दी लोयोला कॉलेज ऑफ सोशल साइंसिज के स्वर्ण जयंती समारोह के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी का अभिभाषण
तिरुअनंतपुरम, केरल : 30.10.2012
मुझे आज इस प्रतिष्ठित संस्थान के स्वर्ण जयंती समारोह का उद्घाटन करने के लिए यहां उपस्थित होकर प्रसन्नता हो रही है।
समाज सेवा में अग्रणी, दी लोयोला कॉलेज ऑफ सोशल साइंसिज पीढ़ी-दर-पीढ़ी महिलाओं व पुरुषों को प्रशिक्षण दे रहा है, और उन्हें आगे बढ़कर सेवाएं प्रदान करने तथा सामाजिक परिवर्तन के लिए कार्य करने के लिए प्रोत्साहित कर रहा है। स्वामी विवेकानंद ने एक बार कहा था, ‘‘अति प्राचीन काल से ही भारत मानव समाज के लिए मूल्यवान विचारों की खान रहा है, उसने खुद उच्च विचारों का सृजन करके उन्हें मुक्त ढंग से बांटा है और समूचे विश्व में प्रसारित किया है।’’ लोयोला कॉलेज के विद्यार्थी, समर्पण और प्रतिबद्धता के साथ आपके मिशन पर चलकर हमारे देशवासियों के लिए स्वामी विवेकानन्द की संकल्पना को साकार करने का उल्लेखनीय कार्य कर रहे हैं।
विशिष्ट अतिथिगण,
मुझे लोयोला कॉलेज के दीर्घ और विशिष्ट इतिहास की तब से जानकारी है जब केरल जेसुइट प्रोविंस के प्रथम प्रोविंसियल रेव. जोसेफ एडामरम ने इसकी संकल्पना और स्थापना की थी। उन्होंने एक ऐसे समाज विज्ञान संस्थान का सपना देखा था जो विशेष रूप से केरल राज्य में, एक विविधतापूर्ण और सुसंबद्ध, पुन: उत्थानशील समाज के निर्माण में योगदान देगा। वे जेसुइट समाज के इस ध्येय वाक्य का प्रचार-प्रसार करना चाहते थे—विद्यार्थियों में ऐसे तत्त्वों का समावेश करना जिनसे उन्हें धन, आस्था और सफलता के लक्ष्य प्राप्त करने तथा समाज और विश्व को समर्पित नेतृत्व तैयार करने में मदद मिले।
मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि लोयोला कॉलेज, त्रिवेंद्रम ने शिक्षा व व्यवहार, शिक्षण व प्रयोग को मिलाते हुए इस संकल्पना को साकार किया है। कॉलेज ने अध्यापन, अनुसंधान और विस्तार के तीनों लक्ष्यों का निरंतर अनुसरण किया है।
मुझे यह देखकर भी प्रसन्नता हुई है कि एक अग्रणी अध्यापन संस्थान के तौर पर, लोयोला कॉलेज ने हजारों समाज सेवा कर्मियों, समाज वैज्ञानिकों और कार्मिक प्रबंधकों को प्रशिक्षित किया है जिन्होंने भारत और विश्व की संस्थाओं के सहयोग से परियोजनाओं व पहलों के जरिए इस प्रशिक्षण को आगे बढ़ाया है और उसका विस्तार किया है।
तथापि, मैं इस अवसर पर, लोयोला कॉलेज के युवा प्रशिक्षुओं और विद्यार्थियों का ध्यान उन कुछ चुनौतियों की ओर दिलाना चाहूंगा जिन पर अभी और ध्यान देने की जरूरत है। उदाहरण के लिए, 86 प्रतिशत की उच्च साक्षरता दर के बावजूद केरल के सार्वजनिक जीवन में महिलाओं की भागीदारी अपेक्षाकृत कम है। आंकड़े दर्शाते हैं कि कृषि श्रम, कुटीर व पारंपरिक उद्योगों और चुनिंदा सेवा क्षेत्रों सहित असंगठित क्षेत्रों में महिलाओं का घनत्व अधिक है जिनमें दुर्भाग्यवश समान काम के लिए समान वेतन उपलब्ध नहीं है। केरल की आर्थिक प्रक्रिया में महिलाओं की प्रत्यक्ष उपेक्षा और संसाधनों पर कम नियंत्रण उनकी स्थिति को सुधारने में प्रमुख बाधाएं रही हैं। सामान्य तौर पर केरल में प्रगतिशील राजनीतिक वातावरण के बावजूद ऐसा है। राज्य के विभिन्न नेतृत्व स्तरों पर महिलाओं की सक्रिय भागीदारी और अधिक बढ़ाने की आवश्यकता है। इस दिशा में महिलाओं के लिए स्थानीय निकायों और पंचायतों में 50 प्रतिशत आरक्षण एक अच्छा कदम है।
इस क्षेत्र में, सर्वोत्तम कॉलेजों में छठे स्थान वाला समाज विज्ञान संस्थान होने के कारण, उपाधि प्राप्त करने वाले छात्रों पर यह दायित्व आ जाता है कि वह अपनी सामाजिक जिम्मेदारियों से अवगत रहें। लोयोला कॉलेज के जागरूक विद्यार्थी के तौर पर आप पहले ही अच्छी स्थिति में हैं और आप न केवल केरल बल्कि पूरे भारत में एक समाजवादी, पंथनिरपेक्ष लोकतांत्रिक समाज का निर्माण करने के लिए आप बहुत कुछ कर सकते हैं। मैं आपसे आग्रह करना चाहूंगा कि आप समाज के अनेक स्तरों पर नई परियोजनाएं और विभिन्न कार्यकलाप पहुंचाने का पूरा प्रयास करें।
