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मणिपुर विश्वविद्यालय के चौदहवें दीक्षांत समारोह के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी का अभिभाषण

कांचीपुर, इम्फाल, मणिपुर : 29.04.2014



1. मुझे मणिपुर विश्वविद्यालय, जो उत्तर-पूर्वी भारत में उच्च शिक्षा का एक उत्कृष्ट केंद्र है, के चौदहवें दीक्षांत समारोह में आपके बीच उपस्थित होकर प्रसन्नता हुई है।

2. मणिपुर विश्वविद्यालय ने 1980 में स्थापना के बाद से, उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में शिक्षा को बढ़ावा देने का महती कार्य किया है। इसने अपनी पाठ्यचर्या के माध्यम से, भारत की सामसिक संस्कृति को पोषित किया है। इसके कार्यक्रमों और नीतियों का लक्ष्य सदैव मानवीयता, सहिष्णुता और जिज्ञासा की भावना को बढ़ावा देना रहा है। मैं, इसके पथप्रदर्शकों से आग्रह करता हूं कि वे दृढ़ विश्वास, परिश्रम और संकल्प के साथ इस विश्वविद्यालय के विकास में सन्नद्ध रहें।

प्यारे विद्यार्थियो,

3. मै उन सभी को बधाई देता हूं जो आज उपाधियां प्राप्त कर रहे हैं। मैं श्री रिशांग किशिंग, जिन्हें डॉक्टरेट ऑफ लॉ प्रदान की गई है तथा श्री एल. बीरेंद्रकुमार सिंह, जिन्हें डॉक्टरेट ऑफ लिटरेचर प्रदान की गई है, को भी बधाई देता हूं।

4. किसी भी शैक्षिक संस्थान के लिए दीक्षांत समारोह एक महत्वपूर्ण घटना होती है। इसका बहुत महत्व होता है तथा यह विद्यार्थियों और शिक्षकों के जीवन में एक वास्तविक उपलब्धि को रेखांकित करता है। इस दिन वर्षों की मेहनत और लगन से प्राप्त परिणाम को मान्यता प्रदान की जाती है। आप ज्ञान के अस्त्र तथा चरित्र की शक्ति के साथ इस विश्वविद्यालय के प्रतिष्ठित परिसर से विदाई लेंगे। बाहर की दुनिया में जाएं, कुछ अलग करके दिखाएं; अपने आसपास के लोगों के सम्पर्क में आएं और उसे बदलें और एक खुशहाल विश्व का निर्माण करें।

मित्रो,

5. शिक्षा प्रकाश और अंधकार, उन्नति और पिछड़ेपन; उत्कृष्टता और औसत दर्जे में अंतर करती है। यदि कोई निवेश भावी विकास से सारगर्भित रूप से संबंधित है तो वह है शिक्षा। शिक्षा और ज्ञान की ताकत पर निर्मित देशों ने लम्बे समय तक प्रगति हासिल की है। ऐसे देशों ने उपलब्ध संसाधनों के बदलाव के प्रति अधिक अनुकूलन शक्ति दशाई है। शिक्षा ने उनमें संसाधन की कमियों पर विजय प्राप्त करने तथा एक उच्च प्रौद्योगिकीय आधार पर अर्थव्यवस्था निर्मित करने की क्षमता पैदा की है। यदि भारत को दुनिया का एक अग्रणी राष्ट्र बनना है, तो इसका रास्ता एक सुदृढ़ शैक्षिक प्रणाली में से होकर जाता है।

6. भारत में युवाओं की बड़ी संख्या है और दो तिहाई जनसंख्या युवा है। उन्हें समुचित ढंग से तैयार करना जरूरी है क्योंकि वे हमारा भविष्य हैं। भारत में उच्च शिक्षा में प्रवेश की संख्या 20 प्रतिशत से कम है। यह मानते हुए कि यह पर्याप्त नहीं है और इससे हमारी भावी पीढ़ी की क्षमता में कमी आ सकती है, उच्च शिक्षा ढांचे के विस्तार के लिए तेजी से प्रयास किए गए हैं। विगत दशक के दौरान मणिपुर विश्वविद्यालय सहित अनेक केंद्रीय विश्वविद्यालयों का निर्माण एक महत्वपूर्ण कदम था, जिसे 2005 में एक केंद्रीय विश्वविद्यालय बनाया गया। मौजूदा विश्वविद्यालयों के साथ ही इन विश्वविद्यालयों की परिकल्पना एक अत्यधिक उत्कृष्ट ज्ञान सम्पन्न समाज के निर्माण के मार्गदर्शक के रूप में की गई थी। उच्च शिक्षा के इन केंद्रों को नालंदा और तक्षशिला जैसे प्राचीन भारत के उच्च शिक्षा के गढ़ जैसी प्रतिष्ठा प्राप्त करने में सक्षम माना जाता है।

