हैं। मैं आपके इस वक्तव्य का स्वागत करता हूं कि स्पेन का विश्व परिदृश्य आपको हमारी जैसी विभिन्न ‘ऊर्जाशील तथा समृद्ध’ अर्थव्यवस्थाओं से रिश्ते बनाने और उन्हें मजबूत करने के कार्य में लगाए रखेगा। हमारी सरकार भी यही भावना व्यक्त करना चाहती है। हम इस बात पर जोर देना चाहेंगे कि यह हमारे हित में होगा कि हम व्यापारियों, पर्यटकों, विद्यार्थियों तथा पेशेवरों को यात्रा की सुविधा प्रदान करें। सीधी हवाई सेवाओं तथा हमारे लोगों के बीच संबंधों से हमारे विभिन्न क्षेत्रों के बीच संबंधों में वृद्धि होगी।
महामहिम,
आतंकवाद, अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए एक सबसे बड़े खतरे के रूप में उभरा है। यह दुख की बात है कि हमारे दोनों देशों को बार-बार, इसके कुछ घातक परिणामों का शिकार होना पड़ा है। इस खतरे को समाप्त करने के लिए, विश्व समुदाय को आतंकवादियों और उनके प्रायोजकों के विरुद्ध एकजुट होकर कार्रवाई करनी होगी।
इतिहास में यदि किसी एक व्यक्ति का नाम शांति का पर्याय है तो वह महात्मागांधी हैं, जिन्हें हम ‘अपने देश का राष्ट्रपिता’ कहते हैं। यद्यपि उन्हें कभी भी स्पेन की यात्रा करने का अवसर नहीं मिला, परंतु मुझे बताया गया है कि उनके आदर्श और दर्शन का स्पेन के समुदायों के हृदयों में एक स्थायी स्थान है।
एक अन्य महान भारतीय, गुरुदेव रवीद्रनाथ ठाकुर की 150वीं जयंती को स्मृति समारोहों के रूप में पूरे महाद्वीप में मनाया गया था। हमें यह जानकर प्रसन्नता हुई थी कि गैलिशिया के एक संग्रहकर्ता डॉ. जोसे पाज़ के पास रखे उनके स्मृति चिह्न के अमूल्य संग्रह को कासा डी ला इंडिया को दान कर दिया गया है जहां इन्हें संरक्षित और प्रदर्शित किया जाएगा।
महामहिम, हम स्पेनवासियों द्वारा भारत की समृद्ध संस्कृति व धरोहर में दिखाई गई रुचि का स्वागत करते हैं। हम अपने समाजों के बीच सांस्कृतिक और शैक्षिक आदान-प्रदान के लिए कार्यकलापों के आयोजन में कासा एशिया के योगदान की सराहना करते हैं।
मैं, हमारे देशवासियों के बीच संवाद और आपसी सद्भावना के मंच के रूप में, दोनों सरकारों द्वारा सहायता प्राप्त सांस्कृतिक फाउंडेशन कासा डी ला इंडिया द्वारा निभाई गई भूमिका की प्रशंसा करता हूं।
नई दिल्ली का सरवेंटिस इंस्टीट्यूट स्पेनिश संस्कृति को प्रोत्साहित करता है; स्पेन में फिल्माई गई भारतीय फिल्मों ने भारतीय दर्शकों के समक्ष स्पेन की जीवंतता को रखा है और मुझे बताया गया है कि ‘टोमेटिना’ पर्व ने बहुत से युवा भारतीयों को आकर्षित किया है। वे फुटबाल के क्षेत्र में स्पेन की शानदार उपलब्धियों की उत्सुकता से जानकारी ले रहे हैं तथा विश्व और यूरोपीय फुटबाल चैंपियन बनने के आपके गौरव की भावना को बांटना चाहते हैं। मुझे विश्वास है कि घनिष्ठ निकटताएं और भरपूर क्षमताएं हमारे देशवासियों के बीच की स्थायी मैत्री को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगी।
जिन करारों पर आज हस्ताक्षर हुए हैं उनसे हमें आगे अपना कार्य बढ़ाने में दिशा मिलेगी। मैं, हमारी दोनों देशों की सरकारों के बीच ऐसी आपसी तथा फलदायक साझीदारी की अपेक्षा करता हूं जिससे हमारा विकास होगा तथा इससे हमारे लोगों की प्रगति तथा समृद्धि बढ़ेगी।
मुझे विश्वास है कि आपकी इस यात्रा से हमारे दोनों देशों के मंत्रालयों को आपस में संपर्क करने, नई पहल शुरू करने तथा द्विपक्षीय सहयोग को बढ़ाने में प्रोत्साहन मिलेगा।
महामहिम, इन्ही शब्दों के साथ, मैं एक बार फिर से आपका तथा आपके विशिष्ट शिष्टमंडल का स्वागत करता हूं।
देवियो ओर सज्जनो, आइए हम सब मिलकर:-
- महामहिम स्पेन नरेश हुअन कर्लोस के स्वास्थ्य और खुशहाली की;
- स्पेन के मैत्रीपूर्ण लोगों की प्रगति और समृद्धि की; और
- भारत तथा स्पेन के बीच स्थाई मैत्री की कामना करें।