इन्हीं शब्दों के साथ, मैं लोयोला कॉलेज ऑफ सोशल साइंसिज तिरुअनंतपुरम के स्वर्ण जयंती समारोह के उद्घाटन की सहर्ष घोषणा करता हूं।
समाज सेवा में अग्रणी, दी लोयोला कॉलेज ऑफ सोशल साइंसिज पीढ़ी-दर-पीढ़ी महिलाओं व पुरुषों को प्रशिक्षण दे रहा है, और उन्हें आगे बढ़कर सेवाएं प्रदान करने तथा सामाजिक परिवर्तन के लिए कार्य करने के लिए प्रोत्साहित कर रहा है। स्वामी विवेकानंद ने एक बार कहा था, ‘‘अति प्राचीन काल से ही भारत मानव समाज के लिए मूल्यवान विचारों की खान रहा है, उसने खुद उच्च विचारों का सृजन करके उन्हें मुक्त ढंग से बांटा है और समूचे विश्व में प्रसारित किया है।’’ लोयोला कॉलेज के विद्यार्थी, समर्पण और प्रतिबद्धता के साथ आपके मिशन पर चलकर हमारे देशवासियों के लिए स्वामी विवेकानन्द की संकल्पना को साकार करने का उल्लेखनीय कार्य कर रहे हैं।
विशिष्ट अतिथिगण,
मुझे लोयोला कॉलेज के दीर्घ और विशिष्ट इतिहास की तब से जानकारी है जब केरल जेसुइट प्रोविंस के प्रथम प्रोविंसियल रेव. जोसेफ एडामरम ने इसकी संकल्पना और स्थापना की थी। उन्होंने एक ऐसे समाज विज्ञान संस्थान का सपना देखा था जो विशेष रूप से केरल राज्य में, एक विविधतापूर्ण और सुसंबद्ध, पुन: उत्थानशील समाज के निर्माण में योगदान देगा। वे जेसुइट समाज के इस ध्येय वाक्य का प्रचार-प्रसार करना चाहते थे—विद्यार्थियों में ऐसे तत्त्वों का समावेश करना जिनसे उन्हें धन, आस्था और सफलता के लक्ष्य प्राप्त करने तथा समाज और विश्व को समर्पित नेतृत्व तैयार करने में मदद मिले।
मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि लोयोला कॉलेज, त्रिवेंद्रम ने शिक्षा व व्यवहार, शिक्षण व प्रयोग को मिलाते हुए इस संकल्पना को साकार किया है। कॉलेज ने अध्यापन, अनुसंधान और विस्तार के तीनों लक्ष्यों का निरंतर अनुसरण किया है।
मुझे यह देखकर भी प्रसन्नता हुई है कि एक अग्रणी अध्यापन संस्थान के तौर पर, लोयोला कॉलेज ने हजारों समाज सेवा कर्मियों, समाज वैज्ञानिकों और कार्मिक प्रबंधकों को प्रशिक्षित किया है जिन्होंने भारत और विश्व की संस्थाओं के सहयोग से परियोजनाओं व पहलों के जरिए इस प्रशिक्षण को आगे बढ़ाया है और उसका विस्तार किया है।
तथापि, मैं इस अवसर पर, लोयोला कॉलेज के युवा प्रशिक्षुओं और विद्यार्थियों का ध्यान उन कुछ चुनौतियों की ओर दिलाना चाहूंगा जिन पर अभी और ध्यान देने की जरूरत है। उदाहरण के लिए, 86 प्रतिशत की उच्च साक्षरता दर के बावजूद केरल के सार्वजनिक जीवन में महिलाओं की भागीदारी अपेक्षाकृत कम है। आंकड़े दर्शाते हैं कि कृषि श्रम, कुटीर व पारंपरिक उद्योगों और चुनिंदा सेवा क्षेत्रों सहित असंगठित क्षेत्रों में महिलाओं का घनत्व अधिक है जिनमें दुर्भाग्यवश समान काम के लिए समान वेतन उपलब्ध नहीं है। केरल की आर्थिक प्रक्रिया में महिलाओं की प्रत्यक्ष उपेक्षा और संसाधनों पर कम नियंत्रण उनकी स्थिति को सुधारने में प्रमुख बाधाएं रही हैं। सामान्य तौर पर केरल में प्रगतिशील राजनीतिक वातावरण के बावजूद ऐसा है। राज्य के विभिन्न नेतृत्व स्तरों पर महिलाओं की सक्रिय भागीदारी और अधिक बढ़ाने की आवश्यकता है। इस दिशा में महिलाओं के लिए स्थानीय निकायों और पंचायतों में 50 प्रतिशत आरक्षण एक अच्छा कदम है।
इस क्षेत्र में, सर्वोत्तम कॉलेजों में छठे स्थान वाला समाज विज्ञान संस्थान होने के कारण, उपाधि प्राप्त करने वाले छात्रों पर यह दायित्व आ जाता है कि वह अपनी सामाजिक जिम्मेदारियों से अवगत रहें। लोयोला कॉलेज के जागरूक विद्यार्थी के तौर पर आप पहले ही अच्छी स्थिति में हैं और आप न केवल केरल बल्कि पूरे भारत में एक समाजवादी, पंथनिरपेक्ष लोकतांत्रिक समाज का निर्माण करने के लिए आप बहुत कुछ कर सकते हैं। मैं आपसे आग्रह करना चाहूंगा कि आप समाज के अनेक स्तरों पर नई परियोजनाएं और विभिन्न कार्यकलाप पहुंचाने का पूरा प्रयास करें।
इन्हीं शब्दों के साथ, मैं लोयोला कॉलेज ऑफ सोशल साइंसिज तिरुअनंतपुरम के स्वर्ण जयंती समारोह के उद्घाटन की सहर्ष घोषणा करता हूं।