भारतीय रसायन इंजीनियरिंग कांग्रेस के 66वें अधिवेशन में आपके बीच उपस्थित होना मेरे लिए गर्व का अवसर है। यह भारतीय रसायन इंजीनियर संस्थान का वार्षिक अधिवेशन है। प्रारंभ में मैं विदेश से आए उन प्रख्यात शिक्षाविदों का स्वागत करता हूं जो इस प्रतिष्ठित कार्यक्रम में भाग लेने के लिए भारत आए हैं। मैं भारतीय शिक्षा तथा उद्योग जगत की उन विशिष्ट शख्सियतों को भी शुभकामनाएं देता हूं जो इस मंच पर इकट्ठा हुए हैं।
देवियो और सज्जनो,
2. भारतीय रसायन इंजीनियर संस्थान उद्योग, शिक्षा तथा अनुसंधान जगत के पेशेवर लोगों का एक प्रमुख निकाय है। मुझे खुशी है कि इस वर्ष की कांग्रेस के लिए इस संगठन ने रसायन प्रौद्योगिकी संस्थान के साथ सहयोग किया है जो इस वर्ष पहली अक्तूबर को अपने उपयोगितापूर्ण अस्तित्व के आठ दशक पूर्ण कर रहा है।
3. रसायन प्रौद्योगिकी संस्थान की स्थापना, मुंबई विश्वविद्यालय द्वारा रसायन प्रौद्योगिकी विभाग के रूप में की गई थी। इसे वर्ष 2002 में एक संस्थान में बदला गया तथा 2004 में पूर्ण स्वायत्तता प्रदान की गई। इसे 2008 में सम-विश्वविद्यालय का दर्जा प्रदान किया गया। रसायन प्रौद्योगिकी संस्थान ने असंख्य रसायन इंजीनियरों और वैज्ञानिकों को तैयार किया है तथा इनमें से बहुत से राष्ट्रीय स्तर के अनुसंधान संस्थानों और वैज्ञानिक विनियामक निकायों के प्रमुख तथा प्रथम श्रेणी के उद्यमी बने हैं। स्वर्गीय मनुभाई शाह, जो पचासवें दशक के अंत में तथा साठवें दशक के आरंभ में केंद्रीय उद्योग तथा वाणिज्य मंत्री थे, इसी प्रख्यात संस्थान के छात्र रहे। अपनी स्थापना के समय से ही रसायन प्रौद्योगिकी संस्थान की गतिविधियां अनुसंधान पर केंद्रित रही हैं। इसके द्वारा नवीन हरित रसायन प्रौद्योगिकियों, सामग्री, फार्मास्युटिकल, ऊर्जा प्रणालियों तथा जैव प्रौद्योगिकी के विकास पर जोर देने के कारण यह देश के अपने जैसे संस्थानों में इसका विशिष्ट स्थान बन गया है। 2200 से अधिक विद्यार्थियों, जिनमें 700 पीएच.डी. विद्यार्थी हैं, तथा इसके प्रत्येक संकाय द्वारा संकाय बहुत से पेटेंटों और अनुसंधान पर्चों के साथ यह प्रख्यात संस्थान निश्चित रूप से तकनीकी शिक्षा में अधिक ऊंचाइयां प्राप्त करेगा।
4. भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू, देश में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के बड़े समर्थक थे। वह इसकी बदलाव की ताकत से बहुत प्रभावित थे, जो उनकी इस टिप्पणी में व्यक्त होता है, ‘‘भारत खुद को गरीबी, कट्टरता, अंधविश्वास तथा अज्ञानता के पंजों से विज्ञान और प्रौद्योगिकी के व्यापक तथा मानवीय प्रयोग से तथा औद्योगिकीकरण के प्रसार से ही मुक्त कर सकता है।’’ आज जब हम निर्धनता, भूख, निरक्षरता तथा बीमारी जैसी सामाजिक-आर्थिक समस्याओं के उन्मूलन के उपायों की तलाश में हाथ-पांव मार रहे हैं, ये शब्द उतने ही प्रासंगिक हैं। भारतीय रसायन इंजीनियर संस्थान द्वारा ‘‘बेहतर कल के लिए खाद्य सुरक्षा तथा स्वास्थ्य सेवा हेतु नवान्वेषी उपाय’’ विषय पर यह सम्मेलन आयोजित करके इस महत्त्वपूर्ण विकास जरूरत पर विभिन्न भागीदारों के साथ संवाद स्थापित करने का प्रयास किया है। मैं भारतीय रसायन इंजीनियर संस्थान की इसके लिए सराहना करता हूं।
देवियो और सज्जनो,
5. रसायन सेक्टर जितना किसी भी अन्य सेक्टर ने मानव जीवन को प्रभावित नहीं किया है। रसायन उद्योग के उत्पादों का लोगों के जीवनोपयोगी दैनिक उत्पाद; कृषि फसलों को उपजाने के लिए उर्वरक एवं कीटनाशक, औद्योगिक वस्तुओं के उत्पादन में सामग्री तथा बुनियादी तत्त्वों के रूप में कई तरह से प्रयोग किया जाता है। शेष अर्थव्यवस्था के साथ रसायन उद्योग के जो दृढ़ संबंध हैं, उनसे इस महत्त्वपूर्ण परंतु कम ध्यान दिए गए सेक्टर में कारगर बड़े बदलाव लाने के लिए गुंजायश है।
6. भारतीय रसायन उद्योग के विकास की भारी संभावनाएं हैं। पिछले पंद्रह वर्षों में वैश्विक रसायन उद्योग में एशिया का योगदान काफी अधिक होने के कारण भारतीय अर्थव्यवस्था के अच्छे निष्पादन के कारण भारत वैश्विक रसायन कंपनियों के लिए अनुकूल गंतव्य के रूप में उभरा है। 108 बिलियन अमरीकी डॉलर का भारतीय रसायन उद्योग वैश्विक बाजार का तीन प्रतिशत है। इस हिस्से में बढ़ोत्तरी का हर एक कारण मौजूद है। भारत में यह उद्योग वर्ष 2017 तक पंद्रह प्रतिशत विकास दर प्रयास करके 290 बिलियन अमरीकी डॉलर का उद्योग बन सकता है। इसे वास्तविकता में बदलने के लिए अनुसंधान तथा विकास, कामगारों की बेहतर क्षमता निर्माण तथा रसायन यूनिटों के लिए बेहतर अवसंरचना की व्यवस्था जैसे सभी विकास अनुकूल पहलुओं को शामिल करके एक रास्ता तैयार करना होगा।
7. हमारे रसायन उद्योग का अनुसंधान और विकास व्यय इस समय इसकी आय का 0.5 प्रतिशत से भी कम है। चार प्रतिशत के वैश्विक मापदंड को प्राप्त करने के लिए इसमें काफी बढ़ोत्तरी जरूरी है। रसायन प्रौद्योगिकी संस्थान जैसे संस्थान, रसायन सेक्टर में अनुसंधान तथा प्रौद्योगिक विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए सही स्थिति में है। रसायन उद्योग में जिस वृद्धि की परिकल्पना की गई है उसके लिए 2017 तक पांच मिलियन कुशल पेशेवरों को उपलब्ध कराने की जरूरत भी महसूस होती है। तकनीकी संस्थानों को कार्मिक शक्ति की जरूरतों को पूरा करने की जिम्मेदारी में भी हाथ बटाने के लिए सुदृढ़ किया जाना चाहिए। यूनिटों को समुचित बिजली तथा जल के रूप में अवसंरचनात्मक सहायता प्रदान करने के लिए पेट्रोलियम, रसायन तथा पेट्रोरसायन निवेश क्षेत्रों की सहायता ली जानी चाहिए। इन क्षेत्रों के लिए प्रस्तावित निवेश का प्राथमिकता से उपयोग होना चाहिए।