7. परंतु आज अपने देश में उच्च शिक्षा की स्थिति का सच्चा विश्लेषण करें तो यह आसानी से जाना जा सकता है कि बहुत से उच्च शिक्षा संस्थानों में वैश्विक बाजार के लिए स्नातक तैयार करने वाली गुणवत्ता का अभाव है। एक भी भारतीय विश्वविद्यालय का दुनिया के सर्वोच्च 200 विश्वविद्यालयों की सूची में स्थान नहीं है। मैं विश्वविद्यालयों की अपनी यात्राओं के दौरान दुनिया के विश्वविद्यालयों की वरीयता सूची में भारतीय संस्थानों के प्रदर्शन के बारे में चिंता व्यक्त करता रहा हूं। इस मुद्दे पर राष्ट्रपति भवन में आयोजित केंद्रीय विश्वविद्यालयों के कुलपतियों के वार्षिक सम्मेलन में भी विचार विमर्श किया गया था।

8. मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि हमारे संस्थानों ने रैंकिंग प्रक्रिया को अपेक्षित महत्त्व देना शुरू कर दिया है। पिछले वर्ष सितम्बर में, भारतीय प्रबंधन संस्थान, कलकत्ता के वित्त मॉड्यूल को एक विख्यात एजेंसी द्वारा स्नातकोत्तर प्रबंधन कार्यक्रम प्रदान करने वाला सर्वोत्तम बिजनेस स्कूल घोषित किया गया है। एक अन्य प्रतिष्ठित एजेंसी द्वारा तैयार की गई दुनिया की विषयवार विश्वविद्यालय वरीयता में दो भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों, मद्रास और बम्बई को सिविल इंजीनियरी में तथा भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, दिल्ली को इलैक्ट्रिकल इंजीनियरी के सर्वोच्च 50 संस्थानों में शामिल किया है। मैं चाहता हूं कि हमारे संस्थान इन छोटी सफलताओं से आगे बढ़ें और अधिक समग्र वरीयता हासिल करें। हमें उस जकड़न को छोड़ना होगा और निष्क्रियता को कम करना होगा जो हमारे वर्तमान कामकाज के स्तर को निरूपित करते हैं।

मित्रो,

9. संकाय शिक्षा की आधारशिला है। शिक्षकों की गुणवत्ता शैक्षिक स्तर का प्रतीक होता है। संकाय के विकास के लिए अनेक उपायों की जरूरत पड़ती है। शिक्षकों के रिक्त पदों को प्राथमिकता के आधार पर भरना होगा। शैक्षिक दृष्टिकोण में नई विचारशीलता और विविधता का संचार करने के लिए विदेशों से प्रतिभावान शिक्षकों की नियुक्ति की जानी चाहिए। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के आवासी विद्वान ‘एनकोर’ कार्यक्रम और संकाय पुनर्शक्तिकरण कार्यक्रम का बेहतर इस्तेमाल करना होगा।

10. हमारे विश्वविद्यालयों के सुचारु कामकाज को प्रभावित करने वाली बहुत सी कमियां सुशासन की परिपटियों के अभाव से पैदा होती हैं। शासन तंत्रों में पारदर्शी निर्णयकरण को प्रोत्साहित करना होगा। इस संदर्भ में, शासन तंत्र में नामचीन पूर्व विद्यार्थियों की नियुक्ति से वह गतिशीलता आएगी जिसकी हमारे संस्थानों में कमी पाई जाती है। पूर्व विद्यार्थियों की दक्षताओं का प्रयोग मौजूदा पाठ्यक्रमों की समीक्षा तथा नए पाठ्यक्रम आरंभ करने के लिए किया जा सकता है।

