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‘इंडियन फैमिली बिजनेस मंत्राज’ पुस्तक की प्रति भेंट करने के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी का अभिभाषण

राष्ट्रपति भवन : 28.10.2015



1. ‘इंडियन फैमिली बिजनेस मंत्राजनामक पुस्तक की प्रथम प्रति प्राप्त करने में मुझे बहुत खुशी हो रही है,जिसे श्री पीटर लीच और श्री तत्वंअसि दीक्षित ने संयुक्त रूप से लिखा है। भारतीय परिवार के कारोबार कैसे कार्य करते हैं,पर उनके सम्पूर्ण समाज को जागरूक और सशक्त करने के गंभीर प्रयास की मैं प्रशंसा करता हूं। इस पुस्तक की प्रथम प्रति देने के लिए मैं लेखकों को धन्यवाद देता हूं।

2. परिवार और व्यवसाय प्राचीन काल से परस्पर संबद्ध हैं। एक ओर जहां परिवार सबसे पुरातन मौजूदा प्रणाली है,पारिवारिक कारोबार प्राचीनतम मौजूदा आर्थिक प्रणाली है। व्यवसाय इतिहास इस वास्तविकता का साक्षी है कि बहुधा देशों का पारिवारिक व्यवसाय है जो अपने-अपने देशों के आर्थिक विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।

3. भारत में ऐतिहासिक रूप से,कारोबारी समुदाय में पहले व्यापारी शामिल होते थे। भारतीय व्यापारी धीरे-धीरे व्यापारियों केकार्यकलापों और व्यापारकी पहचान से बाहर निकलकर विनिर्माणकर्ता और विभिन्न अन्य लाभकारी कारोबारी घरानों में परिवर्तित हो गए। व्यापार का विकास सदियों से होता आया है। परंतुपारिवारिक कारोबारकी अवधारणा जैसी की तैसी बनी रही। दिलचस्पत बात यह है कि आज भी पारिवारिक व्यवसाय हमारे देश के घरेलू विकास उत्पाद में60-70प्रतिशत और रोजगार में40-50प्रतिशत योगदान देते हैं।

4. ‘इंडियन फैमिली बिजनेस मंत्राजपुस्तक में लेखकों ने पारिवारिक कारोबार की बारीकियों का स्पष्ट विवरण दिया है। पुस्तक में दिए गए वास्तविक जीवन के उदाहरण व्यवसायिक परिवारों की प्रभावी रूप से स्वयं का प्रबंधन,परिवार के रूप में संघर्ष और चुनौतियों से निपटने तथा व्यावसायिक परिवार के सदस्यों के रूप में एकजुट रहने के कार्यनीतिक महत्त्व की सार्थक अंतर्दृष्टि प्रदान करते हैं। यह पुस्तक व्यावसायिक परिवार के प्रबंधन हेतु एक संपूर्ण नया आयाम प्रस्तुत करने के लिए पश्चिमती संदर्भ के साथ भारतीय दर्शन को मिलाती है।

5. भारतीय उद्योग में अधिकतर पारिवारिक कारोबार की भरमार है। पारिवारिक कारोबार सदैव अत्यधिक कौतूहल का विषय रहे हैं क्योंकि वे अपने उद्यमशील,प्रबंधकीय,और संगठनात्मक ढांचों,व्यावहार और शैली में गैर-पारिवारिक कारोबार से एकदम भिन्न है,यद्यपि उनमें समावेशिता,लचीलेपन और सततता वाले प्रगति के मौलिक गुण विद्यमान हैं।

6. चाहे भारत हो या कोई और स्थान,कोई भी संकल्पना सामान्य नहीं है,प्रत्येक पारिवारिक कारोबार विशिष्ट है,जो पृथक व्यक्तितव, उनके सरोकारों,उद्देश्यों और सम्बन्ध के समृह तथा कुछ अन्य व्यक्तिगत और वाणिज्यिक खूबियों द्वारा गढ़े गए।

7. यह पुस्तक भारतीय पारिवारिक कारोबार के सार को बड़ी सुंदरता से प्रस्तुत करती है। मैं लेखकों को उनके भावी प्रयासों के लिए शुभकामनाएं देता हूं।

एक बार फिर से धन्यवाद,

जय हिंद!