8. विकास के साथ-साथ रसायन उद्योग को सुरक्षा, स्वास्थ्य तथा पर्यावरण मानकों के अनुपालन का भी समान रूप से ध्यान रखना चाहिए। उद्योग को ऐसी प्रौद्योगिकी पर निवेश करते हुए सतत् विकास को बढ़ावा देना चाहिए जो विकास को प्रोत्साहन देने के साथ ही पर्यावरण की सुरक्षा करे। उन्हें ऐसी नई प्रौद्योगिकियों को अपनाना चाहिए जिनका लक्ष्य औद्योगिक कचरे की समस्या का समाधान हो। उन्हें पर्यावरण पर दबाव कम करने के लिए लक्ष्य को तय करना तथा मापदंडों का अनुपालन करना चाहिए।
देवियो और सज्जनो,
9. भारतीय कृषि सेक्टर का रसायन उद्योग के साथ निकट संबंध है। उर्वरकों तथा कीटनाशकों के उपयोग ने कृषि उपज तथा उत्पाद बढ़ने की क्षमता दिखाई है। इन निवेशों ने देश में कृषि सेक्टर के विकास में निर्णायक भूमिका निभाई है। हमारी कृषि प्रणाली आजादी के समय अल्पविकसित थी। साठ के दशक में हरित क्रांति के माध्यम से बहुआयामी प्रयास शुरू किए गए थे। भारत शीघ्र ही खाद्यान्न में आत्मनिर्भर हो गया। हम आज चावल और गेहूं के प्रमुख निर्यातक हैं।
10. हालांकि हरित क्रांति से खाद्य उत्पादन में काफी बढ़ोतरी हुई परंतु रासायनिक उर्वरकों के असंतुलित प्रयोग से अंतत: उत्पादन में कमी आई है। आज, हमारा वार्षिक खाद्यान्न उत्पादन 250 मिलियन टन से ऊपर है। हमें बढ़ती आबादी की जरूरतों को पूरा करने के लिए उत्पादन में काफी वृद्धि करनी होगी। इसके कारण कृषि उत्पादकता में सुधार की जरूरत महसूस होती है। इसी के साथ, उर्वरकों और कीटनाशकों के संतुलित प्रयोग की जरूरत का भी पता चलता है। कृषि तथा रसायन प्रौद्योगिकी संस्थानों के सम्वेत प्रयासों के द्वारा हम उर्वरकों के उपयोग में बेहतर दक्षता प्राप्त करने में सफल होंगे।
देवियो और सज्जनो,
11. रसायन विज्ञान और इंजीनियरिंग तथा समग्र समाज के बीच एक अति महत्त्वपूर्ण संबंध मौजूद है। हमें इस संबंध को बढ़ावा देना होगा। इसके लिए हमें महत्त्वपूर्ण ज्ञान विधाओं से प्रतिभा को आकर्षित करना होगा। हमें इस सुंदर तथा आकर्षक क्षेत्र में अवसरों के बारे में अधिक जागरूकता विकसित करनी होगी। मुझे यह जानकर खुशी है कि हमने इस वर्ष एक विश्व प्रसिद्ध रसायनशास्त्री प्रो. सी.एन. राव को भारत रत्न प्रदान करके सम्मानित किया है। मुझे विश्वास है कि इससे देश में रसायन विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी में और अधिक रुचि को बढ़ावा मिलेगा। भारत कृषि इंजीनियरी कांग्रेस जैसे मंच से, जिसमें सहभागिता पर मुझे गर्व हो रहा है, समग्र समुदाय के साथ इस सेक्टर के तालमेल में भी सहायता मिलेगी। इन्हीं शब्दों के साथ, मैं अपनी बात समाप्त करता हूं। मैं इस समारोह के सफल संचालन के लिए आपको शुभकामनाएं देता हूं।
धन्यवाद,
जय हिंद!