11. उद्योग के साथ एक व्यापक साझीदारी निर्मित करने के लिए सुव्यवस्थित प्रयास करने होंगे। अनुसंधान वृत्तियों और पीठों के प्रायोजन तथा इंटर्नशिप कार्यक्रमों के संचालन जैसी सहयोग की संभावनाएं खोजने के लिए उद्योग-शिक्षा संस्थानों के संयोजन हेतु एक संस्थागत व्यवस्था आवश्यक है।

12. प्रौद्योगिकी सर्वोत्कृष्ट ज्ञान वाहक और सूचना प्रसारक है। ज्ञान नेटवर्क बौद्धिक सहयोग में मदद प्रदान करता है। इससे भौतिकीय बाधाएं भी कम होती हैं। अधिकाधिक शैक्षिक आदान-प्रदान के लिए प्रौद्योगिकी आधारित मीडिया का प्रभावी प्रयोग आज की आवश्यकता है।

मित्रो,

13. हमारे संस्थानों में अनुसंधान की अनदेखी को समाप्त करना होगा। हमें अपनी शैक्षिक प्रणाली में एक बहुविधात्मक दृष्टिकोण अपनाना होगा क्योंकि अधिकतर अनुसंधान कार्यकलापों के लिए विविध विधाओं के विद्वानों को जोड़ना जरूरी है। हमें उस क्षेत्र की उन अनूठी विशेषताओं पर ध्यान देना होगा जहां वह विश्वविद्यालय स्थित है। मणिपुर विश्वविद्यालय इस राज्य की जैव विविधता की प्रबलता को ध्यान में रखते हुए अपनी अनुसंधान विशेषज्ञता की प्राथमिकता तय कर सकता है।

14. हमारे विश्वविद्यालयों का कर्तव्य अपने विद्यार्थियों में जिज्ञासा पैदा करना तथा वैज्ञानिक प्रवृत्ति को बढ़ावा देना है। प्रगति का एक रास्ता विद्यार्थियों तथा जमीनी नवान्वेषकों के नूतनविचारों को प्रोत्साहित करना है। विश्वविद्यालयों को व्यवहार्य उत्पादों के रूप में बदले जा सकने वाले नवीन विचारों पर ध्यान देने की जरूरत है। अनेक केन्द्रीय विश्वविद्यालयों द्वारा की गई एक पहल नवान्वेषण क्लबों की स्थापना है। इसे और बेहतरीन बनाने के लिए ऐसे क्लबों के कार्यकलापों को उस क्षेत्र के भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों तथा राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थानों में स्थित नवान्वेषण प्रोत्साहन केंद्रों के साथ जोड़ना होगा। प्रोत्साहन केंद्रों के साथ क्लबों के संयोजन से नवान्वेषण संजाल बनाने में मदद मिलेगी, जिससे अनुसंधान के उन्नत केंद्रों तथा जन साधारण के बीच संपर्क हो सकेगा। मुझे उम्मीद है कि मणिपुर विश्वविद्यालय जल्दी ही बहुत से नवान्वेषणों को आगे बढ़ाएगा और मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि विश्वविद्यालय द्वारा इस संबंध में कुछ कदम पहले ही उठाए जा चुके हैं।

15. मित्रो, मणिपुर एक सुंदर राज्य है तथा इसने कला, संस्कृति तथा खेलों के क्षेत्र में राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय उत्कृष्टता प्राप्त की है। भारत को मणिपुर के युवकों और युवतियों द्वारा प्राप्त उपलब्धियों पर गर्व है तथा हमें भविष्य में उनसे हमारे देश के लिए और अधिक गौरव प्राप्त करने की अपेक्षा है। यह जरूरी है कि सभी लोग, खासकर मणिपुर के युवा, इस बात को पहचानें कि अर्थव्यवस्था और समाज केवल अहिंसा मुक्त वातावरण में ही फलफूल सकते हैं। हिंसा से कभी किसी समस्या का समाधान नहीं हो सकता। हिंसा से हर एक पक्ष के दु:ख और दर्द में बढ़ोतरी ही होती है।

16. मैं मणिपुर के युवाओं का आह्वान करता हूं कि वे राष्ट्र के भविष्य के निर्माण के लिए देश के शेष युवाओं के साथ एकजुट होकर प्रयास करें। आज भारत तेजी से प्रगति कर रहा है। हर एक क्षेत्र में—चाहे वह व्यवसाय हो, उद्योग हो, व्यापार हो, शिक्षा हो अथवा संस्कृति, हमारे एक अरब से अधिक लोग हमारी मुख्यत: युवा जनसंख्या के विचारों, प्रयासों तथा ऊर्जा के द्वारा आगे की ओर गतिमान हैं।

17. उदीयमान भारत मणिपुर के युवाओं के लिए बहुत से अवसर प्रदान कर रहा है। मैं मणिपुर के युवाओं से आग्रह करता हूं कि ‘हिंसा और सघर्ष के अंधकारमय दिनों को भूल जाएं। एक नए सूर्योदय का स्वागत करें। आइए हम अपने सामूहिक भविष्य पर भरोसा रखते हुए आगे बढ़ें।’ मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि भारत सरकार तथा मणिपुर राज्य सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए दृढ़ प्रतिज्ञ तथा दायित्वबद्ध हैं कि प्रत्येक मणिपुरी गरिमापूर्ण जीवन जीए तथा सबको समान अधिकार एवं अवसर प्राप्त हों। इसी कारण से, राज्य में अनेक प्रमुख आर्थिक विकास तथा ढांचागत परियोजनाएं आरंभ की गई हैं।

18. मैं, मणिपुर की जनता को सफल एवं शांतिपूर्ण चुनावों के लिए बधाई देता हूं। हमें इस बात की खुशी होनी चाहिए कि कभी-भार कुछ शोर-शराबे के बावजूद भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। 16वीं लोकसभा के चुनाव जारी हैं और इस राज्य सहित हमारे देश के लोगों ने रिकॉर्ड संख्या में मतदान किया है और अपने अधिकारों का प्रयोग किया है।

19 मुझे इस बात की खुशी है कि 2009 में भंग किए गए मणिपुर विश्वविद्यालय के छात्र संघ को अगले शैक्षणिक सत्र से पुन: आरंभ किया जा रहा है। उन्हें इस बात का विश्वास है कि यह इस विश्वविद्यालय में युवाओं के कल्याण को बढ़ावा देने में महत्त्वपूर्ण एवं रचनात्मक भूमिका निभाएगा। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि देश की राजधानी दिल्ली में पिछले कुछ दिनों में पूर्व पूर्वोत्तर के युवाओं पर आक्रमण की दुखद घटनाएं हुई हैं। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि हमारे देश का बहुलवादी स्वरूप तथा भारत की एकता का सूत्र, जिस पर सभी भारतीयों को गर्व है, इस तरह की अस्वीकार्य घटनाओं से कमजोर न होने पाए। मुझे खुशी है कि केंद्र सरकार तथा दिल्ली सरकार दोनों ने ही न केवल आरोपियों की धरपकड़ करने और उनको दंडित करने में सख्त कार्यवाही की है बल्कि ऐसे उपाय भी किए हैं कि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।

मित्रो,

20. भारत नए अवसरों और उच्च उपलब्धियों की दहलीज पर है। भारत द्वारा वैश्विक नेतृत्व प्राप्ति अब केवल कल्पना की बात नहीं है। आप, हमारे देश के शिक्षित युवा, इस नए पुन:जाग्रत अभिनव भारत का निर्माण करेंगे। समाज का परिवर्तन दूत बनने के लिए यहां हासिल की गई शिक्षा को प्रयोग करें। महात्मा गांधी के शब्दों से प्रेरणा ग्रहण करें, उन्होंने कहा था, ‘शिक्षा का सार अपने अंदर निहित सर्वोत्तम को प्रकट करना है।’

21. मैं आने वाले वर्षों में मणिपुर विश्वविद्यालय कीन सफलता की कामना करता हूं और आप सभी को शुभकामनाएं देता हूं।

धन्यवाद,

जय हिंद!